07-12-2019, 07:15 PM
सुबह उठकर जब दीपा रसोई में काम कर रही थी तब मैंने चोरी छुपी मेरे घर के मुख्य दरवाजे की चिटकनी का ऊपर का हिस्सा स्क्रू ड्राइवर की मदद से चुपचाप दीपा को बिना बताये निकाल दिया, जिससे दरवाजे को चिटकनी लगाने पर भी दरवाजा बंद ना हो।
मैं ऑफिस के लिए निकल ने में थोड़ा लेट हो गया था। आखिर मैं जब ऑफिस जा रहा था तब मैंने जाते जाते दीपा को एक लम्बी सी किस होठों पर की। फिर बाई बाई करते हुए कहा, "तुम्हे याद तो है ना? आज तुम्हें एक बार तरुण को थोड़ा उकसा कर उसका टेस्ट करना है। बोलो करोगी ना?"
मुझे जल्दी घर से ऑफिस को रवाना करने के लिए मेरी पत्नी दीपा मुझे खींचती हुई बाहर आँगन तक ले आयी और बोली, "ठीक है बाबा, याद है। मैं सोचूंगी। अब ऑफिस भी जाओगे या तुम्हारे दोस्त को उकसाने के बारे में ही बातें करते रहोगे?
बाहर आँगन पहुँचते ही मैं फिर पलटा और उसको बाँहों में जकड कर मेरी बीबी के होँठों पर अपने होँठ रखते हुए बोला, "सोचना नहीं, करना है। बोलो करोगी ना? वादा करो।"
मुझे बाहर आँगन में सारे रास्ते पर आते जाते हुए राहदारियों और पड़ोसियों के देखते हुए मस्ती करते हुए देख कर दीपा हड़बड़ा गयी और बोली, "तुम कैसे पागल हो। क्या कर रहे हो? आसपास सब लोग देख रहे हैं। ठीक है बाबा मैं करुँगी। वादा करती हूँ। अब तुम जाओ भी।"
मैं हँसते हुए चल पड़ा। मुझे पता था की दीपा मेरे जाने के करीब डेढ़ घंटे के बाद ठीक १० बज कर ३० मिनट पर नहाने जाती थी।
उस दिन १० बजे मैंने तरुण से फ़ोन पर पूछा, "दीपा ने मुझे मैगी के दो पैकेट लाने के लिए कहा था, पर मुझे अभी काम है। मैं जा नहीं पाउँगा। क्या तुम अभी मैगी के दो पैकेट दीपा को घर दे आओगे? मैं तुम्हारा एहसानमंद रहूँगा।"
मैं जानता था की तरुण को तो मेरे घर जाने का बहाना चाहिए था। उसे इससे बढ़िया बहाना और क्या मिल सकता था? उसने तुरंत कहा की वह मेरे घर के पास से ही गुजर रहा था। वह जरूर मैगी के पैकेट पहुंचा देगा। मैंने तुरंत दीपा को फ़ोन किया और बोला, "दीपा डार्लिंग, तरुण थोड़ी देर में मैगी के पैकेट ले कर हमारे घर आएगा। क्या उसका स्वागत करने के लिए तैयार रहोगी?"
दीपा ने झुंझलाते हुए कहा, " तुम्हें ऑफिस में कुछ काम धंधा है की नहीं? की तुम हमेशा ऐसी ही चीज़ों के बारेमें सोचते रहते हो? तुम क्या अभी तक उस बात को भूले नहीं हो? तुम तरुण की परीक्षा कर रहे हो या मेरी? आखिर तुम चाहते क्या हो?"
मैंने कहा,"तुम मुझे यह बताओ, तुम करोगी या नहीं?"
तब दीपा ने असहायता दिखाते हुए कहा, "मैं क्या करूँ? ठीक है बाबा, अभी तो मैं नहाने जा रही हूँ। फिर मैं कुछ सोचती हूँ।"
मैंने कहा, "देखो, तुमने मुझसे वादा किया था की तुम उसे उकसाओगी।"
दीपा ने कहा, "नहीं बाबा नहीं, मैं तुम्हारे दोस्त को बिलकुल उकसाऊँगी नहीं। मरना है मुझे किसी गैर मर्द को उकसा कर? और वह भी जब तुम नहीं हो। ना यह मुझसे नहीं होगा।"
मैं जानता था की मेरी बीबी ऐसा ही कुछ कहेगी। मैं तैयार था। मैंने कहा, "अच्छा, एक काम तो तुम कर सकती हो ना? तुम नहाने तो जा ही रही हो ना? तो जब तरुण आये तो तुम तौलिये में घर के अंदर रह कर एक बार उसे दरवाजे के बाहर खड़ा रख कर दरवाजा थोडा सा खोल करअपने दर्शन दे देना। बस? फिर फ़ौरन बाद में चाहे दरवाजा बंद कर देना। उसके बाद देखना क्या वह तुम्हें दरवाजा खोलने के लिए जिद करता है की नहीं? अगर वह तुम्हें दरवाजा खोलने के लिए बार बार मिन्नतें करे तो समझो की वह लम्पट है। अगर वह चुचाप दरवाजे के बाहर खड़ा रहता है ताकि तुम कपडे पहन लो या चला जाता है तो समझो की वह सज्जन है। बस इतना तो तुम कर सकती हो ना? प्लीज मेरी इतनी सी बात तो तुम मान लो?"
दीपा मेरी बात सुनकर कुछ देर चुप सोचती रही, फिर झल्ला कर बोली, "कैसे पति हो तुम? अपनी बीबी के बदन का ही प्रदर्शन करवाने पर तुले हो? देखो तुम यह ठीक नहीं कर रहे हो। मैंने भूल की की तुम्हें इस बात में हाँ कर दी।"
मैंने फ़ोन में ही मेरी बीबी को हाथ जोड़ते हुए कहा, "देखो मैं फ़ोन पर हाथ जोड़ कर कहता हूँ की एक बार तो हम देखें की तरुण कितने पानी में है? अगर तुम्हारे दरवाजे ना खोलने पर वह तुमसे दरवाजा खोलने के लिए जबरदस्ती करे तो तुम दरवाजा मत खोलना। तुम चीखना चिल्लाना या जो चाहे करना। ठीक है?"
आखिर में दीपा ने हथियार डालते हुए झल्ला कर कहा, "ठीक है। तुम मुझे बहुत परेशान कर रहे हो। बस इस बार पहली और आखिरी बार मैं मान रही हूँ। आगे से ऐसे बेतुका काम करने के लिए मुझे मत कहना वरना हमारी लड़ाई हो जायेगी। मैं दरवाजा बंद करके नहाने जा रही हूँ। अगर तुम्हारा दोस्त आ गया तो मैं तौलिये में लिपट कर थोड़ा सा दरवाजा खोलूंगी और उसे थोड़ी देर के लिए अंदर झाँकने दूंगी, पर दरवाजा पूरा नहीं खोलूंगी। उसके बाद फ़ौरन मैगी के पैकेट ले कर तुरंत ही दरवाजा बंद कर दूंगी। बस? मैं उसका इंतजार नहीं करुँगी, और अगर वह उस समय नहीं आया तो मैं चेंज कर लुंगी। फिर तो मैं उसे पुरे कपड़ों में ही मिलूंगी। ओके? लगता है तुम मुझसे कुछ न कुछ उल्टापुल्टा करवाके ही रहोगे पर अगर कुछ गड़बड़ हो गई, तो मुझे दोष मत देना।"
मैं मन ही मन हंस पड़ा। मुझे पता था की मेरी श्रीमती ऐसा ही कुछ कहेगी। इसी लिए मैंने सुबह ही दरवाजे की चिटकनी का ऊपर का हिस्सा पहले से ही निकाल दिया था ताकि चिटकनी लगाने पर भी दरवाजा बंद ना हो।
मैंने कहा, "तुम मेरी डार्लिंग हो मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और करता रहूंगा। यह करने के लिए मैं तुम्हे जान बुझ कर कह रहा हूँ। यह तो सिर्फ एक मस्ती है। जब वह अपनी शराफत की डिंग मारेगा तब बाद में मैं उसे बहुत चिढ़ाऊंगा। कुछ नहीं होगा। तरुण में उतना दम ही नहीं है की तुम्हें कुछ कर पाए। कुछ होगा तो वह मेरी गलती है, ना की तुम्हारी। मैं तुम्हें कभी भी दोष नहीं दूंगा।"
हमारी बात चित के आधे घंटे में ही तरुण घर पहुंचा और उसने बेल बजाई पर किसीने दरवाजा नहीं खोला। एक दो बार घंटी बजाने के बाद अंदर से दीपा की जोर से आवाज आयी, "कौन है? थोड़ी देर रुको। मैं नहा रही हूँ। आती हूँ।" तरुण दरवाजे के बाहर खड़ा रहा।
कुछ देर हुई तब तरुण ने दरवाजे को धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया। दीपा ने तो अपनी तरफ से चिटकनी लगाई थी, पर मैंने उसका ऊपर का हिस्सा हटा दिया था जिससे चिटकनी लगाने पर भी वह अंदर से बंद ना हो। जब तरुण अंदर आया तो घर में कोई नहीं था। उसने बाथरूम में नहाने की आवाज सुनी। तरुण समझ गया की दीपा बाथरूम में नहा रही थी। तरुण ड्राइंग रूम में बैठ कर इंतेजार करने लगा।
थोड़ी ही देर में दीपा बाथरूम से बाहर आयी। वह तौलिये में लिपटी हुई थी। दरवाजा खोलने के लिए जब वह ड्राइंग रूम में आयी तब उसने तरुण को देखा। तरुण को ड्राइंग रूम में बैठे हुए देख कर मेरी बीबी के तो होश उड़ गए। उसकी समझ में नहीं आया की तरुण अंदर कैसे आ गया। उसने तो दरवाजा अंदर से बंद किया हुआ था। उधर तरुण ने दीपा को तौलिये में लिपटे हुए देखा तो उसकी तो सिटी पट्टी गुम हो गयी। मेरी बीबी का तौलिया कोई ख़ास बड़ी साइज का तो था नहीं। दीपा को देख कर वह सोफे से उठ खड़ा हो गया। दीपा का आधे से ज्यादा बदन खुला हुआ था। उसके उन्नत स्तनोँ का मस्त उभार दिख रहा था। तौलिया दीपा की जांघों तक दीपा की चूत को ही ढके हुए था। दीपा की सुडौल जांघे तरुण को पागल बना रही थी। दीपा के भीगे हुए बाल उसके मुंह और पुरे बदन पर बिखरे हुए थे। भीगी हुयी दीपा उसे सेक्स की मूर्ति लग रही थी।
जब दीपा ने तरुण को देखा तो वह एकदम चिल्लाने लगी। फिर यह सोच कर एकदम चुप हो गयी की कहीं पड़ौसी उसकी चीख सुनकर भागते हुए आ न जाएँ। वह थोडी सहम कर बोली, "अरे तरुण, तुम? यहाँ, इस वक्त? तुम अंदर कैसे आ गये?"
