07-12-2019, 06:45 PM
मैंने थोड़ी और क्रीम अपनी अँगुली में ली और दो अँगुलियाँ उसकी गाँड में डाल दीं। अब मैं अपनी अँगुलियों को उसकी गाँड में चारों तरफ़ गोल गोल घुमा रहा था। प्रशाँत मेरे पास खड़ा मेरी सभी हर्कतों को देख रहा था और उसके पैरों में बैठी मिनी उसके लंड को क्रीम से चिकना कर रही थी।
अब मेरी अँगुलियाँ आसानी से प्रीती की गाँड में अंदर तक जा रही थीं। जब मैं अँगुलियाँ घुमाता तो उसकी चूत में फँसे डिल्डो का एहसास होता मुझे। मैं और अंदर तक क्रीम को मलने लगा। प्रीती को भी शायद मज़ा आने लगा था। उसने जोरों से बबीता की चूत चूसते हुए अपने टाँगें और फैला दीं जिससे मैं और आसानी से उसकी गाँड में अँगुली कर सकूँ।
मिनी भी अब तक अच्छी तरह से प्रशाँत के लंड को क्रीम से चिकना कर चुकी थी। प्रशाँत अपनी जगह से हिला और मुझे साईड में कर दिया। अब उसका लंड क्रीम से चिकना था। उसका तना हुआ लंड एक हथियार की तरह चमक रहा था। जैसे ही प्रशाँत ने अपना लंड प्रीती की गाँड पे रखा वो सिसक कर और जोरों से बबीता की चूत को चूसने लगी। वो उसकी चूत को ऐसे चूस रही थी कि जैसे वो इस कला में बरसों से माहिर हो।
मिनी और अविनाश भी पास में आकर खड़े हो गये। वो भी किसी कुँवारी गाँड की चुदाई देखना चाहते थे। मुझे अंदर से शरम आ रही थी कि अपनी बीवी की गाँड मैं सबसे पहले मारूँ, उसके बजाय मैंने ही अपनी बीवी की गाँड को दूसरे मर्द के लंड के लिए तैयार किया था।
प्रशाँत ने प्रीती के कुल्हों को पकड़ कर उसकी गाँड के छेद को और फैला दिया। प्रशाँत के दोनों हाथ प्रीती के कुल्हों को पकड़े हुए थे। मिनी ने आगे बढ़ कर प्रशाँत के लंड को ठीक प्रीती की गाँड के छेद पर रख दिया और प्रशाँत अब अपने लंड को अंदर घुसाने लगा। मिनी अभी भी उसके लंड को पकड़े हुए थी। इतनी सारी क्रीम लगने से उसका लंड और प्रीती की गाँड पूरी तरह चिकनी हो गयी थी जिससे प्रशाँत के लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड में आसानी से घुस गया।
मिनी ने अपना हाथ उसके लंड पर से हटा लिया। अब जबकि सुपाड़ा घुस चुका था, प्रशाँत धीरे-धीरे अपने लंड को और अंदर तक घुसाने लगा। उसके हर धक्के के साथ प्रीती की सिस्कार गूँजती, “ओहहहहहह..... आआआहहहहहहह.... थोड़ा धीरे.... दर्द हो रहाआआआआ है।” थोड़ी देर में उसका पूरा लंड प्रीती की गाँड में घुस चुका था। अब उसकी गाँड कुँवारी नहीं रही थी।
प्रीती अब भी बबीता की चूत चूसे जा रही थी। जब प्रशाँत का पूरा लंड उसकी गाँड मे घुस गया तो जोर की सिस्करी निकली, “ओहहहहह हँआँआँआँ।” प्रशाँत का लंड प्रीती की गाँड की दीवारों को रौंदता हुआ जड़ तक समा गया था।
प्रशाँत ने मिनी और मेरा धन्यवाद दिया कि हम दोनों ने प्रीती की गाँड मारने में उसकी सहायता की और कैसे उसका लंड प्रीती की गाँड में अंदर तक घुसा हुआ है और कैसे प्रीती की गाँड उसके लंड को भींचे हुए है। उसने बताया कि उसे प्रीती की चूत में फँसे डिल्डो का भी एहसास हो रहा है और ये उत्तेजना उसके लंड से लेकर उसकी गोलियों तक जा रही थी। प्रशाँत जान बूझ कर ये सब बातें बता कर मुझे चिढ़ा रहा था। “हरामी साला” मेरे मुँह से गाली निकली।
