13-12-2019, 08:52 PM
(This post was last modified: 21-02-2021, 04:40 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
छंदा सेन
और अब मम्मी की बारी थी ,लेकिन उन्होंने कुछ फैसला सुनाने के पहले एक सवाल सुजाता से पूछ लिया,
" उन दोनों कबूतरियों के क्लास में कोई 'सुसंस्कारी' लड़की है या , ... "
उन का बाकी सुजाता की खिलखलाहट में डूब गया ,
और जब सुजाता हंसती थी तो बस हंसी के दौरे चालू हो जाते थे उसे।
मुश्किल से रुकी ,
" आप भी न ,आज के जमाने में , ....लड़कियों की झांटे बाद में आती हैं लेकिन चार चार कंट्रासेप्टिव पिल के नाम उन्हें पहले याद हो जाते हैं। अरे आधी से ज्यादा उसने क्लास की लड़कियों की चिड़िया कब से उड़ रही है फुर्र फुर्र।
सिर्फ वही दोनों माहौल खराब कर रही है , लेकिन मैं आप की बात समझ गयी ,एक लड़की है जो सुसंस्कारी ही नहीं परम सुसंस्कारी है ,
छंदा सेन.
ड्रिंक ,ड्रग्स कोई चीज बची नहीं उससे / लड़के एक साथ चार पांच आशिक रखती है , और सिर्फ लड़के ही , वो जेंडर डिस्क्रिमिनेशन में भी विश्वास नहीं रखती। उसके क्लास की ही तीन चार लड़कियां उसकी सेविकाएं हैं।
कबूतरियों के क्लास में पिछले तीन साल से है , पास होती तो अब ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में पहुँच जाती। "
मम्मी सुजाता की बाते बहुत ध्यान से सुन रही थी और उन के मन में कोई स्ट्रेटजी तैयार हो रही थी।
सुजाता ने अपने टैब से छंदा की फोटो दिखा दी,
वाउ एकदम मस्त माल लग रही थी ,कैशोर्य की आखिरी पायदान पर , लेकिन मेरे मन की बात मम्मी ने कह दी ,
"मस्त है एकदम नम्बरी छिनार , तुम कह रही थी , दो बार फेल हो चुकी है ,इसी क्लास में ,.. "
" हाँ लेकिन शहर के सबसे बड़े बिजनेसमैन की एकलौती बेटी है ,उनके पोलिटिकल कनेक्शन भी बहुत हैं इसलिए , कालेज से, ... "
मम्मी ने सुजाता के जवाब को आलमोस्ट इग्नोर करते दूसरा सवाल दागा ,
" तुम्हारी कुछ उस लड़की से जान पहचान है क्या ,... "
" हाँ है थोड़ी बहुत , मिली हूँ ,लेकिन जो उस की स्पोर्ट्स टीचर और टेनिस कोच है वो दोनों मेरी पक्की सहेलियां है और , उन दोनों से वो बहुत चीजें शेयर करती है। "
" ब्वाय फ्रेंड्स ,गर्ल फ्रेंड्स भी क्या , "
मैंने उत्सुकता से पूछा। पूछा तो सुजाता से ,लेकिन मम्मी की घूरती निगाहों ने मुझे चुप करा दिया।
उनका प्लान तैयार हो गया था ,कम से कम पार्ट प्लान ,
बहेलिये ने दाना फेंकने की तैयारी कर ली थी ,बस कबूतरियों को दाना चुगना बाकी था।
और मम्मी ने प्लान का पहला हिस्सा बता दिया ,
" क्या नाम बताया था तूने ,उसका ,हाँ छंदा ,
बस उसे पटा तू।
इस साल से तो उसके बजाय बोर्ड के इंटरनल एक्जाम होंगे न तो बस उसे प्रामिस कर की वो सिर्फ पास ही नहीं होगी बल्कि मार्क्स भी अच्छे आएंगे। वो ही लड़की चाभी है। मुझे मालूम है की उस की उन कबूतरियों से दोस्ती नहीं होगी ,
लेकिन ये जिम्मेदारी छंदा की है उन्हें पटाने की। दोनों कबूतरियां टेनिस भी खेलती हैं न ? "
सुजाता ने हामी भरी और ये भी बोला की बस सो सो हैं दोनों टेनिस में।
" तो क्या हुआ ये तो तुम्हारे हाथ में है , अगले तीन चार दिनों के अंदर किसी बाहर के शहर में टेनिस टीम भेजो
जिसमें दोनों कबूतरियां और वो छंदा जाएंगी।
मुझे मालूम है मिसेज मोइत्रा पहले हिचकिचाएंगी लेकिन उन्हें यही बोलना की साथ में स्पोर्ट्स टीचर और टेनिस कोच भी जाएंगी।
लास्ट मिनट पे स्पॉर्ट्स टीचर कैन ड्रॉप और कोच बजाय लड़कियों के साथ रुकने के कहीं और ,...
