07-12-2019, 06:55 PM
मैंने उनकीं आंखों में देखतें हुए थोड़ी देर तक उन पांचों लन्ड चूस लिए. वे एक के बाद एक वीर्य की पिचकारीयां मेरे मुंह पर उड़ा रहे थे और मैं आज्ञाकारी गुलाम कुतिया की तरह उपर उनकीं आंखों में देख रहीं थी.
बाद में उन्होंने मुझे एक बड़े से पूल टेबल पर लिटा दिया. कोई मेरे बूब्स दबा रहा था, कोई मेरी पैंटी सूंघ रहा था, कोई मेरे तलवे चाट रहा था, तो कोई मेरी चूत में उँगली कर रहा था. लगा. भोलानाथ छोड़ सभी ने शराब पी रखी थी. उनमें से एकने मेरे गोरे नंगे जिस्म पर शराब गिरा दी और मुझे चाटने लगा. बहुत ज्यादा शरम आ रही थी।
फिर अशोक ने मेरी पर्स से वैसलिन निकाला और मेरी गांड, चूत और उनकें लंड को लगा दिया. फिर मेरे पैर फैलाकर अपनें कंधो पर रखकर एक के बाद एक सभी ने चोदा. उस हॉलमें अगले ३० मिनिट मेरी चींखे, उनकीं गालियां, स्वीटू गिडगिडाना कि, "प्लीज़ मेरी मॉम को छोड़ दो" और उनकीं गोटियाँ जोर से मेरे जिस्म से टकराकर [टाप टाप टाप] की भयावह आवाज़ कर रहीं थी. झड़ने के बाद हर एक ने अपना वीर्य मेरे मुझें पीनेपर मजबूर कर दिया.
उनके बाद भोलानाथ मुझपर चढ़ गया. भोलानाथ ५'७" का होगा लेकिन उसका लंड सबसे बड़ा था. हम दोनोँ बिल्कुल नंगे थे. "देखो मै तुम्हेँ कुछ नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा बस मेरा सहयोग करो."
भोलानाथ मेरे टाइट बूब्स को मसल रहा था. मैं उसका मुकाबला नहीं कर सकतीं थी. उन्होंने नकुल को गनपॉइंट पर हाथ बांधकर बिठा रखा था और वो असहायतासे चुपचाप ये सब देख रहा था. अब भोलानाथ मेरे पैरों को फैलाकर अपनें हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगा, उसने उसका लंड मेरी कोमल चूत के छेद पर रखा और झटका देकर अपना लोहे जैसा लंड मेरी चूत में घुसा दिया. मैं छटपटाईं, उसका लंड जड़ तक चूत की गहराई में खो गया.
वो धीरे धीरे अंदर-बाहर कर रहा था.
वो लगभग ३-४ मिनट तक मुझे चूमता रहा किया.
"तुमने कहा था ना कि तेरे जैसे को मुंह क्या जूती भी न लगाऊ!" वो हंसने लगा और फिर उसने मेरे ओठों का रस चूसा. बाद में उसने कहा "मेरी बगल चाटों" उससे एक मर्दोंवाली खुशबू आ रही थी. मैंने उसके अंडरआर्म्स चाटे जो पसीने से गीले थे. फिर उसने अपनी रफ्तार बढाई. उसके चौड़े शरीर का पूरा भार मुझपर पड़ रहा था. उसकी बालों वाली भरी हुईं मर्द की छाती मेरे कामुक मुहं से रगड खा रही थी. भोलानाथ: "मेरी छाती चूम" मैं उसकीं छाती चूमने लगीं. हम दोनोँ का पूरा बदन एकदूसरे से घर्षण कर रहा था. वो मेरे चिकने और नाजुक बदन पर अपना देसी घी वाला, बालों वाला शरीर मुझसे रगड रहा था. करीब 10 मिनट्स बाद उसने मेरे मुंह पर वीर्य की जोरदार पिचकारी छोड़ दी.
मैं अब रोते हुए बोली, "अब तो हमें छोड़ दो प्लीज़...मैंने तुम लोगों का हर बात मानी...प्लीज़ अब मुझे और मेरे बेटे को छोड़ दो."
भोलानाथ: "छोड़ेंगे रानी, छोड़ेंगे. ओये १७ यिर्स ओल्ड बॉय, अपने कपड़े उतार."
मैं: "उसे कुछ मत करना! प्लीज़....मैं आय बेग यु"
नकुल: "नहीं, ये गलत है"
मैंने देखा नकुल ने तबतक कपडें उतार दिए थे. उसका सफ़ेद और चिकना लंड उत्तेजना से लाल और स्टील के रॉड जैसा सख्त हो चूका था! "चोद अपनी मॉम को."
अशोक: "साले, जिंदा घर जाना है या नहीं?" उसने बंदूक तानकर पूछा.
मैं: "नकुल, आ जाओ" मैं असहायता से बोली.
भोलानाथ: "अपनी मम्मी की चूत चाटो." शायद नकुल ने पहली बार ही चूत देखी थी. "दूध पियो", "अब मम्मी की चूत में लंड डाल और शुरू हो जा. और एक बात याद रखना, अपने फव्वारा मम्मी की चूत के अंदर छोड़ना"
स्वीटू सिर्फ ५ मिनट्स में झड़ गया. वो कांप रहा था. क्योंकि उसने शायद पहली बार ही सेक्स किया था.
थोड़ी देर वो उसी स्थिति में रहा. हम दोनोँ अब पसीनेसे पूरी तरह गिले हो चुके थे. मेरा पूरा चेहरा और जिस्म दारू, उन मर्दों के पसीने और वीर्य से भर गया था। मुझें लगा अब वे सभी झड़ गए है और सेक्स नहीं कर सकतें. इसीलिए मैं उठकर अपनें कपडें उठाकर पहनने लगीं.
भोलानाथ का दोस्त (१) "ये रुक."
मैंने उसकीं तरफ ध्यान नहीँ दिया और अपनीं पैंटी पहन ली.
ड्राइवर (अशोक): "वाह! रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया!"
ड्राइवर (अशोक)ने मुझें मेरे बालों से घसीटकर मुझें घुटनों पर बिठाया. और फर्श पर थुक दिया. "चाट इसे!"
मैंने इंकार किया तो उसनें मेरे बाल पकडकर मेरा मुंह फर्श पर लगा दिया और मुझें थुक चाटने पर मजबूर किया. "ये है तेरी औकात! समझीं साली रांड!"
भोलानाथ का दोस्त (१): "जानेमन, पैर चाट." मैंने उसका बालों से भरा हुआ पैर तलवों से लेकर उसकी जांघो तक चाटा. तभी उसने मुझ पर मूतना शुरू कर दिया.
