07-12-2019, 07:13 PM
उस समय जयपुर बड़ी ही शांत जगह हुआ करती थी। हम एक शांत अच्छी कॉलोनी में रहते थे। तरुण हमसे करीब ३ किलो मीटर दूर दूसरी कॉलोनी में रहता था। उस पार्टी के कुछ ही समय के बाद तरुण ने मेरी कंपनी छोड़ दूसरी कंपनी में ज्वाइन कर लिया। उसे करीब एक साल हो चला था। इस बिच हमारी घनिष्ठता बढ़ी और हम एक दूसरे के घर जाने लगे। तरुण की पत्नी टीना और मेरी पत्नी दीपा दोनों एक दूसरे की ख़ास सहेलियां बन गयीं।
हम एक दूसरे के घर भी जाते थे और कई बार बाहर लंच या डिनर भी करते थे। हर बार मैं देखता था की तरुण अपनी बीबी की नजर चुरा कर मेरी बीबी पर डोरे डालने की कशिश से बाज नहीं आता था। दीपा ने भी यह महसूस किया और एकाध बार मुझसे शिकायत भी की। पर मैंने उसकी शिकायतों पर कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया। वैसे मैं भी तो दीपा की नजर चुकाकर टीना पर डोरे डाल रहा था। और टीना यह भली भाँती जानती थी। फर्क इतना ही था की टीना मुझे वापस स्माइल देती थी जब की दीपा आँखों से ही तरुण को हड़का देती थी।
हम एक दूसरे से चोरी छुपे एक दूसरे की पत्नियों को ललचा ने की कोशिश में लगे हुए थे। पर हमें बढ़िया मौका नहीं मिल रहा था। मैं टीना करीब जाने के लिए लालायित था और तरुण दीपा की और आकर्षित हुआ था। पर हमारी पत्नियां एक दूसरे के पति को कोई घास नहीं डाल रही थी। तरुण और मैं मिलते तो थे पर स्पष्ट बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।
तरुण मेरे घर कई बार आता था। कई बार मैं घर में नहीं भी होता था। मेरी पत्नी दीपा उसे पानी चाय पिला देती थी, पर ज्यादा बात नहीं करती थी। तरुण जब भी मेरी अनुपस्थिति में घर आता था तो दीपा मुझे तरुण के आने के बारे में बता देती थी। एक बार दीपा ने मुझे कहा की तरुण की नियत कुछ ठीक नहीं लगती। दीपा को लगा की वह उसपर शायद लाइन मार रहा है। सुनकर मैं मनमें ही बड़ा उत्तेजित हो गया।
दीपा तरुण की शिकायत तो करती पर फिर चुप हो जाती और दुबारा उस बात को नहीं छेड़ती थी। इससे मुझे यह शंका हुई की मेरी बीबी कहीं शिकायत करने की एक औपचारिकता या खानापूर्ति ही तो नहीं कर रही थी, ताकि उस पर कभी यह इल्जाम ना लगे की जब भी तरुण उसपर दाना डालने की कोशिश कर रहा था तो उसने उसकी शिकायत क्यों नहीं की?
यदि तरुण मेरी पत्नी के पीछे पड़ा है तो इससे मैंने दो फायदे देखे। एक तो यह की तरुण का इतिहास और चरित्र देखते हुए तो यही लग रहा था दीपा के साथ वह कुछ न कुछ तो करेगा ही। यह सोच कर मेरी धड़कन बढ़ गयी। मैं चाहता था की मेरी पत्नी और तरुण के बिच बात आगे बढे। तभी तो मैं भी उसकी बीबी के पास आसानी से जा सकता था। हालांकि मेरी पत्नी तरुण से काफी प्रभावित तो थी परन्तु वह तरुण को जराभी आगे बढ़ने मौका नहीं दे रही थी।
एक बार तरुण ने प्रस्ताव दिया की हम शहर के बाहर एक पार्क में पिकनिक के लिए जाएँ। इतवार को हम दोनों कपल अपने अपने मोटर साइकिल पर निकल पड़े। वहाँ पार्क में हम ने कुछ और आये हुए लोगों के साथ मिलकर पकडा पकड़ी का खेल खेला जब हमें एक दूसरे की बीबियों को छूने का अच्छा अवसर मिला। उस समय मैंने देखा की तरुण जब दीपा को पकड़ने के लिए दौड़ पड़ा तब दीपा उससे बचने के लिए भागी पर एक पत्थर की ठोकर लगने से गिरने लगी तब तरुण ने उसे अपनी बाँहों में थाम लिया और अच्छी तरह कस कर अपनी बाहों में जकड़ा। कुछ दुरी होने के कारण मैं ठीक से देख नहीं पाया पर मुझे लगा की उसने दीपा के बूब्स भी अच्छी तरह दबाये। आखिर में दीपा ने झटका मार कर अपने आपको तरुण से अलग कर दिया।
मैंने भी उसी खेल में टीना को एक बार पकड़ा और अपने बदन से जकड कर रखा। दीपा की तरह टीना ने कोई विरोध नहीं किया और मुझे कोई झटका नहीं दिया और जब तक मैंने उसे जकड कर रखा, वह मेरी बाहों में खड़ी मैं आगे कुछ करता हूँ या नहीं उसका इंतजार करती रही। तभी मुझे दीपा दिखी, आखिर मैं मैंने ही उसे दीपा के डर के मारे छोड़ दिया।
मैंने दीपा को जब तरुण की बाँहों में जकड़े जाने की बात कह कर दीपा पर तंज कसने की कोशिश की तब फ़ौरन दीपा ने कहा, "ओह मिस्टर! तुम मर्दों को इधर उधर मुंह मारने की आदत क्यों है? अपनी बीबी से संतुष्टि नहीं होती क्या? तरुण की बात छोडो, तुम भी तो कोई कम नहीं हो। दोनों मर्द ना, एक दूसरे की बीबी पर लाएन मार रहे हो ऐसा मुझे लग रहा है। टीना का तो मुझे पता नहीं, पर तुम अपने दोस्त को तो कह देना की मुझसे दूर ही रहें। मैं तुम लोगों की चाल मैं नहीं फँसने वाली।"
उस बात के करीब दो या तीन हफ्ते बाद एक दिन मेरी अनुपस्थिति में तरुण मेरे घर पहुँच गया। वह जोधपुर से कुछ हेंडीक्राफ्ट ले आया था। उस ने मेरी पत्नी दीपा को वह उपहार देना चाहा। दीपा ने ना सिर्फ उसे लेने से इंकार कर दिया बल्कि तरुण को बुरी तरह झाड़ दिया और तरुण को हिदायत दी की ऐसा करके वह उसे ललचाने की कोशिश ना करे। दीपा ने तरुण को कहा, "देखो तरुण! हमारे तुम्हारे और टीना के सम्बन्ध इतने अच्छे हैं। मैं आपका सम्मान करती हूँ। आप अकेले में आकर मुझसे मिलकर मुझे ललचाने की कोशिश क्यों करते हैं? मेरे पति की हाजरी में हम कुछ हँसी मजाक कर लेते हैं, कुछ छेड़खानी कर लते हैं यह दिल्लगी ठीक है। पर यह मत सोचना की मैं मेरे पति को धोखा देकर तुमसे कोई सम्बन्ध रखूंगी। प्लीज ऐसा कर के हमारे समबन्धों को आहत मत करो।"
