25-01-2019, 10:53 AM
मैं कालेज की छुट्टी होते ही बिंदिया का इंतजार करने लगी, मगर सभी लड़के और लड़कियों के जाने के बाद भी रोहन और बिंदिया का कहीं नाम-ओ-निशान नहीं था। मैंने भी एक रिक्शा पकड़ा और घर आ गई।
आँटी ने मुझे देखकर कहा- “बिंदिया कहाँ है?”
मैंने आँटी को बता दिया के बिंदिया और रोहन दोनों कालेज में नहीं थे।
आँटी ने कहा- “चलो तुम फ्रेश होकर खाने की टेबल पर आ जाओ, बिंदिया रोहन के साथ कहीं घूमने गई होगी...”
हम सबने मिलकर खाना खाया, खाना खाने के बाद मैं करुणा के कमरे में चली गई। करुणा ने मुझे देखते ही कहा- “धन्नो मेरा कुछ करो, जब से मोहित का लण्ड देखा है तब से मेरा पूरा शरीर आग में जल रहा है...”
मैंने करुणा से कहा- “मोहित से चुदवाओगी?”
करुणा ने काँपते हुए कहा- “मैं अपने शरीर की आग बुझाने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ...”
करुणा की बात सुनकर मैंने उससे कहा- “तुम आज रात तैयार रहना, मैं तुम्हें लड़की से औरत बनाने का बंदोबस्त करती हूँ..." यह कहते हुए मैं मोहित के कमरे में चली गई।
मोहित के कमरे में जाते ही मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
मोहित ने मुझे दरवाजा बंद करते देखकर कहा- “धन्नो क्या बात है दरवाजा क्यों बंद कर रही हो ठीक तो हो?”
मैं जल्दी से जाकर मोहित के साथ बैठ गई और उससे कहने लगी- “तुम्हें अपनी शर्त याद है ना?”
मोहित मेरी बात सुनकर उछल पड़ा और मुझे अपने करीब करते हुए कहा- “तुमने करुणा को राजी कर लिया?”
मैंने उससे कहा- “हाँ कर लिया। मगर पहले मेरी शर्त सुनो... तुम्हें मुझे एग्जाम के बाद अपने गाँव लेजाकर घुमाना होगा...”
रोहन मेरी बात सुनकर जोर से हँसते हुए कहने लगा- “बस इतनी सी बात... मैं तुम्हें जब कहोगी अपने गाँव की सैर कराऊँगा..."
मोहित ने मुझे अपनी गोद में बिठा दिया और मेरे नरम होंठों को चूमते हुए मुझसे कहा- “धन्नो सच में तुमने करुणा को राजी करके मुझपर अहसान किया है...”
फिर मोहित अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरी चूचियों को पकड़ लिया और कमीज के ऊपर से ही मेरी चूचियों को सहलाते हुए कहने लगा- “धन्नो अब रात तक सबर नहीं होता..." यह कहते हुए मोहित ने मुझे अपनी गोद से उठाकर बेड पर बिठा दिया और अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ते हुए अपनी पैंट के ऊपर अपने तने हुए लण्ड पर रख दिया।
आँटी ने मुझे देखकर कहा- “बिंदिया कहाँ है?”
मैंने आँटी को बता दिया के बिंदिया और रोहन दोनों कालेज में नहीं थे।
आँटी ने कहा- “चलो तुम फ्रेश होकर खाने की टेबल पर आ जाओ, बिंदिया रोहन के साथ कहीं घूमने गई होगी...”
हम सबने मिलकर खाना खाया, खाना खाने के बाद मैं करुणा के कमरे में चली गई। करुणा ने मुझे देखते ही कहा- “धन्नो मेरा कुछ करो, जब से मोहित का लण्ड देखा है तब से मेरा पूरा शरीर आग में जल रहा है...”
मैंने करुणा से कहा- “मोहित से चुदवाओगी?”
करुणा ने काँपते हुए कहा- “मैं अपने शरीर की आग बुझाने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ...”
करुणा की बात सुनकर मैंने उससे कहा- “तुम आज रात तैयार रहना, मैं तुम्हें लड़की से औरत बनाने का बंदोबस्त करती हूँ..." यह कहते हुए मैं मोहित के कमरे में चली गई।
मोहित के कमरे में जाते ही मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
मोहित ने मुझे दरवाजा बंद करते देखकर कहा- “धन्नो क्या बात है दरवाजा क्यों बंद कर रही हो ठीक तो हो?”
मैं जल्दी से जाकर मोहित के साथ बैठ गई और उससे कहने लगी- “तुम्हें अपनी शर्त याद है ना?”
मोहित मेरी बात सुनकर उछल पड़ा और मुझे अपने करीब करते हुए कहा- “तुमने करुणा को राजी कर लिया?”
मैंने उससे कहा- “हाँ कर लिया। मगर पहले मेरी शर्त सुनो... तुम्हें मुझे एग्जाम के बाद अपने गाँव लेजाकर घुमाना होगा...”
रोहन मेरी बात सुनकर जोर से हँसते हुए कहने लगा- “बस इतनी सी बात... मैं तुम्हें जब कहोगी अपने गाँव की सैर कराऊँगा..."
मोहित ने मुझे अपनी गोद में बिठा दिया और मेरे नरम होंठों को चूमते हुए मुझसे कहा- “धन्नो सच में तुमने करुणा को राजी करके मुझपर अहसान किया है...”
फिर मोहित अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरी चूचियों को पकड़ लिया और कमीज के ऊपर से ही मेरी चूचियों को सहलाते हुए कहने लगा- “धन्नो अब रात तक सबर नहीं होता..." यह कहते हुए मोहित ने मुझे अपनी गोद से उठाकर बेड पर बिठा दिया और अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ते हुए अपनी पैंट के ऊपर अपने तने हुए लण्ड पर रख दिया।