अशोक (ड्राइवर) ('भोलानाथ का दोस्त (१)'को रोकते हुए): "अबे रुक रुक रुक!", "रानी, बस आखरी मेहेरबानी..." और हल्के से हंसने लगा. "मूत पी!"
फिर 'भोलानाथ का दोस्त (१)'ने मेरा चेहरा पकडकर अपना लंड मेरे मुंह में घुसाकर मूतना शुरू कर दिया. मैंने मुह से उसे बाहर फेंक दिया तो अशोकने स्वीटू पर बंदूक तान दी. "पी जा वरना तेरा बेटा तो यहीं है."
मैंने उन पाचों की मूत पी और उन्होंने मेरे पुरे शरीर को अपनी मूत से भिगो दिया.
भोलानाथ: "अब अशोक (ड्राइवर) को छोडकर बाकी सभी कपडें पहनो और निकलों हम आतें हैं"
भोलानाथ (मेरा चेहरा पकडकर): "सुनिए मेमसाब, रात गई बात गई. अगर किसको कानोंकान खबर मिली तो आपके बेटें के लिए अच्छा नहीं होगा!" मैंने कुछ नहीं कहा.
भोलानाथ: "अब नहा ले. तुझे रिसेप्शन भी छोड़ना है."
मैं मेरे कपड़े उठाकर बाथरुम में गई. मैंने जैसे तैसे हाथ मुंह धो लिया, (और 10 मिनिट्स में) कपड़े पहनकर चलने लगी. (मेरी पैंटी और पर्स वो लोग लेकर भाग गए थे.) अब यहाँ पर १. भोलानाथ २. अशोक (ड्राइवर) ३. स्वीटू और मैं थी.
भोलानाथ: "रुक."
मैं: "अब क्या?"
भोलानाथ: मेरी आँखों में देखतें हुए. "मैं अब यही रहनेवाला हूँ. तुझ जैसा कडक माल फिर जिन्दगी में कब मिलेगा? फिर उसने खड़े खड़े मुझें अपनीं बाहोंमे उठा लिया और मेरी साड़ीनुमा ड्रेस मेरी नाभी तक उपर उठाकर और मुझे अपनें लंड पर बिठाकर उपर-नीचें करना चालू दिया...इस बार मेरी आवाज बहुत तेज हो गई थी. मैं थकान की वजह से "आह्ह...हाहाह... हाहाह" कर रही थी. उसने मुझे छोटी बच्ची जैसे उठाया था. उसनें अपना पूरा वीर्य मेरी गांड के छेद पर उड़ा दिया.
मैं फिर वापिस नहाने गईं. मेरे पर्स में लिप्स्टिक वगैरह मेकअप किट था तो मैंने हल्का सा मेक-अप भी कर लिया और तैयार होकर आई.
थोड़ी देर बाद हम फार्महाउस पहुँच गए. उसने कार फार्महाउस से थोड़ी दूर एक अंधेरे कोने में पार्क की, मैं जैसे ही गाडी से नीचे उतरी भोलानाथने मुझे गाडीसे सटा दिया और अपनें एक घुटनेंपर बैठकर मेरी साड़ीनुमा ड्रेस उपर उठाई और मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी. अब नकुल वही खड़ा था. ये सब उसके सामने हो रहा था. मैं गाडीके सहारे खड़ी थी और भोलानाथ तकरीबन ४-५ मिनट तक मेरी कोमल चूत चूसता रहा. थोड़ी ही देर बाद ही मेरा जिस्म एकदमसे ऐंठ गया और मैं जोर से चींखते हुए भरभरा कर झड़ गयी। मेरा जिस्म में मानों बिजली दौड़ पड़ीं थी. थोड़ी देर के लिए मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया था. फिर वो उठा और "जब भी टीवी पर किसी हीरोइनको देखूंगा तो आपकी बहुत याद आएगीं, मेमसाब" कहकर, कसकर गले लगाकर वो अपनीं गाडी में अपने अशोक के साथ फरार हो गया. ये मेरे लिए बहुत ही अपमानजनक था क्योंकि ये सब मेरे बच्चे के सामने हो रहा था.
हम रिसेप्शन में पहुंचे. लतिका से, उसके पति से, अपनें दोस्तों से मिली. हमारे साथ जो हुआ इसकी हमनें किसीको भनक तक नहीँ लगने दी. मैं पुरे रिसेप्शन बगैर पैंटी के घुमती रहीं. नकुल खाना खाकर अपनी रूम में सोने चला गया. मैं भी रात के लगभग २ बजे सोने गई. लम्बें सफर और चुदाई से मैं भी थक चुकीं थी. पुरे शरीर को बॉडीलोशन लगाकर मैं सो गई. फिर अगले दिन सीधा १० बजे ही हम उठे. खाना वगैरह खाया, दोस्तों से बातें की और शाम को उनकीं ही की गाडीसे हम रांची-मेरे मायके आ गए. उस दिन मैं मेरे परिवार के हर सदस्य से मिली. हम दोनों कल रात की घटना को भुलाने की कोशिश कर रहें थे. हम मेरे परिवारके में घुलमिल गए, हंसे, मुस्कुराएँ, मस्ती की, बातें की. शाम को खाना खाकर हम ८ बजे स्टेशन पहुँच गए. हमें कुछ तकलीफ ना हों इसीलिए मेरे पापा ने पूरा कोच ही बुक कर दिया था! ९ बजे ट्रेन वहां से निकली हम दरवाजें से घरवालों अलविदा कर रहें थे. मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि मैं सबको छोड़कर वापिस एक असुरक्षित दुनिया में जा रहीं थी. मैं दरवाजें में ही खड़ीं थी. नकुल मेरी हालत समझ सकता था. मैं अचानक एक अकेलापन मह्सूस करने लगी थी. बचपनसे लेकर जवानी तक की सभी यादें ताजा हो गई थी. इसी स्टेशनपर नकुल के पापा की और मेरी मुलकात हुईं थी...
पुरे कोच में अब सिर्फ हम दो और एक अटेंडेंट थी. लेकिन मैं नकुल से ज्यादा बातें नहीं कर पा रहीं थी.
नकुल: "मॉम, आप अंदर बैठों मैं ५ मिनिट्स में वापिस आता हु."
मैं: "कहाँ जा रहे हों?"
नकुल: "यहीं हूँ. बस १ मिनिट. आप अंदर आराम कीजिए."
मैं: "ठीक है लेकिन जल्दी आना!" वो अटेंडेंट की रूमकी तरफ चला गया और एक थैली लेकर मेरे सामने आ गया!
