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Adultery चाहत... {completed}
#28
Heart 
थोड़ी देर मेरा लण्ड चूसने के बाद दीपा ने अपना मुंह तरुण के लण्ड की और किया। धीरे से तरुण की और नजर उठाते हुए दीपा ने तरुण के लण्ड को भी मेरी ही तरह चाटने लगी। तरुण स्तंभित होकर देखता ही रह गया। जब दीपा तरुण के लण्ड को चुम रही थी और चाट रही थी तब तरुण दीपा के सर के बालों को अपने हाथ में ले कर उनको सँवार रहा था और कभी कभी हाथ को नीचा कर दीपा के गले, गाल, कपाल और आँखों पर फिरा कर अपनी उत्तेजना दिखा रहा था।


उसकी स्वप्न सुंदरी आज उसके लण्ड का चुम्बन कर रही थी और उसे चूस रही थी यह उसके लिए अकल्पनीय सा था। दीपा ने धीरे धीरे तरुण को लण्ड को मुंह में डालने की कोशिश की। पर उसका मुंह इतना खुल नहीं पा रहा था। तब दीपा ने तरुण के लण्ड के सिर्फ अग्र भाग को थोड़ा सा मुंह में डाला और उसे चूमने एवं चाटने लगी। धीरे धीरे वह उसमें इतनी मग्न हो गयी की तरुण के लण्ड को वह बार बार चूमने लगी और जैसे वह उसे छोड़ना ही नहीं चाह रही थी। तरुण के लिए यह बड़ी मुश्किल की घडी थी। वह उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रहा था। उसी उत्तेजना में उसने दीपा का सर हाथ में लेकर अपना मोटा और लंबा लण्ड दीपा के मुंह में घुसेड़ दिया।

उतना मोटा और लंबा लण्ड दीपा के मुंह में जैसे घुसा की दीपा की हालत खराब हो गयी। तरुण का लण्ड दीपा के गले तक घुस गया था और दीपा को खांसी आने लगी थी। शायद उसकी साँसे रुंध रहीं थीं। मेरी प्यारी पत्नी की आँखें लाल हो गयीं थीं। उनमें पानी भर गया दिख रहा था। दीपा के गाल तरुण का लण्ड दीपा के मुंह में घुसने के कारण फूल गए थे। उस गाल के आकार से ही अंदाज लगाया जा सकता था की तरुण का लण्ड कितना मोटा होगा। और तब वह तीन चौथाई से कहीं ज्यादा तो दीपा के मुंह से बाहर था। जब दीपा की साँस रुंधने लगी तब तरुण ने अपना लण्ड दीपा के मुंह से बाहर निकालना चाहा। पर दीपा ने तरुण को रोका और बस थोड़ा सा बाहर निकालने दिया ताकि वह साँस ले सके।

दीपा को यह भी ध्यान रखना था की दीपा के दाँत कहीं तरुण के लण्ड को काटें नहीं। कुछ देर बाद जब दीपा की साँस ठीक चलने लगी तब दीपा ने अपना मुंह आगे पीछे कर अपने मुंह को तरुण के लण्ड से चुदवाने लगी। दीपा के मुंह को चोदते हुए कुछ ही देर में तरुण का बदन एकदम अकड़ गया। वह अपने आप को रोक नहीं पाया और एक आह्हः... के साथ उसके लण्ड में से फव्वारा छूटा और उसका वीर्य निकल पड़ा और मेरी सुन्दर नग्न पत्नी के मुंह को पूरा भर कर उसके नंगे बदन पर गिरा और फ़ैल गया। तब मैं मेरी बीबी के स्तनों को मेरे दोनों हाथो से दबा रहा था। तरुण का गरमा गरम वीर्य मेरे हाथों को छुआ और मेरी बीबी के स्तनों पर जैसे कोई मलाई फैली हो ऐसे फ़ैल गया। वह मलाई धीरे धीरे और भी नीचे टपकने लगी। पता नहीं कितना माल तरुण ने मेरी बीबी के मुंह में भर डाला था।

