11-12-2019, 03:29 PM
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neerathemallउफ़ मरजानियों अभी भी वहीं की वहीं हो
ठीक सौ साल पहले जिस गैरबराबरी की दुनिया में इस्मत चुगताई ने आंखें खोली थी. उनके आंखें बंद करने के बाद भी औरतों के लिए दुनिया का दोतरफा रवैया तिल भर भी बदला नहीं है.[/quote]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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