25-01-2019, 11:27 PM
(This post was last modified: 30-11-2023, 03:27 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बहु अपने पापा से ढेर सारी बातें कर रही थी, उनकी बातें तो जैसे ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैं बहु और उसके पापा को कमरे में अकेला छोड़ हॉल में बैठकर टीवी देखने लगा। मेरा मन टीवी देखने में बिलकुल नहीं लग रहा था। शमशेर ने तो सुबह अपनी मुट्ठ बहु के केक पे निकाल लीया था। लेकिन मैं अभी भी अपने आप को कण्ट्रोल किये बैठा था। सुबह से कई बार बहु की खुली चूचि और जांघों को देख मेरे लंड में तूफ़ान सा मचा हुआ था। मुझे बहुत मन हो रहा था की बहु मुझसे चुद जाए और अपने गरम होठ से चूस कर मेरे लंड का पानी निकाल दे।
मै अपना हाथ अपनी पेंट के अंदर डाल लंड को मसल रहा था की तभी मैंने समधी जी को मेरी तरफ आते देखा। समधी जी के पेंट के अंदर उभार था जो अपनी बेटी के अधनंगी बदन को देख के हुआ था।। मैं समधी से बोला।
मै - प्यारे लाल जी।। (मेरे समधी जी का नाम्।।) मिल लिए अपनी बिटिया से? अच्छे से प्यार करिये उसको आपको बहुत मिस करती है। वैसे क्या कर रही है अभी?
पयारेलाल - हाँ मिस तो मैं भी बहुत करता हूँ उसको।। शादी से पहले वो मुझे छोड़ के वो कहीं नहीं जाती थी दिन भर मेरे साथ रहती थे और रात में भी मेरे पास सोने की जिद्द करती थी। अभी तो बेटी कपडे चेंज कर रही है।। मैं उसके लिए कुछ बर्थडे गिफ्ट वाले कपडे ले आया हूँ। उसे ही वो ट्राई कर रही है। और हा उसका बर्थडे है तो मैंने आज खाना घर से ही आर्डर कर दिया है।।? ठीक किया न देसाई जी?
मै - हाँ बिलकुल ठीक किया आपने।।। (बहु के कपडे चेंज करने वाली बात सुनकर मैं तुरंत वहां से उठा और समधी जी से छुपते हुए बहु के कमरे की तरफ हो लिया)
बहु के कमरे का दरवाजा खुला था, मैंने हलके से पुश किया तो देखा बहु अपने कपडे उतार रही थी। रेड पेटिकोट और खुली हुई रेड ब्लाउज में उसके पीठ गोरी चिकनी चमक रही थी वो अपनी ब्लाउज लगभग उतार चुकी थी और उसकी वाइट थिन ब्रा नज़र आ रही थी।
बहु के कमर तक नंगी पीठ देख मुझसे रहा नहीं गया। मैंने बहु को पीछे से पकड़ लिया और उसकी नंगी पीठ और कमर पे किस करने लगा। बहु चौंक गई।।
सरोज - बाबूजी ये क्या कर रहे हैं ?