लेकिन ये ध्यान रखना होगा की शुरू में वो छंदा अपने को एकदम कंट्रोल में रखे और उनका ट्रस्ट जीते।
हाँ आखिरी दिन जितने के बाद जरूर एंड दे मस्ट विन , ऐट लीस्ट कम सेकेण्ड। हाँ अवॉर्ड में एक बात , गिफ्ट हैम्पर ,कूपन्स फार सम फैशनेबल ड्रेसज और छंदा उन्हें ज़रा ज्यादा 'सुसंस्कारी' ड्रेसेज उनसे दिलवा सकती है।
टेनिस के लिए ड्रेसज तो कालेज देगा न तो बस उनमें उनकी टेनिस बॉल्स ज़रा अच्छी तरह छलकनी चाहिए।
और टेनिस की जीत की ख़ुशी में तीनो बच्चियों का सोमरस का स्वाद लेना तो बनता है न. . और जीत की ख़ुशी शेयर करने के लिए दोनों का फेसबुक अकाउंट खुलना ,सोशल नेट्वर्किंग ज्वाइन करना , तो बस ' सुसन्कारी' होने का पहला पाठ शुरू।
मैंने और सुजाता ने बस ताली नहीं बजायी।
इतनी अच्छी ,तगड़ी प्लानिंग तो हम सोच नहीं सकते थे। हम दोनों बस मंत्रमुग्ध होकर उनकी ओर देख रहे थे।
लेकिन मम्मी ने आगे का स्टेप भी बता दिया,
" एक बार वो दोनों छंदा के चंगुल में फंस गयी तो उन्हें आगे भी बढ़ाना होगा।
तुमने क्या बताया था वो क्लास में फर्स्ट आना चाहती हैं न हाँ तो बस कॉलेज के बाद , एक एक्स्ट्रा क्लास , जिसमें दोनों कबूतरियों के साथ छंदा और चार पांच और छंदा की चमची सुसंस्कारी बच्चिया , अपने आप ढंग के गुण दोनों सीखने लगेंगी। "
इतनी जबरदस्त प्लानिंग न मेरे दिमाग में घुसती न सुजाता के।
मम्मी ने तो पूरा खाका ही बना के हम दोनों को दे दिया था और बस अब उसे इम्पलीमेंट करने की जिमेदारी हम दोनों की थी।
जाल बुना जा चूका था , बस दाना डालना था ,जाल फेंकना था और दोनों कबूतरियां जाल में।
कैशोर्यावस्था में पीयर प्रेशर से बढ़ कर कुछ नहीं होता , और बस मम्मी ने वही दांव खेला था
और फिर मिसेज मोइत्रा जो उन दोनों कबूतरियों की पहरेदार थीं ,उनकी निगाह से दूर , दूसरे शहर में ,
और छंदा जैसी खेली खायी होशियार लड़की पटानेवाली, ...
मेरा और सुजाता का दूर दूर तक हाथ नजर नहीं आता , न मिसेज मोइत्रा को न दोनों कबूतरियों को।
लेकिन मम्मी का हाथ तो बार बार सुजाता के टैब से खेल रहा था ,
वो बार बार एक कबूतरी की बॉटमलेस पिक्चर को , जिसमें उसकी संतरे की फांकों ऐसी रसीली एकदम चिकनी , ...एकदम चिकनी तो नहीं ,छोटी छोटी झांटे , केसर के फूल जैसी , ,...