लेकिन अब तक मैं अपना लंड अपनी पैंट में से निकाल कर सहला रहा था। सब जानते थे कि मेरी बीवी की गाँड की चुदाई ने मुझे भी उत्तेजित कर दिया था। पर जो होने वाला था उसके आगे ये कुछ भी नहीं था। मिनी अब उनसे दूर जा कर खड़ी हो गयी। प्रशाँत का लंड प्रीती की गाँड में अंदर बाहर हो रहा था। प्रशाँत अपने लंड को करीब तीन इंच बाहर खींचता और अपने आठ इंच के लंड को पूरा जड़ तक पेल देता।
प्रशाँत जानबूझ कर धीरे-धीरे धक्के लगा रहा था। पर समय के साथ उसकी रफ़्तार तेज हो रही थी। अब वो पाँच इंच लंड को बाहर निकालता और पूरा पेल देता। थोड़ी देर में वो अपने लंड का सुपाड़ा सिर्फ़ अंदर रहने देता और एक झटके में पूरा लंड प्रीती की गाँड में डाल देता। प्रीती की गाँड पूरी तरह खुल गयी थी और हर झटके को वो अपने कुल्हों को पीछे कर के ले रही थी, “हाँ डाल दो पूरा लंड मेरी गाँड में.... ओहहहहहह हँआँआँ और जोर से.... हँआँआँ चोदो.... फाड़ दो मेरी गाँड को।”
प्रीती उन मिंया-बीवी के बीच सैंडविच बनी हुई थी। नीचे से बबीता अपनी चूत को ऊपर उठा कर उसके मुँह में भर देती और पीछे से प्रशाँत उसके कुल्हों को पकड़ कर जोर से लंड पेल देता। जैसे ही उसका लंड अंदर तक जाता, प्रीती का मुँह बबीता की चूत पे और जोर से दब जाता। प्रशाँत उसकी गाँड भी मार रहा था और उसकी चूत में फँसे डिल्डो को और अंदर की और घुसा देता।
अब अविनाश भी इस खेल में शामिल होना चाहता था। उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपने लंड को सहलाने लगा। अपने लंड को सहलाते हुए वो बबीता के चेहरे के पास आ गया। अविनाश अपने लंड को उसके मुँह के पास कर के उसके होंठों पर रगड़ने लगा। बबीता ने अपने हाथ से उसका लंड पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और वो जोरों से अविनाश के लंड को चूसने लगी।
अब मैं और मिनी ही बचे थे। मिनी तो पहले ही नंगी थी। मैं भी कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो कर अपने लंड को सहला रहा था। मिनी मेरे पास आ कर मेरे नंगे बदन से सट गयी और सहलाने लगी। हम भूखे कुत्तों की तरह एक दूसरे के बदन को नोच रहे थे और मसल रहे थे, पर हम अपनी नज़रें बिस्तर से नहीं हटा पा रहे थे जहाँ एक का पति दूसरे की पत्नी से अपना लंड चूसवा रहा था और मेरी बीवी दूसरे की बीवी की चूत चूस रही थी और उसके पति से अपनी गाँड मरवा रही थी।
अचानक प्रीती ने अपना मुँह बबीता की चूत से ऊपर उठाया और जोर से चींख पड़ी, “ओहहहह ये नहीं हो सकता।” मैं सोच में पड़ गया कि अचानक उसे क्या हुआ, क्या उसका पानी छूटने वाला है या उसकी गाँड दर्द कर रही है। “हे भगवान.... प्लीज़ ऐसा मत करो।” वो फिर बोली और उसकी आँखों मे आँसू आ गये।
