Thread Rating:
  • 5 Vote(s) - 2 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery चाहत... {completed}
#3
Heart 
 चाहत बीबी की... 

मेरा नाम दीपक है। यह वाक्या काफी सालों पहले का है। मैं उन दिनों जयपुर में रहता था।

एक प्राइवेट कंपनी ने में सेल्स डिपार्टमेंट में सीनियर मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव था। मेरा परफॉरमेंस अच्छा था और सेल्स में मैं हमारी कंपनी में अक्सर अव्वल या पुरे इंडिया में पहले पांच में रहता था। मेरा बॉस मुझसे बहुत खुश था। मेरी प्रमोशन के चांस अच्छे थे। एक बार एक पार्टी में जहां मैं मेरी पत्नी दीपा के साथ गया हुआ था वहाँ मेरे बॉस भी आये हुए थे। वहाँ मैंने मेरी पत्नी से बॉस को मिलाया। दीपा को देख कर मेरा बॉस काफी प्रभावित हुए। उस पार्टी में बॉस ने दीपा से काफी इधर उधर की बातें की।

मेरी पत्नी दीपा की जवानी और खिली हुयी लगती थी। वह उस समय कोई २८ साल की होगी। हमारी लव मैरिज हुई थी। दीपा अत्यन्त सुन्दर थी।

दीपा का चेहरा लंबा सा था। उसकी आँखें धारदार थीं और पलकें घनी, पतली और काली थीं। दीपा नाक नुकीली सीधी सुआकार थी। दीपा के गाल ना फुले हुए थे ना ही पिचके हुए थे। बिलकुल सही मात्रा में भरे हुए थे। दीपा के कान के इर्दगिर्द उसके बालों की जुल्फ घूमती नजर आ रही थी। घने और काले बाल दीपा की कमर तक लम्बे थे जिन्हें वह अक्सर बाँध कर रखती थी जिससे उसके सौन्दर्य में चार चाँद लग जाते थे। देखने में मेरी पत्नी कुछ हद तक हिंदी फिल्मों की पुराने जमाने की अभिनेत्री राखी की तरह दिखती थी, पर राखी से कहीं लम्बी थी। आजकल फिल्मों में उसे परिणीति चोपड़ा से कुछ हद तक तुलना कर सकते हैं।

दीपा कमर से तो पतली थी पर उसके उरोज (मम्मे) पूरे भरे भरे और तने हुए थे। कोई भी देखने वाले की नजर दीपा के चेहरे के बाद सबसे पहले उसके दो फुले हुए गुम्बजों (मम्मों) पर मजबूरन चली ही जाती थी। उसके तने हुए ब्लाउज में से वह इतने उभरते थे, की मेरी बीबी के लिए उन्हें छिपा के रखना असंभव था और इसी लिए काफी गेहमागहमी करने के बाद उसने अपने बूब्स छुपाने का विचार छोड़ दिया। क्या करें वह जब ऐसे हैं तो लोग तो देखेंगे ही। दीपा की पतली फ्रेम पर उसके दो गुम्बज को देखने से कोई भी मर्द अपने आप को रोक ही नहीं पायेगा ऐसे उसके भरे हुए सुडोल स्तन थे। दीपा उन्हें किसी भी प्रकार से छुपा नहीं पाती थी। मैंने उसे बार बार कहा की उसे उन्हें छुपा ने की कोई जरुरत नहीं है। आखिर में तंग आकर उसने उन्हें छुपाने का इरादा ही छोड़ दिया। उसका बदन लचीला और उसकी कमर से उसके उरोज का घुमाव और उसके नितम्ब का घुमाव को देख कर पुरुषों के मुंह में बरबस पानी आ जाना स्वाभाविक था।

ज्यादातर दीपा साडी पहनकर ही बाहर निकलती थी। उसे जीन्स पहनना टालती थी क्यूंकि उसकी लचिली जाँघें, गाँड़ और चूत का उभार देख कर मर्दों की नजर उसीके ऊपर लगी रहती थी। जब कभी दीपा जीन्स या लेग्गीन पहनती थी तो दीपा बड़ी ही अजीब महसूस करती थी क्यूंकि सब मर्द और कई औरतें भी दीपा की दोनों जाँघों के बिच में ही देखते रहते थे।

