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Fantasy माया- एक अनोखी कहानी
#63
अध्याय
 
क्या देख रही है लड़की? मेरी कटी हुई जीभ?”

मैंने फटी फटी आंखों से उनकी तरफ देखते हुए स्वीकृति में अपना सर हिलाया|

हा हा हा हा| कोई बात नहीं मैंने जादू टोना और तंत्र विद्या सीखने के लिए बहुत ही कम उम्र में ने अपनी जीभ इस तरह से कटवा कर अपना खून चढ़ाई थी- उन अंधेरे में रहनेवाली आत्माओं कोउन जादू टोने वाली रूहानी ताकतों कोजिनसे मुझे ऐसी जादुई ताकतें मिल सके... लेकिन यह फिर एक दूसरी लंबी कहानी हैइसके साथ-साथ जैसे जैसे मैं बड़ी होती हुई मुझे लगा कि मर्दों की तुलना में मुझे लड़कियां ज्यादा पसंद है इसलिए मैंने एक सिद्धि और प्राप्त की…”

कौन सी?” मैंने पूछा

माँठाकुराइन ने कहा, “एक ऐसी शक्ति जिससे मैं अपना भगांकुर बड़ा कर सकती हूं... मेरा भगांकुर बड़ा होकर लंबा होकर बिल्कुल एक आदमी की लिंग की तरह बन जाता हैऔर अब तू नादान तो नहीं रहीबड़ी हो गई है... सबकुछ जान चुकी हैमैं अपने इस अंग को किसी भी औरत के भग में डाल के उसके साथ बिल्कुल मर्दों की तरह सहवास कर सकती हूं और वही आज तेरे साथ मैं वही करूंगी... मुझे तंत्र मंत्र जादू टोने के लिए कभी कभार ऊर्जा की जरूरत पड़ती है... जिसे मैं तुझ जैसी लड़कियों के साथ सहवास करके प्राप्त करती हूं... वैसे तो मैं कई लड़कियों को अपने साथ बहला-फुसला करके या फिर सम्मोहित करके अपने घर ले आती थी और  मेरा काम हो जाने के बाद, उन्हें दूर कहीं छोड़ आती थी और यह जरूर ठीक कर लेती थी कि बाद में उन्हें कुछ भी याद न रहे... आज तू मेरी है... आज मैं जो भी चाहती हूं, उसे वसूल करूँगी... तू  तो जवान है... सुंदर है और सबसे बड़ी बात कुंवारी है... बड़े दिनों बाद मुझे तुझ जैसी लड़की मिली है... मैं जी भर के तुझे प्यार करूंगी... भोगुंगी तुझेलेकिन तुझे सब कुछ याद रहेगा क्योंकि मैं यह जान गई हूं तुझे भी इसमें बड़ा मजा आने वाला है, क्योंकि दूसरी लड़कियों से थोड़ी अलग है... तेरे मन का झुकाव औरतों के तरफ भी है, तू उनकी खूबसूरती की तारीफ करती हैउनका साथ तुझे अच्छा लगता हैअगर कोई खूबसूरत है तू उसकी खूबसूरती की कद्र करती हैमैं जानती हूं तू और लड़कियों से बिल्कुल अलग है... शायद तुझे नहीं पता लेकिन तू इस बात को मान ले कि तू भी मेरी तरह समकामी हैमेरे साथ बड़ा मज़ा आएगा तुझेमैं तुझे एक औरत का और एक मर्द का दुगना मजा दूंगी…”

लेकिन...”, मेरे दिमाग में एक वाजिब सा सवाल था... उसे माँठाकुराइन भांप गई...

चिंता मत कर... तेरे पेट में बच्चा नही आएगा...माँठाकुराइन ने कहा, “इसके लिए तुझे एक मर्द की ही ज़रूरत पड़ेगी....  बाकी मैं भी एक औरत ही हूँ बस उम्र की वजह से मेरा मासिक रुक गया है.... हा हा हा मैने तो सिर्फ़ अपने भगांकुर अंग का विकास किया है.... देखेगी?”