नकुल: "मेरी तरफ से आपके लिए गिफ्ट है!!"
मैं: "क्या है इसमें???"
नकुल: "खुद ही देख लों और इसे प्लीज़ पहन भी लो. मैं आया"
मैं: "अभी?"
नकुल: "हां, अभी प्लीज़ मॉम.. मैं बाहर जा रहा हूँ तब तक चेंज कर लेना"
नकुल को मुझे हमेशा मुझे सरप्राइज करने की आदत है और उसके सरप्राइजेस मुझे बहोत अच्छे भी लगते है. शायद वो हम दोनों को नॉर्मलाइज करने की कोशिश कर रहा था.
मैं: "लेकिन क्यों?"
नकुल: "मॉम..प्लीज़ ना.."
मैंने बॉक्स खोला, उसमें मरून रंग की एक 'रफल पॉली जोर्जेट' साड़ी थी! और साथ में स्लीवलेस ब्लाउज भी था.
नकुल (दुसरे कम्पार्टमेंट से): "मॉम, अच्छा लगा?"
मैं: "हां, स्वीटू."
नकुल: "अब उसे पहन भी लीजिए"
मैं: "अभी?"
नकुल: "हां, बाबा हां! अभी!"
मैं: "मैंने साड़ी पहन ली है, अब आ जाओ"
"सरप्राइज! हैप्पी बर्थडे टू यु...हैप्पी बर्थडे टू यु...डियर मॉम... हैप्पी बर्थडे टू यु..." वो छोटा सा कप केक ले आया.
पतरातू में हुई घटना की वजह से मैं भूल गई थी कि आज मेरा और नकुल का भी बर्थडे है! "हैप्पी बर्थडे, स्वीटू! एंड आय ऍम सॉरी कि मैं तुम्हारा जनमदिन भूल गई"
"अरे कोई बात नहीँ, मॉम! आज तो आपका भी बर्थडे है! उसनें मुझे हल्का सा हग और माथे पर किस किया.
मेरी आंखों में आंसू आ गए. "ओह.. थैंक यु बेटा..."
मैंने हमारे कम्पार्टमेंट का दरवाजा लॉक कर दिया.
"अब यहाँ से बाहर मत निकलना!!! और मुसीबतें नहीं चाहिए!"
"ठीक है, नहीँ निकलूंगा!" उसनें कपकेक मेरे मुंह में डाल दिया.
ट्रेन अभी राउरकेला के पीछें थी जहां से अब घाट शुरू होनेवाला था. टीटीई हमारी चेकिंग पहलें ही कर चूका था. यानीं अब हमें डिस्टर्ब करनेवाला कोई नहीँ था. हम दोनोँ में ज्यादा बातें नहीं हो रहीं थी. हम दोनोँ एक दूसरे के प्रति गिल्टी फिल कर रहे थे. मैंने नकुल को कसकर गले लगाकर रोने लग गई. २-३ मिनिट्स तक वो कुछ नहीं बोला.
"मॉम मैं आपकी हालत समझ सकता हूँ."
"अब तुम बडें हो गए हों. पुरे १८ साल के! तुम्हेँ मजबूत होना पडेगा, मेरी रक्षा करनी होंगी." मैं उसका चेहरा दोनों हथेली में पकडकर बोली.
"सॉरी मॉम...मैं उस वक्त कुछ नहीं कर पाया." वो नीचें देखतें हुए बोला.
"इसमें तुम्हारीं कुछ भी गलती नहीं है उल्टा तुमने हम दोनों की जान बचाई है" मैं उसे गले लगाकर बोली.
"मैं क्या करता, मॉम? उसनें तुम्हेँ मारने की धमकी दी थी. और आपको तो पता है मैं आपके सिवा नहीं रह सकता" वो मुझसे हतबलता से बोला.
"स्वीटू..भूल जाओ उस बात को..मैं हु ना तुम्हारें साथ."
"पक्का?"
"हां मेरे राजकुमार पक्का! बस जब मैं बूढी हो जाउंगी तो मुझें वृद्धाश्रम नहीं भेजना" हाहाहा
"कभी भी नहीं, मॉम! आय लव यु!" वो बड़ी भावुकता से, मेरी आँखों में देखकर बोला. वो मुझें जैसे गले मीलना चाहता था...जैसे वो आमतौर मुझसे मिलता था लेकिन कल की घटना के बाद वो थोडा सहमसा गया था. मै उसकी अवस्था को समझ सकती थी. फिर मैंने दाए हाथ से चोकलेट कैडबरी उठाई और... मैं: "अरे मैंने तो तुम्हेँ कुछ बर्थडे गिफ्ट दिया ही नहीँ! ये लो हम दोनों को हैप्पी बर्थडे!"
मैंने मेरे दातों में पकडकर कैडबरी चोकलेट का टुकड़ा उठाया और उसका आधा हिस्सा नकुल की तरफ बढ़ाया.
नकुल ने भी उस चोकलेट कैडबरी के टुकड़े को अपनें दातों से पकड़ लिया. हम दोनों एकदूसरेकी आंखों में देखकर कैडबरी चोकलेट खाने लगे. देखते ही देखतें हम इतनें पास आ गए कि हमारें ओठ एकदूसरे को छूने लगे. हम दोनोंमें से कोई भी पीछें नहीं हटा. देखतें ही देखतें हम एकदूसरे के ओठोंपर लगी चोकलेट चूसने लगे. ट्रेन के ए.सी. में भी नकुल (हाईट: ५'७" ; ५८किलो रंग: गोरा) का शरीर गर्म हो गया, वो कांप रहा था. और पागलों की तरह ३-४ मिनिट्स तक मुझे स्मूच करते रहा. उसने मेरे बाल खोल दिए, पल्लू गिरा दिया. मैंने उसका टी शर्ट निकाल दिया और उसकी ट्रैकपैंट भी अंडरवियर के साथ उतार दी.
मेरे सेंट की खुशबू से कम्पार्टमेंट गुलाब सा महक रहा था. नकुलने मुझे उठाकर बर्थ पर लिटा दिया. और मुझपर चढ़ गया. नकुल की साँसें बहुत तेज चल रही थी. मैं उसकी गर्म साँसों को महसूस कर पा रहीं थी. अब मेरी आंखें बंद हो चुकी थी, हमारे होंठ आपस में मिल चुके थे, वो धीरे धीरे मेरे चूस रहा था. हम दोनों का सलाइवा एक्सचेंज हो रहा था. वो पागलों तरह मेरी गर्दन पर, मेरे पेट पर किस कर रहा था. फिर मेरा ब्रा निकालाकर मेरे बूब्स को जोर जोर से मसलने लगा. वो मुझे किस करतें करतें नीचें तक पहुँच गया. पेटीकोट निकाल दिया. मैं अब केवल पैंटी में थी. नकुल ने मेरी टोंन्ड जांघों को चाटना और चूमना शुरू किया, मैंने लाल रंग की कॉटन पैंटी पहन रखी थी, जिसका जो हल्की सी गीली हो चुकीं थी. अब उसने पसीने से गीली हो चुकी मेरी पैंटी उतारी जो थी. नकुल ने उसे सुंघा. "ये वही है जिसपर मैं हररोज मैं अपना वीर्य गिराया करता था."
