25-01-2019, 11:15 AM
करुणा का पूरा जिश्म काँपने लगा। उसको ऐसा अहसास पहले कभी नहीं हुआ था। करुणा पहले भी कई दफा चुदवा चुकी थी, मगर मनीष के प्यार करने का अंदाज करुणा को पागल बना रहा था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की उसके साथ क्या हो रहा है?
मनीष करुणा की चूची को चूसते हुए अपना हाथ नीचे लेजाकर उसकी कच्छी के ऊपर रख दिया। करुणा अपनी चूत पर कच्छी के ऊपर से मनीष का हाथ महसूस करके सिहर उठी और उसकी चूत से पानी बहने लगा। करुणा का पूरा जिश्म झड़ते वक़्त काँप रहा था। वो खुद समझ नहीं पा रही थी की मनीष के हाथों में क्या जादू है? मनीष ने जैसे ही करुणा की कच्छी पर हाथ रखा उसे वहाँ गीलापन महसूस हुआ, पर अचानक वो गीलापन और बढ़ने लगा।
करुणा की चूत पहले से ही पानी बहा रही थी, और झड़ने की वजह से उसकी कच्छी पूरी गीली हो चुकी थी। मनीष करुणा की गीली कच्छी पर अपने हाथ फिराते हुए उसकी चूची का मीठा रस पीने लगा। मनीष अब बारीबारी करुणा की दोनों चूचियों के दाने को चूस रहा था। करुणा मजे के मारे जोर से सिसक रही थी। मनीष अब और नीचे होते हुए करुणा के चिकने पेट पर अपनी जीभ फिराते हुए उसकी नाभि को चाटने लगा। करुणा का मजे और गुदगुदी के मारे बुरा हाल था। वो अपना सिर इधर-उधर पटक रही थी। मनीष करुणा की नाभि पर अपनी जीभ को फिराता हुआ उसकी गीली कच्छी तक आ गया।
मनीष कुछ देर तक अपनी नाक से करुणा की कच्छी की गंध सँघने के बाद अपनी जीभ को करुणा की कच्छी पर रखते हुए उसे ऊपर से नीचे तक चाटने लगा। करुणा मनीष की जीभ को अपनी कच्छी के ऊपर से ही अपनी चूत पर महसूस कर रही थी, और बहुत जोर से सिसक रही थी। मनीष कुछ देर तक करुणा की कच्छी को चाटने के बाद अपने दोनों हाथों से उसकी कच्छी को पकड़कर नीचे सरकाने लगा।
करुणा ने अपने हाथों से मनीष के हाथ पकड़ते हुए कहा- “मनीष प्लीज और आगे मत बढ़ो...”
मनीष ने करुणा के हाथ को दूर करते हुए कहा- “मुझपर भरोसा रखो मैं तुझसे जी भरकर प्यार करना चाहता
करुणा तो खुद आगे बढ़ना चाहती थी। उसने मनीष की बात सुनकर अपना हाथ उसके हाथ से अलग कर दिया। मनीष अपने हाथ से करुणा की कच्छी को खींचकर नीचे करने लगा। करुणा ने अपने चूतड़ उठाकर अपनी कच्छी उतारने में मनीष की मदद की। मनीष कच्छी के उतरते ही करुणा की हल्के बालों वाली गुलाबी चूत को देखकर लार टपकाने लगा।
करुणा मनीष को अपनी चूत को यूँ देखते हुए शर्म के मारे अपनी टाँगों को आपस में मिला दिया। मनीष अपनी जीभ को अपने होंठों पर फेरते हुए करुणा की टाँगों को आपस में से जुदा करते हुए फैला दिया, और खुद उसकी टाँगों के पास बैठते हुए करुणा की गुलाबी चूत को अपने हाथों से सहलाने लगा।
करुणा अपनी चूत पर मनीष का हाथ महसूस करके काँपने लगी।
मनीष अपने हाथों से करुणा की चूत को सहलाते हुए अपना मुँह नीचे ले जाते हुए अपनी नाक से उसकी चूत को सँघने लगा। मनीष को करुणा की चूत में से आती हुई महक पागल बना रही थी। इसलिए वो अपनी साँसों को जोर से पीछे खींचते हुए करुणा की चूत की महक को सँघने लगा। करुणा अपनी चूत के नजदीक मनीष की साँसों को महसूस करके मजे से सिसकने लगी। मनीष ने करुणा की चूत को सँघते हुए अचानक अपने होंठ करुणा की चूत पर रख दिए।
