25-01-2019, 10:52 AM
बिंदिया ने सुबकते हुए रोहन से कहा- “हम कभी भी यहाँ से नहीं निकल पाएंगे, क्योंकी हमने रास्ते को खो दिया है, मुझे बहुत जोर की प्यास लगी है...”
रोहन ने बिंदिया को अपनी बाहों में भरते हुए कहा- “तुम निराश मत हो, मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। हम रास्ता ढूँढ़ लेंगे...” कुछ देर वहीं बैठे रहने के बाद वो फिर से आगे चलने लगे। कुछ आगे चलने के बाद वो जंगल से बाहर आ गये। मगर वहाँ पर भी एक नहर थी जिससे पानी गिर कर एक तरफ जा रहा था। रास्ते का नाम-ओ-निशान नहीं था।
बिंदिया ने रोहन से कहा- “यह हम कहाँ आ गये, यहाँ पर तो कोई भी रास्ता नहीं है...”
रोहन ने बिंदिया से कहा- “चलो हम वहाँ से पानी पीकर फ्रेश होते हैं और फिर कुछ सोचते हैं."
रोहन बिंदिया को उस नहर के करीब ले जाने लगा। वो पानी के करीब पहुँचकर खुश होते हुए कहा- “बिंदिया कितना साफ पानी है चलो हम चलकर पानी पीते हैं...”
रोहन और बिंदिया दौड़कर पानी के पास आ गये और अपनी मुट्ठी में पानी भरकर पीने लगे। रोहन ने पानी पीने के बाद अपनी शर्ट उतार दी और अपने जिम के घाओं को साफ करने लगा। बिंदिया ने रोहन के घाओं को देखकर फिर से रोते हुए कहने लगी- “रोहन, तुम मेरी वजह से इतने परेशान हुए हो...”
रोहन ने बिंदिया से कहा- “पगली तुम्हारी वजह से नहीं मेरी वजह से तुम्हें इतनी तकलीफ सहनी पड़ी है..." रोहन ने ऐसा कहते हुए बिंदिया को अपनी बाहों में ले लिया और उसके गुलाबी होंठों पर एक किस दे दिया।
रोहन ने बिंदिया से कहा- “मुझे बहुत गर्मी हो रही है मैं अपने कपड़े उतारकर नहाता हूँ...”
रोहन ने शर्ट तो पहले ही उतार दी थी उसने अपनी पैंट भी उतार दी और दोनों बाहर पत्तों पर रखते हुए पानी में अंदर चला गया। पानी में घुसते ही रोहन ने बिंदिया से कहा- “बहुत ठंडा पानी है, आ जाओ तुम भी नहा लो...”
बिंदिया ने शर्माते हुए कहा- “तुम्हें शर्म नहीं आती, हम यहाँ जंगल में फँसे पड़े हैं और तुम्हें नहाने की पड़ी है...”
रोहन ने बिंदिया से कहा- “यार तुम घबराती क्यों हो? हम रास्ता ढूँढ लेंगे और अगर रास्ता नहीं भी मिला तो हम दोनों साथ में तो हैं, मरने से पहले थोड़ी मस्ती तो कर लें।
बिंदिया रोहन की बात सुनकर डाँटते हुए कहा- “मरें तुम्हारे दुश्मन, चलो बाहर निकलो हम रास्ता ढूँढ़ते हैं...”
रोहन ने कहा- “प्लीज बिंदिया एक बार आ जाओ फिर चलते हैं, तुम्हें मेरी कसम..”
बिंदिया ने रोहन की बात सुनकर अपनी कमीज उतार दी और अपनी सलवार भी उतारते हुए पत्थर पर रख दी। रोहन बिंदिया को ब्रा और कच्छी में देखकर आहें भरने लगा। बिंदिया पानी में उतरते हुए रोहन की तरफ जाने लगी। रोहन ने बिंदिया को अपने करीब देखकर उसे कलाई से पकड़कर अपने पास कर लिया और उसको अपनी बाहों में लेते हुए उसके होंठों को चूसने लगा।
बिंदिया की बड़ी-बड़ी चूचियां रोहन के नंगे सीने में दब गई। बिंदिया भी रोहन के किस का जवाब देते हुए उसकी पीठ सहलाने लगी। बिंदिया और रोहन एक जंगल में सारे जहाँ को भूलकर एक दूसरे की बाहों में एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे, इस बात से बेखबर की वो एक बियावान में फंसे हुये हैं।
रोहन ने बिंदिया को अपनी बाहों में भरते हुए कहा- “तुम निराश मत हो, मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। हम रास्ता ढूँढ़ लेंगे...” कुछ देर वहीं बैठे रहने के बाद वो फिर से आगे चलने लगे। कुछ आगे चलने के बाद वो जंगल से बाहर आ गये। मगर वहाँ पर भी एक नहर थी जिससे पानी गिर कर एक तरफ जा रहा था। रास्ते का नाम-ओ-निशान नहीं था।
बिंदिया ने रोहन से कहा- “यह हम कहाँ आ गये, यहाँ पर तो कोई भी रास्ता नहीं है...”