यह कहकर उन्होंने अपने दो टांगों के बीच से वह कपड़ा हटा दिया और जो मैंने देखा उसे देखकर मैं दंग रह गई... मैंने देखा उनकी योनि बिल्कुल बाकी औरतों की तरह ही है... लेकिन उसके अंदर से एक लंबी सी, मोटी सी गुलाबी रंग की नली की तरह कुछ निकल आया है

यही था उनका विकसित भागंकुर जिसे वह एक लिंग की तरह इस्तेमाल कर सकती थी

कहां तो मैं यौनाग्नि में तड़प रही थी... कहाँ तो मैं सोच रही थी यहां इस वक्त अगर कोई मर्द होता तो कितना अच्छा होता... लेकिन जो मैंने देखा जो समझा  उसकी मैंने उम्मीद भी नहीं की थी... बड़े ताज्जुब की बात थी, लेकिन अंदर ही अंदर मुझे ना जाने क्यों इस बात की खुशी थी कि चलो, अब इतनी देर बाद मेरे अंदर जलती हुई आग को कोई बुझा सकेगी

माँठाकुराइन ने कहा, “घबरा मत तू इसे हाथ में लेकर देख सकती है…”

मैंने उत्सुकतावश उनके उस अंग अपने हाथ में लिया| वह गीला गीला सा था... चिपचिपा सालिजलिजा सा था... उस पर शरीर के  अंदर के  रस लगे हुए थे... मुझे यह समझते देर न लगी कि कुछ ही देर में माँठाकुराइन अपना यह अंग मेरे भग में घुसा देंगी- वैसे ही जैसे एक आदमी एक औरत योनांग में अपना लिंग घुसा देता है-  खैर मन ही मन मैं भी तो यही चाहती थी कि आज कोई ना कोई मेरे साथ सहवास करे...  मेरे अंदर की प्यास को बुझा सके आखिर मैं बड़ी हो चुकी हूँ... मेरी जवानी का फल पक चुका है...

मैं एक अजीब सी प्यासी निगाहों से माँठाकुराइन की ओर देख रही थीमाँठाकुराइन मुझे देख कर मुस्कुरईउन्हें शायद पता चल गया था कि अब देर नहीं करनी चाहिए…. उन्होंने मुझे पकड़कर धीरे-धीरे लिटा दिया फिर बड़े प्यार से मेरे चेहरे को सहलाने लगी और मेरे होठों को चूमने लगी

वह तो खुद अध-लेटी अवस्था में बैठी हुई थी लेकिन मैं बिल्कुल खुली की खुली- नंगी उनके बगल में लेटी हुई थी
वह मुझे चूमती गई है चाटती गई है... मेरे पूरे बदन पर हाथ फिरती रही... मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद वह मेरे बदन में कुछ ढूंढ रही थी... और ना जाने क्यों मुझे ऐसा भी लग रहा था कि शायद उसे वह मिल गया था... लेकिन नहीं... वह रुकी नहीं वह मारे बदन पर हाथ फेरती गईमानो जो उसे खजाना मिल गया था... उसे वह परख कर देखना चाहती थी

कितनी अच्छी है तू... कितनी प्यारी है तू... उम्र के हिसाब से तेरे बदन का विकास भी अच्छी तरह से हुआ है.... क्या लंबे बाल है तेरे घने- मुलायम और रेशमी... क्या बड़े-बड़े कसे कसे तने तने से दुद्दु (स्तन) है तेरे...  तेरे बदन से और तेरे बालों से एक अजीब सी मदहोश कर देने वाली खुशबू आती है... तेरे कूल्हे भी सुडौल और मांसल है...माँठाकुराइन बोलती गई, “जब मैंने पहली बार तुझे गुसलखाने में नहाते हुए देखा था, तो तेरी पीठ मेरी तरफ थीलेकिन तब से ही मैं तुझे सामने से  नंगी देखने के लिए तड़प रही थीअच्छा हुआ आज तो मेरे साथ लेटी हुई है....  कुछ ही देर में मैं तुझ जैसी एक खिलती कली को एक अच्छा सा फूल बना दूंगी मेरे ऊपर भरोसा रखमैं तेरी जिंदगी को एक नया मोड़ देने वाली हूंपर हां; काश मैं तुझे पाल पाती”, यह कहकर उन्होंने अपनी कटी हुई थी उससे मेरे होठों को और मेरे गालों को कई बार चाटा मानो शायद वह मेरे बदन का स्वाद लेना चाहती थी

