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Adultery चाहत... {completed}
#7
Wink 
मैंने देखा की उस दिन के बाद तो जैसे तरुण की चांदी हो गयी। पहले दीपा जैसे तरुण से डर रही थी और शङ्का कुशङ्का की नजर से उसे देख रही थी वह डर ख़त्म हो गया। शायद अब मेरी बीबी यह समझ गयी की मौक़ा आने पर वह तरुण को कण्ट्रोल कर सकती थी। इसके बाद दीपा तरुण से कोई औपचारिकता नहीं रखती थी। जब भी तरुण आता तो दीपा ख़ास उसे बात करने ड्राइंग रूम में उसके पास आती और उसके साथ भी बैठ जाती थी। कई बार दीपा तरुण को रसोई में भी बुला लेती और दोनों इधर उधर की बातें करते। मेरे सामने भी दीपा अब तरुण से शर्माती नहीं थी। कई बार मैंने देखा तो वह तरुण के कोई जोक पर तरुण का हाथ पकड़ कर हंसती थी।


परंतु कई बार चोरी छुपी से देखने के बाद भी मुझे यह देख कर निराशा हुई की उन के बिच ऐसी कोई ख़ास जातीयता वाली सेक्स वाली बात नहीं दिख रही थी। हाँ एक बार जरूर मैंने छुप कर देखा की जब तरुण ने दीपा को अपनी बाँहों में जकड़ लिया था तो दीपा हंसती हुई उसे धक्का मार कर वहाँ से भाग निकली थी। अब जब तरुण घर आता तो उसकी आवभगत होने लगी। वह मुन्नू के साथ खेलता और उसको कभी चॉकलेट तो कभी आइसक्रीम ला कर उसने मुन्नू का मन जीत लीया। दीपा के साथ भी उसने काफी दोस्ती बनाली थी।

मैं जब नहीं रहता था तब भी तरुण आता जाता रहता था। जब भी तरुण मेरी अनुपस्थिति में आता तब मुझे तरुण और दीपा दोनों बता देते थे। दीपा तरुण को छोटे मोटे काम भी बताने लग गयी थी। तरुण कभी मेरी अनुपस्थिति में सब्जी लाता तो कभी ग्रोसरी। मैंने महसूस किया की धीरे धीरे तरुण और मेरी पत्नी दीपा के बिच कुछ कुछ बात बन रही थी। दीपा के मनमें तरुण के प्रति अब पहले जितना शक और डर नहीं रहा था।

इसका फायदा मुझे भी तो होना ही था। अब तरुण मुझ पर और भी मेहरबान होने लगा। एकदिन अचानक ही वह घर आया। दीपा रसोई में व्यस्त थी। मैंने उसे हालचाल पूछा। हम दोनों खड़े थे की अचानक उसके हाथमे से एक लिफाफा निचे गिरकर मेरे पांव पर पड़ा। मुझे ऐसा लगा जैसे तरुणने लिफाफा जान बुझ कर गिराया था। मैंने झुक कर जैसे उसे उठाया तो उसमे से एक तस्वीर फिसल कर बहार निकल पड़ी। वह तस्वीर उसकी पत्नी टीना की थी।

वह समंदर के किनारे बिकिनी पहने खड़ी थी। उसकी नशीली आँखें जैसे सामने से खुली चुनौती दे रही थी। उसके मद मस्त उरोज जैसे उस बिकिनी में समा नहीं रहे थे। छोटी सी लंगोटी की तरह की एक पट्टी उसकी भरी हुई चूत को मुश्किल से छुपा पा रही थी। उसके गठीले कूल्हे जैसे चुदवाने का आवाहन कर रहे थे। उसे देख कर मैं थोड़े समय तो बोल ही नहीं पाया। मैं एकदम हक्का बक्का सा रह गया।

अचानक मुझे ध्यान आया की तरुण मुझे घूर कर देख रहा है। मैं खिसिया गया और हड़बड़ा कर बोला, "यार, सॉरी। मुझे यह देखना नहीं चाइये था।"