रात के ११ बज गए थे. बाहर जोरदार बारिश शुरू हो चुकीं थी. ट्रेन तेजीसे दौड़ रही थी. अंदर हम माँ-बेटे दोनोँ पूरी तरह से नंगे थे. नकुल ने मेल्टेड चोकलेट लिया और मेरे सीने लेकर मेरी चूत तक गिरा दिया. और वो उसे चाटने लगा. चाटते चाटते वो मेरी चूत तक पहुंच गया.
"मॉम, आप बहुत खूबसूरत हो."
"हम्म..." J
उसने अपने हाथ से मेरी कोमल चूत की दोनों पत्तियों को अलग किया. अजीब सा एहसास हुआ. मेरी चूत का छेद बहुत छोटा है. नकुलने दोनों फांकों के बीच अपनी जीभ रख दी.
"मॉम, आपनें यहाँ पर भी सेंट लगाया है?"
"नहीँ, बुद्धुराम! ये..." मैं शर्म से लाल हो गई. वो समझ गया मुझे क्या कहना था. इससे वो और उत्तेजित हो गया
"आपके चूत की खुशबू इतनी मस्त है कि दुनिया की सब सुगंध उसके आगे फेल हैं"
वो मेरी चूत को अपनी जीभ चाटने लगा, मेरी तड़प बढ़ गई.
"नकुल, अब और इंतजार मत करवाओ..."
नकुल फिर मेरे उपर लेट गया.
मैंने देर न करते हुए अपने दोनों पैरों को फैलाकर चौड़ा कर दिया. नकुलने मेरी दोनों हथेलियां एकदूसरे में इंटरलॉक कर फैला दी. वो मेरी क्लीन शेव्ड, मोईस्ट बगलों में चोकलेट डाल कर चाटने लगा. "मॉम, आपका अरोमा लाजवाब है...कोई दोष नहीं उनका जो आपकों चाहतें है."
अब हल्के हल्के उसका लन्ड को मेरी चूत में दबाने लगा. चुत इतनी टाइट थी कि लन्ड को आगे पीछे करने में भी मशक्कत करनी पड़ रही थी. उसमें नकुल ने वही कल वाला वैसलिन लगाया और अंदर बाहर करने लगा. उधर ट्रेन जोर से दौड़ रही थी. मैंने नकुल कि पीठ को कसकर पकड़ रखा था.
नकुल धीरे धीरे मैं स्पीड बढ़ाने लगा उतने में हम बर्थ से नीचें गिर पड़े. मैंने नकुल को किसी बंदर के बच्चे जैसे बांहों में कसकर पकड़ रखा था. मैं उसे हर जगह से चूमने लगी। फिर थोड़ी देर बाद मेरे मुह से "आह..आह...आह..." आह की आवाजें निकलने लगी। उसने मेरे होंठ अपने होंठों के बीच दबा लिए और उत्तेजनामें उसने मेरा ओठ अपनें दातों से काट लिया. मैं चीख पड़ीं "आह!!! नकुल!" मेरे ओठों से खून निकलने लगा. "सॉरी मॉम सॉरी" फिर उसने मेरे उसी ओंठ चुसना शुरू किया.
अब नकुल के धक्कों की स्पीड बहुत तेज हो गई थी. नकुल इतना उत्तेजित था या शायद पहली बार मर्जी से सेक्स कर रहा था इस वजह से लेकिन वो बहुत जोर जोर से झटके दे रहा था. उसका लंड मेरी चूत की गहराईयों तक जा रहा था. मेरी चींखे निकल रहीं थी. "आआह्हह्हह..ओह.. नकुल... दो दिन पहलें ही मुझे पीरियड आया था. है, प्लीज अंदर मत करना..." तभी नकुल के लंड ने अपना लावारस मेरी चूत में गहराईयों तक भर दिया।
१०-१५ मिनिट्स हम दोनों वैसे ही पड़े रहें.
मैं: "स्वीटू, तुमने ये क्या किया?"
नकुलः "क्या हुआ मॉम?"
मैं: "स्वीटू, दो दिन पहलें ही मेरा पीरियड्स आए है. इससे मैं फिर माँ बन जाउंगी."
नकुलः "क्या? मतलब हम दोनों का बच्चा? यानीं मैं आपका पति और आप मेरी वाईफ?"
मैंने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी.
नकुलः "मुझें यकीन नही हो रहा जो हमने थोड़ी देर पहले किया."
मैं: "मुझे भी"
नकुलः (मेरे बदनपर रिलेक्स करतें हुए, मेरे पसीने से लतपत अंडरआर्म्स में अपना मुंह रखकर उन्हें को सूंघ और चूम रहा था.): "मॉम, लोग आपके साथ २ मिनट बात करने के लिए तरसते है. और यहाँ आप मेरी बाहों में हो"
मैं: "स्वीटू, एक शेर है तुम्हारें लिए.
'देखूँ तुझें तो प्यास बढ़े,
तू रोज़ बरोज़ दो घूँट चढ़े,
तू मुझसे मैं तुझसे कभी न बिछड़े,
मैंने ख़ुद को तुझपे लूटा दिया, तेरी होके खुदको मिटा दिया' कुछ समझें?"
और उसे हग किया. हम दोनों के जिस्म की खुशबू एक हो गई थी.
थोड़ी देर बाद फिर से नकुल का लन्ड ने फिर सर उठाने लगा.
"मॉम, ये मेरी फैंटेसी थी की आप मेरा लंड चूस रहीं हों..."
मैं अपने घुटनों पर बैठकर उसका लंड हिलाने लगीं. उसके लंड पर हल्के बाल थे. फिर लंड मुह में लेकर उसकीं आंखों में देखकर चूसती रहीं. थोड़ी देर बाद उसने मेरे गले के अंदर अपना वीर्य गिरा दिया जिसे मै पी गई. उस रात हमने लगभग रात के १:३० बजे तक चुदाई की.