तरुण के वीर्य स्खलन होने पर मैंने देखा तो दीपा थोड़ी सी सकुचायी या निराश सी लग रही थी। उसने मेरी और देखा। मैं समझ गया की शायद उसे इसलिए निराशा हो रही होगी की अब तरुण तो झड़ गया। अब वह उसे चोद नहीं पायेगा। मैं धीरेसे दीपा के कान के पास गया और उसके कान में बोला, "डार्लिंग, निराश न हो। वह थोड़े ही अपनी पत्नी को चोदने जा रहा है, जो थक जाएगा या ऊब जाएगा? वह तो उसकी प्रेमिका को चोदने जा रहा है। यही तो अंतर है पत्नी और प्रेमिका में। प्रेमिका के लिए उसका लण्ड हमेशा खड़ा रहेगा। उलटा एक बार झड़ जानेसे उसका स्टैमिना और बढ़ जायेगा। तरुण अब तुम्हें आसानी से नहीं छोड़ेगा। वह अब तुम्हे दोगुना जोर से चोदेगा। उसके अंडकोष के अंदर तुम्हारे लिए पता नहीं कितना और माल भरा है।"

मेरी इतने खुले से ऐसा कहने पर मेरी शर्मीली बीबी शर्म से लाल हो गयी।

तरुण हमारी काना फूसि देखरहा था। वह धीरेसे बोला, "कहीं तुम मियां बीबी मुझे फंसाने को कोई प्रोग्राम तो नहीं बना रहे हो ना?"

तब दीपा अनायास ही बोल पड़ी, "हम तुम्हे क्या फंसायेंगे? तुम दोनों ने मिलकर तो आज मुझे फंसा दिया। "

पर अब दीपा को मेरी और से कोई संकोच नहीं रहा। दीपा ने तरुण को अपनी बाँहों में लिया और उसके होठों पर चुबन की एक चुस्की लेकर अपने स्तनों को तरुण के मुंह में डाल दिया। वह उसे अपने मम्मो को चुसवाना चाहती थी। जैसे ही तरुण ने मेरी बीबी के मम्मो को चूसना शुरूकिया तो दीपा के बदन में जोश भर गया और उसने अपने मुंह में मेरा लण्ड लिया। वह मुझे यह महसूस नहीं होने देना चाहता थी, की वह मुझे भूलकर तरुण के पीछे लग गयी है। मैं भी दीपा का सर पकड़ कर उस के मुंह को चोदने लगा। मुझे आज उसके मुंह को चोदने में बहुत आनंद आ रहा था, क्योंकि आज मैं अपनी पत्नी की मुंह चुदाई मेरे मित्र के सामने कर रहा था।

थोड़ी ही देर मैं मैं भी अपने जोश पर नियंत्रण नहीं रख पाया। मेरे मुंह से एक आह सी निकल गयी और मैंने मेरी बीबी के मुंह में अपना सारा वीर्य छोड़ दिया। दीपा तरुण के वीर्य का स्वाद तो जानती ही थी। मेरी पत्नी मेरा वीर्य भी पहले ही की तरह निगल गयी। मेरे इतने सालों के वैवाहिक जीवन में यह पहली बार हुआ की मेरी बीबी मेरे वीर्य को निगल गयी हो। तब तक जब भी कोई ऐसा बिरला मौका होता था जब दीपा मेर लण्ड को अपने मुंह में डालती थी तो या तो मैं थोड़ी देर के बाद मेरा लण्ड निकाल लेता था, या फिर मेरी बीबी मुझे मुंह में मेरा वीर्य नहीं छोड़ने की हिदायत देती थी। वह दिन मेरे लिए ऐतिहासिक था।

तरुण और मैं हम दोनों ही दीपा के इस भाव प्रदर्शन से आश्चर्यचकित हो गए थे। मैं बता नहीं सकता की जब घरेलु, रूढ़िवादी समझी जानेवाली और समाज के कड़क बंधनों में पली अपनी बीबी को मेरे कहने पर सारी शर्मोहया को ताक पर रख कर इस तरह सेक्स में हमें उन्मादक आनंद देने के लिए कटिबद्ध होते देख कर एक पति को कितना उन्मादक आनंद मिलता है। मैंने भी तय किया की मैं और तरुण मिलकर मेरी पत्नी को सेक्स का ऐसे उन्मादअनुभव कराएंगे जो उसने पहले कभी नहीं किया हो। मैंने तरुण के कानों में बोला, "क्यों न हम दीपा को अब सेक्स का ऐसा अनुभव कराएं जो उसने पहले कभी किया ना हो?"