तरुण मायूस सा हो गया और बिना कुछ बोले वहाँ से दुखी हो कर उठ कर चला गया। दीपा ने जाते हुए तरुण का मुरझाया हुआ चेहरा देखा तो उसे भी दुःख हुआ पर कुछ बोली नहीं और तरुण के पीछे दरवाजा बंद कर दिया।
जब हम अगली बार मिले तो मैंने तरुण को दुखी देख कर पूछा की आखिर बात क्या थी। तरुण ने बताया की वह जोधपुर गया था और वहां से एक अच्छे हेंडीक्राफ्ट के दो सैंपल लाया था जिसमे से एक वह हमें देना चाहता था, पर दीपा ने उसे हड़का दिया। तरुणने बात बात में मुझसे कहा की उसका मेरे छोटे से बेटे से खेलने का बहुत मन करता है। मेरा बेटा तरुण से काफी घुलमिल गया था। तरुण चाहता था की वह उसके लिए कुछ खिलौना लाये, पर वह दीपा से डरता था।
तब मैंने उसे कहा, "देखा? मैं तुम्हें ना कहता था? मेरी बीबी को पटाना इतना आसान नहीं है। खैर, तुम्हें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं। मैं दीपा से आज रात जरूर बात करूंगा और उसे मना लूंगा।"
तरुण ने मेरा हाथ थाम कर मेरा शुक्रिया कहा।
उस रात जब हम सोने के लिए तैयार हुए तब मैंने दीपा को बाँहों में लिया और अपनी गोद में बिठा कर उसे प्यार जताने लगा। दीपा भी कुछ देर बाद जब गरम हो गयी तो मैंने मेरे होँठ मेरी बीबी के होंठ पर रखते हुए कहा, "दीपा डार्लिंग, आपने तरुण का दिल क्यों दुखाया? वह बेचारा हमारे लिए कुछ छोटी मोटी गिफ्ट लाया तो आपने उसे बुरी तरह से डांट दिया।"
यह सुन दीपा खिसिया गयी और बोली, "मुझे पता नहीं था की वह इस बारेमें आपसे बात करता है। मैंने सोचा शायद वह आपसे छुपाकर मुझसे मिलने आता है और ऐसे उपहार देकर मुझे पटाने की कोशिश कर रहा है।"
मैंने मेरी बीबी के गाउन में हाथ डालकर उसके बॉल को मसलते हुए कहा, "दीपा डार्लिंग, तुम तो कमाल हो! ऐसा नहीं है। वह मुझे सब कुछ बताता है। उसने मुझे फ़ोन पर बताया था की वह गिफ्ट लाया था और हमें देना चाहता था। मैंने उसे कहा ठीक है, आते जाते जब वक्त मिले तब दे देना। मैंने ही उसे हमारे यहाँ आकर मुन्नुसे खेलने के लिए कहा है। उसकी गिफ्ट तुमने वापस की तो वह बड़ा दुखी है। तुम उसकी गिफ्ट का गलत मतलब मत निकालना। वह गिफ्ट दे तो ले लेना।"
मेरी बात सुनकर दीपा कुछ सोचने लगी। मैंने मेरी बात जारी रखते हुए कहा, "मैं मानता हूँ की वह तुम्हारी तरफ आकर्षित है। हो सकता है वह तुम्हें पटाने की कोशिश भी करता हो। तो यार क्या हुआ? उसमे भला उसका क्या दोष? भला कौन मर्द ऐसा है जो तुमसे आकर्षित न होगा और तुम्हें पटाने की कोशिश नहीं करेगा? क्या मेरा बॉस तुम्हें पटाने की कोशिश नहीं कर रहा? तुम इतनी सेक्सी जो हो। मुझसे शादी करने के लिए भी क्या मैंने तुम्हें नहीं पटाया था? शादी के पहले जब मैं और तुम तुम्हारी भाभी के साथ हिल स्टेशन पर गए थे तब रात में तुम जब मना कर रही थी तब तुम्हें चोदने के लिए मैंने कितने हथकंडे अपनाये थे और आखिर में तुम्हें पटा ही लिया था ना? और अभी भी जब तुम चुदाई करवाने में नानुक्कड करती हो तो तुम्हें चुदवाने के लिए राजी करने के लिए पटाना पड़ता है की नहीं? इन बातों को माइंड मत करो और इसकी आदत डाल लो। "
ऐसा कह कर मैंने दीपा को यह कह दिया की तरुण उसके प्रति आकर्षित है और अगर उसे पटाने की कोशिश कर रहा था तो वह स्वाभाविक था। बल्कि मैंने बात बात में यह भी इशारा कर दिया की हो सकता है की तरुण उसे चुदवाने के लिए पटाने की ही कोशिश कर रहा हो।
दीपा ने थोड़ा शर्मा कर और उलझन भरी आवाज में जैसे ऊपर वाले से बात कर रही हो ऐसे दोनों हाथ ऊपर कर बोली, "हे भगवान! मेरा पति तो कमाल का है। अपने दोस्त की कितनी तरफदारी कर रहा है? ठीक है बाबा, मैं मानती हूँ की गलती हो गयी। तुम कह रहे हो तो मैं उससे गिफ्ट ले लुंगी। अबसे मैं तुम्हारे दोस्त का ध्यान रखूंगी। उसे नहीं डाटूँगी, बस? अब तो खुश?"
मैंने दीपा के पास जाकर उसे बाँहों में भर कर एक चुम्बन कर लिया। मुझे ऐसे लगा जैसे मरी पत्नी ने मेरी यह बात सुन कर राहत की सांस ली। वह मेरी बात सुनकर खुश दिख रही थी। मुझे लगा जैसे मैंने उसके मन की बात ही कह डाली। शायद उसे खुद अफ़सोस हो रहा था की क्यों उसने तरुण को इतनी मामूली बात को लेकर इतना ज्यादा डाँट दिया था।
दीपा ने भी मेरे होंठ से होंठ चिपका कर और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मेरा रस चूसते हुए मेरी बाँहों में सिमटकर बोली, "तुम बहुत ही भले इंसान और संवेदनशील पति हो। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अपने दोस्त को इतना सपोर्ट न करता। मुझे तरुण का चाल चलन ठीक नहीं लग रहा था और इसी वजह से मैं उसे दूर रखना चाहती थी। उस दिन पिकनिक में भी जब मैं गिरने लगी थी तब उसने मुझे गिरने से तो बचा लिया पर बादमें उसने मुझे अपनों बाँहों में जकड लिया और अगर मैं उसे झटका दे कर हटा ना देती तो हो सकता है वह मुझे और भी छेड़ता। मेरी समझ में नहीं आया की मैं तरुण को मुझे बचाने के लिए शुक्रिया अदा करूँ या छेड़ने के लिए उसे डाटूँ? कई बार मुझे लगता है को वह एक अच्छा इंसान है। कभी कभी लगता है की वह मुझ पर फ़िदा है और मुझ पर डोरे डाल रहा है। अब तुम मुझे रोक रहे हो और उसे छूट दे रहे हो तो फिर मैं कया करूँ?"
