25-01-2019, 09:10 AM
जोरू का गुलाम पार्ट ७
सांझ हुयी घर आये
[i] नींद आगयी। खूबी गाढ़ी और गहरी। और सपने में ‘उन्हें’ देखती रही , एक से एक 'आउटफिटस 'में , मेकअप के साथ।
शाम को जब वो आये और उन्होंने नाक किया , तब नींद खुली।
[/i]
आगे
शाम को जब वो आये और उन्होंने नाक किया , तब नींद खुली।
और आज से पहले उन्हें कभी इतना बेताब ,बेकाबू नहीं देखा था। और इतना खुश भी,…
उन्होंने सीधे मुझे भींच लिया , ये भी नहीं देखा दरवाजा बंद है की खुला। और उनकी निगाहें सीधे जोबन की चोटियों पर अटकीं ,
और मैं भी न सिर्फ एक साटन की नाटी नाइटी में , वो भी खूब लो कट , और नूडल स्ट्रिंग वाली , पूरा क्लीवेज दिखता।
" बहुत भूख लगी है " नदीदों की तरह सीधे घाटी बीच झांकते वो वोले।
" मुन्ना , दुद्धू पियेगा ," मैंने चिढ़ाकर पुछा।
और जवाब उनके होंठों ने दिया , सीधे नाइटी से झांकते मेरे कबूतर की चोंच को गपुच कर।
मैंने भी ,कस के उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने बूब्स पर जोर से दबा दिया। एक हाथ से मैं उनके बाल सहला रही थी, और दूसरे हाथ से कंधे से स्ट्रैप सरका दिया , और अब निपल सीधे उनके मुंह के अंदर ,
खूब जोर जोर से चूस रहा थे वो।
मैं प्यार से उनके बाल सहला रही थी और कान में किस करके बोली ,
" बहुत भुक्खू लगी है बेबी को। ले न पी , मन भर। " और मैंने जोर से अपना जोबन उनके मुंह में ठूंस दिया।
जवाब में दूसरा हाथ भी उनका मेरे नाइटी के अंदर घुस गया और उरोजों से ग़दर मचाने लगा.
कुछ देर बाद मैंने उन्हें हलके से धक्का देके पलंग पे गिरा दिया , और बोली ,
" मिलेगा ,मिलेगा पूरी रात मिलेगा लेकिन ये बता मीटिंग कैसी रही क्लाएंट के साथ ?
जवाब में फिर उन्होंने जोर से भींच लिया ,और सैकड़ों किस मेरे गालों पे , फिर दोनों हाथ उठा के जोर से बोले ,
डील क्लिंच्ड।
वाउ ग्रेट ,
मैंने भी उन्ही की तरह से जोर से बोला , हम दोनों ने हाई फाइव किया , और उन्होंने अपना मोबाइल का एक मेसेज मेरे आगे किया ,
कंपनी के सीनियर वी पी का मेसेज था , कांग्रेच्युलेशन का, डील होने का।
आगे पढ़ न , वो बोले।
असली बात आगे ही थी , ६५, ००० का स्पेशल बोनस और एक अड्डीशनल इन्क्रीमेंट।
हम लोगों ने फिर हाई फाइव किया और अब उन्हें भींच कर चूमने की मेरी बारी थी।
फिर मैं आँख नचा के बोली ,
"यार , शॉपिंग तो बनती है "
"एकदम "
आज तो वो किसी भी चीज के लिए राजी होने के लिए तैयार थे।
" समझ लो , तेरी जेब काट लुंगी पूरी। "
मैंने धमकाया।
" कोई नहीं , और लौट के जो मैं काटूंगा न , तो चिल्लाना मत। हफ्ते भर निशान रहेगा। "
अब वो पूरी तरह मेरी वेव लेंथ पर आते जा रहे थे।
" जा जा ,मैं ऐसी डरने वाली नहीं , मेरा साजन है चाहे काटे चाहे जो करे ,किसी को क्या। "
खिलखिला के मैं बोली।
तभी मेरी निगाह 'उनकी ' बिंदी पे पड़ी और मुस्करा के मैंने फिर उनके माथे पर लगा दिया। अबकी वो कुछ नहीं बोले।
सिर्फ हलके से मुस्कराए दिए।
" चाय चलेगी "
फोन उठाते मैंने रूम सर्विस को आर्डर देने के पहले पूछा।
" ना , चलेगी नही ,दौड़ेगी ,"
" दो कप चाय " मैंने रूम सर्विस को बोला।
कुछ स्नैक्स भी बोल दो। उन्होंने जोड़ा।
ओके उनकी ओर मुंह करके मैं बोली और फोन पर आर्डर ऐड करा दिया,
" साथ में दो प्लेट आमलेट " और फोन रख दिया।
" आमलेट " चौंक के वो बोले।
जवाब में मैंने उनके होंठ पर एक किस जड़ा और हड़काया ,
" तू न ,अब पिटेगा मेरे हाथ से। सुबह प्लेट भर एग करी अकेले चट कर गया और अब आमलेट के नाम पे परहेज "
वेटर ले आया तो एक बार थोड़ा हिचके वो , ( माथे पर लगी बिंदी को लेकर ) लेकिन मैंने जोर से उनका हाथ पकड़ रखा था।
हम अपने कमरे में चाहे जो करें चाहे जैसे रहें ,किसी से क्या , मैं ये मानने में यकीन करती हूँ।
और अबकी बार वो अपने हाथ से आमलेट खा रहे थे। खुली आँखों से ,
बस मैं यही सोच रही थी की अगर उनकी मायकेवालिया देख लेतीं ( मेरे भैय्या ये नहीं खाते , मेरे भैय्या वो नहीं खाते ) तो बस फट के रह जाती ,