तरुण ने मेरी और देखा और मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर सख्ती से पकड़ा और बोला, "मैं तुमसे पूरी तरह सहमत हूँ। मेरा भी उसमें एक स्वार्थ है। मैं भी दीपा को सेक्स की पराकाष्ठा पर ले जाना चाहता हूँ, जिससे वह मुझसे दुबारा सेक्स करने को इच्छुक हो। पर उसके लिए तुम्हारी अनुमति भी आवश्यक है।"

तब मैंने उसे कहा, "मैं यह मानता हूँ की यदि हम सब साथ में एक दूसरे से कुछ भी न छुपाकर सेक्स करते हैं तो वह आनंद देता है। पर यदि चोरी से या छुपी कर सेक्स करते हैं तो परेशानी और ईर्ष्या का कारण बन जाता है। मैं चाहता हूँ की टीना भी हमारे साथ शामिल हो। हम सब मिलकर एक दूसरे को एन्जॉय करें और करते रहें। "

दीपा ने हमारी और देखा। वह समझ गयी के मैं और तरुण उससे सेक्स करनें के बारे में ही कुछ बात कर रहें होंगे। मैंने उसकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए कहा, " तरुण तुम्हें बार बार चोदने के लिए पूछ रहा था। मैंने उसे कहा की अगर हम सब राजी हैं तो कोई रुकावट नहीं है।" दीपा मेरी बात सुनकर शर्म से लाल हो गयी पर उसने कोई टिपण्णी नहीं की।

दीपा अब काफी खुल गयी थी। वह उठ खड़ी हुयी और हम दोनों के साथ पलंग पर वापस आ गयी। फिर फुर्ती से वह मेरी गोद मैं बैठ गयी। उसने अपने दोनों पाँव मेरी कमर के दोनों और फैला कर मुझे अपने पाँव में जकड लिया। मेरे होठ से होठ मिलाकर बोली, "मेरे प्राणनाथ, डार्लिंग पूरी दुनिया में तुम शायद गिने चुने लोगों में से हो जो अपनी बीबी को दूसरे मर्द से चुदवाने के लिए लिए उकसाता है। पर जैसे की तरुण ने पूछा अगर मुझे इसकी लत पड़ गयी तो तुम क्या करोगे? कहीं ऐसा न हो की मैं रोज किसी और के साथ चुदवाना चाहूँ तो?" ऐसा बोल उसने मुझे पुरे जोश से चूमना शुरू किया। तब तरुण उसके पीछे सरक कर पहुँच गया और मेरे और दीपा के बिच में हाथ डालकर दीपा की चूँचियों को सहलाने और दबाने लगा।


मैंने दीपा के भरे तने बूब्स को मसलते हुए उसके सवाल का जवाब देते हुए कहा, "देखो, भले ही तरुण तुम्हें पहले दिन से ही पसंद होगा या तुम उसे चुदवाने के लिए इच्छुक रही होगी, पर तरुण को आज यहां तक पहुँचने में कितना समय लगा और कितने पापड़ बेलने पड़े? क्या तुमने उसे आसानी से चोदने की इजाजत दी? वैसे ही अगर कोई इतना परिश्रम करता है और ऐसे ही पापड़ बेलता है और तुम्हारी और मेरी मर्जी से बात अगर आगे बढ़ती है तो भला मुझे क्या आपत्ति है?"

दीपा ने पीछे घूम कर मेरे होँठों को चूमते हुए कहा, "अरे मैं तो मजाक कर रही थी। मेरे लिए आजसे तुम दोनों हे मेरे पति के समान हो। तुम मेरा सर्वस्व हो और तरुण मेरे बदन का भोक्ता है। मुझे और कोई नहीं चाहिए। तुम दोनों ही काफी हो।"