एक पल के लिए मुझे लगा जैसे मेरी पत्नी ने अपनी नाराजगी और असहायता प्रगट की। फिर उस ने आँख नचाते हुए कहा, "मेरी राय में तो ऐसे चालु दोस्त को ज्यादा लिफ्ट देना ठीक नहीं , कहीं ऐसा न हो की वह तुम्हारी बीबी को फाँस ले और तुम हाथ मलते रह जाओ।"
मैं कहाँ चुप रहने वाला था। मैंने भी दीपा से उसी लहजे में कहा, "डार्लिंग तुम अपने आप को जानती हो उससे मैं तुम्हे ज्यादा अच्छा जानता हूँ। मैं जानता हूँ की तुम पर कोई कितने ही डोरे डाले या ऐसा हो जाए की आवेश में तुम किसी के साथ कुछ कर भी लो फिर भी तुम मेरी ही रहोगी। हमारे तन मात्र की ही शादी नहीं हुयी, शादी हमारे मन की और परिवार की भी तो हुयी है , सही है या गलत?"
मेरी सीधी सादी बीबी कुछ सोचमें पड़ गयी और फिर अपना सर हिलाते हुए कहा, "खैर वह तो तुम सही कह रहे हो।"
फिर वह मुझसे लिपट गयी और बोली, "डार्लिंग क्या सच में तुम्हें तुम्हारी पत्नी पर इतना विश्वास है?
मैंने बेझिझक कहा, "जितना तुम समझ रही हो उससे कहीं ज्यादा।" उस वक्त ही मैं समझ गया की मेरी घरेलु वफादार पत्नी असमंजस में तो है परंतु थोड़ी सी पिघली भी है।
मैंने दीपा को बाँहों में और करीब दबाते उसके ब्लाउज में हाथ डाला। उसके रसीले स्तन युगल को बारी बारी दबाते और उसकी निप्पल को सहलाते और दबाते हुए और भी छेड़ा। मैंने कहा, " कल हम तुम्हारे और टीना के बारे में बात कर रहे थे। हम दोनों अपनी बीबियों की तारीफ़ कर रहे थे। मैं जानता हूँ की वह तुम्हारे पीछे पागल है, पर बात ऐसे करता है की क्या बताऊँ? पता है वह कल क्या कह रहा था?"
दीपा ने मेरी और देखा और पूछा, "क्या?"
मैंने कहा, "वह तुम्हारे बारे में कह रहा था की दीपा भाभी बहुत ही खूबसूरत है पर टीना ज्यादा सेक्सी है। वह कह रहा था की टीना की फिगर कम कपड़ों में खिलकर उभरती है। वह कह रहा था की टीना को कॉलेज में "मिस यूनिवर्सिटी स्वीम्मर" से नवाजा गया था।"
दीपा बड़े ध्यान से सुन रही थी। वह धीमे से बोली, "तुम दोनों हमारे बारे में ऐसी बातें कर रहे थे? खैर फिर क्या हुआ?"
मैंने उससे पूछा, "सेक्सी का क्या मीनिंग है?"
तब उसने कहा, "जिसे देख कर उसे पाने का मन करे। मतलब जिसे देख कर उसे चोदने का मन करे वह सेक्सी है।"
मेरी बात सुनकर दीपा चौंक गयी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव दिख रहे थे। उसने कहा, "बापरे! तुम मर्द लोग क्या क्या बातें करते हो?" फिर कुछ निराश स्वर में बोली, "वैसे तरुण फ़ालतू में ही मेरी बड़ाई कर रहा था। टीना मुझसे ज्यादा सुन्दर भी है और सेक्सी भी है। इसमें कोई शक नहीं।"
मैंने गुस्से में उबलते हुए कहा, "झूठ बोला तरुण ने। अपनी बीबी की झूठी बड़ाई कर रहा था वह। हकीकत तो यह है की तुम हमेशा उसके सामने सादगी से ही पेश होती हो। उसने तुमको कभी सेक्सी ड्रेस में या कम कपड़ों में देखा नहीं, वरना वह टीना को भूल जाएगा। उसकी सिट्टीपिट्टी गुम हो जायेगी।"
दीपा ने कहा, "ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं कोई सेक्सी नहीं हूँ। मेरी ऐसी कोई फिगर भी नहीं है। बाकी जो आदमी अपने मन को कण्ट्रोल कर सके उसे कोई ललचा नहीं सकता।"
मैंने कहा, "हनी, तुझे पता नहीं तुम कितनी सेक्सी हो। पर यह तो तुम भी मानती हो ना की तरुण तुम पर फ़िदा है। तुम्हारे लताड़ने पर बेचारा बहुत दुखी था। वह जब तुम को देखता है तो उसकी आँखे बार बार तुम्हारे बॉल पर ही टिक जाती है।"
दीपा एकदम सहम सी गयी। थोड़ी पीछे हट कर उस ने मेरी बात को खारिज करते हुए कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है। तुम मर्दों को तो सेक्स के अलावा और कुछ सूझता ही नहीं। परन्तु तरुण ऐसा नहीं लगता।"
मैंने उसे और उकसाते हुए कहा, "अच्छा? तुम्हें कैसे पता? तरुण भी तो एक मर्द ही है। और सिर्फ मर्द ही नहीं, बड़ा वीर्यवान मर्द है। देखा नहीं तुमने की जब वह उत्तेजित हो जाता है तो उसका लण्ड उसकी पतलून में कितना बड़ा तम्बू बना देता है? तरुण का लण्ड भी तो काफी बड़ा है। कुछ दिन पहले जब हम सब पिकनिक पर गए थे तब मैं और तरुण एक साथ वाशरूम गए थे। पेशाब करने से पहले आननफानन में जब उसने अपनी ज़िप खोली तो उसका लण्ड पतलून के बाहर निकल पड़ा। बापरे! एक मोटे रस्से जैसे उसका ढीला लण्ड भी कितना मोटा और लंबा था! तुमने भी तो देखा होगा की ख़ास तौर से जब वह तुम्हारे करीब होता है, तब तो उसकी पतलून में उसका लण्ड लोहे के छड़ की तरह खड़ा हो जाता है। अगर फिर भी यदि तुम ऐसा समझती हो की तरुण ऐसा नहीं है तो चलो एक टेस्ट करते हैं। एक काम करो। तुम उसे थोड़ा उकसाओ। जब वह आये तो उसे अपने कुछ सेक्सी पोज़ दो, या फिर अपने बदन की थोड़ी नुमाइश करो। फिर देखो। अगर उसका लण्ड उसकी पतलून में खड़ा ना हो और तुम्हे वह कसके बाँहों में जकड न ले तो कहना।"
मेरी पत्नी यह सुनते ही एकदम गुस्सा कर बोली, "बस भी करो। शर्म नहीं आती अपनी बीबी से ऐसी बाते करते हुए? यह तुम तरुण के बारे में क्या अनापशनाप बातें करते जा रहे हो? उसका लण्ड उतना बड़ा है तो मुझे क्या? भुगतेगी उसकी बीबी टीना। मुझे क्यों यह सब सुना रहे हो?" गुस्सा हो कर दीपा पलट कर सो गयी।
मैंने उसे बाँहों में जकड कर बोला, 'अरे भाई माफ़ भी करो। मैं तो मजाक कर रहा था।"
तब दीपा ने करवट ली और नकली गुस्सा दिखाती हुई मुझसे लिपट कर बोली, "तुम ना बड़े गंदे हो। ऐसी बातें कर मुझे क्यों परेशान कर रहे हो?"