तब प्रशाँत ने उसके चींखने की वजह बतायी, “राज डरो मत यार... इसके डिल्डो की बेटरी खतम हो गयी है... बेचारी।” अब मेरी समझ में आया कि जब उसका पानी छूटने वाला था तभी डिल्डो की बेटरी खतम हो गयी। और कितना चलती... पाँच घंटे सो तो वो उसे अपनी चूत में डाले घूम रही थी।
प्रीती फिर अपनी उत्तेजना के अंतिम कगार से वंचित रह गयी। प्रशाँत उसकी गाँड में जोर के धक्के मारते हुए बोला, “प्रीती डार्लिंग... चिंता मत करो, मैं वादा करता हूँ कि आज तुम्हें चुदाई का वो आनंद आयेगा कि तुम्हारी चूत खुले बाँध की तरह पानी फ़ेंकेगी।” प्रीती ने अपना चेहरा उठा कर प्रशाँत की और देखा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि और क्या उसके दिमाग में है।
हमने देखा कि अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए प्रीती खुद अपने बंद हुए डिल्डो को पकड़ कर अंदर बाहर करने लगी, पर प्रशाँत ने उसका हाथ हटा दिया। अब प्रशाँत ने प्रीती को उसकी छातियों से पकड़ा और पीछे की और हो गया। थोड़ी देर इस तरह होने के बाद उसने अपनी टाँगें सीधी की और पीठ के बल लेट गया। अब वो जमीन पर लेटा था और प्रीती उसके ऊपर उसका लंड अपनी गाँड मे लिए आधी लेटी थी। प्रीती ने अब अपनी टाँगें फैला दी जिससे प्रशाँत का लंड उसकी गाँड में घुसा हुआ दिख रहा था और साथ ही चूत में फँसा डिल्डो भी।
बबीता अब अविनाश के लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर अपने हाथों से उसे मसल रही थी। पर वो खुद छूटने की कगार पर थी, इसलिए वो खड़ी हो गयी और अपनी दोनों टाँगें चौड़ी कर के अपनी चूत प्रीती के मुँह पर रख दी, “जो तुमने शुरू किया है उसे तुम्हें ही खतम करना पड़ेगा। मेरी चूत जोरों से चूसो और मेरा पानी छुड़ा दो।”
प्रीती अपनी जीभ का तिकोण बना कर उसे चोद रही थी। बबीता और थोड़ा झुकते हुए अपनी चूत को और दबा देती। उसका चेहरा पीछे की और था और उसके बाल प्रशाँत के पेट को छू रहे थे। “हँआँआँआँ चू..ऊऊऊऊऊस ओहहहहहह आहहहहहह “हाँआँआँ जोर से... हूँऊऊऊऊ....,” कहकर बबीता की चूत ने प्रीती के मुँह में पानी छोड़ दिया। प्रीती गटक-गटक कर उसका पानी पी रही थी। जब एक-एक बूँद बबीता की चूत से छूट चुका था तो वो निढाल हो बिस्तर पर गिर गयी।
प्रशाँत अभी तक उसी तरह अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसाये लेटा था। फिर उसने अपनी आखिरी चाल चली, “अविनाश मेरा तो पानी अब छूटने वाला है, ऐसा दृश्य देख कर... क्यों नहीं तुम अपना लंड इसकी चूत में डाल देते हो।”
अब मेरे और अविनाश की समझ मे आया की प्रशाँत क्या चाहता था। अविनाश उछल कर प्रीती की टाँगों के बीच आ गया। उसने अपना हाथ प्रीती की चूत में फँसे डिल्डो पर रखा। पर उसे बाहर निकालने की बजाय वो उसे अंदर-बाहर करने लगा।