तरुण एकदम हंस पड़ा और बोला, "तुम क्यों नहीं देख सकते? उस दिन उस बीच पर पता नहीं कितने लोगों ने टीना को इस बिकिनी में आधा नंगा देखा था। तुम तो फिर भी अपने हो। अगर तुम होते तो तुम भी जरूर देखते। अगर तुम्हारे पास दीपा की ऐसी तस्वीर होती तो क्या तुम मुझे नहीं दिखाते? बल्कि मैं तो कहता हूँ को चलो ना एक बार स्विमिंग पूल में अपनी बीबियों को लेकर स्विमिंग करने चलते हैं। फिर तो हम दोनों ही एक दूसरे की बीबियों को बिकिनी में आधी नंगी देख सकते हैं। उन्हें छेड़ भी सकते हैं। क्या कहते हो?"

उसके इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने अपनी मुंडी हिलाते हुए कहा, " बात तो ठीक है। पर पता नहीं, दीपा तैयार होगी या नहीं। वह शायद मना कर देगी। और जहां तक दीपा की आधी नंगी तस्वीर का सवाल है, मैं भी तो तुम्हे जरूर दिखाता। पर मेरे पास दीपा की ऐसी तस्वीर है नहीं।" मेरे मन में आया की मैं तरुण को बताऊँ की उसने तो मेरी बीबी को आधी नंगी उस दिन देख ही लिया था। पर मैं चुप रहा।

तरुण ने हँसते हुए पूरा लिफाफा मेरे हाथ में थमा दिया और बोला, "इस लिफाफे में हमारे हनीमून की सारी तस्वीरें हैं। इसमें टीना के, मेरे और हमारे दोनों के साथ साथ बड़े सेक्सी पोज़ हैं। तुम इन्हें जी भर के देख सकते हो। मैं तुमसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहता। तुम चाहो तो इसे दीपा के साथ भी शेयर कर सकते हो। भाई , मैं तुम दोनों में और हम दोनों में कोई फर्क नहीं समझता। मेरे लिए टीना और दीपा भाभी में कोई फर्क नहीं है, वैसे ही तुम भी दीपा भाभी और टीना में कोई फर्क मत समझना।"

उसकी बात पहले तो मेरी समझ में नहीं आई, पर उसके चले जाने के बाद जब में उसकी बात पर विचार कर रहा था तब मैं धीरे धीरे उसका इशारा समझने लगा। जैसे जैसे मैं सोचता गया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। उसकी बात के मायने बड़े गहरे थे। मुझे ऐसा लगा जैसे वह यह संकेत दे रहा था की उसकी बीबी और मेरी बीबी में कोई अंतर नहीं है। उसका मतलब यह था की मेरी बीबी उसकी बीबी और उसकी बीबी मेरी बीबी भी हो सकती है। साफ़ शब्दों में कहें तो वह बीबियों की अदलाबदली मतलब एक दूसरे की बीबी की चुदाई की तरफ इशारा कर रहा था। तरुण ने जैसे बात बात में अपने मन की बात कह डाली।

जैसे जैसे मैं सोचता गया मुझे उसका सारा प्लान समझ में आने लगा। मैं भी तो वही चाहता था जो वह चाहता था। फिर ज्यादा सोचना कैसा?

फिर मेरे मनमे एक कुशंका आई। कहीं मैं अपनी प्रिय पत्नी को खो तो नहीं दूंगा? कहीं वह तरुण की आशिक तो नहीं बन जायेगी? पर यह तो हो ही नहीं सकता था क्यूंकि तरुण भी तो उसकी बीबी को बहुत चाहता था। उसकी एक बच्ची भी तो थी। हमारा भी तो मुन्नू था। शंका का तो तुरंत समाधान हो गया। हाँ एक बात जरूर थी। एक बार शर्म का पर्दा हट जानेसे, यह हो सकता है की तरुण दीपा को बार बार चोदना चाहे, या दीपा बार बार तरुण से चुदवाना चाहे। तब मैंने यह सोचकर मन को मनाया की आखिर तरुण और दीपा समझदार हैं। वह अगर चोदना चाहे भी तो मुझसे बिना पूछे कुछ नहीं करेंगे। यदि मेरी मर्जी से ही यह होता है तो भला, मुझे तरुण और दीपा की चुदाई में कोई आपत्ति नहीं लगी।