मैं और दीपा एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। मैं एक साल सीनियर था। कॉलेज में हजारों लड़को में कुछ ही लड़कियां थी। उनमे से एक दीपा थी। परन्तु वह मन की इतनी मज़बूत थी की कोई लड़का उसे छेड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। कई बार शरारती लड़कों को चप्पल से पीटने के कारण वह कॉलेज में बड़ी प्रख्यात थी।

दीपा बातूनी भी बड़ी थी। बचपन से ही उसे काफी बात करने की आदत थी। उसे पुरुषों से बात करने में कोई झिझक नहीं होती थी। उसकी इसी आदत के कारण कई बार मैं मजाक में ताने मार कर उसे बसंती (शोले पिक्चर वाली हेमामालिनी) कहकर बुलाता था। बात करते करते वह अक्सर खिल खिलाकर हँस भी पड़ती थी। दीपा की इसी मस्ती भरी बात करने की आदत और हँसी के कारण मैं दीपा से आकर्षित हुआ था। साथ साथ में वह काफी संवेदनशील (इमोशनल) भी थी। किसी अपाहिज को अथवा गरीब भिखारी को देख कर उसकी आँखों में आँसूं भर आते थे। हम जब कोई हिंदी मूवी देखने जाते तो करुणता भरा दृश्य देख कर वह रोने लगती थी। कॉलेज में कई लड़के दीपा को पटाने में जुटे हुए थे। पर उन सबके मुकाबले मैं दीपा का दिल जितने में कामयाब हुआ था। पता नहीं दीपा ने मुझ में क्या देखा जिसके कारण उन सब हैंडसम और रईस लड़कों के मुकाबले मुझे पसंद किया। शायद दीपा को मेरी सादगी और सच्चापन अच्छा लगा।

कॉलेज के लड़कों के मन में दीपा को पाने की ख्वाहिश तो थी। पर न पा सकने के कारण उसकी पीठ पीछे कई लड़के दीपा के बारेमें ऐसी वैसी अफवाएं जरूर फैलाया करते थे। खास तौर से मैंने कॉलेज के कुछ लडकोंको यह कहते सुना था की दीपा का उसके साथ या किसी और के साथ अफेयर था। वह कॉलेज में लडकोसे बिंदास मिलती थी पर किसकी क्या मजाल जो उससे भद्दा मजाक करने की हिम्मत करे। वह भी कोई ज़माना था जो बीत गया और अब हम शादीशुदा संसार के चक्रव्यूह में फँसे हुए अपना अपना काम कर रहे थे।

बॉस ने एक बार मुझे और दीपा को घर पर डिनर के लिए आमंत्रित किया। उन के घर में उनकी पत्नी और दो बच्चों से हमारी मुलाक़ात हुई। बॉस का घर काफी बड़ा था और उसमें कई कमरे थे और आगे एक बढ़िया सा बगीचा भी था। बॉस की बीबी कुछ रिजर्व्ड नेचर की थी और बहुत कम बोलती थी। बॉस स्मार्ट और हैंडसम थे। कुछ हद तक रंगीले मिजाज के भी थे। हालांकि उन्हें लम्पट नहीं कहा जा सकता। उन्हें हमें मिलकर अच्छा लगा। जहां तक बॉस की बीबी का सवाल था तो उसे हमसे बात करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी और पहचान की औपचारिकता होने के बाद वह अपने बैडरूम में जाकर टीवी देखने में व्यस्त हो गयी।

बीबी के वहाँ से हटते ही बॉस तो जैसे आझाद पंछी हो गए और दीपा से बिंदास बातें करने में लग गए। दीपा बातूनी तो थी ही। सही श्रोता मिल जाने पर उसे बोलने से रोकना बड़ा ही मुश्किल था। दीपा को मेरे बॉस के साथ खुले दिल से बात करने में कोई हिचकिचाहट नहीं महसूस होती थी। मेरे बोस को शायद दीपा की यह बात अच्छी लगी। मेरे बॉस और दीपा ने काफी इधर उधर की बातें की। मेरे बॉस तो वैसे ही सेल्स के आदमी थे। वह बातें बनाने में माहिर थे। दीपा उनसे बातें करते हुए उतनी उत्साहित हो जाती की यह ख्याल किये बगैर की वह मेरे बॉस थे, दीपा कई बार बातों के जोश में बॉस का हाथ थाम लेती या उनकी जांघ के ऊपर या पीठ के ऊपर हलकी सी टपली लगा देती। दीपा के लिए वह आम बात थी पर बॉस इस के कारण उत्तेजित हो जाते और कुछ और ही सोचने लगे।

