25-01-2019, 10:42 AM
उस आदमी की बात सुनकर रोहन का दिमाग फिरने लगा। उसके हाथों की पाँचों उंगलियां आपस में मिलकर एक मुक्का बन चुकी थी मगर रोहन ने अपने आप पर काबू रखते हुए कहा- “देखो भाई साहब यह मेरी मंगेतर है। और मेरी इससे शादी होने वाली है, हम थोड़ा बहक गये थे, हमें क्षमा कर दो और हमें जाने दो...”
वो आदमी रोहन की बात सुनकर बोला- “तुमने मुझे क्या चूतिया समझ रखा है, तुम इस लौंडिया को कालेज से यहाँ पर चोदने आए हो और मुझे चूतिया बना रहे हो। मैं तो इस चिकनी लौंडिया का रस पीकर रहूँगा..” ।
उस आदमी के मुँह से यह बात पूरी होते ही रोहन का एक मुक्का उसके गाल पर आकर पड़ा और वो आदमी चक्कर खाता हुआ मुँह के बल नीचे जमीन पर जा गिरा। वो आदमी जैसे ही सीधा हुआ उसका हाथ अपने गाल पर था और जैसे ही उसने हाथ अपने गाल से हटाया उसके दो दाँत उसके मुंह से निकलकर उसके हाथों में आ चुके थे।
वो आदमी लड़खड़ाते हुए उठा और जोर से चिल्लाते हुए कहा- “कालू, भीमा, सूरज कहाँ मर गये सब? जल्दी से आओ..."
उस आदमी की आवाज के साथ उसके 5 साथी जाने कहाँ से आ गये और उस आदमी की तरफ देखते हुए कहाक्या हुआ सरदार?”
सरदार- “पकड़ो उस लड़के को और बॉध दो उसको पेड़ के साथ...' उस आदमी ने तेज आवाज के साथ कहा।
सरदार का हुक्म सुनते ही वो पाँचों रोहन की तरफ झपटे। रोहन उन सबको अपनी तरफ आते हुए देखकर बिंदिया को अपने से दूर करते हुए उनसे लड़ने लगा। रोहन अकेला और पाँच इसीलिए लड़ते हुए किसी ने रोहन के पीछे जाकर उसके सिर पर डंडा मार दिया। रोहन चक्कर खाते हुए नीचे गिर गया।
रोहन के गिरते ही बिंदिया रोने लगी और रोते हुए रोहन को उठाने की नाकाम कोशिश करने लगी। अचानक बिंदिया को किसी ने कलाई से पकड़ते हुए उठा लिया। बिंदिया ने जैसे ही अपना मुँह रोहन से हटाया सामने वो सरदार खड़ा बिंदिया को कलाई से पकड़कर उठा रहा था।
सरदार ने बिंदिया को उठाते हुए कहा- “तुम रो क्यों रही हो? यह मरा नहीं है बेहोश है। तुम यहाँ इसके साथ जो करने आई थी वो मैं कर देता हूँ, और फिर तुम दोनों को जहाँ तुम चाहोगी हम छोड़कर आएंगे...”