दूसरे दीपा समझदार थी। वह मुझे पूछे बिना कुछ भी ऐसा नहीं करेगी जिससे हमारा घर संसार आहत हो। यदि मान लिया जाये की तरुण बहक जाता है, तो दीपा फिर तरुण को कंट्रोल कर सकती है। मैं जानता था की दीपा एक शेरनी की तरह है। वह यदि चाहे तो तरुण को घरमें घुसने भी न दे। उसने पहले कई बार तरुण को हड़का दिया था। तरुण अपनी बीबी से भी तो डरता था। किसी एक को बहकने से रोकने के लिए तीन लोग खड़े थे, बच्चों को इस गिनती में शामिल न किया जाय तो। मेरी इस शंका का भी भलीभांति समाधान हो गया। सबसे बड़ी बात यह थी की दीपा मुझे बहुत चाहती थी और मैं जानता था की सेक्स और प्रेम का अंतर वह जानती थी। शंका का तो तुरंत समाधान हो गया।

मैंने सोचा की शंका कुशंका करते रहेंगे तो आगे बढ़ नहीं सकते। आखिर कुछ पाने के किये कुछ समझौता तो करना पड़ता ही है। और फिर हम सब कहाँ एकसाथ सारी ज़िन्दगी रहने वाले थे। अब बात थी पत्नियों को पटाने की। यह एक बड़ी चुनौती थी।

फिर मेरे मनमें एक बात आई। दो औरतों को एकसाथ चुदवाने के लिए राज़ी करना मुझे कठिन लगा। वैसे ही औरतें बड़ी ईर्षालु होती है। वह अपने पति को दुसरी औरत को चोदते हुए देख सके यह मुझे मुश्किल सा लग रहा था। ऐसा करने की बात करने से पहले मैंने सोचा क्यों न पहले हम दो मर्द मिलकर कोई भी एक बीबी को तैयार करते हैं।

एक बीबी को अगर हमने फाँस लिया तो दूसरी आराम से फँस जायेगी। एक फँस गयी तो फिर वह दुसरी को जरूर चुदवाने के लिए तैयार करेगी। तब तक मैं टीना के करीब जा नहीं पाया था। तरुण ने तो कुछ हद तक मेरी बीबी पर अपना चक्कर चलाना शुरू कर ही दिया था। मैं भी तो पहले दीपा को चुदवाने का मजा लेना चाहता था। मेरे मनमे मेरी बीबी दीपा को तरुण से चुदवाने का एक तरह का पागलपन सवार हो गया था।

वैसे मेरे मन में बड़ी प्रखर इच्छा थी की मेरी बीबी भी एक बार गैर मर्द का टेस्ट करे। मैं देखना चाहता था की मेरे सामने दूसरा मर्द कैसे मेरी बीबी को चोदता है, मेरी बीबी कैसे उससे चुदवाती है और मैं भी दूसरे मर्द के साथ मिलकर कैसे मेरी बीबी को चोदता हूँ।

कई बार मैंने देखा था की मैं तो झड़ गया था पर मेरी बीबी नहीं झड़ पाई और अपना मन मसोस कर रह गयी। अगर दीपा को दो मर्द चोदते हैं तो साफ़ बात है की वह भी ओर्गाज़म का ज्यादा से ज्यादा मजा ले सकती है। उसको बार बार झड़ने से वह बहुत एन्जॉय करेगी। यही बात को सोच कर मैं जोश में आ गया। तरुण और दीपा की केमिस्ट्री देख कर में पागल सा हो रहा था। मैं दीपा को तरुण से चुदवाने के बारें में गम्भीरता से सोचने लगा।

तरुण का मेरी पत्नी की और आकर्षण (आकर्षण से ज्यादा उपयुक्त शब्द था पागलपन) को मैं भली भांति जानता था। तरुण को दीपा की और से थोड़ा सा भी सकारात्मक रवैया दिखाई दिया तब तो तरुण दीपा का पीछा नहीं छोड़ेगा। यह बात तो मेरी बीबी ने खुद मुझसे कही थी की अगर उस दिन मौक़ा मिला होता और अगर मेरी बीबी ने थोड़ी सी भी असहायता, असावधता या निष्क्रियता दिखाई होती तो तरुण उसे चोद ही देता।