थोड़ी देर बाद अविनाश अपने लंड को प्रीती की चूत के मुँह पे लगा कर धीरे-धीरे अंदर करने लगा और साथ ही डिल्डो को बाहर खींचने लगा। जितना उसका लंड अंदर जाता उतना ही वो डिल्डो को बाहर खींच लेता। मैंने देखा कि डिल्डो पूरी तरह से प्रीती की चूत के पानी से लसा हुआ था और चमक रहा था। जब अविनाश का पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया तो उसने डिल्डो बाहर निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि जो डिल्डो मेरी बीवी की चूत में पिछले पाँच घंटे से घुसा हुआ था, वही अब उसके पानी से लसा हुआ मेरे हाथ में है। मैंने बिना हिचकिचाते हुए उसे अपने मुँह में ले चाटने लगा। मुझे उसकी चूत के पानी का स्वाद सही में अच्छा लग रहा था। जब मैंने उसे चाट कर साफ कर दिया तो उसे बिस्तर पर रख दिया।
मिनी अब तक मेरे लंड को पकड़े हुए थी। उसने मेरी तरफ देखा और घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। वो एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर चूस रही थी और दूसरे हाथ की अँगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी। पर उसकी नज़रें वहीं गड़ी थीं जहाँ मेरी बीवी की दोहरी चुदाई हो रही थी।
मैंने अपना ध्यान मिनी से हटाया और फिर प्रीती पर केंद्रित कर दिया। मैंने देखा कि अविनाश आधा खड़ा हो अपने लंड को प्रीती के मुँह में दे कर धक्के मर रहा था। प्रीती भी पूरे जोर से उसे चूस रही थी। जब उसका लंड पूरी तरह से तन गया तो वो प्रीती के थूक से लसे अपने लंड को ले कर प्रीती की टाँगों के बीच आ गया।
प्रीती अपनी टाँगें थोड़ी और चौड़ी कर के पीछे को पसर गयी। अविनाश एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर प्रीती की चूत पे रगड़ने लगा। अब मेरी बीवी की दो लंड से चुदाई होने वाली थी। एक उसकी गाँड में और दूसरा उसकी चूत में।
अविनाश ने प्रीती की एक टाँग को जाँघों से पकड़ा और अपनी कोहनी पे रख दी। इससे प्रीती की चूत और खुल गयी। थोड़ी देर अपने लंड को रगड़ने के बाद उसने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। अब वो धक्के लगा कर उसकी चूत को चोद रहा था।
प्रीती प्रशाँत की छाती पर लेटी अपनी ज़िंदगी की सबसे भयंकर चुदाई का आनंद ले रही थी। उसका चेहरा इधर-उधर हो रहा था और साथ ही उसके मुँह से सिस्करियाँ फूट रही थी।
मैं अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था कि जब एक लंड चूत की जड़ों तक पहुँचता है और दूसरी तरफ़ दूसरा लंड गाँड की जड़ों तक पहुँचता है तो शरीर में दोनों लंड के संगम का आनंद कैसा रहता होगा। प्रीती इसी संगम का आनंद उठा रही थी, “मैं तुम दोनों के लंड को अपने में महसूस कर रही हूँ, अभी जोर से चोदो मुझे... हाँ और जोर से... रुको मत बस चोदते जाओ।”
प्रशाँत ने एक जोर की हुँकार भरी और अपने कुल्हे ऊपर को उठा दिए। अविनाश ने भी प्रीती के कुल्हों को पकड़ कर अपने लंड को अंदर तक पेल दिया। मैं समझ गया कि दोनों छूटने की कगार पर हैं। प्रीती का भी समय नज़दीक आता जा रहा था, “हँआआआआआआ और जोर से... ओओहहहहह ऊईईईईईईईईईईईई।”
मुझे खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। मिनी इतनी जोर से मेरे लंड को चूस रही थी और साथ ही अपने दाँतों का भी इस्तमाल कर रही थी। पर मिनी की आँखें अपने पति के लंड पे जमी थीं जो मेरी बीवी की चूत में एक पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था।