मैंने उसे बाँहों में और कस कर दबाया और बोला, " दीपा, एक बात बताऊँ? बेचारा तरुण, वास्तव में तुम्हारा आशिक हो गया है। अगर तुम मानती हो की वह सीधासादा है तो प्लीज उसे एक बार उकसा कर तो देखो ना? प्लीज मेरे लिए? देखें तो सही की वह कितना सीधासादा है?"
दीपा तब एकदम उत्तेजित हो गयी। मेरी बात को टालते हुए मेरे कड़क लण्ड पर हाथ रख कर उस को सहलाते हुए बोली, " देखो, मैं जानती हूँ की मैं कोई सुन्दर और सेक्सी नहीं हूँ। तरुण ने जो कहा था सच ही कहा था। मेरे सेक्सी पोज़ देने या ना देने से कोई फर्क नहीं पडेगा। तुम भी कमाल के पति हो। अपनी बीबी को अपने दोस्त को उकसाने के लिए कह रहे हो? मेरे पति का जवाब नहीं। तुम अपने दोस्त पर इतने मेहरबान क्यों हो?"
मैंने कहा, "देखो वह और टीना हमारे एकदम करीबी दोस्त हो चुके हैं। मैंने उसे उस पार्टी में उसे लताड़ा था जब वह तुम्हें घूर घूर कर देख रहा था। तब उसने खुद कहा था की तुम सेक्सी तो हो पर वह तुम्हारी बहुत रिस्पेक्ट करता है। तुम भी अभी कह रही हो की वह सज्जन दिखता है। तो चलो ना आज चेक करते हैं की क्या उसकी मर्दानगी में ज्यादा दम है या उसकी सज्जनता में? भाई तुम्हें मेरी थोड़ी मदद करनी पड़ेगी।"
दीपा ने मेरी बात से झुंझलाते हुए पूछा, "यह बार बार तुम तरुण को उकसाने की बात क्यों कर रहे हो? आखिर तुम चाहते क्या हो?"
मैंने कहा, "यही की तुम अभी कह रही थी की वह सज्जन लगता है। कभी कहती हो की वह तुम पर डोरे डाल रहा है। तो पता तो चले की असल में वह कैसा है? तुम उसे जब भी मौक़ा मिले उकसाओ और देखो की तरुण कितना सज्जन है और कितना वीर्यवान मर्द? यार मान जाओ ना? एक बार उसे थोड़ा छेड़ कर तो देखें, कितने पानी में है वह?"
मेरे बार बार कहने पर जब मेरी बीबी ने महसूस किया की मैं मानने वाला नहीं तो उसने हथियार डाल दिए और मेरा कड़क लण्ड अपनी हथेली में हिलाते हुए उसे दिखाते हुए असहायता से कहा, "चलो ठीक है, मैं सोचूंगी, फिलहाल तरुण की बातों को छोडो। देखो तो, तुम्हारा यह लण्ड बेचारा कितना उतावला हो रहा है अपनी सहेली से मिलने के लिए। उसका भी तो ध्यान रखो। अब अपना काम तो पूरा करो।"
मैं समझ गया की दीपा गरम हो गयी थी । यही समय है उसे मनवाने का और उससे हाँ करवाने का। मैंने दीपा का गाउन ऊपर उठा कर उसकी गीली चूत में उंगली डालकर उसकी चूत को उंगली से रगड़ते हुए उसे गरम करते हुए अपनी जिद जारी रखते हुए कहा, "सोचूंगी नहीं, बोलो करुँगी?"
दीपा ने मेरे लण्ड को हिला हिला कर कड़क करते हुए मेरे उंगली चोदन से मचलते हुए अपनी गर्मी में बोली, "अरे तुम तरुण की बातों को छोडो ना? क्या कर रहे हो?"
मैंने जिद पर अड़े रहते हुए कहा, "ना, अब तो तुम्हें बोलना ही पड़ेगा की करोगी या नहीं?"
आखिर में हार कर दीपा ने कहा, "तुम चाहते हो मैं उसे उकसाऊँ? उसे गरम करूँ? ठीक है बाबा करुँगी। पर अभी तुम तो कुछ करो? मैं खुद गरम हो रही हूँ।"
मैंने अपनी जिद जारी रखते हुए कहा,"और अगर वह तुम्हें छू ले या और कुछ हरकत कर बैठे तो तुम उस दिन की तरह उसे लताड़ मत देना, ठीक है?"
दीपा तब तक काफी गरम हो चुकी थी। मेरी उंगली की हरकत से वह पलंग पर मचलने लगी थी। उसने बिना कुछ और सोचे कहा, "ठीक है बाबा, आप जो कहोगे, मैं करुँगी। इस वक्त इधर उधर की बात मत करो। आप अब ऊपर आ जाओ और अपने इस कड़क लण्ड से मुझे चोदो प्लीज! मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा।"
मेरी बीबी को नहीं पता था की मैं अपनी चाल में उसे फँसा ने की भरसक कोशिश कर रहा था। मैं तुरंत अपना पजामा उतार कर नंगा हो गया और फुर्ती से दीपा के नाईट गाउन को भी उतार दिया। हमारे दो नंगे बदन एक दूसरे के साथ रगड़कर जैसे काम वासना की आग पैदा कर रहे थे। मेरा लण्ड एकदम फौलाद की तरह कड़क हो गया था। मैंने दीपा की चूत पर हाथ रखा तो पाया की वह तो अपना रस ऐसे बहा रही थी जैसे झरना बह रहा हो।
मैंने अपनी पत्नी को कहा, "जानेमन तुम बड़ी गरम हो गयी हो। क्या बात है?"