और जब मेरे बॉस बातें करने लगे मुझे यह समझने में देर नहीं लगी की मेरे बॉस दीपा पर फ़िदा थे और दीपा पर लाइन मार रहे थे। इसके दो कारण थे। पहला यह की मौका मिलते ही बॉस भी दीपा का हाथ थाम लेते थे। पर दीपा का बॉस का हाथ थामना और बॉस का दीपा का हाथ थामने में फर्क होता था। दीपा तो हाथ पकड़ कर छोड़ देती थी। पर बॉस दीपा का हाथ थामे रखते थे जब तक दीपा उसे अपने हाथों से छुड़ा ना लेती थी। मुझे लगा की शायद दीपा ने भी यह महसूस किया था। पर उसने उसको नजरअंदाज कर दिया। और दुसरा कारण यह था की मैंने बॉस की नजरें देखि थीं जो दीपा के सुआकार कूल्हों पर और दीपा की उभरी हुई छाती पर अक्सर अटक जाती थीं।

दीपा कुछ भी ना समझते हुए बातों पर बातें करे जा रही थी। कुछ देर बाद जब बॉस की बीबी आयी और उसने देखा की उस के पति दीपा से कुछ ज्यादा ही बात करने में जुटे हुए थे। तब उसने सब को खाने के लिए डाइनिंगरूम में आने को कहा। तब कहीं जा कर उनकी बातों का दौर खत्म हुआ। खैर दीपा के बातूनीपन से मुझे यह फायदा हुआ की मैं बॉस का और भी पसंदीदा बन गया। मुझे बॉस से कुछ ज्यादा ही मदद मिलने लगी। बॉस जब भी मुझे मिलते दीपा के बारे में जरूर पूछते।

एक बार जब बॉस की पत्नी और बच्चे बाहर गए हुए थे तो हमने बॉस को हमारे घर खाने पर बुलाया। बॉस ने जब हमारे घर की सजावट देखि और दीपा के हाथ का खाना खाया तो वह दीपा के कायल ही हो गए और दीपा की बड़ी तारीफ़ करने लगे। उस शाम दीपा और बॉस करीब दो घंटे तक बातें करते रहे। जब दीपा रसोई में कुछ बनाने जाती थी तो बॉस भी वहाँ चले जाते और खड़े खड़े दीपा को देखते हुए दीपा से इधर उधर की बातें करते रहते थे। मुझे पक्का यकीन था की दीपा जब रसोई में व्यस्त होती थी तो बॉस रसोई में दीपा की पीछे कुछ दूर खड़े हुए दीपा से इधर उधर की बातें करते करते दीपा की सुआकार गाँड़ को देख कर अपनी आँखों को सेक रहे होंगे।

उन दिनों दीपा के पिता को अचानक ह्रदय की बिमारी के कारण हॉस्पिटल में दाखिला हुआ और उसके लिए दीपा की फॅमिली को अतिरिक्त तीन लाख रुपये की जरुरत पड़ी। मेरे पास एक लाख की डिपाजिट बैंक में थी वह मैंने निकाल कर दी, पर दो लाख रुपये और चाहिए थे। जब मेरी दीपा से बातचीत हुई तो मैंने कहा एक ही आदमी हमारी मदद कर सकता है और वह है बॉस। पर मुझे बॉस से पैसे मांगने में हिचकिचाहट हो रही थी। दीपा ने कहा की वह मेरे बॉस से बातचीत करेगी।