रात के १:३० बजे थे. (नकुल तो सो गया था. ट्रेन और बारिश दोनोँ जोर से चल रही थे. हम दोनों नंगे एकदूसरे की बाहों में पड़े हुए थे. लेकिन अब मेरे मन में एक अलग ही विचार आ रहा था.
क्या?
बाद में उन्होंने मुझे एक बड़े से पूल टेबल पर लिटा दिया. कोई मेरे बूब्स दबा रहा था, कोई मेरी पैंटी सूंघ रहा था, कोई मेरे तलवे चाट रहा था, तो कोई मेरी चूत में उँगली कर रहा था. लगा. भोलानाथ छोड़ सभी ने शराब पी रखी थी. उनमें से एकने मेरे गोरे नंगे जिस्म पर शराब गिरा दी और मुझे चाटने लगा. बहुत ज्यादा शरम आ रही थी।
फिर अशोक ने मेरी पर्स से वैसलिन निकाला और मेरी गांड, चूत और उनकें लंड को लगा दिया. फिर मेरे पैर फैलाकर अपनें कंधो पर रखकर एक के बाद एक सभी ने चोदा. उस हॉलमें अगले ३० मिनिट मेरी चींखे, उनकीं गालियां, स्वीटू गिडगिडाना कि, "प्लीज़ मेरी मॉम को छोड़ दो" और उनकीं गोटियाँ जोर से मेरे जिस्म से टकराकर [टाप टाप टाप] की भयावह आवाज़ कर रहीं थी. झड़ने के बाद हर एक ने अपना वीर्य मेरे मुझें पीनेपर मजबूर कर दिया.
उनके बाद भोलानाथ मुझपर चढ़ गया. भोलानाथ ५'७" का होगा लेकिन उसका लंड सबसे बड़ा था. हम दोनोँ बिल्कुल नंगे थे. "देखो मै तुम्हेँ कुछ नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा बस मेरा सहयोग करो."
भोलानाथ मेरे टाइट बूब्स को मसल रहा था. मैं उसका मुकाबला नहीं कर सकतीं थी. उन्होंने नकुल को गनपॉइंट पर हाथ बांधकर बिठा रखा था और वो असहायतासे चुपचाप ये सब देख रहा था. अब भोलानाथ मेरे पैरों को फैलाकर अपनें हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगा, उसने उसका लंड मेरी कोमल चूत के छेद पर रखा और झटका देकर अपना लोहे जैसा लंड मेरी चूत में घुसा दिया. मैं छटपटाईं, उसका लंड जड़ तक चूत की गहराई में खो गया.
वो धीरे धीरे अंदर-बाहर कर रहा था.
वो लगभग ३-४ मिनट तक मुझे चूमता रहा किया.
"तुमने कहा था ना कि तेरे जैसे को मुंह क्या जूती भी न लगाऊ!" वो हंसने लगा और फिर उसने मेरे ओठों का रस चूसा. बाद में उसने कहा "मेरी बगल चाटों" उससे एक मर्दोंवाली खुशबू आ रही थी. मैंने उसके अंडरआर्म्स चाटे जो पसीने से गीले थे. फिर उसने अपनी रफ्तार बढाई. उसके चौड़े शरीर का पूरा भार मुझपर पड़ रहा था. उसकी बालों वाली भरी हुईं मर्द की छाती मेरे कामुक मुहं से रगड खा रही थी. भोलानाथ: "मेरी छाती चूम" मैं उसकीं छाती चूमने लगीं. हम दोनोँ का पूरा बदन एकदूसरे से घर्षण कर रहा था. वो मेरे चिकने और नाजुक बदन पर अपना देसी घी वाला, बालों वाला शरीर मुझसे रगड रहा था. करीब 10 मिनट्स बाद उसने मेरे मुंह पर वीर्य की जोरदार पिचकारी छोड़ दी.
मैं अब रोते हुए बोली, "अब तो हमें छोड़ दो प्लीज़...मैंने तुम लोगों का हर बात मानी...प्लीज़ अब मुझे और मेरे बेटे को छोड़ दो."
भोलानाथ: "छोड़ेंगे रानी, छोड़ेंगे. ओये १७ यिर्स ओल्ड बॉय, अपने कपड़े उतार."
मैं: "उसे कुछ मत करना! प्लीज़....मैं आय बेग यु"
नकुल: "नहीं, ये गलत है"
मैंने देखा नकुल ने तबतक कपडें उतार दिए थे. उसका सफ़ेद और चिकना लंड उत्तेजना से लाल और स्टील के रॉड जैसा सख्त हो चूका था! "चोद अपनी मॉम को."
अशोक: "साले, जिंदा घर जाना है या नहीं?" उसने बंदूक तानकर पूछा.
मैं: "नकुल, आ जाओ" मैं असहायता से बोली.
भोलानाथ: "अपनी मम्मी की चूत चाटो." शायद नकुल ने पहली बार ही चूत देखी थी. "दूध पियो", "अब मम्मी की चूत में लंड डाल और शुरू हो जा. और एक बात याद रखना, अपने फव्वारा मम्मी की चूत के अंदर छोड़ना"
स्वीटू सिर्फ ५ मिनट्स में झड़ गया. वो कांप रहा था. क्योंकि उसने शायद पहली बार ही सेक्स किया था.
थोड़ी देर वो उसी स्थिति में रहा. हम दोनोँ अब पसीनेसे पूरी तरह गिले हो चुके थे. मेरा पूरा चेहरा और जिस्म दारू, उन मर्दों के पसीने और वीर्य से भर गया था। मुझें लगा अब वे सभी झड़ गए है और सेक्स नहीं कर सकतें. इसीलिए मैं उठकर अपनें कपडें उठाकर पहनने लगीं.
भोलानाथ का दोस्त (१) "ये रुक."
मैंने उसकीं तरफ ध्यान नहीँ दिया और अपनीं पैंटी पहन ली.
ड्राइवर (अशोक): "वाह! रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया!"
ड्राइवर (अशोक)ने मुझें मेरे बालों से घसीटकर मुझें घुटनों पर बिठाया. और फर्श पर थुक दिया. "चाट इसे!"
मैंने इंकार किया तो उसनें मेरे बाल पकडकर मेरा मुंह फर्श पर लगा दिया और मुझें थुक चाटने पर मजबूर किया. "ये है तेरी औकात! समझीं साली रांड!"
भोलानाथ का दोस्त (१): "जानेमन, पैर चाट." मैंने उसका बालों से भरा हुआ पैर तलवों से लेकर उसकी जांघो तक चाटा. तभी उसने मुझ पर मूतना शुरू कर दिया.