मै - अपनी माल सी बहु के पीठ चूम रहा हूं।। करने दे बहु तुम आज बहुत हॉट लग रही हो। (मैं किस करता हुआ बहु के नवेल को अपने जीभ से चाट्ने लगा उसकी गहरी नाभि के छेद में अपनी पूरी जीभ दाल दी और अपने दांतो से उसके नर्म मुलायम पेट् को काटने लगा। बहु काँप रही थी और उसकी उँगलियाँ अनायास ही मेरे बालों में आ कर रुक गई।
सरोज - बाबूजी।। रुक जाइये न पापा घर पे हैं ये आप क्या कर रहे है।
मै - (मैं साड़ी के ऊपर से बहु के बुर दबाने लगा) अपनी पेंटी उतार दे बहु, मुझे अपनी बुर का जूस पी लेने दे।
सरोज - प्लीज बाबूजी ऐसे मत बोलिये (बहु दौड के बाथरूम की तरफ भाग गई)
मेरी वासना शांत नहीं हुई थी मैं बहु को चोदने के लिए बेताब था लेकिन कोई रास्ता न निकलता देख कर वापस डाइनिंग हॉल में लौट आया। कुछ देर बाद बहु भी डाइनिंग हॉल में खाना ले कर आ गई। हम सब बैठ वहीँ अपना लंच करने लगे। हमेशा की तरह आज भी बहु मेरे बगल में बैठी थे और एक साइड टीवी पे इंडिया पाकिस्तान का मैच आ रहा था। मैंने टेबल के नीचे अपना लंड पायजामे से बाहर निकाल कर सहलाने लगा, बहु ये सारा नज़ारा अपनी आँखों से देख रही थी।
कई बार मैंने बहु का हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रखा मगर वो कुछ देर मेरा लंड हिलाने के बाद हाथ हटा लेती थी उसे डर था की कहीं उसके पापा को पता न चल जाए। समधी जी मैच देखने में बिजी थे, मैंने धीरे से अपना हाथ बढा कर बहु की सल्वार खोल दिया। मेरे हाथ की थोड़ी सी हरकत पे बहु ने अपना पैर फैला दिया जैसे वो मुझे अपनी चूत का रास्ता बता रही हो। अंदर हाथ डाल के देखा की बहु की बुर बहुत ज्यादा गिली हो चुकी है।
मैने जैसे ही उसकी बुर को हाथ लगाये उसके बुर से चिपचिपी पानी की धार निकल पडी। बहु को मस्ती चढ़ने लगी, उसके मुह से उम्म्म उम् की आवाज़ आ रही थी और वो मज़े लेते हुए अपनी होठ को बार बार जीभ से गिला कर रही थी।
समधि जी बहु को ऐसा करता देख बोले ।।।
प्यारे लाल- क्या हुआ बेटी तबियत तो ठीक है?
सरोज - उम्म्म आआह्ह जी पापा ठीक है
मै फिर से बहु का हाथ अपने लंड पे रख दिया, इस बार बहु देर तक मेरी लंड के स्किन को ऊपर नीचे कर मुट्ठ मरती रही। मैं भी उसकी बुर में लगतार उँगलियाँ पेल रहा था। बहु एक हाथ ऊपर टेबल पे रखी थी, एक साल्ट की डिबिया से खेल रही थी। खेलते-खेलते डिबिया टेबल के नीचे चलि गई।
सरोज - ओह बाबूजी डिबिया नीचे गिर गई। आपकी तरफ चलि गई क्या? एक मिनट देखति हू।
अगले ही पल बहु चेयर से उतर कर जमीन पे बैठि, इससे पहले की मैं कुछ समझ पाता बहु ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा उसका स्किन खीच के नीचे किया और मेरे लंड को सीधा अपने मुह में ले लिया।
मै अपना हाथ अपनी पेंट के अंदर डाल लंड को मसल रहा था की तभी मैंने समधी जी को मेरी तरफ आते देखा। समधी जी के पेंट के अंदर उभार था जो अपनी बेटी के अधनंगी बदन को देख के हुआ था।। मैं समधी से बोला।
मै - प्यारे लाल जी।। (मेरे समधी जी का नाम्।।) मिल लिए अपनी बिटिया से? अच्छे से प्यार करिये उसको आपको बहुत मिस करती है। वैसे क्या कर रही है अभी?
पयारेलाल - हाँ मिस तो मैं भी बहुत करता हूँ उसको।। शादी से पहले वो मुझे छोड़ के वो कहीं नहीं जाती थी दिन भर मेरे साथ रहती थे और रात में भी मेरे पास सोने की जिद्द करती थी। अभी तो बेटी कपडे चेंज कर रही है।। मैं उसके लिए कुछ बर्थडे गिफ्ट वाले कपडे ले आया हूँ। उसे ही वो ट्राई कर रही है। और हा उसका बर्थडे है तो मैंने आज खाना घर से ही आर्डर कर दिया है।।? ठीक किया न देसाई जी?