दीपा ने तरुण का हाथ पकड़ा और तरुण को अपनी और खिंचा। तरुण दीपा के कूल्हों से अपना लण्ड सटाकर बैठ गया। दीपा की गरम चूत का स्पर्श होते ही धीरे धीरे मेरा लण्ड कड़क होने लगा। उसके वीर्य का फौवारा निकलने पर भी तरुण का लण्ड तो ढीला पड़ा ही न था। मैं तरुण की क्षमता देख हैरान रह गया। खैर, उस दिन का माहौल ही कुछ ऐसा था। मेरा लण्ड भी तो एक बार झड़ने के बाद फिर से कड़क हो गया था।

थोड़ी देर तक मेरी नंगी बीबी को चूमने के बाद मैंने उसे पलंग के किनारे सुलाया और उसे अपनी टांगें नीचे लटकाने को कहा। तरुण तो जैसे दीपा से चिपका हुआ ही था। जब दीपा पलंग के किनारे अपनी टाँगे नीचे लटका के पलंग के ऊपर लेट गयी तो तरुण उसकी छाती पर अपना मुंह रख कर लेट गया। मैं झट से पलंग के नीचे उतरा और अपनी बीबी की टांगो को फैला कर उसकी चूत चाटने लगा। मेरी जीभ जैसे ही दीपा की चूत में घुसी की दीपा छटपटाने लगी। मुझे पता था की दीपा की चूत चाटने से या उंगली से चोदने से वह इतनी कामान्ध हो जाती थी की तब वह बार बार मुझे चोदने के लिए गिड़गिड़ाती थी। आज मैं उसे हम दोनों से चुदवाना चाहता था। इसके लिए हमें उसे इतना उत्तेजित करना था की वह शर्म के सारे बंधन तोड़ कर हम दोनों से चुदवाने के लिए बाध्य हो जाए।

मेरी पत्नी की छटपटाहट पर ध्यान ना देते हुए मैंने उसकी चूत मैं एक उंगली डाल कर उसे उंगली से बड़ी फुर्ती और जोर से चोदना शुरू किया। दीपा के छटपटाहट देखते ही बनती थी। वह अपना पूरा बदन हिलाकर अपने कूल्हों को बेड पर रगड़ रगड़ कर कामाग्नि से कराह रही थी। उसका अपने बदन पर तब कोई नियंत्रण न रहा था। वह मुझे कहने लगी, "दीपक डार्लिंग, ऐसा मत करो। मुझे चोदो। अरे भाई तुम मुझे तरुण से भी चुदवाना चाहते हो तो चुदवाओ पर यह मत करो। मैं पागल हो जा रही हूँ।" मैं दीपा की बात पर ध्यान दिए बगैर, जोर शोर से उसको उंगली से चोद रहा था। तब दीपा ने तरुण का मुंह अपने मुंह पर रखा और उसे जोश चूमने लगी। मैंने उसे तरुण को यह कहते हुए सुन लिया, "तरुण अपने दोस्त से कहा, मुझे चोदे। आओ तुम भी आ जाओ आज मैं तुम दोनों से चुदवाऊंगी। तुम मुझे चोदने के लिए बड़े व्याकुल थे न? आज मैं तुमसे चुदवाऊंगी। पर दीपक को वहां से हटाओ"

जब मैं फिर भी ना रुका तो एकदम दीपा के मुंह से दबी हुयी चीख सी निकल पड़ी, "आह... ह... ह... दीपक... तरुण... " ऐसे बोलते ही दीपा एकदम ढेर सी शिथिल हो कर झड़ गयी। मैंने आजतक दीपा को इतना जबरदस्त ओर्गास्म करते हुए नहीं पाया था। उसकी चूत में से जैसी एक फव्वारा सा छूटा और मेर हाथ और मुंह को उसके रस से भर दिया। वह दीपा का उस रात शायद चौथा ओर्गास्म था। मैं हैरान रह गया। मेरी बीबी आज तक के इतने सालों में मेरे साथ ज्यादा से ज्यादा एक रात में मुश्किल से दो बार झड़ी होगी।

मैं थम गया। मैंने देखा की दीपा थोड़ी सी थकी हुई लग रही थी। मैं उसे ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था। मुझे तो उसको हम दोनों से चुदवाने के किये बाध्य करना था, सो काम तो हो गया। दीपा ने थोड़ी देर बाद अपनी आँखे खोली और मुझे और तरुण को उसके बदन के पास ऊपर से उसको घूरते हुए देखा। वह मुस्कुरायी।