अशोक (ड्राइवर) ('भोलानाथ का दोस्त (१)'को रोकते हुए): "अबे रुक रुक रुक!", "रानी, बस आखरी मेहेरबानी..." और हल्के से हंसने लगा. "मूत पी!"
फिर 'भोलानाथ का दोस्त (१)'ने मेरा चेहरा पकडकर अपना लंड मेरे मुंह में घुसाकर मूतना शुरू कर दिया. मैंने मुह से उसे बाहर फेंक दिया तो अशोकने स्वीटू पर बंदूक तान दी. "पी जा वरना तेरा बेटा तो यहीं है."
मैंने उन पाचों की मूत पी और उन्होंने मेरे पुरे शरीर को अपनी मूत से भिगो दिया.
भोलानाथ: "अब अशोक (ड्राइवर) को छोडकर बाकी सभी कपडें पहनो और निकलों हम आतें हैं"
भोलानाथ (मेरा चेहरा पकडकर): "सुनिए मेमसाब, रात गई बात गई. अगर किसको कानोंकान खबर मिली तो आपके बेटें के लिए अच्छा नहीं होगा!" मैंने कुछ नहीं कहा.
भोलानाथ: "अब नहा ले. तुझे रिसेप्शन भी छोड़ना है."
मैं मेरे कपड़े उठाकर बाथरुम में गई. मैंने जैसे तैसे हाथ मुंह धो लिया, (और 10 मिनिट्स में) कपड़े पहनकर चलने लगी. (मेरी पैंटी और पर्स वो लोग लेकर भाग गए थे.) अब यहाँ पर १. भोलानाथ २. अशोक (ड्राइवर) ३. स्वीटू और मैं थी.
भोलानाथ: "रुक."
मैं: "अब क्या?"
भोलानाथ: मेरी आँखों में देखतें हुए. "मैं अब यही रहनेवाला हूँ. तुझ जैसा कडक माल फिर जिन्दगी में कब मिलेगा? फिर उसने खड़े खड़े मुझें अपनीं बाहोंमे उठा लिया और मेरी साड़ीनुमा ड्रेस मेरी नाभी तक उपर उठाकर और मुझे अपनें लंड पर बिठाकर उपर-नीचें करना चालू दिया...इस बार मेरी आवाज बहुत तेज हो गई थी. मैं थकान की वजह से "आह्ह...हाहाह... हाहाह" कर रही थी. उसने मुझे छोटी बच्ची जैसे उठाया था. उसनें अपना पूरा वीर्य मेरी गांड के छेद पर उड़ा दिया.
मैं फिर वापिस नहाने गईं. मेरे पर्स में लिप्स्टिक वगैरह मेकअप किट था तो मैंने हल्का सा मेक-अप भी कर लिया और तैयार होकर आई.
थोड़ी देर बाद हम फार्महाउस पहुँच गए. उसने कार फार्महाउस से थोड़ी दूर एक अंधेरे कोने में पार्क की, मैं जैसे ही गाडी से नीचे उतरी भोलानाथने मुझे गाडीसे सटा दिया और अपनें एक घुटनेंपर बैठकर मेरी साड़ीनुमा ड्रेस उपर उठाई और मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी. अब नकुल वही खड़ा था. ये सब उसके सामने हो रहा था. मैं गाडीके सहारे खड़ी थी और भोलानाथ तकरीबन ४-५ मिनट तक मेरी कोमल चूत चूसता रहा. थोड़ी ही देर बाद ही मेरा जिस्म एकदमसे ऐंठ गया और मैं जोर से चींखते हुए भरभरा कर झड़ गयी। मेरा जिस्म में मानों बिजली दौड़ पड़ीं थी. थोड़ी देर के लिए मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया था. फिर वो उठा और "जब भी टीवी पर किसी हीरोइनको देखूंगा तो आपकी बहुत याद आएगीं, मेमसाब" कहकर, कसकर गले लगाकर वो अपनीं गाडी में अपने अशोक के साथ फरार हो गया. ये मेरे लिए बहुत ही अपमानजनक था क्योंकि ये सब मेरे बच्चे के सामने हो रहा था.
हम रिसेप्शन में पहुंचे. लतिका से, उसके पति से, अपनें दोस्तों से मिली. हमारे साथ जो हुआ इसकी हमनें किसीको भनक तक नहीँ लगने दी. मैं पुरे रिसेप्शन बगैर पैंटी के घुमती रहीं. नकुल खाना खाकर अपनी रूम में सोने चला गया. मैं भी रात के लगभग २ बजे सोने गई. लम्बें सफर और चुदाई से मैं भी थक चुकीं थी. पुरे शरीर को बॉडीलोशन लगाकर मैं सो गई. फिर अगले दिन सीधा १० बजे ही हम उठे. खाना वगैरह खाया, दोस्तों से बातें की और शाम को उनकीं ही की गाडीसे हम रांची-मेरे मायके आ गए. उस दिन मैं मेरे परिवार के हर सदस्य से मिली. हम दोनों कल रात की घटना को भुलाने की कोशिश कर रहें थे. हम मेरे परिवारके में घुलमिल गए, हंसे, मुस्कुराएँ, मस्ती की, बातें की. शाम को खाना खाकर हम ८ बजे स्टेशन पहुँच गए. हमें कुछ तकलीफ ना हों इसीलिए मेरे पापा ने पूरा कोच ही बुक कर दिया था! ९ बजे ट्रेन वहां से निकली हम दरवाजें से घरवालों अलविदा कर रहें थे. मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि मैं सबको छोड़कर वापिस एक असुरक्षित दुनिया में जा रहीं थी. मैं दरवाजें में ही खड़ीं थी. नकुल मेरी हालत समझ सकता था. मैं अचानक एक अकेलापन मह्सूस करने लगी थी. बचपनसे लेकर जवानी तक की सभी यादें ताजा हो गई थी. इसी स्टेशनपर नकुल के पापा की और मेरी मुलकात हुईं थी...
पुरे कोच में अब सिर्फ हम दो और एक अटेंडेंट थी. लेकिन मैं नकुल से ज्यादा बातें नहीं कर पा रहीं थी.
नकुल: "मॉम, आप अंदर बैठों मैं ५ मिनिट्स में वापिस आता हु."
मैं: "कहाँ जा रहे हों?"
नकुल: "यहीं हूँ. बस १ मिनिट. आप अंदर आराम कीजिए."
मैं: "ठीक है लेकिन जल्दी आना!" वो अटेंडेंट की रूमकी तरफ चला गया और एक थैली लेकर मेरे सामने आ गया!
नकुल: "मेरी तरफ से आपके लिए गिफ्ट है!!"
मैं: "क्या है इसमें???"
नकुल: "खुद ही देख लों और इसे प्लीज़ पहन भी लो. मैं आया"
मैं: "अभी?"