दूसरे दिन दीपा मेरे ऑफिस में आयी और बॉस की केबिन में जा कर उसने बॉस से बात की। दीपा की बात सुन कर बॉस का दिल पसीज गया और बॉस दो लाख रुपये देने के लिए राजी हो गये। दीपा ने जब पूछा की उन्हें वापस कैसे करने होंगें, तब बॉस ने कहा, वह पैसे वापस देने की जरुरत नहीं होगी, क्यूंकि बॉस मेरे परफॉरमेंस इन्सेंटिव (कार्यक्षमता आधारित अधिकृत बोनस) में से ही यह पैसे वसूल कर लेंगे। उन्हें पक्का भरोसा था की इतना अधिक सेल तो मैं कर ही लूंगा। दीपा बॉस की इस उदारता से इतनी गदगद हो गयी की उस की आँखों में आँसूं भर आये और दीपा ने बॉस के दोनों हाथ पकड़ कर बहुत शुक्रिया अदा किया। बॉस ने फ़ौरन अपने खाते में से दो लाख रूपये निकाल कर दिए। दीपा मेरे बॉस की ऋणी हो गयी।

हमने वह पैसे तो वापस कर दिए पर दीपा मेरे बॉस की ऐसी ऋणी हो गयी की समय समय पर वह उन्हें कोई ना कोई गिफ्ट भेजती और जब बॉस की बीबी नहीं होती तो उन्हें खाना खाने के लिए बुलाती या खाना भिजवाती। बॉस भी मौक़ा मिलते ही दीपा को मिलने आ जाते या जन्म दिवस या शादी की सालगिराह पर आ जाते और महंगे तोहफे देते। ऐसे मुझे लगा की बॉस और दीपा के बिच में कुछ ना कुछ आकर्षण की बात बन रही थी।

मैंने दीपा को भी कहा की बॉस उसके ऊपर लट्टू हो गए थे। दीपा मेरी बात सुनकर शर्मायी और फिर हंसने लगी। उसने कहा, "क्यों? जलन हो रही है क्या? तुम्हारे बॉस है ही इतने अच्छे। स्मार्ट हैं, यंग हैं, भले आदमी हैं। अगर वह मुझे पसंद करते हैं तो यह अच्छी बात है।"

मुझे उस रात को सपना आया की जब मैं टूर पर गया था तो बॉस मेरे घर आये और दीपा और बॉस दोनों ने मिलकर जमकर चुदाई की। मैं इस सपने को देख कर इतना उत्तेजित हो गया की रात को नींद में मेरे पाजामे में ही मेरा छूट गया।

पहली बार मैंने महसूस किया की मैं भी एक तरह से ककोल्ड हूँ। ककोल्ड का मतलब है अपनी पत्नी को किसी गैर मर्द से चुदाई करवाने के लिए लालायित मर्द। शायद उसी दिन से मेरी बीबी को किसी गैर मर्द से चुदते हुए देखने की एक ललक मेरे मन में घर कर गयी।

हमारी शादी को सात साल हो चुके थे और कहते है की सात साल के बाद एक तरह की खुजली होती है जिसे कहते है सातवें साल की खुजली (seven year itch)। तब अजीब ख्याल आते है और सेक्स में कुछ नयापन लाने की प्रबल इच्छा होती है।

शादी के कुछ सालों तक तो हमारी सेक्स लाइफ बड़ी गर्मजोश हुआ करतीथी। हम २४ घंटों में पहले तो तीन तीन बार, फिर दो बार, फिर एक बार ओर जिस समय की मैं बात कर रहा हूँ उनदिनों में तो बस कभी कभी सेक्स करते थे। शादी के सात सालों के बाद बहुत कुछ बदल जाता है। पति पत्नी के बिच कोई नवीनता नहीं रहती। एक दूसरे की कमियां और विपरीत विचारों के कारण वैमनस्य पारस्परिक मधुरता पर हावी होने लगता है। और वैसे ही पति पत्नी एक दूसरे को "घर की मुर्गी दाल बराबर" समझने लगते हैं। उपरसे बच्चों की, नौकरी की, घर की, समाज की, भाई बहनों की, माँ बाप की, बगैरह जिम्मेदारी इतनी बढ़ जाती है की सेक्स के बारे में सोचने का समय बहुत कम मिलता है।