उस दिन एक बार गलती से दीपा को दीपा की मर्जी के बगैर आधी नंगी देख लेने से ही तरुण दीपा को चोदने के लिए इतना उतावला हो गया था की अगर उस समय थोड़ा सा भी चांस मिलता तो दीपा ने भी कुबूल किया था की तरुण दीपा को नंगी कर देता और तब दीपा तरुण को उसे चोदने से रोक नहीं पाती। तो कहीं दुबारा ऐसा कुछ हुआ और तरुण ने दीपा को थोड़ा सा भी पिघलते देखा और उसे दीपा को फाँसने का मौक़ा मिला तो फिर तो मुझे पता था की वह किसी ना किसी तरह दीपा को चुदवाने के लिए मजबूर कर ही देगा और तब तरुण दीपा को चोदे बगैर छोड़ेगा नहीं। अगर उसे मेरी बीबी को चोदने का मौक़ा मिला तो फिर तो तरुण ख़ुशी ख़ुशी टीना को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार करने की भरसक कोशिश करेगा इस बातका मुझे पूरा यकीन था।

दूसरे, तब दीपा भी टीना को राजी कर लेगी। मैं जानता था की यदि दीपा चाहेगी तो टीना को जरूर तैयार कर सकती है। पर इसके लिए पहले दीपा के अवरोध का बाँध तोड़ना जरुरी था।

दीपा को गरम करने के लिए मैं अनायास ही तरुण की बात छेड़ देता था। बातों बातों में मैं कुछ न कुछ ऐसे विषय ला देता था की दीपा गरम हो जाए। मैंने एक रात जब दीपा थकी हुयी थी और सोने जा रही थी, तब उसको गर्म करने के इरादे से तरुण के बारेमें बात छेड़ी। मैंने वह लीफाफा निकाला जिसमें टीना और तरुण के सेक्सी पोसेस वाली तस्वीरें थी। दीपा एक के बाद एक तस्वीरें देखने लगी। मैंने टेढ़ी नजर से देखा की दीपा टीना में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रही थी, पर तरुण की छोटे से जांघिये में उस के उठे हुए लण्ड वाली तस्वीरों को वह थोड़े ज्यादा ही ध्यान से देख रही थी।

एक फोटो में तो तरुण के जांघिये में से तरुण के लण्ड की शायद उसकी बीबी टीना ने एक ऐसी फोटो ली थी जिसमें ऐसे दिख रहा था जैसे एक बड़ा अजगर बड़ी मुश्किल से तरुण की टाँगों के बिच में छुप कर उतनी छोटी सी जगह में समा नहीं पा रहने के कारण तरुण का जांघिया फाड़ कर जैसे बाहर निकलने वाला ही था।

उस फोटो से साफ़ जाहिर हो रहा था की तरुण का लण्ड कम से कम १० इंच से भी शायद ज्यादा लंबा और काफी मोटा होगा। क्यूंकि वह निकर में इतना बड़ा तम्बू बनाकर खड़ा हुआ दिख रहा था। तरुण के जांघिये में टांगों के बिच इतना बड़ा तम्बू जैसा दिख रहा था की यह देख कर दीपा के मुंह से अनजाने में सिटी निकल गयी और वह बोल पड़ी, "बाप रे बाप! कितना बड़ा है?"