नकुल: "हां, अभी प्लीज़ मॉम.. मैं बाहर जा रहा हूँ तब तक चेंज कर लेना"
नकुल को मुझे हमेशा मुझे सरप्राइज करने की आदत है और उसके सरप्राइजेस मुझे बहोत अच्छे भी लगते है. शायद वो हम दोनों को नॉर्मलाइज करने की कोशिश कर रहा था.
मैं: "लेकिन क्यों?"
नकुल: "मॉम..प्लीज़ ना.."
मैंने बॉक्स खोला, उसमें मरून रंग की एक 'रफल पॉली जोर्जेट' साड़ी थी! और साथ में स्लीवलेस ब्लाउज भी था.
नकुल (दुसरे कम्पार्टमेंट से): "मॉम, अच्छा लगा?"
मैं: "हां, स्वीटू."
नकुल: "अब उसे पहन भी लीजिए"
मैं: "अभी?"
नकुल: "हां, बाबा हां! अभी!"
मैं: "मैंने साड़ी पहन ली है, अब आ जाओ"
"सरप्राइज! हैप्पी बर्थडे टू यु...हैप्पी बर्थडे टू यु...डियर मॉम... हैप्पी बर्थडे टू यु..." वो छोटा सा कप केक ले आया.
पतरातू में हुई घटना की वजह से मैं भूल गई थी कि आज मेरा और नकुल का भी बर्थडे है! "हैप्पी बर्थडे, स्वीटू! एंड आय ऍम सॉरी कि मैं तुम्हारा जनमदिन भूल गई"
"अरे कोई बात नहीँ, मॉम! आज तो आपका भी बर्थडे है! उसनें मुझे हल्का सा हग और माथे पर किस किया.
मेरी आंखों में आंसू आ गए. "ओह.. थैंक यु बेटा..."
मैंने हमारे कम्पार्टमेंट का दरवाजा लॉक कर दिया.
"अब यहाँ से बाहर मत निकलना!!! और मुसीबतें नहीं चाहिए!"
"ठीक है, नहीँ निकलूंगा!" उसनें कपकेक मेरे मुंह में डाल दिया.
ट्रेन अभी राउरकेला के पीछें थी जहां से अब घाट शुरू होनेवाला था. टीटीई हमारी चेकिंग पहलें ही कर चूका था. यानीं अब हमें डिस्टर्ब करनेवाला कोई नहीँ था. हम दोनोँ में ज्यादा बातें नहीं हो रहीं थी. हम दोनोँ एक दूसरे के प्रति गिल्टी फिल कर रहे थे. मैंने नकुल को कसकर गले लगाकर रोने लग गई. २-३ मिनिट्स तक वो कुछ नहीं बोला.
"मॉम मैं आपकी हालत समझ सकता हूँ."
"अब तुम बडें हो गए हों. पुरे १८ साल के! तुम्हेँ मजबूत होना पडेगा, मेरी रक्षा करनी होंगी." मैं उसका चेहरा दोनों हथेली में पकडकर बोली.
"सॉरी मॉम...मैं उस वक्त कुछ नहीं कर पाया." वो नीचें देखतें हुए बोला.
"इसमें तुम्हारीं कुछ भी गलती नहीं है उल्टा तुमने हम दोनों की जान बचाई है" मैं उसे गले लगाकर बोली.
"मैं क्या करता, मॉम? उसनें तुम्हेँ मारने की धमकी दी थी. और आपको तो पता है मैं आपके सिवा नहीं रह सकता" वो मुझसे हतबलता से बोला.
"स्वीटू..भूल जाओ उस बात को..मैं हु ना तुम्हारें साथ."
"पक्का?"
"हां मेरे राजकुमार पक्का! बस जब मैं बूढी हो जाउंगी तो मुझें वृद्धाश्रम नहीं भेजना" हाहाहा
"कभी भी नहीं, मॉम! आय लव यु!" वो बड़ी भावुकता से, मेरी आँखों में देखकर बोला. वो मुझें जैसे गले मीलना चाहता था...जैसे वो आमतौर मुझसे मिलता था लेकिन कल की घटना के बाद वो थोडा सहमसा गया था. मै उसकी अवस्था को समझ सकती थी. फिर मैंने दाए हाथ से चोकलेट कैडबरी उठाई और... मैं: "अरे मैंने तो तुम्हेँ कुछ बर्थडे गिफ्ट दिया ही नहीँ! ये लो हम दोनों को हैप्पी बर्थडे!"
मैंने मेरे दातों में पकडकर कैडबरी चोकलेट का टुकड़ा उठाया और उसका आधा हिस्सा नकुल की तरफ बढ़ाया.
नकुल ने भी उस चोकलेट कैडबरी के टुकड़े को अपनें दातों से पकड़ लिया. हम दोनों एकदूसरेकी आंखों में देखकर कैडबरी चोकलेट खाने लगे. देखते ही देखतें हम इतनें पास आ गए कि हमारें ओठ एकदूसरे को छूने लगे. हम दोनोंमें से कोई भी पीछें नहीं हटा. देखतें ही देखतें हम एकदूसरे के ओठोंपर लगी चोकलेट चूसने लगे. ट्रेन के ए.सी. में भी नकुल (हाईट: ५'७" ; ५८किलो रंग: गोरा) का शरीर गर्म हो गया, वो कांप रहा था. और पागलों की तरह ३-४ मिनिट्स तक मुझे स्मूच करते रहा. उसने मेरे बाल खोल दिए, पल्लू गिरा दिया. मैंने उसका टी शर्ट निकाल दिया और उसकी ट्रैकपैंट भी अंडरवियर के साथ उतार दी.
मेरे सेंट की खुशबू से कम्पार्टमेंट गुलाब सा महक रहा था. नकुलने मुझे उठाकर बर्थ पर लिटा दिया. और मुझपर चढ़ गया. नकुल की साँसें बहुत तेज चल रही थी. मैं उसकी गर्म साँसों को महसूस कर पा रहीं थी. अब मेरी आंखें बंद हो चुकी थी, हमारे होंठ आपस में मिल चुके थे, वो धीरे धीरे मेरे चूस रहा था. हम दोनों का सलाइवा एक्सचेंज हो रहा था. वो पागलों तरह मेरी गर्दन पर, मेरे पेट पर किस कर रहा था. फिर मेरा ब्रा निकालाकर मेरे बूब्स को जोर जोर से मसलने लगा. वो मुझे किस करतें करतें नीचें तक पहुँच गया. पेटीकोट निकाल दिया. मैं अब केवल पैंटी में थी. नकुल ने मेरी टोंन्ड जांघों को चाटना और चूमना शुरू किया, मैंने लाल रंग की कॉटन पैंटी पहन रखी थी, जिसका जो हल्की सी गीली हो चुकीं थी. अब उसने पसीने से गीली हो चुकी मेरी पैंटी उतारी जो थी. नकुल ने उसे सुंघा. "ये वही है जिसपर मैं हररोज मैं अपना वीर्य गिराया करता था."