रोहन ने बिंदिया से कहा- “चलो हम वहाँ से पानी पीकर फ्रेश होते हैं और फिर कुछ सोचते हैं."
रोहन बिंदिया को उस नहर के करीब ले जाने लगा। वो पानी के करीब पहुँचकर खुश होते हुए कहा- “बिंदिया कितना साफ पानी है चलो हम चलकर पानी पीते हैं...”
रोहन और बिंदिया दौड़कर पानी के पास आ गये और अपनी मुट्ठी में पानी भरकर पीने लगे। रोहन ने पानी पीने के बाद अपनी शर्ट उतार दी और अपने जिम के घाओं को साफ करने लगा। बिंदिया ने रोहन के घाओं को देखकर फिर से रोते हुए कहने लगी- “रोहन, तुम मेरी वजह से इतने परेशान हुए हो...”
रोहन ने बिंदिया से कहा- “पगली तुम्हारी वजह से नहीं मेरी वजह से तुम्हें इतनी तकलीफ सहनी पड़ी है..." रोहन ने ऐसा कहते हुए बिंदिया को अपनी बाहों में ले लिया और उसके गुलाबी होंठों पर एक किस दे दिया।
रोहन ने बिंदिया से कहा- “मुझे बहुत गर्मी हो रही है मैं अपने कपड़े उतारकर नहाता हूँ...”
रोहन ने शर्ट तो पहले ही उतार दी थी उसने अपनी पैंट भी उतार दी और दोनों बाहर पत्तों पर रखते हुए पानी में अंदर चला गया। पानी में घुसते ही रोहन ने बिंदिया से कहा- “बहुत ठंडा पानी है, आ जाओ तुम भी नहा लो...”
बिंदिया ने शर्माते हुए कहा- “तुम्हें शर्म नहीं आती, हम यहाँ जंगल में फँसे पड़े हैं और तुम्हें नहाने की पड़ी है...”
रोहन ने बिंदिया से कहा- “यार तुम घबराती क्यों हो? हम रास्ता ढूँढ लेंगे और अगर रास्ता नहीं भी मिला तो हम दोनों साथ में तो हैं, मरने से पहले थोड़ी मस्ती तो कर लें।
बिंदिया रोहन की बात सुनकर डाँटते हुए कहा- “मरें तुम्हारे दुश्मन, चलो बाहर निकलो हम रास्ता ढूँढ़ते हैं...”
रोहन ने कहा- “प्लीज बिंदिया एक बार आ जाओ फिर चलते हैं, तुम्हें मेरी कसम..”
बिंदिया ने रोहन की बात सुनकर अपनी कमीज उतार दी और अपनी सलवार भी उतारते हुए पत्थर पर रख दी। रोहन बिंदिया को ब्रा और कच्छी में देखकर आहें भरने लगा। बिंदिया पानी में उतरते हुए रोहन की तरफ जाने लगी। रोहन ने बिंदिया को अपने करीब देखकर उसे कलाई से पकड़कर अपने पास कर लिया और उसको अपनी बाहों में लेते हुए उसके होंठों को चूसने लगा।
बिंदिया की बड़ी-बड़ी चूचियां रोहन के नंगे सीने में दब गई। बिंदिया भी रोहन के किस का जवाब देते हुए उसकी पीठ सहलाने लगी। बिंदिया और रोहन एक जंगल में सारे जहाँ को भूलकर एक दूसरे की बाहों में एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे, इस बात से बेखबर की वो एक बियावान में फंसे हुये हैं।