तरुण की जबान पर तो जैसे ताला लग गया था। बड़ी मुश्किल से बोला, "दीपा मुझे माफ़ कर दो। मुझे पता नहीं था की तुम नहा रही हो। मैंने घंटी तो बजायी पर दरवाजे पर कोई न आया। मैंने धक्का मारा तो दरवाजा खुला पाया। दीपक ने फ़ोन किया था की तुम्हे मैगी के दो पैकेट चाहिए। वह देर से आयेगा इस लिए उसने यह पैकेट मुझे लाकर तुम्हे देने के लिए बोला।"
जब दीपा मैगी लेने करीब आयी तो तरुण ने दीपा को मैगी के दो पैकेट हाथ में थमाये। पर उसकी नजर तो दीपा के मम्मो पर अटकी हुयी थी। तरुण अपनी नजरें तौलिया और मेरी बीबी के आधे नंगे बदन के बिच में से हटा ही नहीं पा रहा था। हालाँकि दीपा ने तौलिया एकदम ताकत से पकड़ रखा था, दीपा के स्तन तौलिये में समा नहीं रहे थे और बाहर से ही उनके काफी बड़े हिस्से दिखायी दे रहे थे। दीपा की जांघे घुटने से काफी ऊपर तक नंगी थीं। अगर तरुण निचे झुकता और देखता तो उसे मेरी बीबी की रसीली चूत उसकी नज़रों के सामने साफ़ साफ़ दिख जाती। उस समय तरुण का मन किया की वह दीपा को अपने आहोश में कस कर जकड़ ले, उसके तौलिये को एक हाथ से खिंच कर खोल कर फेंक दे, दीपा को नंगी कर दे और वहीँ दीपा को सोफे पर सुला कर उस पर चढ़ जाय और चोद डाले। तरुण का तगड़ा लण्ड उसकी पतलून में खड़ा हो गया।
जब दीपा की नजर तरुण की टांगों के बिच गयी तो उसके होश उड़ गए। तरुण का लण्ड उसकी पतलून में बहोत बड़ा तम्बू बनाये हुए लोहे के हथोड़े की तरह खड़ा साफ़ साफ़ दिख रहा था। मैंने मेरी बीबी को तरुण के लम्बे लण्ड का जो विवरण दिया था वह याद कर मेरी बीबी के तो होश उड़ गए। दीपा को यह एक खतरे की घंटी से कम नहीं लग रहा था। अगर तरुण का दिमाग छटक गया तो यह तय था की तरुण एक झटके में दीपा के तौलिये को खिंच कर फेंक देगा और दीपा को नंगी कर अपना पतलून खोल कर अपना लण्ड बाहर निकालेगा। वह लण्ड एक तगड़ा हथियार बन दीपा की चूत में घुस कर दीपा की चूत को फाड़ के रख देगा। दीपा की जान यह सोच कर उसकी हथेली में आ गयी की अगर ऐसा हुआ तो दीपा की तो ऐसी की तैसी हो जायेगी।
तरुण दीपा के अधनंगे बदन को देख कर अपना नियंत्रण रख नहीं पाया। उसने आगे बढ़ कर दीपा को अपनी बाँहों में ले लिया। दीपा ने तो पहले से ही तरुण के मन के भाव भाँप लिए थे। उसने आपना तौलिया और ताकत से पकड़ा। दीपा की अपनी समस्या थी। वह एक हाथ में तौलिया पकडे थी और दूसरे हाथ में मैगी। वह तरुण का विरोध करने में असमर्थ थी। उसने अपने बदन को हिला हिला कर तरुण के बाहुपाश से छूटने की बड़ी कोशिश की, पर तरुण की ताकत के सामने उसकी एक न चली। दीपा ने देखा की तरुण का लण्ड फूल कर उसकी पतलून में बड़ा टेंट बना रहा था।
तरुण ने उसे अपनी बाहोँ में लपेट कर अपने होठ दीपा के होठ पर रखना चाहा। जब वह दूसरे हाथ से दीपा के तौलिये का एक छोर पकड़कर दीपा का तौलिया खोलने की कोशिश करने लगा तब दीपा ने एक हाथ में पकड़ा मैगी का पैकेट फेंक दिया और उस हाथ से तरुण को धक्का देकर दूर हटाया और भागती हुयी बैडरूम में चली गयी। अचानक उसे ध्यान आया की उसने अपने पीछे बैडरूम का दरवाजा तो बंद नहीं किया था। वह डर के मारे कांप रही थी की कहीं तरुण पीछे पीछे बैडरूम में न आ जाए। पर जब दीपा ने पीछे मुड़कर देखा तो तरुण भौंचक्का सा ड्राइंग रूम में बुत की तरह खड़ा उसे देख रहा था।
तब मेरी बीबी कुछ शांत हुई और उसने बैडरूम का दरवाजा बंद किया और थोड़ी देर में जल्दी से नाईट गाउन पहन कर बाहर आयी। तरुण ड्राइंग रूम में ही था। बरबस ही दीपा की नजर तरुण की टाँगों के बिच गयी। तरुण का तगड़ा लण्ड उस वक्त भी वैसे ही खड़ा का खड़ा था। दीपा ने अपने केश बाँधे नहीं थे। खुले बालों में वो फिर भी उतनी ही सेक्सी लग रही थी। तरुण ने देखा की गाउन के नीचे शायद दीपा ने कुछ और पहना नहीं था। क्योंकि उसके बदन के सारे उभार उसके गाउन में से साफ़ नजर आ रहे थे। उस वक्त तरुण की शक्ल रोनी सी हो गयी।
तरुण ने नीचे झुक कर दीपा से कहा, "भाभी मुझे माफ़ कर दीजिये। आप को उस हालत में देख कर मैं अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पाया। मैंने बड़ी भारी गलती कर दी। जब तक आप मुझे माफ़ नहीं करेंगे तब तक मैं यहां से नहीं जाऊँगा। और दीपक को इस बारेमें मत बताइयेगा। कहीं वह मुझसे बोलना बंद न कर दे।"
दीपा तो जानती थी की उस ने ही तरुण को उकसाया था। उसे तो पता था की अगर तरुण ने उसे ऐसी हालत में देखा तो क्या होगा। वह शुक्र मना रही थी की तरुण उसके पीछे बैडरूम में नहीं आया। अगर वह आया होता तो दीपा उसे रोक नहीं पाती। दीपा की समझ में यह नहीं आया की दरवाजा तो उसने बंद किया था फिर वह खुल कैसे गया? दीपा ने देखा तो चिटकनी तो ऊपर तक चढ़ी हुई थी।
खैर भगवान का लाख लाख शुक्र की कुछ हुआ नहीं। दीपा ने राहत की साँस ली और थोड़ा सा मुस्करा कर बोली, "तरुण तुम कोई चिंता मत करो। जो हुआ इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। मुझे भी उस हालात में ड्राइंग रूम में नहीं आना चाहिए था। तुम्हारी जगह कोई और भी तो हो सकता था। तब तो और भी मुसीबत हो जाती। मैं दीपक को कुछ नहीं बताऊंगी। मैं चिल्लाने के लिए शर्मिंदा हूँ। तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ।" यह कह कर दीपा रसोई में से चाय बना कर ले आयी।
तरुण को चाय देते हुए दीपा ने तरुण से कहा, "माफ़ी तो मुझे भी तुमसे मांगनी है। मैंने तुम्हारी गिफ्ट को नकार दिया था उसके लिए प्लीज मुझे माफ़ कर देना। मैं तुम्हें गलत समझ रही थी। दीपक ने मुझे बताया की तुम वह गिफ्ट उसे पूछ कर ही मुझे दे रहे थे।"
फिर दीपा ने उसे शरारत भरे लहजे में कहा, "तरुण मुझे गिफ्ट देकर तुम ने घाटे का सौदा कर लिया है। अब मुझे वह गिफ्ट चाहिए। और वह ही नहीं और भी गिफ्ट लाते रहना।" ऐसा बोल कर दीपा हँस पड़ी।
तरुण ने भी उसी लहजे में कहा, "भाभी, आपके लिए गिफ्ट तो क्या, मेरी जान भी हाजिर है।"
दीपा ने भी उसी अंदाज में हँसते हुए कहा, "जान तो आप टीना के लिए ही रखना। मुझे तो सिर्फ गिफ्ट ही चाहिए।"
उस दिन जब मैं शाम को घर लौटा तो मैंने देखा की दीपा मुझसे कोई बात नहीं कर रही थी। खाना लगा दिया था तो उसने इशारे से ही बता दिया। काफी गुस्से में लग रही थी। मेरी आँखों से आँखें मिलाने से कतरा रही थी। मैं फ़ौरन समझ गया उस दिन कुछ ना कुछ तो हुआ था। मैं तरुण को तो जानता ही था। अगर मौक़ा मिला तो तरुण दीपा को छोड़ेगा नहीं। खैर जब दीपा का ध्यान नहीं था तब मैंने चिटकनी का ऊपर का हिस्सा फिर लगा दिया।
मैंने सोचा, हो भी सकता है की तरुण ने मेरी बीबी को तौलिये में देखकर कहीं उसे पकड़ कर चोद ही ना दिया हो। मैं चुप रहा। मैंने रात को सोते समय भी पूछने की बड़ी कोशिश की पर वह कुछ ना बोली, उलटा बेटे को हमारे बिच में सुलाकर खुद सो गयी। मैंने एक बार बच्चे के बदन के ऊपर से जब दीपा का हाथ पकड़ा तो दीपा ने मेरा हाथ जोर से झटका मार कर उसे हटा दिया।
मैं चुप रहा। मुझे नींद नहीं आ रही थी। जैसे तैसे मैं कुछ देर सोया पर मुझसे रहा नहीं गया। आखिर में रात को करीब दो बजे मैं उठा और दीपा के पास जा कर सो गया। दीपा को अपनी बाँहों में लेकर मैंने उसे पूछ ही डाला, "डार्लिंग बताओ ना क्या तरुण आया था? क्या हुआ?"