दीपा ने भी उसी लहजे में कहा, "तुम ऐसी बातें कर कर के मुझे गरम जो कर रहे हो।"
उस रात को मैं भूल नहीं पाउँगा। उस ने खूब चुदवाया। वह तिन बार झड़ गयी और मैं दो बार। मुझे लगा जैसे मेरे दोस्त तरुण का तीर निशाने पर लग रहा था। रात को दीपा के सो जाने के बाद अचानक मेरे मन में एक विचार आया।
हम एक दूसरे के घर भी जाते थे और कई बार बाहर लंच या डिनर भी करते थे। हर बार मैं देखता था की तरुण अपनी बीबी की नजर चुरा कर मेरी बीबी पर डोरे डालने की कशिश से बाज नहीं आता था। दीपा ने भी यह महसूस किया और एकाध बार मुझसे शिकायत भी की। पर मैंने उसकी शिकायतों पर कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया। वैसे मैं भी तो दीपा की नजर चुकाकर टीना पर डोरे डाल रहा था। और टीना यह भली भाँती जानती थी। फर्क इतना ही था की टीना मुझे वापस स्माइल देती थी जब की दीपा आँखों से ही तरुण को हड़का देती थी।
हम एक दूसरे से चोरी छुपे एक दूसरे की पत्नियों को ललचा ने की कोशिश में लगे हुए थे। पर हमें बढ़िया मौका नहीं मिल रहा था। मैं टीना करीब जाने के लिए लालायित था और तरुण दीपा की और आकर्षित हुआ था। पर हमारी पत्नियां एक दूसरे के पति को कोई घास नहीं डाल रही थी। तरुण और मैं मिलते तो थे पर स्पष्ट बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।
तरुण मेरे घर कई बार आता था। कई बार मैं घर में नहीं भी होता था। मेरी पत्नी दीपा उसे पानी चाय पिला देती थी, पर ज्यादा बात नहीं करती थी। तरुण जब भी मेरी अनुपस्थिति में घर आता था तो दीपा मुझे तरुण के आने के बारे में बता देती थी। एक बार दीपा ने मुझे कहा की तरुण की नियत कुछ ठीक नहीं लगती। दीपा को लगा की वह उसपर शायद लाइन मार रहा है। सुनकर मैं मनमें ही बड़ा उत्तेजित हो गया।
दीपा तरुण की शिकायत तो करती पर फिर चुप हो जाती और दुबारा उस बात को नहीं छेड़ती थी। इससे मुझे यह शंका हुई की मेरी बीबी कहीं शिकायत करने की एक औपचारिकता या खानापूर्ति ही तो नहीं कर रही थी, ताकि उस पर कभी यह इल्जाम ना लगे की जब भी तरुण उसपर दाना डालने की कोशिश कर रहा था तो उसने उसकी शिकायत क्यों नहीं की?
यदि तरुण मेरी पत्नी के पीछे पड़ा है तो इससे मैंने दो फायदे देखे। एक तो यह की तरुण का इतिहास और चरित्र देखते हुए तो यही लग रहा था दीपा के साथ वह कुछ न कुछ तो करेगा ही। यह सोच कर मेरी धड़कन बढ़ गयी। मैं चाहता था की मेरी पत्नी और तरुण के बिच बात आगे बढे। तभी तो मैं भी उसकी बीबी के पास आसानी से जा सकता था। हालांकि मेरी पत्नी तरुण से काफी प्रभावित तो थी परन्तु वह तरुण को जराभी आगे बढ़ने मौका नहीं दे रही थी।
एक बार तरुण ने प्रस्ताव दिया की हम शहर के बाहर एक पार्क में पिकनिक के लिए जाएँ। इतवार को हम दोनों कपल अपने अपने मोटर साइकिल पर निकल पड़े। वहाँ पार्क में हम ने कुछ और आये हुए लोगों के साथ मिलकर पकडा पकड़ी का खेल खेला जब हमें एक दूसरे की बीबियों को छूने का अच्छा अवसर मिला। उस समय मैंने देखा की तरुण जब दीपा को पकड़ने के लिए दौड़ पड़ा तब दीपा उससे बचने के लिए भागी पर एक पत्थर की ठोकर लगने से गिरने लगी तब तरुण ने उसे अपनी बाँहों में थाम लिया और अच्छी तरह कस कर अपनी बाहों में जकड़ा। कुछ दुरी होने के कारण मैं ठीक से देख नहीं पाया पर मुझे लगा की उसने दीपा के बूब्स भी अच्छी तरह दबाये। आखिर में दीपा ने झटका मार कर अपने आपको तरुण से अलग कर दिया।
मैंने भी उसी खेल में टीना को एक बार पकड़ा और अपने बदन से जकड कर रखा। दीपा की तरह टीना ने कोई विरोध नहीं किया और मुझे कोई झटका नहीं दिया और जब तक मैंने उसे जकड कर रखा, वह मेरी बाहों में खड़ी मैं आगे कुछ करता हूँ या नहीं उसका इंतजार करती रही। तभी मुझे दीपा दिखी, आखिर मैं मैंने ही उसे दीपा के डर के मारे छोड़ दिया।
मैंने दीपा को जब तरुण की बाँहों में जकड़े जाने की बात कह कर दीपा पर तंज कसने की कोशिश की तब फ़ौरन दीपा ने कहा, "ओह मिस्टर! तुम मर्दों को इधर उधर मुंह मारने की आदत क्यों है? अपनी बीबी से संतुष्टि नहीं होती क्या? तरुण की बात छोडो, तुम भी तो कोई कम नहीं हो। दोनों मर्द ना, एक दूसरे की बीबी पर लाएन मार रहे हो ऐसा मुझे लग रहा है। टीना का तो मुझे पता नहीं, पर तुम अपने दोस्त को तो कह देना की मुझसे दूर ही रहें। मैं तुम लोगों की चाल मैं नहीं फँसने वाली।"
उस बात के करीब दो या तीन हफ्ते बाद एक दिन मेरी अनुपस्थिति में तरुण मेरे घर पहुँच गया। वह जोधपुर से कुछ हेंडीक्राफ्ट ले आया था। उस ने मेरी पत्नी दीपा को वह उपहार देना चाहा। दीपा ने ना सिर्फ उसे लेने से इंकार कर दिया बल्कि तरुण को बुरी तरह झाड़ दिया और तरुण को हिदायत दी की ऐसा करके वह उसे ललचाने की कोशिश ना करे। दीपा ने तरुण को कहा, "देखो तरुण! हमारे तुम्हारे और टीना के सम्बन्ध इतने अच्छे हैं। मैं आपका सम्मान करती हूँ। आप अकेले में आकर मुझसे मिलकर मुझे ललचाने की कोशिश क्यों करते हैं? मेरे पति की हाजरी में हम कुछ हँसी मजाक कर लेते हैं, कुछ छेड़खानी कर लते हैं यह दिल्लगी ठीक है। पर यह मत सोचना की मैं मेरे पति को धोखा देकर तुमसे कोई सम्बन्ध रखूंगी। प्लीज ऐसा कर के हमारे समबन्धों को आहत मत करो।"