सामान्यतः मध्यम वर्ग की पत्नियों पर बोझ ज्यादा रहता है। इस कारण वह शाम होते होते शारीरिक एवं मानसिक रूपसे थक जाती है। वह अपने पति के क्रीड़ा केलि आलाप की ठीकठाक प्रतिक्रया देने में अपने को असमर्थ पाती है। उस समय पारस्परिक आकर्षण कम हो जाता है। अक्सर दीपा थक जाने की शिकायत करती और जल्दी सो जाती। गरम होने पर भी मुझे मन मसोस कर सो जाना पड़ता था। इस कारण धीरे धीरे मेरे मनमे एक शंका ने घर कर लिया की शायद वह मेरी सेक्स करने की क्षमता से संतुष्ट नहीं है। बात भी कुछ हद तक गलत नहीं थी। जब वह गरम हो जाती थी तब कई बार उस से पहले ही मैं मेरा वीर्य उसके अंदर छोड़ देता था। तब मेरी पत्नी शायद अपना मन मसोस कर रह जाती होगी। हालांकि दीपा ने मुझे कभी भी इस बारें में अपनी कोई शिकायत नहीं की।

मेरी बीबी को सेक्स मैं ज्यादा रस नहीं रहा था। जब मैं सेक्स के लिए ज्यादा तड़पता था और उसे आग्रह करता था, तो वह अपनी पैंटी निकाल कर, अपना घाघरा ऊपर करके, अपनी टाँगे खोलकर निष्क्रिय पड़ी रहती थी जब मैं उसे चोदता था। मुझे उसके यह वर्ताव से दुःख होता था, पर क्या करता?

पर कभी कबार अगर जब कोई कारण वश दीपा गरम हो जाती थी तो फिर खुब जोश से चुदाई करवाती थी। जब वह गरम होती थी तो उससे सेक्स करने का मज़ा ही कुछ और होता था। इसी लिए मैं ऐसे कारण ढूंढ़ता था जिससे वह गरम हो जाए।

मेरी पत्नी को घूमने फिरनेका और सांस्कृतिक अथवा मनोरंजन के कार्यक्रमों, जैसे संगीत, कवी सम्मलेन, नाटकों, फिल्मों, पार्टियों, पिकनिक इत्यादि में जानेका बड़ा शौक था। ऐसे मौके पर वह एकदम बनठन कर तैयार हो जाती थी। और अगर उसको वह प्रोग्राम में मझा आया तो वह बड़े चाव से उसके बारे में देर रात तक मेरे साथ बैडरूम में बात करने लगती।

मैं उसीकी ही बात को दुहराते हुए उसके कपडे धीरे धीरे निकालता, उसके मम्मों को सहलाता और उसकी चूत के उभार पर हलके से मसाज करता, झुक कर उसके रसीले होँठों और बॉल को किस करता और निप्पलों को अपने दाँतों में दबा कर धीरे से काटता, फिर उसके पेट, नाभि और चूत को चाटता और उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे गरम करता। उस समय बाते करते हुए वह भी गरम हो जाती और बड़े आनंद से मेरा साथ देती और मुझसे अच्छी तरह चुदवाती। पर ऐसा मौक़ा ज्यादा नहीं मिलता था।

हालांकि मेरी पत्नी दीपा बहुत शर्मीली, रूखी और रूढ़िवादी (मैं तो यही सोचता था) थी, पर जब उसे बाहर घूमने का मौका मिलता था तो वह अच्छे से अच्छे कपडे पहन कर तैयार होती थी। उसे कपडे पहननेका शौक था और उस समय वह शालीनता पूर्वक अपने मर्यादित अंग प्रदर्शन करने में झिझकती नहीं थी।
[+] 3 users Like usaiha2's post
Like Reply


Messages In This Thread
चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:05 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:06 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:11 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:12 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:13 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:15 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:16 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:18 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:22 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:24 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:25 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:26 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:28 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:29 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:31 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:32 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:34 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:35 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:37 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:38 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:39 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:40 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:41 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:42 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:43 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:45 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:47 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:48 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:49 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-12-2019, 07:49 PM
RE: चाहत... {completed} - by kamdev99008 - 15-12-2019, 01:51 AM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 22-01-2020, 04:25 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 07-04-2020, 10:43 PM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 12-05-2021, 09:50 AM
RE: चाहत... {completed} - by usaiha2 - 01-08-2021, 04:09 PM
RE: चाहत... {completed} - by dickcassidy - 08-08-2021, 01:15 AM
RE: चाहत... {completed} - by raj500265 - 21-08-2022, 01:01 AM
RE: चाहत... {completed} - by koolme98 - 01-02-2023, 04:34 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)