दीपा थकी हुई थी। वह बात करने के मूड में नहीं थी। मैं अपने आपको रोक नहीं पाया। मैंने उसके गाउन में हाथ डाल कर उसकी चूँचियों को मसलते हुए उसे फिरसे पूछा, "डार्लिंग बताओ ना क्या हुआ?"
दीपा अपनी आँखें मसलते हुए बोली, "क्या होना था? जो तुम सोच रहे हो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अब सो जाओ।"
मैंने जिद करते हुए पूछा, "नहीं डार्लिंग बताओ ना, क्या हुआ?"
जब दीपा को लगा की मैं उसे छोडूंगा नहीं, तब वह मेरी बात सुनकर थोडी सी गंभीर हो गयी और बोली, "तुम उस दिन तरुण के बारे में मुझे खरी खोटी सूना रहे थे न? तो सुनो, तरुण निहायत ही शरीफ इंसान है। तुम्हारे कहने पर मैं जब तरुण के सामने तौलिया पहन के आयी तो पता है क्या हुआ? पहले तो मैं हैरान रह गयी जब मैंने पाया की तरुण घर के अंदर है। मेरी समझ में यह नहीं आया की मैंने तो दरवाजा बंद किया था, पर पता नहीं वह खुल कैसे गया?
मैंने तो चिटकनी लगाई थी। शायद मेरी गलती हुई की आननफानन में मैंने दरवाजा ठीक से बंद नहीं किया होगा। जब मैं तौलिया पहन के बाहर निकली तो तरुण तो ड्राइंग रूम में ही बैठा था। उसे वहाँ बैठे हुए देख कर मेरी तो हालत ही खराब हो गयी। मुझे समझ में नहीं आया की मैं क्या करूँ? तरुण भी मुझे तौलिये में आधी नंगी देख कर बौखला सा गया। उसका चेहरा तो देखते ही बनता था। मुझे उस हालत में देखकर उसका क्या हाल हुआ, यह मैं बयान नहीं कर सकती। पर तरुण ने मुझे उस हालत में देख कर भी अपने आप पर बड़ा ही संयम रखा। वह चाहता तो सब कुछ कर सकता था। मैं भी उसे शायद रोक नहीं पाती। हम एक दूसरे के इतने करीब खड़े थे। तब भी उसने कुछ नहीं किया।"
इतना कह कर मेरी प्यारी दीपा कुछ सहम सी गयी। आगे कुछ कहना चाहती थी पर समझ नहीं पा रही थी की कैसे कहे। फिर कुछ देर थम कर उसने धीरे से कहा, "अब मैं क्या कहूं? तुमने तो मुझे मरवा ही देना था। तौलिये में से मेरे बूब्स आधे तो बाहर निकले थे। तौलिया मेरी जाँघों को भी कवर नहीं कर पा रहा था। आज तरुण की जगह कोई और होता तो मुझे चोद ही देता। जब मैं तरुण के सामने आधी नंगी गयी तो क्या होना था? इतना संयम रखते हुए भी, आखिर तो वह भी एक जवाँमर्द तो है ही ना? तुम ही कहते हो की वह वैसे ही मुझे पर कुछ ज्यादा ही फ़िदा है। मुझे सिर्फ तौलिये में आधी से ज्यादा नंगी देखकर कुछ तो होना ही था। वह थोड़ा सा डगमगा जरूर गया। मुझे तौलिये में लिपटी देखकर वह थोड़ा उत्तेजित हो गया और उसने मुझे खिंच कर बाहों में भी ले लिया। पर अपना तौलिया कस के पकड़ कर मैंने उसे जोर से धक्का दिया और मैं फिर बैडरूम की और भाग निकली। तरुण लड़खड़ा गया और घबरा कर मुझे चुपचाप खड़ा देखता ही रहा। हफडाताफड़ी में मैं पीछे बैडरूम का दरवाजा बंद करना भी भूल गयी।
पर देखो, वह मेरे पीछे भाग कर आ सकता था। पर नहीं आया। मानलो की अगर उसने मुझे अपनी बाहों में से छोड़ा नहीं होता, मुझे अगर पकड़ कर के ही रखा होता, और एक झटके में मेरा तौलिया उतार देता तो मैं क्या करती? मैं तो अंदर से बिलकुल नंगी थी। अगर वह चाहता तो उस दिन मेरे साथ सब कुछ कर सकता था। भला उसकी ताकत के सामने मैं कहाँ टिक पाती? पर उसने कुछ नहीं किया।"
यह कहते हुए दीपा की आँखों में आँसूं आ गए। दीपा प्यार भरे गुस्सेसे मेरी छाती पर अपने हाथों से मुझे हलके से पीटते रोते हुए बोलने लगी, "मैंने आज तय किया था की मैं तुमसे बिलकुल बात नहीं करुँगी। अगर तरुण मेरे साथ जबर्दस्ती करता और जबरदस्ती मेरा तौलिया खोल कर फेंक कर एक ही झटके में मुझे नंगी कर देता तो फिर तो हो जाता ना मेरा कल्याण? अगर मैं थोड़ी सी भी असावध रहती तो वह मुझे छोड़ता नहीं। हम अकेले ही थे। शायद मुझे वहीँ पकड़ कर नंगी ही उठाकर बैडरूम में ले जाता और मुझे पलंग पर पटक कर वहाँ मेरे साथ सब कुछ कर डालता।"
मैंने पूछा, "तुम इतनी बहादुर हो कर इतनी डर क्यों रही हो? आखिर क्या कर डालता तरुण?"
दीपा ने मेरी और गुस्से से देखा और बोली, "तुम पूछ रहे हो तरुण मेरे साथ क्या करता? क्या तुम तुम्हारे दोस्त को जानते नहीं? आखिर वह भी तो एक मर्द है। और तुम तो उसे बहोत अच्छी तरह जानते हो। बड़ा वीर्य वाला मर्द है। उस समय उसका लण्ड उसकी पतलून में फुंफकार रहा था। मैंने देखा की उसकी टांगों के बिच उसका लण्ड तो बड़ा तम्बू बना कर खड़ा हो गया था। अरे मौक़ा मिलते ही वह सब कुछ कर डालता। कुछ भी बाकी नहीं छोड़ता। वह तो मुझे किस करने के लिए बेताब था। वह किस करता, मेरे बूब्स मसलता, मेरी गाँड़ सहलाता, पता नहीं और क्या क्या करता? उस नंगी हालत में मुझको देख कर क्या वह मुझे चोदे बगैर छोड़ता क्या? यार उस हालत में तुम भी किसी औरत के साथ होते तो तुम क्या करते? सच बताओ. और तब मैं क्या करती?"
मेरी बीबी ने एकदम गुस्से में मुझे झकझोरते हुए पूछा, "बोलो? मैं क्या करती? मैं चिल्ला भी तो नहीं सकती थी, वरना आसपास वाले सब इकट्ठे हो जाते और बदनामी तो मेरी ही होती न? मैं नंगी, अकेली उसकी ताकत के सामने क्या कर पाती? अगर आज वह मुझे पलंग पर लिटा कर ऊपर चढ़कर अपना लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ देता तो फिर क्या मैं उसे रोक पाती? आज मुझे तरुण चोद ही देता, क्यूंकि तुम तो जानते हो की वह हाथ धो कर मेरे पीछे पड़ा हुआ है। आज उसे मौक़ा मिला था। वह मुझे चोदे बगैर छोड़ता ही नहीं, तब मैं क्या करती? और कोई भी मर्द उसकी जगह होता तो वह मुझे चोदे बगैर छोड़ता क्या?"