तरुण मायूस सा हो गया और बिना कुछ बोले वहाँ से दुखी हो कर उठ कर चला गया। दीपा ने जाते हुए तरुण का मुरझाया हुआ चेहरा देखा तो उसे भी दुःख हुआ पर कुछ बोली नहीं और तरुण के पीछे दरवाजा बंद कर दिया।
जब हम अगली बार मिले तो मैंने तरुण को दुखी देख कर पूछा की आखिर बात क्या थी। तरुण ने बताया की वह जोधपुर गया था और वहां से एक अच्छे हेंडीक्राफ्ट के दो सैंपल लाया था जिसमे से एक वह हमें देना चाहता था, पर दीपा ने उसे हड़का दिया। तरुणने बात बात में मुझसे कहा की उसका मेरे छोटे से बेटे से खेलने का बहुत मन करता है। मेरा बेटा तरुण से काफी घुलमिल गया था। तरुण चाहता था की वह उसके लिए कुछ खिलौना लाये, पर वह दीपा से डरता था।
तब मैंने उसे कहा, "देखा? मैं तुम्हें ना कहता था? मेरी बीबी को पटाना इतना आसान नहीं है। खैर, तुम्हें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं। मैं दीपा से आज रात जरूर बात करूंगा और उसे मना लूंगा।"
तरुण ने मेरा हाथ थाम कर मेरा शुक्रिया कहा।
उस रात जब हम सोने के लिए तैयार हुए तब मैंने दीपा को बाँहों में लिया और अपनी गोद में बिठा कर उसे प्यार जताने लगा। दीपा भी कुछ देर बाद जब गरम हो गयी तो मैंने मेरे होँठ मेरी बीबी के होंठ पर रखते हुए कहा, "दीपा डार्लिंग, आपने तरुण का दिल क्यों दुखाया? वह बेचारा हमारे लिए कुछ छोटी मोटी गिफ्ट लाया तो आपने उसे बुरी तरह से डांट दिया।"
यह सुन दीपा खिसिया गयी और बोली, "मुझे पता नहीं था की वह इस बारेमें आपसे बात करता है। मैंने सोचा शायद वह आपसे छुपाकर मुझसे मिलने आता है और ऐसे उपहार देकर मुझे पटाने की कोशिश कर रहा है।"
मैंने मेरी बीबी के गाउन में हाथ डालकर उसके बॉल को मसलते हुए कहा, "दीपा डार्लिंग, तुम तो कमाल हो! ऐसा नहीं है। वह मुझे सब कुछ बताता है। उसने मुझे फ़ोन पर बताया था की वह गिफ्ट लाया था और हमें देना चाहता था। मैंने उसे कहा ठीक है, आते जाते जब वक्त मिले तब दे देना। मैंने ही उसे हमारे यहाँ आकर मुन्नुसे खेलने के लिए कहा है। उसकी गिफ्ट तुमने वापस की तो वह बड़ा दुखी है। तुम उसकी गिफ्ट का गलत मतलब मत निकालना। वह गिफ्ट दे तो ले लेना।"
मेरी बात सुनकर दीपा कुछ सोचने लगी। मैंने मेरी बात जारी रखते हुए कहा, "मैं मानता हूँ की वह तुम्हारी तरफ आकर्षित है। हो सकता है वह तुम्हें पटाने की कोशिश भी करता हो। तो यार क्या हुआ? उसमे भला उसका क्या दोष? भला कौन मर्द ऐसा है जो तुमसे आकर्षित न होगा और तुम्हें पटाने की कोशिश नहीं करेगा? क्या मेरा बॉस तुम्हें पटाने की कोशिश नहीं कर रहा? तुम इतनी सेक्सी जो हो। मुझसे शादी करने के लिए भी क्या मैंने तुम्हें नहीं पटाया था? शादी के पहले जब मैं और तुम तुम्हारी भाभी के साथ हिल स्टेशन पर गए थे तब रात में तुम जब मना कर रही थी तब तुम्हें चोदने के लिए मैंने कितने हथकंडे अपनाये थे और आखिर में तुम्हें पटा ही लिया था ना? और अभी भी जब तुम चुदाई करवाने में नानुक्कड करती हो तो तुम्हें चुदवाने के लिए राजी करने के लिए पटाना पड़ता है की नहीं? इन बातों को माइंड मत करो और इसकी आदत डाल लो। "
ऐसा कह कर मैंने दीपा को यह कह दिया की तरुण उसके प्रति आकर्षित है और अगर उसे पटाने की कोशिश कर रहा था तो वह स्वाभाविक था। बल्कि मैंने बात बात में यह भी इशारा कर दिया की हो सकता है की तरुण उसे चुदवाने के लिए पटाने की ही कोशिश कर रहा हो।
दीपा ने थोड़ा शर्मा कर और उलझन भरी आवाज में जैसे ऊपर वाले से बात कर रही हो ऐसे दोनों हाथ ऊपर कर बोली, "हे भगवान! मेरा पति तो कमाल का है। अपने दोस्त की कितनी तरफदारी कर रहा है? ठीक है बाबा, मैं मानती हूँ की गलती हो गयी। तुम कह रहे हो तो मैं उससे गिफ्ट ले लुंगी। अबसे मैं तुम्हारे दोस्त का ध्यान रखूंगी। उसे नहीं डाटूँगी, बस? अब तो खुश?"
मैंने दीपा के पास जाकर उसे बाँहों में भर कर एक चुम्बन कर लिया। मुझे ऐसे लगा जैसे मरी पत्नी ने मेरी यह बात सुन कर राहत की सांस ली। वह मेरी बात सुनकर खुश दिख रही थी। मुझे लगा जैसे मैंने उसके मन की बात ही कह डाली। शायद उसे खुद अफ़सोस हो रहा था की क्यों उसने तरुण को इतनी मामूली बात को लेकर इतना ज्यादा डाँट दिया था।
दीपा ने भी मेरे होंठ से होंठ चिपका कर और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मेरा रस चूसते हुए मेरी बाँहों में सिमटकर बोली, "तुम बहुत ही भले इंसान और संवेदनशील पति हो। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अपने दोस्त को इतना सपोर्ट न करता। मुझे तरुण का चाल चलन ठीक नहीं लग रहा था और इसी वजह से मैं उसे दूर रखना चाहती थी। उस दिन पिकनिक में भी जब मैं गिरने लगी थी तब उसने मुझे गिरने से तो बचा लिया पर बादमें उसने मुझे अपनों बाँहों में जकड लिया और अगर मैं उसे झटका दे कर हटा ना देती तो हो सकता है वह मुझे और भी छेड़ता। मेरी समझ में नहीं आया की मैं तरुण को मुझे बचाने के लिए शुक्रिया अदा करूँ या छेड़ने के लिए उसे डाटूँ? कई बार मुझे लगता है को वह एक अच्छा इंसान है। कभी कभी लगता है की वह मुझ पर फ़िदा है और मुझ पर डोरे डाल रहा है। अब तुम मुझे रोक रहे हो और उसे छूट दे रहे हो तो फिर मैं कया करूँ?"