मै - हाँ बिलकुल ठीक किया आपने।।। (बहु के कपडे चेंज करने वाली बात सुनकर मैं तुरंत वहां से उठा और समधी जी से छुपते हुए बहु के कमरे की तरफ हो लिया)
बहु के कमरे का दरवाजा खुला था, मैंने हलके से पुश किया तो देखा बहु अपने कपडे उतार रही थी। रेड पेटिकोट और खुली हुई रेड ब्लाउज में उसके पीठ गोरी चिकनी चमक रही थी वो अपनी ब्लाउज लगभग उतार चुकी थी और उसकी वाइट थिन ब्रा नज़र आ रही थी।
बहु के कमर तक नंगी पीठ देख मुझसे रहा नहीं गया। मैंने बहु को पीछे से पकड़ लिया और उसकी नंगी पीठ और कमर पे किस करने लगा। बहु चौंक गई।।
सरोज - बाबूजी ये क्या कर रहे हैं ?
मै - अपनी माल सी बहु के पीठ चूम रहा हूं।। करने दे बहु तुम आज बहुत हॉट लग रही हो। (मैं किस करता हुआ बहु के नवेल को अपने जीभ से चाट्ने लगा उसकी गहरी नाभि के छेद में अपनी पूरी जीभ दाल दी और अपने दांतो से उसके नर्म मुलायम पेट् को काटने लगा। बहु काँप रही थी और उसकी उँगलियाँ अनायास ही मेरे बालों में आ कर रुक गई।
सरोज - बाबूजी।। रुक जाइये न पापा घर पे हैं ये आप क्या कर रहे है।
मै - (मैं साड़ी के ऊपर से बहु के बुर दबाने लगा) अपनी पेंटी उतार दे बहु, मुझे अपनी बुर का जूस पी लेने दे।
सरोज - प्लीज बाबूजी ऐसे मत बोलिये (बहु दौड के बाथरूम की तरफ भाग गई)
मेरी वासना शांत नहीं हुई थी मैं बहु को चोदने के लिए बेताब था लेकिन कोई रास्ता न निकलता देख कर वापस डाइनिंग हॉल में लौट आया। कुछ देर बाद बहु भी डाइनिंग हॉल में खाना ले कर आ गई। हम सब बैठ वहीँ अपना लंच करने लगे। हमेशा की तरह आज भी बहु मेरे बगल में बैठी थे और एक साइड टीवी पे इंडिया पाकिस्तान का मैच आ रहा था। मैंने टेबल के नीचे अपना लंड पायजामे से बाहर निकाल कर सहलाने लगा, बहु ये सारा नज़ारा अपनी आँखों से देख रही थी।
कई बार मैंने बहु का हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रखा मगर वो कुछ देर मेरा लंड हिलाने के बाद हाथ हटा लेती थी उसे डर था की कहीं उसके पापा को पता न चल जाए। समधी जी मैच देखने में बिजी थे, मैंने धीरे से अपना हाथ बढा कर बहु की सल्वार खोल दिया। मेरे हाथ की थोड़ी सी हरकत पे बहु ने अपना पैर फैला दिया जैसे वो मुझे अपनी चूत का रास्ता बता रही हो। अंदर हाथ डाल के देखा की बहु की बुर बहुत ज्यादा गिली हो चुकी है।
मैने जैसे ही उसकी बुर को हाथ लगाये उसके बुर से चिपचिपी पानी की धार निकल पडी। बहु को मस्ती चढ़ने लगी, उसके मुह से उम्म्म उम् की आवाज़ आ रही थी और वो मज़े लेते हुए अपनी होठ को बार बार जीभ से गिला कर रही थी।
समधि जी बहु को ऐसा करता देख बोले ।।।
प्यारे लाल- क्या हुआ बेटी तबियत तो ठीक है?
सरोज - उम्म्म आआह्ह जी पापा ठीक है
मै फिर से बहु का हाथ अपने लंड पे रख दिया, इस बार बहु देर तक मेरी लंड के स्किन को ऊपर नीचे कर मुट्ठ मरती रही। मैं भी उसकी बुर में लगतार उँगलियाँ पेल रहा था। बहु एक हाथ ऊपर टेबल पे रखी थी, एक साल्ट की डिबिया से खेल रही थी। खेलते-खेलते डिबिया टेबल के नीचे चलि गई।
सरोज - ओह बाबूजी डिबिया नीचे गिर गई। आपकी तरफ चलि गई क्या? एक मिनट देखति हू।
अगले ही पल बहु चेयर से उतर कर जमीन पे बैठि, इससे पहले की मैं कुछ समझ पाता बहु ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा उसका स्किन खीच के नीचे किया और मेरे लंड को सीधा अपने मुह में ले लिया।