25-01-2019, 10:54 AM
आँटी रोहन से कह रही थी- “बेटा फोन करके तो बता दिया करो की तुम घूमने जा रहे हो, हम बेवजह परेशान हो रहे थे...”
रोहन ने आँटी से कहा- “आँटी वो नेटवर्क खराब था वरना मैं फोन कर देता। मैं अब जा रहा हूँ, बहुत देर हो गई है...”
आँटी ने रोहन से कहा- “अरे ऐसे कैसे जा सकते हो? बैठो लंच करके फिर जाओ.."
रोहन ने कहा- “आँटी बहुत देर हो गई है घर वाले परेशान होंगे। मैंने उन्हें भी नहीं बताया है फिर किसी टाइम लंच भी कर लेंगे..." रोहन यह कहता हुआ वहाँ से चला गया।
आँटी ने बिंदिया को टोकते हुए कहा- “खाना खाओगी या वो भी खाकर आई हो...”
बिंदिया ने कहा- “मैं फ्रेश होकर आती हैं, खाना नहीं खाया है...” कहकर बिंदिया अपने कमरे में चली गई।
मैं फिर से करुणा के कमरे में चली गई। करुणा के कमरे में जाते ही मैं करुणा के साथ सोफे पर बैठ गई और करुणा की चूची को हाथ में लेकर मसलते हुए कहा- “करुणा रानी देख रही हो, तुम्हारी दीदी कैसे शादी से पहले ही रोहन से मजे ले रही है और तुम अभी तक कुँवारी फिर रही हो...”
करुणा ने अपनी चूची पर दबाव पड़ते ही- “ओईए धन्नो आहिस्ते दबा...” कहकर कराह उठी।
मैंने करुणा की चूची को वैसे ही दबाते हुए कहा- “यह तो कुछ भी नहीं... जब रात को मोहित तुम्हारी इन छोटीछोटी चूचियों को देखेगा तो... वो तो इन्हें खा ही जाएगा...”
करुणा मेरी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई, करुणा ने कहा- “धन्नो रात के बारे में सोचते हुए मेरी तो चूत में अभी से कुछ-कुछ होने लगा है...”
मैंने करुणा से कहा- “सबर कर मेरी बच्ची, सबर का फल मीठा होता है और हम दोनों साथ में हँसने लगी...”
मैं करुणा के कमरे से निकालकर बिंदिया के कमरे में चली गई। मुझे बिंदिया से आज के बारे में पूछना था, बिंदिया के कमरे में जाते ही मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
बिंदिया ने मुझे देखते हुए कहा- “धन्नो आओ मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी...”
मैं बिंदिया के साथ जाकर बेड पर बैठ गई और बिंदिया को चिढ़ाते हुए कहा- “कहाँ गई थी आज रोहन के साथ? आजकल तू बहुत मजे कर रही है..”
रोहन ने आँटी से कहा- “आँटी वो नेटवर्क खराब था वरना मैं फोन कर देता। मैं अब जा रहा हूँ, बहुत देर हो गई है...”
आँटी ने रोहन से कहा- “अरे ऐसे कैसे जा सकते हो? बैठो लंच करके फिर जाओ.."
रोहन ने कहा- “आँटी बहुत देर हो गई है घर वाले परेशान होंगे। मैंने उन्हें भी नहीं बताया है फिर किसी टाइम लंच भी कर लेंगे..." रोहन यह कहता हुआ वहाँ से चला गया।
आँटी ने बिंदिया को टोकते हुए कहा- “खाना खाओगी या वो भी खाकर आई हो...”
बिंदिया ने कहा- “मैं फ्रेश होकर आती हैं, खाना नहीं खाया है...” कहकर बिंदिया अपने कमरे में चली गई।
मैं फिर से करुणा के कमरे में चली गई। करुणा के कमरे में जाते ही मैं करुणा के साथ सोफे पर बैठ गई और करुणा की चूची को हाथ में लेकर मसलते हुए कहा- “करुणा रानी देख रही हो, तुम्हारी दीदी कैसे शादी से पहले ही रोहन से मजे ले रही है और तुम अभी तक कुँवारी फिर रही हो...”
करुणा ने अपनी चूची पर दबाव पड़ते ही- “ओईए धन्नो आहिस्ते दबा...” कहकर कराह उठी।
मैंने करुणा की चूची को वैसे ही दबाते हुए कहा- “यह तो कुछ भी नहीं... जब रात को मोहित तुम्हारी इन छोटीछोटी चूचियों को देखेगा तो... वो तो इन्हें खा ही जाएगा...”
करुणा मेरी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई, करुणा ने कहा- “धन्नो रात के बारे में सोचते हुए मेरी तो चूत में अभी से कुछ-कुछ होने लगा है...”
मैंने करुणा से कहा- “सबर कर मेरी बच्ची, सबर का फल मीठा होता है और हम दोनों साथ में हँसने लगी...”
मैं करुणा के कमरे से निकालकर बिंदिया के कमरे में चली गई। मुझे बिंदिया से आज के बारे में पूछना था, बिंदिया के कमरे में जाते ही मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
बिंदिया ने मुझे देखते हुए कहा- “धन्नो आओ मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी...”
मैं बिंदिया के साथ जाकर बेड पर बैठ गई और बिंदिया को चिढ़ाते हुए कहा- “कहाँ गई थी आज रोहन के साथ? आजकल तू बहुत मजे कर रही है..”