उसने हम दोनों के हाथ अपने हाथों में लिए और अपनी पोजीशन बदल कर बिस्तर पर खिसक कर सिरहाने पर सर रख कर लेट गयी। उसने मुझे अपनी टांगों की और धक्का दिया। मैं फिर उसकी चूत के पास पहुँच गया। तब दीपा ने मुझे खिंच कर मेरा मुंह उसके मुंह से मिलाकर मेर लण्ड को अपने हाथ में लिया और अपनी टांगो को फिर ऊपर करके मेर लण्ड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी। वह मुझसे चुदवाना चाहती थी।

मैंने तरुण को अपनी और खींचा और मैं वहाँ से हट गया। अब तरुण दीपा की टांगो के बिच था। मेरी बीबी समझ गयी की मैं उसे पहले तरुण से चुदवाना चाहता हूँ। तरुण का मुंह मेरी बीबी के मुंह के पास आ गया। दोनों एक दूसरे की आँखों में झांकने लगे। तरुण झुक कर मेरी बीबी को बड़े जोश से चुम्बन करने लगा। तरुण उस वक्त कामाग्नि से जल रहा था। इतने महीनों से जिसको चोदने के वह सपने देख रहा था और सपने में ही वह अपना वीर्य स्खलन कर जाता था वह दीपा अब नंगी उसके नीचे लेटी हुयी थी और उससे चुदने वाली थी।

दीपा समझ गयी की अब क़यामत की घडी आ गयी है। तरुण का लटकता लण्ड दीपा की चूत पर टकरा रहा था। दीपा ने धीरेसे तरुण का मोटा और लंबा लण्ड अपने हाथों में लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी। अचानक वह थोड़ी थम सी गयी और कुछ सोच में पड़ गयी। तरुण ने अपने होंठ दीपा के होंठ से हटाये और पूछा, "क्या बात है? क्या सोच रही हो? क्या अब भी आप शर्मा रही हो?"

दीपा ने कुछ शर्माते हुए कहा, "मैं शर्मा नहीं रही हूँ। मैंने तो तबसे तुमसे चुदवाने का प्लान बना लिया था जबसे मुझे यह यकीन हो गया था की तुम एक भरोसे मंद आदमी हो जिसको औरत की इज्जत का बहुत ही ज्यादा ख़याल होता है। तुमने मेरे साथ इतनी ज्यादा हरकतें की और मुझे इतना ज्यादा छेड़ा पर कभी मुझे नीचा नहीं समझा और नाही मेरे बारे में कोई ओछी बात बोली। शायद मेरे पति को भी तुमपर बहुत ही ज्यादा भरोसा है की हमारे बिच की बात तुम कभी बाहर जाहिर नहीं करोगे। इसी लिए वह भी मुझे तुमसे सेक्स करने के लिए उकसाते रहे।

मैं तुमसे उसी दिन चुदवाने के लिए राजी हो जाती जिस दिन तुम सुबह सुबह मेरे पति के कहने पर मेरे घर आये जब मैं आधी नंगी तौलिया पहन कर तुम्हारे सामने आयी। पर तुमने मेरे साथ मुझे चोदने के लिए कोई जबरदस्ती नहीं की वह मुझे बहोत अच्छा लगा। उस समय अगर तुम मुझ पर जबरदस्ती करते तो शायद एकाध बार तो मैं तुमसे चुदवा लेती पर बाद में तुम्हें मेरे पास फरक ने नहीं देती। पर अब तो मैं तुमसे बार बार चुदवाउंगी।"

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चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:05 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:06 PM
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RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:47 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:48 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:49 PM
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RE: चाहत... {completed} - by kamdev99008 - 15-12-2019, 01:51 AM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 22-01-2020, 04:25 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-04-2020, 10:43 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 12-05-2021, 09:50 AM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 01-08-2021, 04:09 PM
RE: चाहत... {completed} - by dickcassidy - 08-08-2021, 01:15 AM
RE: चाहत... {completed} - by raj500265 - 21-08-2022, 01:01 AM
RE: चाहत... {completed} - by koolme98 - 01-02-2023, 04:34 PM



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