सांझ हुयी घर आये
[i] नींद आगयी। खूबी गाढ़ी और गहरी। और सपने में ‘उन्हें’ देखती रही , एक से एक 'आउटफिटस 'में , मेकअप के साथ।
शाम को जब वो आये और उन्होंने नाक किया , तब नींद खुली।
[/i]
आगे
शाम को जब वो आये और उन्होंने नाक किया , तब नींद खुली।
और आज से पहले उन्हें कभी इतना बेताब ,बेकाबू नहीं देखा था। और इतना खुश भी,…
उन्होंने सीधे मुझे भींच लिया , ये भी नहीं देखा दरवाजा बंद है की खुला। और उनकी निगाहें सीधे जोबन की चोटियों पर अटकीं ,
और मैं भी न सिर्फ एक साटन की नाटी नाइटी में , वो भी खूब लो कट , और नूडल स्ट्रिंग वाली , पूरा क्लीवेज दिखता।
" बहुत भूख लगी है " नदीदों की तरह सीधे घाटी बीच झांकते वो वोले।
" मुन्ना , दुद्धू पियेगा ," मैंने चिढ़ाकर पुछा।
और जवाब उनके होंठों ने दिया , सीधे नाइटी से झांकते मेरे कबूतर की चोंच को गपुच कर।
मैंने भी ,कस के उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने बूब्स पर जोर से दबा दिया। एक हाथ से मैं उनके बाल सहला रही थी, और दूसरे हाथ से कंधे से स्ट्रैप सरका दिया , और अब निपल सीधे उनके मुंह के अंदर ,
खूब जोर जोर से चूस रहा थे वो।
मैं प्यार से उनके बाल सहला रही थी और कान में किस करके बोली ,
" बहुत भुक्खू लगी है बेबी को। ले न पी , मन भर। " और मैंने जोर से अपना जोबन उनके मुंह में ठूंस दिया।
जवाब में दूसरा हाथ भी उनका मेरे नाइटी के अंदर घुस गया और उरोजों से ग़दर मचाने लगा.
कुछ देर बाद मैंने उन्हें हलके से धक्का देके पलंग पे गिरा दिया , और बोली ,
" मिलेगा ,मिलेगा पूरी रात मिलेगा लेकिन ये बता मीटिंग कैसी रही क्लाएंट के साथ ?
जवाब में फिर उन्होंने जोर से भींच लिया ,और सैकड़ों किस मेरे गालों पे , फिर दोनों हाथ उठा के जोर से बोले ,
डील क्लिंच्ड।
वाउ ग्रेट ,
मैंने भी उन्ही की तरह से जोर से बोला , हम दोनों ने हाई फाइव किया , और उन्होंने अपना मोबाइल का एक मेसेज मेरे आगे किया ,
कंपनी के सीनियर वी पी का मेसेज था , कांग्रेच्युलेशन का, डील होने का।
आगे पढ़ न , वो बोले।
असली बात आगे ही थी , ६५, ००० का स्पेशल बोनस और एक अड्डीशनल इन्क्रीमेंट।
हम लोगों ने फिर हाई फाइव किया और अब उन्हें भींच कर चूमने की मेरी बारी थी।
फिर मैं आँख नचा के बोली ,
"यार , शॉपिंग तो बनती है "
"एकदम "
आज तो वो किसी भी चीज के लिए राजी होने के लिए तैयार थे।
" समझ लो , तेरी जेब काट लुंगी पूरी। "
मैंने धमकाया।
" कोई नहीं , और लौट के जो मैं काटूंगा न , तो चिल्लाना मत। हफ्ते भर निशान रहेगा। "
अब वो पूरी तरह मेरी वेव लेंथ पर आते जा रहे थे।
" जा जा ,मैं ऐसी डरने वाली नहीं , मेरा साजन है चाहे काटे चाहे जो करे ,किसी को क्या। "
खिलखिला के मैं बोली।
तभी मेरी निगाह 'उनकी ' बिंदी पे पड़ी और मुस्करा के मैंने फिर उनके माथे पर लगा दिया। अबकी वो कुछ नहीं बोले।
सिर्फ हलके से मुस्कराए दिए।
" चाय चलेगी "
फोन उठाते मैंने रूम सर्विस को आर्डर देने के पहले पूछा।
" ना , चलेगी नही ,दौड़ेगी ,"
" दो कप चाय " मैंने रूम सर्विस को बोला।
कुछ स्नैक्स भी बोल दो। उन्होंने जोड़ा।
ओके उनकी ओर मुंह करके मैं बोली और फोन पर आर्डर ऐड करा दिया,
" साथ में दो प्लेट आमलेट " और फोन रख दिया।
" आमलेट " चौंक के वो बोले।
जवाब में मैंने उनके होंठ पर एक किस जड़ा और हड़काया ,
" तू न ,अब पिटेगा मेरे हाथ से। सुबह प्लेट भर एग करी अकेले चट कर गया और अब आमलेट के नाम पे परहेज "
वेटर ले आया तो एक बार थोड़ा हिचके वो , ( माथे पर लगी बिंदी को लेकर ) लेकिन मैंने जोर से उनका हाथ पकड़ रखा था।
हम अपने कमरे में चाहे जो करें चाहे जैसे रहें ,किसी से क्या , मैं ये मानने में यकीन करती हूँ।
और अबकी बार वो अपने हाथ से आमलेट खा रहे थे। खुली आँखों से ,
बस मैं यही सोच रही थी की अगर उनकी मायकेवालिया देख लेतीं ( मेरे भैय्या ये नहीं खाते , मेरे भैय्या वो नहीं खाते ) तो बस फट के रह जाती ,