तारीफ़ की नजर से उन्होंने सुजाता की ओर देखा और बोल उठीं ,
" ये मस्त पिक्चर कैसे खींची , "
और अब मम्मी की बारी थी ,लेकिन उन्होंने कुछ फैसला सुनाने के पहले एक सवाल सुजाता से पूछ लिया,
" उन दोनों कबूतरियों के क्लास में कोई 'सुसंस्कारी' लड़की है या , ... "
उन का बाकी सुजाता की खिलखलाहट में डूब गया ,
और जब सुजाता हंसती थी तो बस हंसी के दौरे चालू हो जाते थे उसे।
मुश्किल से रुकी ,
" आप भी न ,आज के जमाने में , ....लड़कियों की झांटे बाद में आती हैं लेकिन चार चार कंट्रासेप्टिव पिल के नाम उन्हें पहले याद हो जाते हैं। अरे आधी से ज्यादा उसने क्लास की लड़कियों की चिड़िया कब से उड़ रही है फुर्र फुर्र।
सिर्फ वही दोनों माहौल खराब कर रही है , लेकिन मैं आप की बात समझ गयी ,एक लड़की है जो सुसंस्कारी ही नहीं परम सुसंस्कारी है ,
छंदा सेन.
ड्रिंक ,ड्रग्स कोई चीज बची नहीं उससे / लड़के एक साथ चार पांच आशिक रखती है , और सिर्फ लड़के ही , वो जेंडर डिस्क्रिमिनेशन में भी विश्वास नहीं रखती। उसके क्लास की ही तीन चार लड़कियां उसकी सेविकाएं हैं।
कबूतरियों के क्लास में पिछले तीन साल से है , पास होती तो अब ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में पहुँच जाती। "
मम्मी सुजाता की बाते बहुत ध्यान से सुन रही थी और उन के मन में कोई स्ट्रेटजी तैयार हो रही थी।
सुजाता ने अपने टैब से छंदा की फोटो दिखा दी,
वाउ एकदम मस्त माल लग रही थी ,कैशोर्य की आखिरी पायदान पर , लेकिन मेरे मन की बात मम्मी ने कह दी ,
"मस्त है एकदम नम्बरी छिनार , तुम कह रही थी , दो बार फेल हो चुकी है ,इसी क्लास में ,.. "
" हाँ लेकिन शहर के सबसे बड़े बिजनेसमैन की एकलौती बेटी है ,उनके पोलिटिकल कनेक्शन भी बहुत हैं इसलिए , कालेज से, ... "
मम्मी ने सुजाता के जवाब को आलमोस्ट इग्नोर करते दूसरा सवाल दागा ,
" तुम्हारी कुछ उस लड़की से जान पहचान है क्या ,... "
" हाँ है थोड़ी बहुत , मिली हूँ ,लेकिन जो उस की स्पोर्ट्स टीचर और टेनिस कोच है वो दोनों मेरी पक्की सहेलियां है और , उन दोनों से वो बहुत चीजें शेयर करती है। "
" ब्वाय फ्रेंड्स ,गर्ल फ्रेंड्स भी क्या , "
मैंने उत्सुकता से पूछा। पूछा तो सुजाता से ,लेकिन मम्मी की घूरती निगाहों ने मुझे चुप करा दिया।
उनका प्लान तैयार हो गया था ,कम से कम पार्ट प्लान ,
बहेलिये ने दाना फेंकने की तैयारी कर ली थी ,बस कबूतरियों को दाना चुगना बाकी था।
और मम्मी ने प्लान का पहला हिस्सा बता दिया ,
" क्या नाम बताया था तूने ,उसका ,हाँ छंदा ,
बस उसे पटा तू।
इस साल से तो उसके बजाय बोर्ड के इंटरनल एक्जाम होंगे न तो बस उसे प्रामिस कर की वो सिर्फ पास ही नहीं होगी बल्कि मार्क्स भी अच्छे आएंगे। वो ही लड़की चाभी है। मुझे मालूम है की उस की उन कबूतरियों से दोस्ती नहीं होगी ,
लेकिन ये जिम्मेदारी छंदा की है उन्हें पटाने की। दोनों कबूतरियां टेनिस भी खेलती हैं न ? "
सुजाता ने हामी भरी और ये भी बोला की बस सो सो हैं दोनों टेनिस में।
" तो क्या हुआ ये तो तुम्हारे हाथ में है , अगले तीन चार दिनों के अंदर किसी बाहर के शहर में टेनिस टीम भेजो
जिसमें दोनों कबूतरियां और वो छंदा जाएंगी।
मुझे मालूम है मिसेज मोइत्रा पहले हिचकिचाएंगी लेकिन उन्हें यही बोलना की साथ में स्पोर्ट्स टीचर और टेनिस कोच भी जाएंगी।
लास्ट मिनट पे स्पॉर्ट्स टीचर कैन ड्रॉप और कोच बजाय लड़कियों के साथ रुकने के कहीं और ,...