दीपा ने मेरी और ताकते हुए पूछा, "बताओ, मैं ठीक कह रही हूँ की नहीं?"
जिस तरह से मेरी बीबी ने मुझे तरुण क्या क्या कर सकता था यह इतने विस्तार से बताया तब मुझे शक हुआ की कहीं उसको अफ़सोस तो नहीं हुआ की तरुण ने ऐसा कुछ नहीं किया? या फिर कहीं ऐसा तो नहीं की मेरी गैर हाजरी में सब कुछ हो चुका था, और मेरी बीबी उसे छुपा रही थी?
जब मैं चुप रहा तो दीपा बोली, "पर देखो यह सच है की तरुण ने ऐसा कुछ नहीं किया। वह मेरे पीछे पीछे बैडरूम में नहीं आया। मैं जब चेंज कर फिर वापस बाहर आयी तो तुरंत उसने मुझसे माफ़ी भी मांगी। तब उसने मुझे छुआ तक नहीं। यह सब जो हुआ इसके लिए मैं तुम्हें जिम्मेवार मानती हूँ। तुम मुझसे ऐसे गलत सलत काम क्यों करवा रहे हो? देखो इसका अंजाम ठीक नहीं होगा। अगर आज मैं थोड़ी सी भी कमजोरी या असहायता दिखा देती तो बापरे तरुण ने मुझसे सब कुछ कर लिया होता और मैं तुम्हें मुंह दिखाने के लायक भी नहीं रहती। पर उसने ऐसा कुछ नहीं किया और मुझे एक बड़ी शर्मिंदगी से बचा लिया।"
एक तरफ मेरी बीबी यह कह रही थी की तरुण ने उसे छुआ भी नहीं पर साथ ही साथ मैं उसने यह भी कह दिया की तरुण ने उसे अपनी बाहों में ले लिया था और मौक़ा मिलता तो तरुण उसे चोद भी डालता। मैं समझ गया की दीपा की समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या कहे? मुझे समझ में नहीं आया की मेरी बीबी तरुण की तारीफ़ कर रही थी या शिकायत? जब तरुण ने मेरी बीबी को खिंच कर अपनी बाँहों में ले लिया तो क्या उसे डर था की तरुण उसे कहीं चोद ना डाले? या क्या उसे उम्मीद थी की तरुण उस पर जबरदस्ती कर उसे चोद ही डाले?
दीपा मेरे पास आयी और मुझे अपने हाथों से मेरी छाती पर पिटनेका नाटक करती हुई बोली, "यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है । न तुम मुझे तरुण को उकसाने के लिए कहते और न यह सब होता। मुझे आज इतनी शर्मिंदगी महसूस हो रही है। तरुण ने कुछ नहीं किया पर आज उसने मुझे आधी नंगी तो देख ही लिया। और कहीं न कहीं उसके मन में तुमने मुझे चोदने का आईडिया तो आज डाल ही दिया। यह तुमने अच्छा नहीं किया डार्लिंग।" यह बोलते हुए भी मेरी बीबी का मुंह शर्म से जैसे लाल हो गया।
तब मैंने अपनी बीबी के गाल चूमकर कहा, "जानू, देखो, तुम इतनी परेशान न हो। तरुण ने आज तुम्हें सिर्फ आधा नंगा ही देखा ना? उसने तुम्हें पूरा नंगा तो नहीं देखा ना? स्विमिंग पूल बगैरह में आजकल महिलायें आधी नंगीं क्या, लगभग नंगी ही सबके सामने नहाती भी हैं और घूमती भी हैं। वह ऐसा पहनावा पहनतीं हैं की उनकी चूत की झाँट साफ़ ना हो तो उनके बाल भी दीखते है। और इंटरनेट पर तो पूरी नंगी लडकियां दिखती हैं। कोई रोकटोक नहीं। उनको तो कोई कुछ नहीं कहता? तुमने तो फिर भी तौलिया पहन रखा था।
और जहां तक तुम्हें चोदने के आईडिया की बात है तो क्या तुम यह समझती हो की इसके पहले तरुण के मन में ऐसा आईडिया नहीं आया होगा? तुम्हारे जैसी खूबसूरत बदन वाली सेक्सी औरत को देख कर जिस आदमी का लण्ड इस तरह खड़ा हो जाता हो, क्या उसके मन में तुम्हें चोदने का आईडिया नहीं आया होगा? क्या बच्चों वाली बातें करती हो? अरे! वह तो तुम्हें मन ही मन में कई बार पहले ही चोद चुका होगा और तुम्हें याद करके कई बार मुठ मार कर अपना माल निकाल चुका होगा। यह भी समझलो की तुम्हें याद करते हुए वह अपनी बीबी को भी दीपा समझ कर ही चोदता होगा।"
मेरी बात सुन कर मेरी बीबी हैरानगी से बिना कुछ बोले मुझे काफी देर तक देखती रही। उसके दिमाग में उस समय क्या चल रहा होगा वह समझना मेरे लिए नामुमकिन था। पर मेरी दलील सटीक थी और मेरी बीबी भी समझ रही थी की मैं सही कह रहा था। दीपा समझ चुकी थी की वाकई में ही अगर तरुण को सही मौक़ा मिला और दीपा ने उसका विरोध नहीं किया तो तरुण दीपा को चोदे बगैर छोड़ेगा नहीं। मैंने यह महसूस किया की मेरी बात सुनकर वह गरम जरूर हो गयी। उसने अपनी पोजीशन बदली और मेरे पास आ कर मेरे मुंह से अपना मुंह मिला कर मेरे होंठों को बड़े प्यार से चाटने लगी। फिर धीरे से वह मेरे होँठों को मुंह में चूस कर उसकी जीभ अंदर बाहर करने लगी। जैसे अपनी जीभ से मुझे चोद रही हो। मैं बहुत उत्तेजित हो गया था। मेरे लण्ड में गरम खून दौड़ रहा था। उत्तेजना के मारे मैं अपने आप को सम्हाल नहीं पा रहा था।
दीपा ने मेरी जीभ चूसते हुए अपनी आँखें नचाते हुए मेरी और देख कर पूछा, "मियाँ, अगर आपको लगता है ऐसा है, तो फिर ऐसे जोखिम नहीं लिया करते। अगर आज तुम्हारे दोस्त ने मुझे पकड़ कर मेरा तौलिया निकाल कर मुझे चोद दिया होता, तो तुम क्या करते?"
मैंने उसका जवाब देते हुए कहा, "डार्लिंग, तुम कमाल हो! अगर तरुण ने आज तुम्हें चोद दिया होता तो तुम जरूर कुछ देर तक उसका विरोध करती पर जब और कोई चारा नहीं होता तो आखिर में तुमने उससे प्यार से चुदवा ही लिया होता। अगर तरुण ने तुम्हें चोद दिया होता तो क्या हो जाता? कुछ भी नहीं होता। मैंने तुम्हें पहले ही फ़ोन पर क्या कहा था? मैंने कहा था ना की अगर कुछ ऊपर निचे हो गया तो मैं तुम्हें दोषी नहीं मानूंगा। डार्लिंग, मैंने तो मान लिया था और अभी भी मानता हूँ की तरुण ने तुन्हें चोद ही दिया था। क्या तुमको मेरे चेहरे पर कोई शिकन नजर आयी? अगर तरुण ने तुम्हें चोद दिया है अथवा चोद दिया होता तो भी मैं तुम्हें उतना ही प्यार कर रहा हूँ और उतना ही प्यार करता रहूंगा जितना पहले कर रहा था। जब मैं शाम को घर आया तो मैंने तुम्हें जान बुझ कर कुछ भी नहीं पूछा। और ना ही तुमने मुझे कुछ बताया। जब ऐसा हुआ तो मैं यह समझ ने लगा था की तरुण ने तुम्हें चोद ही दिया होगा। सच बताओ डार्लिंग की यह शक मेरे मन में होते हुए भी की तुम तरुण से चुदवा चुकी हो, क्या तुम्हें मेरे वर्ताव में कोई फर्क नजर आया?"
दीपा ने प्यार से मेरी और देखा और शरारत भरी मुस्कान देते हुए सर हिलाकर "ना" का इशारा किया। फिर मेरी बाँहों में सिमट कर बोली, "डार्लिंग मैं सच कहती हूँ, ऐसा कुछ नहीं हुआ। तुम दुनिया के सबसे अच्छे पति हो। पर मुझे परेशान भी बहुत करते हो।"
मैंने मेरी बीबी की चूँचियों को मसलते हुए कहा, "बीबीजी, मैं जानता हूँ की ऐसा कुछ नहीं हुआ। मैं तुम्हें बहोत अच्छी तरह से जानता हूँ। अगर ऐसा हुआ होता तो मुझे तुम्हारी आँखों से ही पता चल जाता। तुम अपनी नजरें ऊपर ही नहीं उठा पाती। यह मेरा तरिका है अपने आपको और तुम्हें गरम करने का, और जिंदगी को उत्तेजित और रोमांचक बनाने का, जिससे जिंदगी में मजा बना रहे। अगर तुम्हें तरुण ने चोद भी दिया है या चोद दिया होता तो क्या फर्क पड़ना था? मैं भी तो तुम्हें चोदता रहता हूँ? इससे क्या फर्क पड़ता है?"