मैं समझ तो गया था की वह तरुण के लण्ड के बारे में ही बात कर रही थी फिर भी मैंने अनजान बनते हुए पूछा "डार्लिंग, क्या बात है, क्या बड़ा है?" तब मेरी बीबी ने झूठ बोला की वह तो इतने बड़े समंदर के बीच के बारेमें कह रही थी।

उनमें कुछ ऐसी भी तस्वीरें थीं जिसमें उनके बैडरूम में टीना के ऊपर तरुण चढ़ा हुआ था। हालांकि दोनों ने कपडे पहने हुए थे फिर भी यह साफ़ था की वह चुदाई की अदाएं दिखा रहे थे। कुछ तस्वीरों में तरुण और टीना लगभग नंगे चुदाई करते हुए दिख रहे थे। तरुण ने जाँघिया तो पहन रखा था, पर यह साफ़ था की वह अपना लण्ड जांघिये में से बाहर निकाल कर अपनी बीबी को चोद रहा था। घने बालों से भरी हुईं तरुण की नंगी जाँघें टीना की साफ़ सुथरी गोरी नंगी जाँघों के बिच में दिखाई दे रहीं थीं। टीना ने कोई कपडे नहीं पहने थे बस चद्दर से अपना बदन ढकने की नाकाम कोशिश करती दिख रही थी। हालांकि तरुण का लण्ड और टीना की चूत और बॉल दोनों के बदन के बिच में ढके हुए थे।

ऐसी तस्वीरों को देख कर दीपा कुछ खिसिया गयी। मेरी बीबी ने मेरी और टेढ़ी नजर से देखा। पर पहले ही मैंने अपनी आँखें वहां से हटा ली थीं। थोड़ी सेहमी सी दीपा बोली, "यह लोग बड़े बेशर्म हैं। कैसी तस्वीरें खिंचवाते हैं? ऐसी तस्वीरें किस से खिंचवाईं होंगीं? क्या किसी के सामने कोई भला ऐसे करता है?"

मैंने मेरी बीबी के गुलाबी गालों को हलकी सी चूंटी भरते हुए कहा, "डार्लिंग यह तस्वीरें किसी ने नहीं खींची। यह ऑटो मोड में ही खींचीं जातीं हैं। आप कैमरा को टाइमर से सेट कर दो और फिर पोज़ दो। कैमरा अपने आप ही तस्वीर खींच लेगा।"

मैंने फिर मेरी बीबी को चिढ़ाने के लिए कहा, "और फिर इसमें बेशर्मी की क्या बात है? पति पत्नी हनीमून में अगर चुदाई नहीं करेंगे तो क्या करेंगे? वैसे दीपा, एक बात तो तुम भी मानोगी, की टीना ना सिर्फ सुन्दर है बल्कि गजब की सेक्सी भी है।"

दीपा ने फ़ौरन मेरी तरफ टेढ़ी नजर करके कहा, "बेशक टीना बहुत सुन्दर है और इन तस्वीरों में तो बड़ी सेक्सी भी लग रही है। पर क्या तुम्हें टीना मुझसे भी ज्यादा सुन्दर और सेक्सी लग रही है?"

मैंने मेरी बीबी की बातों का क्या जवाब देता? मैंने कहा, "खैर यह तो उनके हनीमून की तस्वीरें हैं। पर मौक़ा मिला तो मैं भी किसी दिन तरुण को दिखा दूंगा की मेरी बीबी दीपा भी टीना से कम सुन्दर या कम सेक्सी नहीं है। यह तो मेरी बीबी का बड़प्पन है की सेक्सी ड्रेस पहनती नहीं है, वरना मेरी बीबी का मुकाबला कोई भी औरत नहीं कर सकती।"

मेरी बात सुनकर मेरी सीधीसादी बीबी गरम हो गयी और दीपा का चेहरा ख़ुशी और गौरव से खिल उठा। वह मेरी बाँहों में आकर मुझे चूमने लगी। मेरी बीबी ने कहा, "दीपक, क्या तुम सच कह रहे हो? डार्लिंग, शादी के इतने सालों के बाद भी तुम मुझे इतना चाहते हो, मुझे इतनी सेक्सी और सुन्दर मानते हो यह मुझे बहोत अच्छा लगता है।"

मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "जब तरुण ने मुझे टीना की ऐसी आधी नंगी सेक्सी तस्वीरें देखते हुए पकड़ लिया तो मुझे बड़ी शर्मिंदगी हुयी। मैंने तरुण से माफ़ी मांगी। तब तरुण ने क्या कहा मालुम है?"

दीपा ने मेरी तरफ सवालिया नजर से देखते हुए अपनी उत्सुकता को दबाने का प्रयास करते हुए पूछा "क्या कहा तरुण ने?"