मेरे अंदर कामना की आग बढ़ती जा रही थी... मेरी सांसे गहरी और लंबी हो रही थी और अब तो आवेग से मैं थोड़ा थोड़ा काँपने भी लगी थी... लेकिन माँठाकुराइन कहां रुकने वाली थी? उन्होंने मुझे प्यार करना जारी रखा....  मेरे पूरे बदन पर हाथ फेरती गई... और उसके बाद मेरे स्तनों को सहलाते हुए एक स्तन की चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी... और ऐसा करते हुए उनका एक हाथ मेरे दो टांगों के बीच में चला गया, वह मेरे भग को सहला सहला कर देख रही थी... मेरा भग गीला हो चुका था... रस छोड़ रही थी मैं... उन्हें पता चल गया कि अब मैं संभोग के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी हूं... अब देर नहीं करनी चाहिए

मेरे से भी  अब रहा नहीं जा रहा था मैं छटपटाने लगी थी... मैं चाहती थी कि माँठाकुराइन ऐसा कुछ करें जिससे मुझे थोड़ी शांति मिले...

मैंने अपनी कांपती हुई आवाज में आखिर बोल ही दिया, “माँठाकुराइन, कुछ कीजिए ना... मेरे बदन में आग सी जल रही है...

मैं जानती हूँ लड़की... यह आग मैंने ही जानबूझकर लगाई है...

मुझे ज्यादा दिन इंतजार नहीं करना पड़ा वह धीरे-धीरे उठ कर बैठ गई और उन्होंने मेरी टांगों को पकड़कर काफ़ी फैला दिया... मेरी दोनो टाँगों के बीच अब इतना फासला था कि वह उनके बीच मे आ सके... उन्होने वैसा ही किया

जादू टोने तंत्र मंत्र से तब्दील किया हुआ उनका भगांकुर अब - खड़ा और सक्त चुका थाबिल्कुल एक कृत्रिम लिंग जैसा

उन्होंने अपनी उंगलियों से मेरे यौनंग के अधरों को हल्के से थोड़ा खोला और उसके बाद उन्होंने अपने कृत्रिम लिंग जैसे रुपांतरित भागंकुर को मेरी योनि से छुयायाबाहर बहुत तेज़ बिजली चमकी और कहीं से बहुत ज़ोरों से बादल गरजने की आवाज आई... लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि वह बिजली जमीन पर ना गिर कर शायद मेरे ऊपर गिरी हो... मैं फिर से काँप उठी और न जाने क्यों मैंने अपनी कमर ऊपर उठा दी

बस सर फिर क्या था माँठाकुराइन ने अपना रूपांतरित भगांकुर मेरे यौनंग के अंदर घुसा दिया

इससे पहले कभी भी मेरे नारीत्व का उल्लंघन नहीं हुआ था, आज पहली बार था कि किसी दूसरे व्यक्ति का कठोर अंग मेरे कोमल अंग के अंदर घुसा हुआ होइसलिए मैं दर्द से कराह उठीमेरी कौमार्य की झिल्ली फट गई
माँठाकुराइन ने अपना अंग मेरे अंदर कुछ देर तक ऐसे ही रख छोड़ कर मेरे ऊपर लेटी रहीं... मैं उनके नीचे उनका वज़न से दबी हुई थी और एक कटी हुई मुर्गी की तरह छटपटा रही थी....   कुछ देर तक उन्होंने मुझे ऐसे ही अपने नीचे दबा के रखा और उसके बाद उन्होंने अपना भगांकुर निकाल लिया फिर एक लंबी सी सांस ली और दोबारा उन्होंने अपना अंग मेरे यौनांग में घुसा दिया

कितनी ताज़ी और कसी कसी-कासी सी है तू, वाह मजा आ गया…” माँठाकुराइन ने कहा और वह दुबारा मेरे उपर लेट गईमेरे यौनांग में उनका अंग घुसा हुआ था और उनकी वज़न से मेरा शरीर दब रहा था... लेकिन यह सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था... इससे पहले मुझे ऐसा एहसास कभी नहीं हुआ था... यह बिल्कुल नया नया लग रहा था|