मेरी बीबी मुझे हैरानगी से देखती रही। उसकी समझ में नहीं आ रहा था की उसका पति किस मिटटी का बना हुआ है। मुझे एक गहरी किस कर मेरे कान में फुसफुसाई, "डार्लिंग, तुम वाकई दुनिया के बेस्ट हस्बैंड हो। आई लव यू।" और यह कह कर दुबारा मेरे होंठों को चूमकर, "अब सोने दो। कल सुबह मुन्नू को कॉलेज जाना है। गुड नाईट" कह कर पलट कर सो गयी।
मैं ऑफिस के लिए निकल ने में थोड़ा लेट हो गया था। आखिर मैं जब ऑफिस जा रहा था तब मैंने जाते जाते दीपा को एक लम्बी सी किस होठों पर की। फिर बाई बाई करते हुए कहा, "तुम्हे याद तो है ना? आज तुम्हें एक बार तरुण को थोड़ा उकसा कर उसका टेस्ट करना है। बोलो करोगी ना?"
मुझे जल्दी घर से ऑफिस को रवाना करने के लिए मेरी पत्नी दीपा मुझे खींचती हुई बाहर आँगन तक ले आयी और बोली, "ठीक है बाबा, याद है। मैं सोचूंगी। अब ऑफिस भी जाओगे या तुम्हारे दोस्त को उकसाने के बारे में ही बातें करते रहोगे?
बाहर आँगन पहुँचते ही मैं फिर पलटा और उसको बाँहों में जकड कर मेरी बीबी के होँठों पर अपने होँठ रखते हुए बोला, "सोचना नहीं, करना है। बोलो करोगी ना? वादा करो।"
मुझे बाहर आँगन में सारे रास्ते पर आते जाते हुए राहदारियों और पड़ोसियों के देखते हुए मस्ती करते हुए देख कर दीपा हड़बड़ा गयी और बोली, "तुम कैसे पागल हो। क्या कर रहे हो? आसपास सब लोग देख रहे हैं। ठीक है बाबा मैं करुँगी। वादा करती हूँ। अब तुम जाओ भी।"
मैं हँसते हुए चल पड़ा। मुझे पता था की दीपा मेरे जाने के करीब डेढ़ घंटे के बाद ठीक १० बज कर ३० मिनट पर नहाने जाती थी।
उस दिन १० बजे मैंने तरुण से फ़ोन पर पूछा, "दीपा ने मुझे मैगी के दो पैकेट लाने के लिए कहा था, पर मुझे अभी काम है। मैं जा नहीं पाउँगा। क्या तुम अभी मैगी के दो पैकेट दीपा को घर दे आओगे? मैं तुम्हारा एहसानमंद रहूँगा।"
मैं जानता था की तरुण को तो मेरे घर जाने का बहाना चाहिए था। उसे इससे बढ़िया बहाना और क्या मिल सकता था? उसने तुरंत कहा की वह मेरे घर के पास से ही गुजर रहा था। वह जरूर मैगी के पैकेट पहुंचा देगा। मैंने तुरंत दीपा को फ़ोन किया और बोला, "दीपा डार्लिंग, तरुण थोड़ी देर में मैगी के पैकेट ले कर हमारे घर आएगा। क्या उसका स्वागत करने के लिए तैयार रहोगी?"
दीपा ने झुंझलाते हुए कहा, " तुम्हें ऑफिस में कुछ काम धंधा है की नहीं? की तुम हमेशा ऐसी ही चीज़ों के बारेमें सोचते रहते हो? तुम क्या अभी तक उस बात को भूले नहीं हो? तुम तरुण की परीक्षा कर रहे हो या मेरी? आखिर तुम चाहते क्या हो?"
मैंने कहा,"तुम मुझे यह बताओ, तुम करोगी या नहीं?"
तब दीपा ने असहायता दिखाते हुए कहा, "मैं क्या करूँ? ठीक है बाबा, अभी तो मैं नहाने जा रही हूँ। फिर मैं कुछ सोचती हूँ।"
मैंने कहा, "देखो, तुमने मुझसे वादा किया था की तुम उसे उकसाओगी।"
दीपा ने कहा, "नहीं बाबा नहीं, मैं तुम्हारे दोस्त को बिलकुल उकसाऊँगी नहीं। मरना है मुझे किसी गैर मर्द को उकसा कर? और वह भी जब तुम नहीं हो। ना यह मुझसे नहीं होगा।"
मैं जानता था की मेरी बीबी ऐसा ही कुछ कहेगी। मैं तैयार था। मैंने कहा, "अच्छा, एक काम तो तुम कर सकती हो ना? तुम नहाने तो जा ही रही हो ना? तो जब तरुण आये तो तुम तौलिये में घर के अंदर रह कर एक बार उसे दरवाजे के बाहर खड़ा रख कर दरवाजा थोडा सा खोल करअपने दर्शन दे देना। बस? फिर फ़ौरन बाद में चाहे दरवाजा बंद कर देना। उसके बाद देखना क्या वह तुम्हें दरवाजा खोलने के लिए जिद करता है की नहीं? अगर वह तुम्हें दरवाजा खोलने के लिए बार बार मिन्नतें करे तो समझो की वह लम्पट है। अगर वह चुचाप दरवाजे के बाहर खड़ा रहता है ताकि तुम कपडे पहन लो या चला जाता है तो समझो की वह सज्जन है। बस इतना तो तुम कर सकती हो ना? प्लीज मेरी इतनी सी बात तो तुम मान लो?"
दीपा मेरी बात सुनकर कुछ देर चुप सोचती रही, फिर झल्ला कर बोली, "कैसे पति हो तुम? अपनी बीबी के बदन का ही प्रदर्शन करवाने पर तुले हो? देखो तुम यह ठीक नहीं कर रहे हो। मैंने भूल की की तुम्हें इस बात में हाँ कर दी।"
मैंने फ़ोन में ही मेरी बीबी को हाथ जोड़ते हुए कहा, "देखो मैं फ़ोन पर हाथ जोड़ कर कहता हूँ की एक बार तो हम देखें की तरुण कितने पानी में है? अगर तुम्हारे दरवाजे ना खोलने पर वह तुमसे दरवाजा खोलने के लिए जबरदस्ती करे तो तुम दरवाजा मत खोलना। तुम चीखना चिल्लाना या जो चाहे करना। ठीक है?"
आखिर में दीपा ने हथियार डालते हुए झल्ला कर कहा, "ठीक है। तुम मुझे बहुत परेशान कर रहे हो। बस इस बार पहली और आखिरी बार मैं मान रही हूँ। आगे से ऐसे बेतुका काम करने के लिए मुझे मत कहना वरना हमारी लड़ाई हो जायेगी। मैं दरवाजा बंद करके नहाने जा रही हूँ। अगर तुम्हारा दोस्त आ गया तो मैं तौलिये में लिपट कर थोड़ा सा दरवाजा खोलूंगी और उसे थोड़ी देर के लिए अंदर झाँकने दूंगी, पर दरवाजा पूरा नहीं खोलूंगी। उसके बाद फ़ौरन मैगी के पैकेट ले कर तुरंत ही दरवाजा बंद कर दूंगी। बस? मैं उसका इंतजार नहीं करुँगी, और अगर वह उस समय नहीं आया तो मैं चेंज कर लुंगी। फिर तो मैं उसे पुरे कपड़ों में ही मिलूंगी। ओके? लगता है तुम मुझसे कुछ न कुछ उल्टापुल्टा करवाके ही रहोगे पर अगर कुछ गड़बड़ हो गई, तो मुझे दोष मत देना।"
मैं मन ही मन हंस पड़ा। मुझे पता था की मेरी श्रीमती ऐसा ही कुछ कहेगी। इसी लिए मैंने सुबह ही दरवाजे की चिटकनी का ऊपर का हिस्सा पहले से ही निकाल दिया था ताकि चिटकनी लगाने पर भी दरवाजा बंद ना हो।
मैंने कहा, "तुम मेरी डार्लिंग हो मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और करता रहूंगा। यह करने के लिए मैं तुम्हे जान बुझ कर कह रहा हूँ। यह तो सिर्फ एक मस्ती है। जब वह अपनी शराफत की डिंग मारेगा तब बाद में मैं उसे बहुत चिढ़ाऊंगा। कुछ नहीं होगा। तरुण में उतना दम ही नहीं है की तुम्हें कुछ कर पाए। कुछ होगा तो वह मेरी गलती है, ना की तुम्हारी। मैं तुम्हें कभी भी दोष नहीं दूंगा।"
हमारी बात चित के आधे घंटे में ही तरुण घर पहुंचा और उसने बेल बजाई पर किसीने दरवाजा नहीं खोला। एक दो बार घंटी बजाने के बाद अंदर से दीपा की जोर से आवाज आयी, "कौन है? थोड़ी देर रुको। मैं नहा रही हूँ। आती हूँ।" तरुण दरवाजे के बाहर खड़ा रहा।
कुछ देर हुई तब तरुण ने दरवाजे को धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया। दीपा ने तो अपनी तरफ से चिटकनी लगाई थी, पर मैंने उसका ऊपर का हिस्सा हटा दिया था जिससे चिटकनी लगाने पर भी वह अंदर से बंद ना हो। जब तरुण अंदर आया तो घर में कोई नहीं था। उसने बाथरूम में नहाने की आवाज सुनी। तरुण समझ गया की दीपा बाथरूम में नहा रही थी। तरुण ड्राइंग रूम में बैठ कर इंतेजार करने लगा।
थोड़ी ही देर में दीपा बाथरूम से बाहर आयी। वह तौलिये में लिपटी हुई थी। दरवाजा खोलने के लिए जब वह ड्राइंग रूम में आयी तब उसने तरुण को देखा। तरुण को ड्राइंग रूम में बैठे हुए देख कर मेरी बीबी के तो होश उड़ गए। उसकी समझ में नहीं आया की तरुण अंदर कैसे आ गया। उसने तो दरवाजा अंदर से बंद किया हुआ था। उधर तरुण ने दीपा को तौलिये में लिपटे हुए देखा तो उसकी तो सिटी पट्टी गुम हो गयी। मेरी बीबी का तौलिया कोई ख़ास बड़ी साइज का तो था नहीं। दीपा को देख कर वह सोफे से उठ खड़ा हो गया। दीपा का आधे से ज्यादा बदन खुला हुआ था। उसके उन्नत स्तनोँ का मस्त उभार दिख रहा था। तौलिया दीपा की जांघों तक दीपा की चूत को ही ढके हुए था। दीपा की सुडौल जांघे तरुण को पागल बना रही थी। दीपा के भीगे हुए बाल उसके मुंह और पुरे बदन पर बिखरे हुए थे। भीगी हुयी दीपा उसे सेक्स की मूर्ति लग रही थी।
जब दीपा ने तरुण को देखा तो वह एकदम चिल्लाने लगी। फिर यह सोच कर एकदम चुप हो गयी की कहीं पड़ौसी उसकी चीख सुनकर भागते हुए आ न जाएँ। वह थोडी सहम कर बोली, "अरे तरुण, तुम? यहाँ, इस वक्त? तुम अंदर कैसे आ गये?"