रात के ११ बज गए थे. बाहर जोरदार बारिश शुरू हो चुकीं थी. ट्रेन तेजीसे दौड़ रही थी. अंदर हम माँ-बेटे दोनोँ पूरी तरह से नंगे थे. नकुल ने मेल्टेड चोकलेट लिया और मेरे सीने लेकर मेरी चूत तक गिरा दिया. और वो उसे चाटने लगा. चाटते चाटते वो मेरी चूत तक पहुंच गया.
"मॉम, आप बहुत खूबसूरत हो."
"हम्म..." J
उसने अपने हाथ से मेरी कोमल चूत की दोनों पत्तियों को अलग किया. अजीब सा एहसास हुआ. मेरी चूत का छेद बहुत छोटा है. नकुलने दोनों फांकों के बीच अपनी जीभ रख दी.
"मॉम, आपनें यहाँ पर भी सेंट लगाया है?"
"नहीँ, बुद्धुराम! ये..." मैं शर्म से लाल हो गई. वो समझ गया मुझे क्या कहना था. इससे वो और उत्तेजित हो गया
"आपके चूत की खुशबू इतनी मस्त है कि दुनिया की सब सुगंध उसके आगे फेल हैं"
वो मेरी चूत को अपनी जीभ चाटने लगा, मेरी तड़प बढ़ गई.
"नकुल, अब और इंतजार मत करवाओ..."
नकुल फिर मेरे उपर लेट गया.
मैंने देर न करते हुए अपने दोनों पैरों को फैलाकर चौड़ा कर दिया. नकुलने मेरी दोनों हथेलियां एकदूसरे में इंटरलॉक कर फैला दी. वो मेरी क्लीन शेव्ड, मोईस्ट बगलों में चोकलेट डाल कर चाटने लगा. "मॉम, आपका अरोमा लाजवाब है...कोई दोष नहीं उनका जो आपकों चाहतें है."
अब हल्के हल्के उसका लन्ड को मेरी चूत में दबाने लगा. चुत इतनी टाइट थी कि लन्ड को आगे पीछे करने में भी मशक्कत करनी पड़ रही थी. उसमें नकुल ने वही कल वाला वैसलिन लगाया और अंदर बाहर करने लगा. उधर ट्रेन जोर से दौड़ रही थी. मैंने नकुल कि पीठ को कसकर पकड़ रखा था.
नकुल धीरे धीरे मैं स्पीड बढ़ाने लगा उतने में हम बर्थ से नीचें गिर पड़े. मैंने नकुल को किसी बंदर के बच्चे जैसे बांहों में कसकर पकड़ रखा था. मैं उसे हर जगह से चूमने लगी। फिर थोड़ी देर बाद मेरे मुह से "आह..आह...आह..." आह की आवाजें निकलने लगी। उसने मेरे होंठ अपने होंठों के बीच दबा लिए और उत्तेजनामें उसने मेरा ओठ अपनें दातों से काट लिया. मैं चीख पड़ीं "आह!!! नकुल!" मेरे ओठों से खून निकलने लगा. "सॉरी मॉम सॉरी" फिर उसने मेरे उसी ओंठ चुसना शुरू किया.
अब नकुल के धक्कों की स्पीड बहुत तेज हो गई थी. नकुल इतना उत्तेजित था या शायद पहली बार मर्जी से सेक्स कर रहा था इस वजह से लेकिन वो बहुत जोर जोर से झटके दे रहा था. उसका लंड मेरी चूत की गहराईयों तक जा रहा था. मेरी चींखे निकल रहीं थी. "आआह्हह्हह..ओह.. नकुल... दो दिन पहलें ही मुझे पीरियड आया था. है, प्लीज अंदर मत करना..." तभी नकुल के लंड ने अपना लावारस मेरी चूत में गहराईयों तक भर दिया।
१०-१५ मिनिट्स हम दोनों वैसे ही पड़े रहें.
मैं: "स्वीटू, तुमने ये क्या किया?"
नकुलः "क्या हुआ मॉम?"
मैं: "स्वीटू, दो दिन पहलें ही मेरा पीरियड्स आए है. इससे मैं फिर माँ बन जाउंगी."
नकुलः "क्या? मतलब हम दोनों का बच्चा? यानीं मैं आपका पति और आप मेरी वाईफ?"
मैंने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी.
नकुलः "मुझें यकीन नही हो रहा जो हमने थोड़ी देर पहले किया."
मैं: "मुझे भी"
नकुलः (मेरे बदनपर रिलेक्स करतें हुए, मेरे पसीने से लतपत अंडरआर्म्स में अपना मुंह रखकर उन्हें को सूंघ और चूम रहा था.): "मॉम, लोग आपके साथ २ मिनट बात करने के लिए तरसते है. और यहाँ आप मेरी बाहों में हो"
मैं: "स्वीटू, एक शेर है तुम्हारें लिए.
'देखूँ तुझें तो प्यास बढ़े,
तू रोज़ बरोज़ दो घूँट चढ़े,
तू मुझसे मैं तुझसे कभी न बिछड़े,
मैंने ख़ुद को तुझपे लूटा दिया, तेरी होके खुदको मिटा दिया' कुछ समझें?"
और उसे हग किया. हम दोनों के जिस्म की खुशबू एक हो गई थी.
थोड़ी देर बाद फिर से नकुल का लन्ड ने फिर सर उठाने लगा.
"मॉम, ये मेरी फैंटेसी थी की आप मेरा लंड चूस रहीं हों..."
मैं अपने घुटनों पर बैठकर उसका लंड हिलाने लगीं. उसके लंड पर हल्के बाल थे. फिर लंड मुह में लेकर उसकीं आंखों में देखकर चूसती रहीं. थोड़ी देर बाद उसने मेरे गले के अंदर अपना वीर्य गिरा दिया जिसे मै पी गई. उस रात हमने लगभग रात के १:३० बजे तक चुदाई की.
रात के १:३० बजे थे. (नकुल तो सो गया था. ट्रेन और बारिश दोनोँ जोर से चल रही थे. हम दोनों नंगे एकदूसरे की बाहों में पड़े हुए थे. लेकिन अब मेरे मन में एक अलग ही विचार आ रहा था.
क्या?