लेकिन ये ध्यान रखना होगा की शुरू में वो छंदा अपने को एकदम कंट्रोल में रखे और उनका ट्रस्ट जीते।
हाँ आखिरी दिन जितने के बाद जरूर एंड दे मस्ट विन , ऐट लीस्ट कम सेकेण्ड। हाँ अवॉर्ड में एक बात , गिफ्ट हैम्पर ,कूपन्स फार सम फैशनेबल ड्रेसज और छंदा उन्हें ज़रा ज्यादा 'सुसंस्कारी' ड्रेसेज उनसे दिलवा सकती है।
टेनिस के लिए ड्रेसज तो कालेज देगा न तो बस उनमें उनकी टेनिस बॉल्स ज़रा अच्छी तरह छलकनी चाहिए।
और टेनिस की जीत की ख़ुशी में तीनो बच्चियों का सोमरस का स्वाद लेना तो बनता है न. . और जीत की ख़ुशी शेयर करने के लिए दोनों का फेसबुक अकाउंट खुलना ,सोशल नेट्वर्किंग ज्वाइन करना , तो बस ' सुसन्कारी' होने का पहला पाठ शुरू।
मैंने और सुजाता ने बस ताली नहीं बजायी।
इतनी अच्छी ,तगड़ी प्लानिंग तो हम सोच नहीं सकते थे। हम दोनों बस मंत्रमुग्ध होकर उनकी ओर देख रहे थे।
लेकिन मम्मी ने आगे का स्टेप भी बता दिया,
" एक बार वो दोनों छंदा के चंगुल में फंस गयी तो उन्हें आगे भी बढ़ाना होगा।
तुमने क्या बताया था वो क्लास में फर्स्ट आना चाहती हैं न हाँ तो बस कॉलेज के बाद , एक एक्स्ट्रा क्लास , जिसमें दोनों कबूतरियों के साथ छंदा और चार पांच और छंदा की चमची सुसंस्कारी बच्चिया , अपने आप ढंग के गुण दोनों सीखने लगेंगी। "
इतनी जबरदस्त प्लानिंग न मेरे दिमाग में घुसती न सुजाता के।
मम्मी ने तो पूरा खाका ही बना के हम दोनों को दे दिया था और बस अब उसे इम्पलीमेंट करने की जिमेदारी हम दोनों की थी।
जाल बुना जा चूका था , बस दाना डालना था ,जाल फेंकना था और दोनों कबूतरियां जाल में।
कैशोर्यावस्था में पीयर प्रेशर से बढ़ कर कुछ नहीं होता , और बस मम्मी ने वही दांव खेला था
और फिर मिसेज मोइत्रा जो उन दोनों कबूतरियों की पहरेदार थीं ,उनकी निगाह से दूर , दूसरे शहर में ,
और छंदा जैसी खेली खायी होशियार लड़की पटानेवाली, ...
मेरा और सुजाता का दूर दूर तक हाथ नजर नहीं आता , न मिसेज मोइत्रा को न दोनों कबूतरियों को।
लेकिन मम्मी का हाथ तो बार बार सुजाता के टैब से खेल रहा था ,
वो बार बार एक कबूतरी की बॉटमलेस पिक्चर को , जिसमें उसकी संतरे की फांकों ऐसी रसीली एकदम चिकनी , ...एकदम चिकनी तो नहीं ,छोटी छोटी झांटे , केसर के फूल जैसी , ,...
तारीफ़ की नजर से उन्होंने सुजाता की ओर देखा और बोल उठीं ,
" ये मस्त पिक्चर कैसे खींची , "