तरुण की जबान पर तो जैसे ताला लग गया था। बड़ी मुश्किल से बोला, "दीपा मुझे माफ़ कर दो। मुझे पता नहीं था की तुम नहा रही हो। मैंने घंटी तो बजायी पर दरवाजे पर कोई न आया। मैंने धक्का मारा तो दरवाजा खुला पाया। दीपक ने फ़ोन किया था की तुम्हे मैगी के दो पैकेट चाहिए। वह देर से आयेगा इस लिए उसने यह पैकेट मुझे लाकर तुम्हे देने के लिए बोला।"
जब दीपा मैगी लेने करीब आयी तो तरुण ने दीपा को मैगी के दो पैकेट हाथ में थमाये। पर उसकी नजर तो दीपा के मम्मो पर अटकी हुयी थी। तरुण अपनी नजरें तौलिया और मेरी बीबी के आधे नंगे बदन के बिच में से हटा ही नहीं पा रहा था। हालाँकि दीपा ने तौलिया एकदम ताकत से पकड़ रखा था, दीपा के स्तन तौलिये में समा नहीं रहे थे और बाहर से ही उनके काफी बड़े हिस्से दिखायी दे रहे थे। दीपा की जांघे घुटने से काफी ऊपर तक नंगी थीं। अगर तरुण निचे झुकता और देखता तो उसे मेरी बीबी की रसीली चूत उसकी नज़रों के सामने साफ़ साफ़ दिख जाती। उस समय तरुण का मन किया की वह दीपा को अपने आहोश में कस कर जकड़ ले, उसके तौलिये को एक हाथ से खिंच कर खोल कर फेंक दे, दीपा को नंगी कर दे और वहीँ दीपा को सोफे पर सुला कर उस पर चढ़ जाय और चोद डाले। तरुण का तगड़ा लण्ड उसकी पतलून में खड़ा हो गया।
जब दीपा की नजर तरुण की टांगों के बिच गयी तो उसके होश उड़ गए। तरुण का लण्ड उसकी पतलून में बहोत बड़ा तम्बू बनाये हुए लोहे के हथोड़े की तरह खड़ा साफ़ साफ़ दिख रहा था। मैंने मेरी बीबी को तरुण के लम्बे लण्ड का जो विवरण दिया था वह याद कर मेरी बीबी के तो होश उड़ गए। दीपा को यह एक खतरे की घंटी से कम नहीं लग रहा था। अगर तरुण का दिमाग छटक गया तो यह तय था की तरुण एक झटके में दीपा के तौलिये को खिंच कर फेंक देगा और दीपा को नंगी कर अपना पतलून खोल कर अपना लण्ड बाहर निकालेगा। वह लण्ड एक तगड़ा हथियार बन दीपा की चूत में घुस कर दीपा की चूत को फाड़ के रख देगा। दीपा की जान यह सोच कर उसकी हथेली में आ गयी की अगर ऐसा हुआ तो दीपा की तो ऐसी की तैसी हो जायेगी।
तरुण दीपा के अधनंगे बदन को देख कर अपना नियंत्रण रख नहीं पाया। उसने आगे बढ़ कर दीपा को अपनी बाँहों में ले लिया। दीपा ने तो पहले से ही तरुण के मन के भाव भाँप लिए थे। उसने आपना तौलिया और ताकत से पकड़ा। दीपा की अपनी समस्या थी। वह एक हाथ में तौलिया पकडे थी और दूसरे हाथ में मैगी। वह तरुण का विरोध करने में असमर्थ थी। उसने अपने बदन को हिला हिला कर तरुण के बाहुपाश से छूटने की बड़ी कोशिश की, पर तरुण की ताकत के सामने उसकी एक न चली। दीपा ने देखा की तरुण का लण्ड फूल कर उसकी पतलून में बड़ा टेंट बना रहा था।
तरुण ने उसे अपनी बाहोँ में लपेट कर अपने होठ दीपा के होठ पर रखना चाहा। जब वह दूसरे हाथ से दीपा के तौलिये का एक छोर पकड़कर दीपा का तौलिया खोलने की कोशिश करने लगा तब दीपा ने एक हाथ में पकड़ा मैगी का पैकेट फेंक दिया और उस हाथ से तरुण को धक्का देकर दूर हटाया और भागती हुयी बैडरूम में चली गयी। अचानक उसे ध्यान आया की उसने अपने पीछे बैडरूम का दरवाजा तो बंद नहीं किया था। वह डर के मारे कांप रही थी की कहीं तरुण पीछे पीछे बैडरूम में न आ जाए। पर जब दीपा ने पीछे मुड़कर देखा तो तरुण भौंचक्का सा ड्राइंग रूम में बुत की तरह खड़ा उसे देख रहा था।
तब मेरी बीबी कुछ शांत हुई और उसने बैडरूम का दरवाजा बंद किया और थोड़ी देर में जल्दी से नाईट गाउन पहन कर बाहर आयी। तरुण ड्राइंग रूम में ही था। बरबस ही दीपा की नजर तरुण की टाँगों के बिच गयी। तरुण का तगड़ा लण्ड उस वक्त भी वैसे ही खड़ा का खड़ा था। दीपा ने अपने केश बाँधे नहीं थे। खुले बालों में वो फिर भी उतनी ही सेक्सी लग रही थी। तरुण ने देखा की गाउन के नीचे शायद दीपा ने कुछ और पहना नहीं था। क्योंकि उसके बदन के सारे उभार उसके गाउन में से साफ़ नजर आ रहे थे। उस वक्त तरुण की शक्ल रोनी सी हो गयी।
तरुण ने नीचे झुक कर दीपा से कहा, "भाभी मुझे माफ़ कर दीजिये। आप को उस हालत में देख कर मैं अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पाया। मैंने बड़ी भारी गलती कर दी। जब तक आप मुझे माफ़ नहीं करेंगे तब तक मैं यहां से नहीं जाऊँगा। और दीपक को इस बारेमें मत बताइयेगा। कहीं वह मुझसे बोलना बंद न कर दे।"
दीपा तो जानती थी की उस ने ही तरुण को उकसाया था। उसे तो पता था की अगर तरुण ने उसे ऐसी हालत में देखा तो क्या होगा। वह शुक्र मना रही थी की तरुण उसके पीछे बैडरूम में नहीं आया। अगर वह आया होता तो दीपा उसे रोक नहीं पाती। दीपा की समझ में यह नहीं आया की दरवाजा तो उसने बंद किया था फिर वह खुल कैसे गया? दीपा ने देखा तो चिटकनी तो ऊपर तक चढ़ी हुई थी।
खैर भगवान का लाख लाख शुक्र की कुछ हुआ नहीं। दीपा ने राहत की साँस ली और थोड़ा सा मुस्करा कर बोली, "तरुण तुम कोई चिंता मत करो। जो हुआ इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। मुझे भी उस हालात में ड्राइंग रूम में नहीं आना चाहिए था। तुम्हारी जगह कोई और भी तो हो सकता था। तब तो और भी मुसीबत हो जाती। मैं दीपक को कुछ नहीं बताऊंगी। मैं चिल्लाने के लिए शर्मिंदा हूँ। तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ।" यह कह कर दीपा रसोई में से चाय बना कर ले आयी।
तरुण को चाय देते हुए दीपा ने तरुण से कहा, "माफ़ी तो मुझे भी तुमसे मांगनी है। मैंने तुम्हारी गिफ्ट को नकार दिया था उसके लिए प्लीज मुझे माफ़ कर देना। मैं तुम्हें गलत समझ रही थी। दीपक ने मुझे बताया की तुम वह गिफ्ट उसे पूछ कर ही मुझे दे रहे थे।"
फिर दीपा ने उसे शरारत भरे लहजे में कहा, "तरुण मुझे गिफ्ट देकर तुम ने घाटे का सौदा कर लिया है। अब मुझे वह गिफ्ट चाहिए। और वह ही नहीं और भी गिफ्ट लाते रहना।" ऐसा बोल कर दीपा हँस पड़ी।
तरुण ने भी उसी लहजे में कहा, "भाभी, आपके लिए गिफ्ट तो क्या, मेरी जान भी हाजिर है।"
दीपा ने भी उसी अंदाज में हँसते हुए कहा, "जान तो आप टीना के लिए ही रखना। मुझे तो सिर्फ गिफ्ट ही चाहिए।"
उस दिन जब मैं शाम को घर लौटा तो मैंने देखा की दीपा मुझसे कोई बात नहीं कर रही थी। खाना लगा दिया था तो उसने इशारे से ही बता दिया। काफी गुस्से में लग रही थी। मेरी आँखों से आँखें मिलाने से कतरा रही थी। मैं फ़ौरन समझ गया उस दिन कुछ ना कुछ तो हुआ था। मैं तरुण को तो जानता ही था। अगर मौक़ा मिला तो तरुण दीपा को छोड़ेगा नहीं। खैर जब दीपा का ध्यान नहीं था तब मैंने चिटकनी का ऊपर का हिस्सा फिर लगा दिया।
मैंने सोचा, हो भी सकता है की तरुण ने मेरी बीबी को तौलिये में देखकर कहीं उसे पकड़ कर चोद ही ना दिया हो। मैं चुप रहा। मैंने रात को सोते समय भी पूछने की बड़ी कोशिश की पर वह कुछ ना बोली, उलटा बेटे को हमारे बिच में सुलाकर खुद सो गयी। मैंने एक बार बच्चे के बदन के ऊपर से जब दीपा का हाथ पकड़ा तो दीपा ने मेरा हाथ जोर से झटका मार कर उसे हटा दिया।
मैं चुप रहा। मुझे नींद नहीं आ रही थी। जैसे तैसे मैं कुछ देर सोया पर मुझसे रहा नहीं गया। आखिर में रात को करीब दो बजे मैं उठा और दीपा के पास जा कर सो गया। दीपा को अपनी बाँहों में लेकर मैंने उसे पूछ ही डाला, "डार्लिंग बताओ ना क्या तरुण आया था? क्या हुआ?"