“आह्ह्ह..” करुणा मनीष के होंठों को अपनी चूत पर महसूस करके मजे से काँप उठी, उसकी चूत से पानी की कुछ बूंदें निकलने लगी।
मनीष अपने होंठों से करुणा की पूरी चूत को चूमने लगा और उसकी चूत को चूमते हुए अपनी जीभ निकालकर करुणा की चूत के छेद पर रख दी। मनीष के जीभ रखते ही करुणा की चूत से निकलता हुआ पानी मनीष की जीभ को लगा और मनीष को कुछ नमकीन सा स्वाद अपने मुँह में महसूस हुआ जो उसे बहुत अच्छा लगा।
मनीष ने अपनी जीभ से करुणा की चूत से निकलता हुआ सारा पानी चाट लिया। करुणा के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी, और उसका उत्तेजना के मारे बुरा हाल था। करुणा मनीष के सिर को पकड़कर ऊपर खींचने लगी। मनीष ऊपर होते हुए फिर से करुणा की चूचियों को चाटने लगा। करुणा की चूत में आग लग चुकी थी। वो जल्द से जल्द मनीष का लण्ड अपनी चूत में लेना चाहती थी। करुणा ने फिर से मनीष को सिर से पकड़ते हुए थोड़ा ऊपर कर दिया और उसके होंठों को बेतहाशा चूमने लगी। मनीष का लण्ड अब सीधा करुणा की नंगी चूत पर टक्कर मारने लगा। करुणा मनीष को अपनी बाहों में जोर से दबाते हुए उसके लण्ड को अपनी चूत पर महसूस करने लगी।
मनीष ने करुणा के होंठों को चूमते हुए कहा- “करुणा मैं अभी हमारे प्यार की आखिरी मुहर तुम पर लगा रहा हूँ। पहली बार में दर्द होता है, जिसे तुम बर्दाश्त कर लेना..."
करुणा नाटक करते हुए कहा- “तुम क्या करने जा रहे हो?”
मनीष ने कहा- “मैं अपना लण्ड तुम्हारी चूत में डालूंगा, तुम डरो मत तुम्हें कुछ नहीं होगा। मैं आराम से करूंगा...”
मनीष करुणा की चूची को चूसते हुए अपना हाथ नीचे लेजाकर उसकी कच्छी के ऊपर रख दिया। करुणा अपनी चूत पर कच्छी के ऊपर से मनीष का हाथ महसूस करके सिहर उठी और उसकी चूत से पानी बहने लगा। करुणा का पूरा जिश्म झड़ते वक़्त काँप रहा था। वो खुद समझ नहीं पा रही थी की मनीष के हाथों में क्या जादू है? मनीष ने जैसे ही करुणा की कच्छी पर हाथ रखा उसे वहाँ गीलापन महसूस हुआ, पर अचानक वो गीलापन और बढ़ने लगा।
करुणा की चूत पहले से ही पानी बहा रही थी, और झड़ने की वजह से उसकी कच्छी पूरी गीली हो चुकी थी। मनीष करुणा की गीली कच्छी पर अपने हाथ फिराते हुए उसकी चूची का मीठा रस पीने लगा। मनीष अब बारीबारी करुणा की दोनों चूचियों के दाने को चूस रहा था। करुणा मजे के मारे जोर से सिसक रही थी। मनीष अब और नीचे होते हुए करुणा के चिकने पेट पर अपनी जीभ फिराते हुए उसकी नाभि को चाटने लगा। करुणा का मजे और गुदगुदी के मारे बुरा हाल था। वो अपना सिर इधर-उधर पटक रही थी। मनीष करुणा की नाभि पर अपनी जीभ को फिराता हुआ उसकी गीली कच्छी तक आ गया।
मनीष कुछ देर तक अपनी नाक से करुणा की कच्छी की गंध सँघने के बाद अपनी जीभ को करुणा की कच्छी पर रखते हुए उसे ऊपर से नीचे तक चाटने लगा। करुणा मनीष की जीभ को अपनी कच्छी के ऊपर से ही अपनी चूत पर महसूस कर रही थी, और बहुत जोर से सिसक रही थी। मनीष कुछ देर तक करुणा की कच्छी को चाटने के बाद अपने दोनों हाथों से उसकी कच्छी को पकड़कर नीचे सरकाने लगा।
करुणा ने अपने हाथों से मनीष के हाथ पकड़ते हुए कहा- “मनीष प्लीज और आगे मत बढ़ो...”
