25-01-2019, 10:42 AM
बिंदिया सुबकते हुए सरदार से कहने लगी- “हमें छोड़ दो, मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ यह मेरा मंगेतर है...”
सरदार ने बिंदिया को ऊपर से नीचे घूरते हुए कहा- “तुम ऐसी लड़की नहीं हो तो इस लौंडे के साथ यहाँ क्या करने आई थी? देख मैं तुम्हें प्यार से समझा रहा हूँ। मान जा वरना मेरे साथ तुम्हें मेरे साथियों को भी खुश करना होगा...”
बिंदिया सरदार की बात सुनकर जोर से सुबकने लगी।
सरदार ने अपने साथियों से कहा- “उठाओ इस लौंडे को और अपने ठिकाने पर ले चलो...”
वो लोग रोहन को उठाकर आगे चलने लगे, और सरदार बिंदिया को कलाई से पकड़ते हुए अपने साथ ले जाने लगा। उन आदमियों का ठिकाना वहाँ से ज्यादा दूर नहीं था। अपने ठिकाने पर पहुँचते ही उन्होंने रोहन को। जमीन पर सुला दिया। बिंदिया उन लोगों का ठिकाना देखकर हैरान रह गई। एक जंगल के बीच पत्तों से बनी इस गुफा में जरूरत की हर चीज मौजूद थी। वहाँ पर बेड, कुर्सियां, और शराब की बोतलें पड़ी हुई थीं। सरदार ने एक बोतल उठाकर अपने मुँह से लगाई और एक ही साँस में आधी गटक ली।
सरदार ने बिंदिया से कहा- “तुम शहर की छोरी हो नाचना तो आता ही होगा, चलो हमें थोड़ा नाचकर दिखाओ...”
बिंदिया ने सुबकते हुए ही कहा- “मैं नहीं नाचूंगी... मैंने कहा ना मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ...”
सरदार उसकी बात सुनकर गुस्सा होते हुए बोला- “यह ऐसे नहीं मानेगी और अपने गुफा के कोने से बंदूक उठाकर रोहन की कनपटी पर रख दी...” ।
बिंदिया सरदार की बंदूक का रुख रोहन की तरफ देखकर सुबकते हुए सरदार के पैरों में गिर पड़ी- “सरदार इस मत मारो, मैं नाचती हूँ..”
बिंदिया की बात सुनकर सरदार ने खुश होते हुए कहा- “अरे ओ सूरज, जरा टेप पर वो कैसेट तो लगा दे ‘मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए साली बहुत ठुमके लगाकर नाचती है इस गाने में... हम भी देखें यह अपने यार के लिए कैसे नाचती है?”
सूरज ने सरदार की बात सुनकर जल्दी से वो कैसेट लगा दी और गाना बजना शुरू हो गया। बिंदिया ने गाना सुनते ही नाचना शुरू कर दिया।
सरदार बिंदिया को नाचते हुए देखकर उसके मांसल चूतड़ों और भारी चूचियों को हिलता हुआ देखकर आहें भरने लगा और उसका लण्ड उसके कच्छ में उछल कूद मचाने लगा। सरदार ने बिंदिया के नाचते हुए अपनी कमीज निकालकर बेड पर फेंक दी और बिंदिया की कमीज में हाथ डालकर उतारने लगा।
बिंदिया ने नाचना छोड़कर अपनी कमीज को अपने हाथों से पकड़ लिया।
सरदार ने बिंदिया को ऊपर से नीचे घूरते हुए कहा- “तुम ऐसी लड़की नहीं हो तो इस लौंडे के साथ यहाँ क्या करने आई थी? देख मैं तुम्हें प्यार से समझा रहा हूँ। मान जा वरना मेरे साथ तुम्हें मेरे साथियों को भी खुश करना होगा...”
बिंदिया सरदार की बात सुनकर जोर से सुबकने लगी।
सरदार ने अपने साथियों से कहा- “उठाओ इस लौंडे को और अपने ठिकाने पर ले चलो...”
वो लोग रोहन को उठाकर आगे चलने लगे, और सरदार बिंदिया को कलाई से पकड़ते हुए अपने साथ ले जाने लगा। उन आदमियों का ठिकाना वहाँ से ज्यादा दूर नहीं था। अपने ठिकाने पर पहुँचते ही उन्होंने रोहन को। जमीन पर सुला दिया। बिंदिया उन लोगों का ठिकाना देखकर हैरान रह गई। एक जंगल के बीच पत्तों से बनी इस गुफा में जरूरत की हर चीज मौजूद थी। वहाँ पर बेड, कुर्सियां, और शराब की बोतलें पड़ी हुई थीं। सरदार ने एक बोतल उठाकर अपने मुँह से लगाई और एक ही साँस में आधी गटक ली।
सरदार ने बिंदिया से कहा- “तुम शहर की छोरी हो नाचना तो आता ही होगा, चलो हमें थोड़ा नाचकर दिखाओ...”
बिंदिया ने सुबकते हुए ही कहा- “मैं नहीं नाचूंगी... मैंने कहा ना मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ...”
सरदार उसकी बात सुनकर गुस्सा होते हुए बोला- “यह ऐसे नहीं मानेगी और अपने गुफा के कोने से बंदूक उठाकर रोहन की कनपटी पर रख दी...” ।
बिंदिया सरदार की बंदूक का रुख रोहन की तरफ देखकर सुबकते हुए सरदार के पैरों में गिर पड़ी- “सरदार इस मत मारो, मैं नाचती हूँ..”
बिंदिया की बात सुनकर सरदार ने खुश होते हुए कहा- “अरे ओ सूरज, जरा टेप पर वो कैसेट तो लगा दे ‘मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए साली बहुत ठुमके लगाकर नाचती है इस गाने में... हम भी देखें यह अपने यार के लिए कैसे नाचती है?”
सूरज ने सरदार की बात सुनकर जल्दी से वो कैसेट लगा दी और गाना बजना शुरू हो गया। बिंदिया ने गाना सुनते ही नाचना शुरू कर दिया।
सरदार बिंदिया को नाचते हुए देखकर उसके मांसल चूतड़ों और भारी चूचियों को हिलता हुआ देखकर आहें भरने लगा और उसका लण्ड उसके कच्छ में उछल कूद मचाने लगा। सरदार ने बिंदिया के नाचते हुए अपनी कमीज निकालकर बेड पर फेंक दी और बिंदिया की कमीज में हाथ डालकर उतारने लगा।
बिंदिया ने नाचना छोड़कर अपनी कमीज को अपने हाथों से पकड़ लिया।