दीपा थकी हुई थी। वह बात करने के मूड में नहीं थी। मैं अपने आपको रोक नहीं पाया। मैंने उसके गाउन में हाथ डाल कर उसकी चूँचियों को मसलते हुए उसे फिरसे पूछा, "डार्लिंग बताओ ना क्या हुआ?"
दीपा अपनी आँखें मसलते हुए बोली, "क्या होना था? जो तुम सोच रहे हो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अब सो जाओ।"
मैंने जिद करते हुए पूछा, "नहीं डार्लिंग बताओ ना, क्या हुआ?"
जब दीपा को लगा की मैं उसे छोडूंगा नहीं, तब वह मेरी बात सुनकर थोडी सी गंभीर हो गयी और बोली, "तुम उस दिन तरुण के बारे में मुझे खरी खोटी सूना रहे थे न? तो सुनो, तरुण निहायत ही शरीफ इंसान है। तुम्हारे कहने पर मैं जब तरुण के सामने तौलिया पहन के आयी तो पता है क्या हुआ? पहले तो मैं हैरान रह गयी जब मैंने पाया की तरुण घर के अंदर है। मेरी समझ में यह नहीं आया की मैंने तो दरवाजा बंद किया था, पर पता नहीं वह खुल कैसे गया?
मैंने तो चिटकनी लगाई थी। शायद मेरी गलती हुई की आननफानन में मैंने दरवाजा ठीक से बंद नहीं किया होगा। जब मैं तौलिया पहन के बाहर निकली तो तरुण तो ड्राइंग रूम में ही बैठा था। उसे वहाँ बैठे हुए देख कर मेरी तो हालत ही खराब हो गयी। मुझे समझ में नहीं आया की मैं क्या करूँ? तरुण भी मुझे तौलिये में आधी नंगी देख कर बौखला सा गया। उसका चेहरा तो देखते ही बनता था। मुझे उस हालत में देखकर उसका क्या हाल हुआ, यह मैं बयान नहीं कर सकती। पर तरुण ने मुझे उस हालत में देख कर भी अपने आप पर बड़ा ही संयम रखा। वह चाहता तो सब कुछ कर सकता था। मैं भी उसे शायद रोक नहीं पाती। हम एक दूसरे के इतने करीब खड़े थे। तब भी उसने कुछ नहीं किया।"
इतना कह कर मेरी प्यारी दीपा कुछ सहम सी गयी। आगे कुछ कहना चाहती थी पर समझ नहीं पा रही थी की कैसे कहे। फिर कुछ देर थम कर उसने धीरे से कहा, "अब मैं क्या कहूं? तुमने तो मुझे मरवा ही देना था। तौलिये में से मेरे बूब्स आधे तो बाहर निकले थे। तौलिया मेरी जाँघों को भी कवर नहीं कर पा रहा था। आज तरुण की जगह कोई और होता तो मुझे चोद ही देता। जब मैं तरुण के सामने आधी नंगी गयी तो क्या होना था? इतना संयम रखते हुए भी, आखिर तो वह भी एक जवाँमर्द तो है ही ना? तुम ही कहते हो की वह वैसे ही मुझे पर कुछ ज्यादा ही फ़िदा है। मुझे सिर्फ तौलिये में आधी से ज्यादा नंगी देखकर कुछ तो होना ही था। वह थोड़ा सा डगमगा जरूर गया। मुझे तौलिये में लिपटी देखकर वह थोड़ा उत्तेजित हो गया और उसने मुझे खिंच कर बाहों में भी ले लिया। पर अपना तौलिया कस के पकड़ कर मैंने उसे जोर से धक्का दिया और मैं फिर बैडरूम की और भाग निकली। तरुण लड़खड़ा गया और घबरा कर मुझे चुपचाप खड़ा देखता ही रहा। हफडाताफड़ी में मैं पीछे बैडरूम का दरवाजा बंद करना भी भूल गयी।
पर देखो, वह मेरे पीछे भाग कर आ सकता था। पर नहीं आया। मानलो की अगर उसने मुझे अपनी बाहों में से छोड़ा नहीं होता, मुझे अगर पकड़ कर के ही रखा होता, और एक झटके में मेरा तौलिया उतार देता तो मैं क्या करती? मैं तो अंदर से बिलकुल नंगी थी। अगर वह चाहता तो उस दिन मेरे साथ सब कुछ कर सकता था। भला उसकी ताकत के सामने मैं कहाँ टिक पाती? पर उसने कुछ नहीं किया।"
यह कहते हुए दीपा की आँखों में आँसूं आ गए। दीपा प्यार भरे गुस्सेसे मेरी छाती पर अपने हाथों से मुझे हलके से पीटते रोते हुए बोलने लगी, "मैंने आज तय किया था की मैं तुमसे बिलकुल बात नहीं करुँगी। अगर तरुण मेरे साथ जबर्दस्ती करता और जबरदस्ती मेरा तौलिया खोल कर फेंक कर एक ही झटके में मुझे नंगी कर देता तो फिर तो हो जाता ना मेरा कल्याण? अगर मैं थोड़ी सी भी असावध रहती तो वह मुझे छोड़ता नहीं। हम अकेले ही थे। शायद मुझे वहीँ पकड़ कर नंगी ही उठाकर बैडरूम में ले जाता और मुझे पलंग पर पटक कर वहाँ मेरे साथ सब कुछ कर डालता।"
मैंने पूछा, "तुम इतनी बहादुर हो कर इतनी डर क्यों रही हो? आखिर क्या कर डालता तरुण?"
दीपा ने मेरी और गुस्से से देखा और बोली, "तुम पूछ रहे हो तरुण मेरे साथ क्या करता? क्या तुम तुम्हारे दोस्त को जानते नहीं? आखिर वह भी तो एक मर्द है। और तुम तो उसे बहोत अच्छी तरह जानते हो। बड़ा वीर्य वाला मर्द है। उस समय उसका लण्ड उसकी पतलून में फुंफकार रहा था। मैंने देखा की उसकी टांगों के बिच उसका लण्ड तो बड़ा तम्बू बना कर खड़ा हो गया था। अरे मौक़ा मिलते ही वह सब कुछ कर डालता। कुछ भी बाकी नहीं छोड़ता। वह तो मुझे किस करने के लिए बेताब था। वह किस करता, मेरे बूब्स मसलता, मेरी गाँड़ सहलाता, पता नहीं और क्या क्या करता? उस नंगी हालत में मुझको देख कर क्या वह मुझे चोदे बगैर छोड़ता क्या? यार उस हालत में तुम भी किसी औरत के साथ होते तो तुम क्या करते? सच बताओ. और तब मैं क्या करती?"
मेरी बीबी ने एकदम गुस्से में मुझे झकझोरते हुए पूछा, "बोलो? मैं क्या करती? मैं चिल्ला भी तो नहीं सकती थी, वरना आसपास वाले सब इकट्ठे हो जाते और बदनामी तो मेरी ही होती न? मैं नंगी, अकेली उसकी ताकत के सामने क्या कर पाती? अगर आज वह मुझे पलंग पर लिटा कर ऊपर चढ़कर अपना लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ देता तो फिर क्या मैं उसे रोक पाती? आज मुझे तरुण चोद ही देता, क्यूंकि तुम तो जानते हो की वह हाथ धो कर मेरे पीछे पड़ा हुआ है। आज उसे मौक़ा मिला था। वह मुझे चोदे बगैर छोड़ता ही नहीं, तब मैं क्या करती? और कोई भी मर्द उसकी जगह होता तो वह मुझे चोदे बगैर छोड़ता क्या?"
दीपा ने मेरी और ताकते हुए पूछा, "बताओ, मैं ठीक कह रही हूँ की नहीं?"