मनीष ने करुणा के हाथ को दूर करते हुए कहा- “मुझपर भरोसा रखो मैं तुझसे जी भरकर प्यार करना चाहता
करुणा तो खुद आगे बढ़ना चाहती थी। उसने मनीष की बात सुनकर अपना हाथ उसके हाथ से अलग कर दिया। मनीष अपने हाथ से करुणा की कच्छी को खींचकर नीचे करने लगा। करुणा ने अपने चूतड़ उठाकर अपनी कच्छी उतारने में मनीष की मदद की। मनीष कच्छी के उतरते ही करुणा की हल्के बालों वाली गुलाबी चूत को देखकर लार टपकाने लगा।
करुणा मनीष को अपनी चूत को यूँ देखते हुए शर्म के मारे अपनी टाँगों को आपस में मिला दिया। मनीष अपनी जीभ को अपने होंठों पर फेरते हुए करुणा की टाँगों को आपस में से जुदा करते हुए फैला दिया, और खुद उसकी टाँगों के पास बैठते हुए करुणा की गुलाबी चूत को अपने हाथों से सहलाने लगा।
करुणा अपनी चूत पर मनीष का हाथ महसूस करके काँपने लगी।
मनीष अपने हाथों से करुणा की चूत को सहलाते हुए अपना मुँह नीचे ले जाते हुए अपनी नाक से उसकी चूत को सँघने लगा। मनीष को करुणा की चूत में से आती हुई महक पागल बना रही थी। इसलिए वो अपनी साँसों को जोर से पीछे खींचते हुए करुणा की चूत की महक को सँघने लगा। करुणा अपनी चूत के नजदीक मनीष की साँसों को महसूस करके मजे से सिसकने लगी। मनीष ने करुणा की चूत को सँघते हुए अचानक अपने होंठ करुणा की चूत पर रख दिए।
“आह्ह्ह..” करुणा मनीष के होंठों को अपनी चूत पर महसूस करके मजे से काँप उठी, उसकी चूत से पानी की कुछ बूंदें निकलने लगी।
मनीष अपने होंठों से करुणा की पूरी चूत को चूमने लगा और उसकी चूत को चूमते हुए अपनी जीभ निकालकर करुणा की चूत के छेद पर रख दी। मनीष के जीभ रखते ही करुणा की चूत से निकलता हुआ पानी मनीष की जीभ को लगा और मनीष को कुछ नमकीन सा स्वाद अपने मुँह में महसूस हुआ जो उसे बहुत अच्छा लगा।
मनीष ने अपनी जीभ से करुणा की चूत से निकलता हुआ सारा पानी चाट लिया। करुणा के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी, और उसका उत्तेजना के मारे बुरा हाल था। करुणा मनीष के सिर को पकड़कर ऊपर खींचने लगी। मनीष ऊपर होते हुए फिर से करुणा की चूचियों को चाटने लगा। करुणा की चूत में आग लग चुकी थी। वो जल्द से जल्द मनीष का लण्ड अपनी चूत में लेना चाहती थी। करुणा ने फिर से मनीष को सिर से पकड़ते हुए थोड़ा ऊपर कर दिया और उसके होंठों को बेतहाशा चूमने लगी। मनीष का लण्ड अब सीधा करुणा की नंगी चूत पर टक्कर मारने लगा। करुणा मनीष को अपनी बाहों में जोर से दबाते हुए उसके लण्ड को अपनी चूत पर महसूस करने लगी।
मनीष ने करुणा के होंठों को चूमते हुए कहा- “करुणा मैं अभी हमारे प्यार की आखिरी मुहर तुम पर लगा रहा हूँ। पहली बार में दर्द होता है, जिसे तुम बर्दाश्त कर लेना..."
करुणा नाटक करते हुए कहा- “तुम क्या करने जा रहे हो?”
मनीष ने कहा- “मैं अपना लण्ड तुम्हारी चूत में डालूंगा, तुम डरो मत तुम्हें कुछ नहीं होगा। मैं आराम से करूंगा...”