09-12-2019, 03:26 PM
इस्मत 27 की थी जब लिहाफ अदब-ए-लतीफ़ नाम की उर्दू मैगजीन में छपी. और कहानी के लोगों तक पहुंचते ही दावतनामा आ गया कोर्ट से क्योंकि कहानी में लड़का लड़के से और लड़की लड़की से सेक्स करती थी. लेकिन इस्मत ने माफ़ी नहीं मांगी. कोर्ट में लड़ती रही और केस जीत गयी. जो लड़की खानदान और मां-बाप से नहीं डरी वो कोर्ट से क्या डरती. ये वही इस्मत थी जो बचपन में छिप -छिप कर लिखती थी . भारत की पहली * औरत थी जिसने बीए की डिग्री ली. जो कहती थी मैं क़ुरान के साथ गीता और बाइबल भी पढ़ती हूं. जिसकी बेटी ने एक * से शादी की.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.