जिस तरह से मेरी बीबी ने मुझे तरुण क्या क्या कर सकता था यह इतने विस्तार से बताया तब मुझे शक हुआ की कहीं उसको अफ़सोस तो नहीं हुआ की तरुण ने ऐसा कुछ नहीं किया? या फिर कहीं ऐसा तो नहीं की मेरी गैर हाजरी में सब कुछ हो चुका था, और मेरी बीबी उसे छुपा रही थी?
जब मैं चुप रहा तो दीपा बोली, "पर देखो यह सच है की तरुण ने ऐसा कुछ नहीं किया। वह मेरे पीछे पीछे बैडरूम में नहीं आया। मैं जब चेंज कर फिर वापस बाहर आयी तो तुरंत उसने मुझसे माफ़ी भी मांगी। तब उसने मुझे छुआ तक नहीं। यह सब जो हुआ इसके लिए मैं तुम्हें जिम्मेवार मानती हूँ। तुम मुझसे ऐसे गलत सलत काम क्यों करवा रहे हो? देखो इसका अंजाम ठीक नहीं होगा। अगर आज मैं थोड़ी सी भी कमजोरी या असहायता दिखा देती तो बापरे तरुण ने मुझसे सब कुछ कर लिया होता और मैं तुम्हें मुंह दिखाने के लायक भी नहीं रहती। पर उसने ऐसा कुछ नहीं किया और मुझे एक बड़ी शर्मिंदगी से बचा लिया।"
एक तरफ मेरी बीबी यह कह रही थी की तरुण ने उसे छुआ भी नहीं पर साथ ही साथ मैं उसने यह भी कह दिया की तरुण ने उसे अपनी बाहों में ले लिया था और मौक़ा मिलता तो तरुण उसे चोद भी डालता। मैं समझ गया की दीपा की समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या कहे? मुझे समझ में नहीं आया की मेरी बीबी तरुण की तारीफ़ कर रही थी या शिकायत? जब तरुण ने मेरी बीबी को खिंच कर अपनी बाँहों में ले लिया तो क्या उसे डर था की तरुण उसे कहीं चोद ना डाले? या क्या उसे उम्मीद थी की तरुण उस पर जबरदस्ती कर उसे चोद ही डाले?
दीपा मेरे पास आयी और मुझे अपने हाथों से मेरी छाती पर पिटनेका नाटक करती हुई बोली, "यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है । न तुम मुझे तरुण को उकसाने के लिए कहते और न यह सब होता। मुझे आज इतनी शर्मिंदगी महसूस हो रही है। तरुण ने कुछ नहीं किया पर आज उसने मुझे आधी नंगी तो देख ही लिया। और कहीं न कहीं उसके मन में तुमने मुझे चोदने का आईडिया तो आज डाल ही दिया। यह तुमने अच्छा नहीं किया डार्लिंग।" यह बोलते हुए भी मेरी बीबी का मुंह शर्म से जैसे लाल हो गया।
तब मैंने अपनी बीबी के गाल चूमकर कहा, "जानू, देखो, तुम इतनी परेशान न हो। तरुण ने आज तुम्हें सिर्फ आधा नंगा ही देखा ना? उसने तुम्हें पूरा नंगा तो नहीं देखा ना? स्विमिंग पूल बगैरह में आजकल महिलायें आधी नंगीं क्या, लगभग नंगी ही सबके सामने नहाती भी हैं और घूमती भी हैं। वह ऐसा पहनावा पहनतीं हैं की उनकी चूत की झाँट साफ़ ना हो तो उनके बाल भी दीखते है। और इंटरनेट पर तो पूरी नंगी लडकियां दिखती हैं। कोई रोकटोक नहीं। उनको तो कोई कुछ नहीं कहता? तुमने तो फिर भी तौलिया पहन रखा था।
और जहां तक तुम्हें चोदने के आईडिया की बात है तो क्या तुम यह समझती हो की इसके पहले तरुण के मन में ऐसा आईडिया नहीं आया होगा? तुम्हारे जैसी खूबसूरत बदन वाली सेक्सी औरत को देख कर जिस आदमी का लण्ड इस तरह खड़ा हो जाता हो, क्या उसके मन में तुम्हें चोदने का आईडिया नहीं आया होगा? क्या बच्चों वाली बातें करती हो? अरे! वह तो तुम्हें मन ही मन में कई बार पहले ही चोद चुका होगा और तुम्हें याद करके कई बार मुठ मार कर अपना माल निकाल चुका होगा। यह भी समझलो की तुम्हें याद करते हुए वह अपनी बीबी को भी दीपा समझ कर ही चोदता होगा।"
मेरी बात सुन कर मेरी बीबी हैरानगी से बिना कुछ बोले मुझे काफी देर तक देखती रही। उसके दिमाग में उस समय क्या चल रहा होगा वह समझना मेरे लिए नामुमकिन था। पर मेरी दलील सटीक थी और मेरी बीबी भी समझ रही थी की मैं सही कह रहा था। दीपा समझ चुकी थी की वाकई में ही अगर तरुण को सही मौक़ा मिला और दीपा ने उसका विरोध नहीं किया तो तरुण दीपा को चोदे बगैर छोड़ेगा नहीं। मैंने यह महसूस किया की मेरी बात सुनकर वह गरम जरूर हो गयी। उसने अपनी पोजीशन बदली और मेरे पास आ कर मेरे मुंह से अपना मुंह मिला कर मेरे होंठों को बड़े प्यार से चाटने लगी। फिर धीरे से वह मेरे होँठों को मुंह में चूस कर उसकी जीभ अंदर बाहर करने लगी। जैसे अपनी जीभ से मुझे चोद रही हो। मैं बहुत उत्तेजित हो गया था। मेरे लण्ड में गरम खून दौड़ रहा था। उत्तेजना के मारे मैं अपने आप को सम्हाल नहीं पा रहा था।
दीपा ने मेरी जीभ चूसते हुए अपनी आँखें नचाते हुए मेरी और देख कर पूछा, "मियाँ, अगर आपको लगता है ऐसा है, तो फिर ऐसे जोखिम नहीं लिया करते। अगर आज तुम्हारे दोस्त ने मुझे पकड़ कर मेरा तौलिया निकाल कर मुझे चोद दिया होता, तो तुम क्या करते?"
मैंने उसका जवाब देते हुए कहा, "डार्लिंग, तुम कमाल हो! अगर तरुण ने आज तुम्हें चोद दिया होता तो तुम जरूर कुछ देर तक उसका विरोध करती पर जब और कोई चारा नहीं होता तो आखिर में तुमने उससे प्यार से चुदवा ही लिया होता। अगर तरुण ने तुम्हें चोद दिया होता तो क्या हो जाता? कुछ भी नहीं होता। मैंने तुम्हें पहले ही फ़ोन पर क्या कहा था? मैंने कहा था ना की अगर कुछ ऊपर निचे हो गया तो मैं तुम्हें दोषी नहीं मानूंगा। डार्लिंग, मैंने तो मान लिया था और अभी भी मानता हूँ की तरुण ने तुन्हें चोद ही दिया था। क्या तुमको मेरे चेहरे पर कोई शिकन नजर आयी? अगर तरुण ने तुम्हें चोद दिया है अथवा चोद दिया होता तो भी मैं तुम्हें उतना ही प्यार कर रहा हूँ और उतना ही प्यार करता रहूंगा जितना पहले कर रहा था। जब मैं शाम को घर आया तो मैंने तुम्हें जान बुझ कर कुछ भी नहीं पूछा। और ना ही तुमने मुझे कुछ बताया। जब ऐसा हुआ तो मैं यह समझ ने लगा था की तरुण ने तुम्हें चोद ही दिया होगा। सच बताओ डार्लिंग की यह शक मेरे मन में होते हुए भी की तुम तरुण से चुदवा चुकी हो, क्या तुम्हें मेरे वर्ताव में कोई फर्क नजर आया?"
दीपा ने प्यार से मेरी और देखा और शरारत भरी मुस्कान देते हुए सर हिलाकर "ना" का इशारा किया। फिर मेरी बाँहों में सिमट कर बोली, "डार्लिंग मैं सच कहती हूँ, ऐसा कुछ नहीं हुआ। तुम दुनिया के सबसे अच्छे पति हो। पर मुझे परेशान भी बहुत करते हो।"
मैंने मेरी बीबी की चूँचियों को मसलते हुए कहा, "बीबीजी, मैं जानता हूँ की ऐसा कुछ नहीं हुआ। मैं तुम्हें बहोत अच्छी तरह से जानता हूँ। अगर ऐसा हुआ होता तो मुझे तुम्हारी आँखों से ही पता चल जाता। तुम अपनी नजरें ऊपर ही नहीं उठा पाती। यह मेरा तरिका है अपने आपको और तुम्हें गरम करने का, और जिंदगी को उत्तेजित और रोमांचक बनाने का, जिससे जिंदगी में मजा बना रहे। अगर तुम्हें तरुण ने चोद भी दिया है या चोद दिया होता तो क्या फर्क पड़ना था? मैं भी तो तुम्हें चोदता रहता हूँ? इससे क्या फर्क पड़ता है?"
मेरी बीबी मुझे हैरानगी से देखती रही। उसकी समझ में नहीं आ रहा था की उसका पति किस मिटटी का बना हुआ है। मुझे एक गहरी किस कर मेरे कान में फुसफुसाई, "डार्लिंग, तुम वाकई दुनिया के बेस्ट हस्बैंड हो। आई लव यू।" और यह कह कर दुबारा मेरे होंठों को चूमकर, "अब सोने दो। कल सुबह मुन्नू को कॉलेज जाना है। गुड नाईट" कह कर पलट कर सो गयी।
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