माँठाकुराइन करीब दो मिनट तक मेरे ऊपर चुपचाप ऐसे ही लेटी रही| फिर उन्होंने मेरे से कहा, “चल लड़की अपना जीभ तो निकाल…”

मैंने वैसा ही किया| उन्होंने मेरी जीभ को अपने मुंह के अंदर ले कर चूसने लगी और फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपनी कमर को ऊपर नीचे ऊपर नीचे हिलने लगी और शुरू कर दी अपनी मैथुन लीलामैने उनको कस कर जकड लिया

सच कहूं तो इससे पहले मैंने किसी के साथ यौन संबंध नहीं बनाया था, हलाकि ऐसे ख्याल मेरे दिल में आते रहते थे, लेकिन मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन एक औरत जिसने अपना भागंकुर एक लिंग की तरह  तब्दील किया हो; वह मेरी जवानी का लुफ्त उठाएगी... और मुझे भी एक अंजाने एहसास से भर देगी... पर इससे पहले मैं एक कुंवारी लड़की थी इसलिए माँठाकुराइन के लगाए हुए धक्के और उनका तब्दील किया हुआ भगांकुर जो कि फिलहाल मेरी योनि के अंदर बाहर हो रहा था... उससे मुझे थोड़ी तकलीफ हो रही थी लेकिन एक अनजानी संतुष्टि मिल रही थी....  इसलिए मैं कसमसाती रही- छटपटाती रही और माँठाकुराइन मेरे साथ मैथुन करती रही...

थोड़ी देर तक ऐसा चलने के बाद मानो मुझे ऐसा लगने लगा कि अब सबकुछ ठीक हो गया है....  मुझे अब इतनी तकलीफ नहीं हो रही थी लेकिन माँठाकुराइन ने अपने मैथुन की गति बढ़ा दीकुछ देर के लिए तो मुझे थोड़ा सुकून का एहसास हुआ लेकिन उसके बाद मुझे लगने लगा कि मेरा दम घुटने लगा है... ऐसा प्रतीत होने लगा कि मेरा पूरा शरीर उत्तेजना में शायद फट जाएगा ... पर माँठाकुराइन नहीं रुकी, उसका रूपांतरित भागंगकुर तेजी से मेरी योनि के अंदर अपनी क्रिया करता रहा... मेरी जीभ उनके मुँह के अंदर ही थी को वह शायद अपने पूरे चाव से उसे चूसे जा रही थी

और फिर अचानक मुझे लगा कि मेरी पूरी दुनिया में एक विस्फोट सा हुआ मेरा बदन दो तीन बार सिहर उठा और उसके बाद न जाने में एक अनजानी सुख सागर में डूब सी गईलेकिन मैंने महसूस किया कि मेरा यौनंग जिसने माँठाकुराइन के भगांकुर को निगल रखा था उसमें एक अजीब तरह का स्पंदन और संकुचन सा हो रहा है मानो मेरा यौनंग माँठाकुराइन के उस अंग को काटने की कोशिश कर रहा हो

माँठाकुराइन ने और थोड़ी देर मेरे साथ मैथुन किया और उसके बाद वह भी ढीली पड़ गई और उन्होंने अपना मुंह मेरे मुंह से अलग कर लिया और थोड़ा सुसताने लगी फिर धीरे-धीरे मुझे लगने लगा कि उनका भगांकुर अब शिथिल पड़ने लग गया है

उन्होंने अपना बदन मेरे बदन से अलग कर लिया और मेरे बगल में लेट गई फिर मेरे बालों को पकड़ कर के मेरा सिर अपने स्तनों के पास ले गई...  मुझे उनका इशारा समझ में आ गया मैं उनकी एक स्तन की चूची अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और दूसरे स्तन की चुचि से खेलने लगी... माँठाकुराइन मेरे दो टांगों के बीच के हिस्से को बड़े प्यार से सहलाने  लगीमुझे बहुत अच्छा लग रहा था

क्रमश: 
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माया- एक अनोखी कहानी- अध्याय ९ - by naag.champa - 26-01-2019, 09:56 PM



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