एक पल के लिए मुझे लगा जैसे मेरी पत्नी ने अपनी नाराजगी और असहायता प्रगट की। फिर उस ने आँख नचाते हुए कहा, "मेरी राय में तो ऐसे चालु दोस्त को ज्यादा लिफ्ट देना ठीक नहीं , कहीं ऐसा न हो की वह तुम्हारी बीबी को फाँस ले और तुम हाथ मलते रह जाओ।"
मैं कहाँ चुप रहने वाला था। मैंने भी दीपा से उसी लहजे में कहा, "डार्लिंग तुम अपने आप को जानती हो उससे मैं तुम्हे ज्यादा अच्छा जानता हूँ। मैं जानता हूँ की तुम पर कोई कितने ही डोरे डाले या ऐसा हो जाए की आवेश में तुम किसी के साथ कुछ कर भी लो फिर भी तुम मेरी ही रहोगी। हमारे तन मात्र की ही शादी नहीं हुयी, शादी हमारे मन की और परिवार की भी तो हुयी है , सही है या गलत?"
मेरी सीधी सादी बीबी कुछ सोचमें पड़ गयी और फिर अपना सर हिलाते हुए कहा, "खैर वह तो तुम सही कह रहे हो।"
फिर वह मुझसे लिपट गयी और बोली, "डार्लिंग क्या सच में तुम्हें तुम्हारी पत्नी पर इतना विश्वास है?
मैंने बेझिझक कहा, "जितना तुम समझ रही हो उससे कहीं ज्यादा।" उस वक्त ही मैं समझ गया की मेरी घरेलु वफादार पत्नी असमंजस में तो है परंतु थोड़ी सी पिघली भी है।
मैंने दीपा को बाँहों में और करीब दबाते उसके ब्लाउज में हाथ डाला। उसके रसीले स्तन युगल को बारी बारी दबाते और उसकी निप्पल को सहलाते और दबाते हुए और भी छेड़ा। मैंने कहा, " कल हम तुम्हारे और टीना के बारे में बात कर रहे थे। हम दोनों अपनी बीबियों की तारीफ़ कर रहे थे। मैं जानता हूँ की वह तुम्हारे पीछे पागल है, पर बात ऐसे करता है की क्या बताऊँ? पता है वह कल क्या कह रहा था?"
दीपा ने मेरी और देखा और पूछा, "क्या?"
मैंने कहा, "वह तुम्हारे बारे में कह रहा था की दीपा भाभी बहुत ही खूबसूरत है पर टीना ज्यादा सेक्सी है। वह कह रहा था की टीना की फिगर कम कपड़ों में खिलकर उभरती है। वह कह रहा था की टीना को कॉलेज में "मिस यूनिवर्सिटी स्वीम्मर" से नवाजा गया था।"
दीपा बड़े ध्यान से सुन रही थी। वह धीमे से बोली, "तुम दोनों हमारे बारे में ऐसी बातें कर रहे थे? खैर फिर क्या हुआ?"
मैंने उससे पूछा, "सेक्सी का क्या मीनिंग है?"
तब उसने कहा, "जिसे देख कर उसे पाने का मन करे। मतलब जिसे देख कर उसे चोदने का मन करे वह सेक्सी है।"
मेरी बात सुनकर दीपा चौंक गयी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव दिख रहे थे। उसने कहा, "बापरे! तुम मर्द लोग क्या क्या बातें करते हो?" फिर कुछ निराश स्वर में बोली, "वैसे तरुण फ़ालतू में ही मेरी बड़ाई कर रहा था। टीना मुझसे ज्यादा सुन्दर भी है और सेक्सी भी है। इसमें कोई शक नहीं।"
मैंने गुस्से में उबलते हुए कहा, "झूठ बोला तरुण ने। अपनी बीबी की झूठी बड़ाई कर रहा था वह। हकीकत तो यह है की तुम हमेशा उसके सामने सादगी से ही पेश होती हो। उसने तुमको कभी सेक्सी ड्रेस में या कम कपड़ों में देखा नहीं, वरना वह टीना को भूल जाएगा। उसकी सिट्टीपिट्टी गुम हो जायेगी।"
दीपा ने कहा, "ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं कोई सेक्सी नहीं हूँ। मेरी ऐसी कोई फिगर भी नहीं है। बाकी जो आदमी अपने मन को कण्ट्रोल कर सके उसे कोई ललचा नहीं सकता।"
मैंने कहा, "हनी, तुझे पता नहीं तुम कितनी सेक्सी हो। पर यह तो तुम भी मानती हो ना की तरुण तुम पर फ़िदा है। तुम्हारे लताड़ने पर बेचारा बहुत दुखी था। वह जब तुम को देखता है तो उसकी आँखे बार बार तुम्हारे बॉल पर ही टिक जाती है।"
दीपा एकदम सहम सी गयी। थोड़ी पीछे हट कर उस ने मेरी बात को खारिज करते हुए कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है। तुम मर्दों को तो सेक्स के अलावा और कुछ सूझता ही नहीं। परन्तु तरुण ऐसा नहीं लगता।"
मैंने उसे और उकसाते हुए कहा, "अच्छा? तुम्हें कैसे पता? तरुण भी तो एक मर्द ही है। और सिर्फ मर्द ही नहीं, बड़ा वीर्यवान मर्द है। देखा नहीं तुमने की जब वह उत्तेजित हो जाता है तो उसका लण्ड उसकी पतलून में कितना बड़ा तम्बू बना देता है? तरुण का लण्ड भी तो काफी बड़ा है। कुछ दिन पहले जब हम सब पिकनिक पर गए थे तब मैं और तरुण एक साथ वाशरूम गए थे। पेशाब करने से पहले आननफानन में जब उसने अपनी ज़िप खोली तो उसका लण्ड पतलून के बाहर निकल पड़ा। बापरे! एक मोटे रस्से जैसे उसका ढीला लण्ड भी कितना मोटा और लंबा था! तुमने भी तो देखा होगा की ख़ास तौर से जब वह तुम्हारे करीब होता है, तब तो उसकी पतलून में उसका लण्ड लोहे के छड़ की तरह खड़ा हो जाता है। अगर फिर भी यदि तुम ऐसा समझती हो की तरुण ऐसा नहीं है तो चलो एक टेस्ट करते हैं। एक काम करो। तुम उसे थोड़ा उकसाओ। जब वह आये तो उसे अपने कुछ सेक्सी पोज़ दो, या फिर अपने बदन की थोड़ी नुमाइश करो। फिर देखो। अगर उसका लण्ड उसकी पतलून में खड़ा ना हो और तुम्हे वह कसके बाँहों में जकड न ले तो कहना।"
मेरी पत्नी यह सुनते ही एकदम गुस्सा कर बोली, "बस भी करो। शर्म नहीं आती अपनी बीबी से ऐसी बाते करते हुए? यह तुम तरुण के बारे में क्या अनापशनाप बातें करते जा रहे हो? उसका लण्ड उतना बड़ा है तो मुझे क्या? भुगतेगी उसकी बीबी टीना। मुझे क्यों यह सब सुना रहे हो?" गुस्सा हो कर दीपा पलट कर सो गयी।
मैंने उसे बाँहों में जकड कर बोला, 'अरे भाई माफ़ भी करो। मैं तो मजाक कर रहा था।"
तब दीपा ने करवट ली और नकली गुस्सा दिखाती हुई मुझसे लिपट कर बोली, "तुम ना बड़े गंदे हो। ऐसी बातें कर मुझे क्यों परेशान कर रहे हो?"
