11-12-2019, 03:26 PM
उफ़ मरजानियों अभी भी वहीं की वहीं हो
ठीक सौ साल पहले जिस गैरबराबरी की दुनिया में इस्मत चुगताई ने आंखें खोली थी. उनके आंखें बंद करने के बाद भी औरतों के लिए दुनिया का दोतरफा रवैया तिल भर भी बदला नहीं है.
ठीक सौ साल पहले जिस गैरबराबरी की दुनिया में इस्मत चुगताई ने आंखें खोली थी. उनके आंखें बंद करने के बाद भी औरतों के लिए दुनिया का दोतरफा रवैया तिल भर भी बदला नहीं है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.