मैंने कहा, "तरुण ने कहा, टीना की ऐसी आधी नंगी तस्वीर यदि मैंने देख ली तो क्या हुआ? उसे तो उस समय बीच पर सैकड़ों लोगो ने आधी नंगी बिकिनी में देखा था। उसने कहा हम दोनों कपल में क्या अंतर है? टीना और दीपा या दीपक और तरुण सब एक ही तो हैं? हम को हमारे बिच ऐसा कोई अंतर नहीं रखना चाहिए।" मैंने फिर दीपा से पूछा, "कुछ समझी?"

दीपा बोली, "हाँ, सही तो है। हम दोनों कपल अब इतने करीब हैं की हम में एक तरहकी आत्मीयता है। तरुण हो या तुम हो दोनों अपने ही हैं। हमें कोई फर्क नहीं समझना चाहिए। उसने ठीक ही कहा। उसमें सोचने की क्या बात है?"

तब मैंने दीपा के गाल पर चूंटी भरते हुए कहा, "हाय मेरी बुद्धू बीबी। तू इसका मतलब नहीं समझी। तरुण का कहने का मतलब ये था की चाहे तरुण हो या मैं, तुम्हारे लिए दोनों बराबर होने चाहिए। और चाहे तरुण हो या मैं, टीना के लिए भी दोनों बराबर होने चाहिए। इसका मतलब समझी?"

दीपा फिर भी भोलेपन से मुझे ताकती रही तब मैंने कहा, "हे भगवान्, मेरी बीबी कितनी बुद्धू है। अरे तरुण यह इशारा कर रहा था की चाहे तुम हो चाहे टीना हो तरुण के लिए दोनों पत्नीयां जैसी ही हैं। वैसे ही तुम्हारे लिए और टीना के लिए भी मैं और तरुण दोनों उसके पति जैसे ही हैं। इसका मतलब है तरुण तुम्हारा पति जैसा है और टीना मेरी पत्नी जैसी है। इसका मतलब साफ़ है की हम एक दूसरे की पत्नियों की अदलाबदली कर सकते हैं। मतलब हम एक दूसरे की पत्नियों को चोद सकते हैं।"

यह सुनकर दीपा एकदम अकड़ गयी और बोली, "यह क्या बात हुई। भाई एक दूसरे की बीबियों के साथ थोड़ा मिलना जुलना, थोड़ी शरारत अथवा थोड़ी सी छेड़खानी ठीक है, पर अदलाबदली की बात कहाँ से आई? बड़ी गलत बात कही तरुण ने अगर उसका यह मतलब समझता है वह तो। पर मुझे लगता है शायद उसका कहनेका वह मतलब नहीं था। यह सब बातें तुमने ही बनायी लगती है। तुम्हारे दिमाग में तो हमेशा सेक्स छाया रहता है। शायद तुम्हारी समझने में भूल हुई है। तरुण ऐसा बोल नहीं सकता। मेरे ख़याल से तो वह बंदा सीधा सादा है।" मैं अपने ही मन में मेरी सरल पत्नी की यह बात सुन कर हंस रहा था। तरुण और सीधा सादा?"

मैंने तीर निशाने पर लगाने के लिए कहा, "तरुण ने और क्या कहा सुनोगी?" दीपा ने अपनी मुंडी हिला कर हाँ कहा।

मैंने कहा, 'तब तरुण ने मुझसे पूछा, अगर तुम्हारी ऐसी आधी नंगी तस्वीरें हों तो मैं उनको तरुण के साथ शेयर नहीं करूँगा क्या? मैं क्या बोलता? मैंने कहा हाँ जरूर करूँगा। तब तरुण ने मुझे एक और बात कही। उसने कहा क्यों ना हम चारों यहीं पर जो पांच सितारा होटल है उसके स्विमिंग पूल मेँ एक बार स्विमिंग करने जाएँ? तब तो तुम और टीना दोनों ही बिकिनी में आधे नंगे दिखोगे?"