मैंने उसे बाँहों में और कस कर दबाया और बोला, " दीपा, एक बात बताऊँ? बेचारा तरुण, वास्तव में तुम्हारा आशिक हो गया है। अगर तुम मानती हो की वह सीधासादा है तो प्लीज उसे एक बार उकसा कर तो देखो ना? प्लीज मेरे लिए? देखें तो सही की वह कितना सीधासादा है?"
दीपा तब एकदम उत्तेजित हो गयी। मेरी बात को टालते हुए मेरे कड़क लण्ड पर हाथ रख कर उस को सहलाते हुए बोली, " देखो, मैं जानती हूँ की मैं कोई सुन्दर और सेक्सी नहीं हूँ। तरुण ने जो कहा था सच ही कहा था। मेरे सेक्सी पोज़ देने या ना देने से कोई फर्क नहीं पडेगा। तुम भी कमाल के पति हो। अपनी बीबी को अपने दोस्त को उकसाने के लिए कह रहे हो? मेरे पति का जवाब नहीं। तुम अपने दोस्त पर इतने मेहरबान क्यों हो?"
मैंने कहा, "देखो वह और टीना हमारे एकदम करीबी दोस्त हो चुके हैं। मैंने उसे उस पार्टी में उसे लताड़ा था जब वह तुम्हें घूर घूर कर देख रहा था। तब उसने खुद कहा था की तुम सेक्सी तो हो पर वह तुम्हारी बहुत रिस्पेक्ट करता है। तुम भी अभी कह रही हो की वह सज्जन दिखता है। तो चलो ना आज चेक करते हैं की क्या उसकी मर्दानगी में ज्यादा दम है या उसकी सज्जनता में? भाई तुम्हें मेरी थोड़ी मदद करनी पड़ेगी।"
दीपा ने मेरी बात से झुंझलाते हुए पूछा, "यह बार बार तुम तरुण को उकसाने की बात क्यों कर रहे हो? आखिर तुम चाहते क्या हो?"
मैंने कहा, "यही की तुम अभी कह रही थी की वह सज्जन लगता है। कभी कहती हो की वह तुम पर डोरे डाल रहा है। तो पता तो चले की असल में वह कैसा है? तुम उसे जब भी मौक़ा मिले उकसाओ और देखो की तरुण कितना सज्जन है और कितना वीर्यवान मर्द? यार मान जाओ ना? एक बार उसे थोड़ा छेड़ कर तो देखें, कितने पानी में है वह?"
मेरे बार बार कहने पर जब मेरी बीबी ने महसूस किया की मैं मानने वाला नहीं तो उसने हथियार डाल दिए और मेरा कड़क लण्ड अपनी हथेली में हिलाते हुए उसे दिखाते हुए असहायता से कहा, "चलो ठीक है, मैं सोचूंगी, फिलहाल तरुण की बातों को छोडो। देखो तो, तुम्हारा यह लण्ड बेचारा कितना उतावला हो रहा है अपनी सहेली से मिलने के लिए। उसका भी तो ध्यान रखो। अब अपना काम तो पूरा करो।"
मैं समझ गया की दीपा गरम हो गयी थी । यही समय है उसे मनवाने का और उससे हाँ करवाने का। मैंने दीपा का गाउन ऊपर उठा कर उसकी गीली चूत में उंगली डालकर उसकी चूत को उंगली से रगड़ते हुए उसे गरम करते हुए अपनी जिद जारी रखते हुए कहा, "सोचूंगी नहीं, बोलो करुँगी?"
दीपा ने मेरे लण्ड को हिला हिला कर कड़क करते हुए मेरे उंगली चोदन से मचलते हुए अपनी गर्मी में बोली, "अरे तुम तरुण की बातों को छोडो ना? क्या कर रहे हो?"
मैंने जिद पर अड़े रहते हुए कहा, "ना, अब तो तुम्हें बोलना ही पड़ेगा की करोगी या नहीं?"
आखिर में हार कर दीपा ने कहा, "तुम चाहते हो मैं उसे उकसाऊँ? उसे गरम करूँ? ठीक है बाबा करुँगी। पर अभी तुम तो कुछ करो? मैं खुद गरम हो रही हूँ।"
मैंने अपनी जिद जारी रखते हुए कहा,"और अगर वह तुम्हें छू ले या और कुछ हरकत कर बैठे तो तुम उस दिन की तरह उसे लताड़ मत देना, ठीक है?"
दीपा तब तक काफी गरम हो चुकी थी। मेरी उंगली की हरकत से वह पलंग पर मचलने लगी थी। उसने बिना कुछ और सोचे कहा, "ठीक है बाबा, आप जो कहोगे, मैं करुँगी। इस वक्त इधर उधर की बात मत करो। आप अब ऊपर आ जाओ और अपने इस कड़क लण्ड से मुझे चोदो प्लीज! मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा।"
मेरी बीबी को नहीं पता था की मैं अपनी चाल में उसे फँसा ने की भरसक कोशिश कर रहा था। मैं तुरंत अपना पजामा उतार कर नंगा हो गया और फुर्ती से दीपा के नाईट गाउन को भी उतार दिया। हमारे दो नंगे बदन एक दूसरे के साथ रगड़कर जैसे काम वासना की आग पैदा कर रहे थे। मेरा लण्ड एकदम फौलाद की तरह कड़क हो गया था। मैंने दीपा की चूत पर हाथ रखा तो पाया की वह तो अपना रस ऐसे बहा रही थी जैसे झरना बह रहा हो।
मैंने अपनी पत्नी को कहा, "जानेमन तुम बड़ी गरम हो गयी हो। क्या बात है?"
दीपा ने भी उसी लहजे में कहा, "तुम ऐसी बातें कर कर के मुझे गरम जो कर रहे हो।"
उस रात को मैं भूल नहीं पाउँगा। उस ने खूब चुदवाया। वह तिन बार झड़ गयी और मैं दो बार। मुझे लगा जैसे मेरे दोस्त तरुण का तीर निशाने पर लग रहा था। रात को दीपा के सो जाने के बाद अचानक मेरे मन में एक विचार आया।