बिंदिया सरदार की बात सुनकर और ज्यादा रोने लगी।
सरदार ने बिंदिया को रोते हुए देखकर कहा- “अरे पगली तुम क्यों रो रही हो, मैंने कहा ना की हम तुम्हें छोड़ आएंगे, और मेरा लण्ड इस लौंडे लण्ड से कहीं ज्यादा बड़ा है, तुम्हें तो ज्यादा मजा आएगा...” सरदार ने यह कहते हुए बिंदिया की मोटी आँखों से निकलते हुए आँसू को अपने हाथ से साफ करने लगा।
बिंदिया सरदार का हाथ अपने गालों पर पड़ते ही काँप उठी और उसके हाथ को पकड़कर अपने मुँह से दूर झटक दिया। बिंदिया का हाथ झटकते ही सरदार उसको बालों से पकड़ते हुए बिंदिया का मुँह अपनी तरफ करते हुए उसके गुलाबी होंठों को चूमने के लिए अपना मुँह नीचे ले जाने लगा। मगर बिंदिया के होंठों पर पहुँचते ही बिंदिया ने अपना मुँह थोड़ा सा हिला दिया। बिंदिया के बालों में सरदार का हाथ होने की वजह से उसके बालों में बहुत जोर का दर्द होने लगा।
वो आदमी रोहन की बात सुनकर बोला- “तुमने मुझे क्या चूतिया समझ रखा है, तुम इस लौंडिया को कालेज से यहाँ पर चोदने आए हो और मुझे चूतिया बना रहे हो। मैं तो इस चिकनी लौंडिया का रस पीकर रहूँगा..” ।
उस आदमी के मुँह से यह बात पूरी होते ही रोहन का एक मुक्का उसके गाल पर आकर पड़ा और वो आदमी चक्कर खाता हुआ मुँह के बल नीचे जमीन पर जा गिरा। वो आदमी जैसे ही सीधा हुआ उसका हाथ अपने गाल पर था और जैसे ही उसने हाथ अपने गाल से हटाया उसके दो दाँत उसके मुंह से निकलकर उसके हाथों में आ चुके थे।
वो आदमी लड़खड़ाते हुए उठा और जोर से चिल्लाते हुए कहा- “कालू, भीमा, सूरज कहाँ मर गये सब? जल्दी से आओ..."
उस आदमी की आवाज के साथ उसके 5 साथी जाने कहाँ से आ गये और उस आदमी की तरफ देखते हुए कहाक्या हुआ सरदार?”
सरदार- “पकड़ो उस लड़के को और बॉध दो उसको पेड़ के साथ...' उस आदमी ने तेज आवाज के साथ कहा।
सरदार का हुक्म सुनते ही वो पाँचों रोहन की तरफ झपटे। रोहन उन सबको अपनी तरफ आते हुए देखकर बिंदिया को अपने से दूर करते हुए उनसे लड़ने लगा। रोहन अकेला और पाँच इसीलिए लड़ते हुए किसी ने रोहन के पीछे जाकर उसके सिर पर डंडा मार दिया। रोहन चक्कर खाते हुए नीचे गिर गया।
रोहन के गिरते ही बिंदिया रोने लगी और रोते हुए रोहन को उठाने की नाकाम कोशिश करने लगी। अचानक बिंदिया को किसी ने कलाई से पकड़ते हुए उठा लिया। बिंदिया ने जैसे ही अपना मुँह रोहन से हटाया सामने वो सरदार खड़ा बिंदिया को कलाई से पकड़कर उठा रहा था।
सरदार ने बिंदिया को उठाते हुए कहा- “तुम रो क्यों रही हो? यह मरा नहीं है बेहोश है। तुम यहाँ इसके साथ जो करने आई थी वो मैं कर देता हूँ, और फिर तुम दोनों को जहाँ तुम चाहोगी हम छोड़कर आएंगे...”
बिंदिया सरदार की बात सुनकर और ज्यादा रोने लगी।
सरदार ने बिंदिया को रोते हुए देखकर कहा- “अरे पगली तुम क्यों रो रही हो, मैंने कहा ना की हम तुम्हें छोड़ आएंगे, और मेरा लण्ड इस लौंडे लण्ड से कहीं ज्यादा बड़ा है, तुम्हें तो ज्यादा मजा आएगा...” सरदार ने यह कहते हुए बिंदिया की मोटी आँखों से निकलते हुए आँसू को अपने हाथ से साफ करने लगा।
बिंदिया सरदार का हाथ अपने गालों पर पड़ते ही काँप उठी और उसके हाथ को पकड़कर अपने मुँह से दूर झटक दिया। बिंदिया का हाथ झटकते ही सरदार उसको बालों से पकड़ते हुए बिंदिया का मुँह अपनी तरफ करते हुए उसके गुलाबी होंठों को चूमने के लिए अपना मुँह नीचे ले जाने लगा। मगर बिंदिया के होंठों पर पहुँचते ही बिंदिया ने अपना मुँह थोड़ा सा हिला दिया। बिंदिया के बालों में सरदार का हाथ होने की वजह से उसके बालों में बहुत जोर का दर्द होने लगा।