दीपा यह सुनते ही एकदम सहम गई। वह मुझ से नजर भी मिला नहीं पा रही थी। शर्म से उसका मुंह लाल होगया था। दीपा सोचमें पड़ गयी और बोली, "यदि मेरी ऐसी तस्वीर तुम्हारे पास होती तो क्या तुम तरुण को दिखाते? यह बात तो ठीक नहीं। पर खैर मेरी ऐसी तस्वीरें कहाँ है, जो तुम तरुण को दिखाओगे? हम तो हनीमून पर कहीं गए ही नहीं। और जहां तक स्विमिंग पूल में बिकिनी पहन कर जाने का सवाल है तो मेरे पास तो कोई बिकिनी है ही नहीं। तो हम तो जा नहीं सकते। भले ही वह दोनों चले जाएँ।" दीपा के चेहरे पर निराशा सी छा गयी।

मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा, " अरे मैं बिकिनी भी ले आऊंगा और मैं भी तरुण को दिखा दूंगा की मेरी बीबी टीना से कम सेक्सी नहीं है। अब तो तुम्हें और मुझे ऐसे तस्वीरें खिंचवानी पड़ेंगी।"

दीपा से पट से बोली, "ताकि तुम मेरी आधी नंगी तस्वीरों को तरुण को दिखा सको?"

मैंने सीधे ही पूछा, "हाँ, वो तो मुझे दिखानी ही पड़ेंगी। मैंने वचन जो दे दिया है तरुण को। भाई तुम्हें तो ऐतराज़ नहीं होना चाहिए। क्यों की वैसे भी तरुण ने तो तुमको आधी नंगी उस दिन देख ही लिया था न, जिस दिन तुम तौलिया में लिपटी हुई तरुण के सामने आयी थी?"

दीपा ने मुझे नकली घूंसा मारते हुए कहा, "चलो हटो, वह तो तुम्हारी ही शरारत थी। तुम क्यूँ चाहते थे की मैं तरुण को उकसाऊँ? मुझे लगता है की तुमने ही वह चाल चली थी, मुझे फँसाने के लिए। तुम क्या चाहते थे? तुम्हारा आईडिया मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा। देखो दीपक, तुम मेहरबानी कर के मुझे गलत सलत चक्कर में मत फाँसो। मेरे जज्बात से प्लीज मत खेलो। आखिर मैं भी एक इंसान हूँ। मेरी भी कमजोरियाँ हैं।"

जब दीपा ने मुझे कहा की उसकी भी कमजोरियाँ हैं, तो मैं समझ गया की दीपा काफी पिघल चुकी है। तरुम की करतूतों का उस पर भी असर हुआ है। दीपा मुझ से एकदम सट रही थी और गरम हो गई थी। उस रात भी हमने खूब जोर शोर से सेक्स किया। अब तो मुझे दीपा को गरम करने की चाभी सी जैसे मिल गयी थी। जब भी दीपा थकान का बहाना करके सोने के लिए जाती और अगर मेरा मूड उसे चोदने का होता तो मैं तरुण की कोई न कोई रसीली बात छेड़ देता। कई बार तो मुझे बाते बनानी पड़ती थी। परन्तु मेरी बुद्धू बीबी यह समझ नहीं पाती थी की मैं उसे चोदने के लिए तैयार करने के लिए यह सब सुना रहा था। या फिर पता नहीं, शायद वह समझ गयी थी की मैं क्या चाहता था पर दिखावा कर रही थी जैसे वह समझ नहीं पा रही थी की मैं क्या चाहता था। खैर हर हालात में अब मुझे इसी बात को आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर होना था।

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चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:05 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:06 PM
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RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:48 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:49 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:49 PM
RE: चाहत... {completed} - by kamdev99008 - 15-12-2019, 01:51 AM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 22-01-2020, 04:25 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-04-2020, 10:43 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 12-05-2021, 09:50 AM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 01-08-2021, 04:09 PM
RE: चाहत... {completed} - by dickcassidy - 08-08-2021, 01:15 AM
RE: चाहत... {completed} - by raj500265 - 21-08-2022, 01:01 AM
RE: चाहत... {completed} - by koolme98 - 01-02-2023, 04:34 PM



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