और फिर वो हुआ जिसका सबको इंतज़ार था, प्रीती जोर से चींखी “ओहहहहहहहह हाँआआआआआआआआ ओहहहहहहहहह हाय आआआआआआआआआ,” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसका शरीर इस तरह अकड़ रहा था कि क्या बताऊँ। इतने में प्रशाँत के लंड ने भी उसकी गाँड में अपना वीर्य उगल दिया।
अविनाश ने प्रीती की दोनों चूचियों को जोर से मसला और उसके लंड ने उसकी चूत में बौंछार कर दी। मैं कल्पना कर रहा था कि प्रीती की चूत और गाँड, वीर्य से भरी कैसी होगी कि तभी मेरा भी शरीर अकड़ा और मैंने अपना वीर्य मिनी के मुँह में उगल दिया।
मिनी ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाला और बेड पर से डिल्डो को उठा कर अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। कसम से ऐसी सामुहिक चुदाई की कल्पना नहीं की थी मैंने।
अब मेरी अँगुलियाँ आसानी से प्रीती की गाँड में अंदर तक जा रही थीं। जब मैं अँगुलियाँ घुमाता तो उसकी चूत में फँसे डिल्डो का एहसास होता मुझे। मैं और अंदर तक क्रीम को मलने लगा। प्रीती को भी शायद मज़ा आने लगा था। उसने जोरों से बबीता की चूत चूसते हुए अपने टाँगें और फैला दीं जिससे मैं और आसानी से उसकी गाँड में अँगुली कर सकूँ।
मिनी भी अब तक अच्छी तरह से प्रशाँत के लंड को क्रीम से चिकना कर चुकी थी। प्रशाँत अपनी जगह से हिला और मुझे साईड में कर दिया। अब उसका लंड क्रीम से चिकना था। उसका तना हुआ लंड एक हथियार की तरह चमक रहा था। जैसे ही प्रशाँत ने अपना लंड प्रीती की गाँड पे रखा वो सिसक कर और जोरों से बबीता की चूत को चूसने लगी। वो उसकी चूत को ऐसे चूस रही थी कि जैसे वो इस कला में बरसों से माहिर हो।
मिनी और अविनाश भी पास में आकर खड़े हो गये। वो भी किसी कुँवारी गाँड की चुदाई देखना चाहते थे। मुझे अंदर से शरम आ रही थी कि अपनी बीवी की गाँड मैं सबसे पहले मारूँ, उसके बजाय मैंने ही अपनी बीवी की गाँड को दूसरे मर्द के लंड के लिए तैयार किया था।
प्रशाँत ने प्रीती के कुल्हों को पकड़ कर उसकी गाँड के छेद को और फैला दिया। प्रशाँत के दोनों हाथ प्रीती के कुल्हों को पकड़े हुए थे। मिनी ने आगे बढ़ कर प्रशाँत के लंड को ठीक प्रीती की गाँड के छेद पर रख दिया और प्रशाँत अब अपने लंड को अंदर घुसाने लगा। मिनी अभी भी उसके लंड को पकड़े हुए थी। इतनी सारी क्रीम लगने से उसका लंड और प्रीती की गाँड पूरी तरह चिकनी हो गयी थी जिससे प्रशाँत के लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड में आसानी से घुस गया।
मिनी ने अपना हाथ उसके लंड पर से हटा लिया। अब जबकि सुपाड़ा घुस चुका था, प्रशाँत धीरे-धीरे अपने लंड को और अंदर तक घुसाने लगा। उसके हर धक्के के साथ प्रीती की सिस्कार गूँजती, “ओहहहहहह..... आआआहहहहहहह.... थोड़ा धीरे.... दर्द हो रहाआआआआ है।” थोड़ी देर में उसका पूरा लंड प्रीती की गाँड में घुस चुका था। अब उसकी गाँड कुँवारी नहीं रही थी।
प्रीती अब भी बबीता की चूत चूसे जा रही थी। जब प्रशाँत का पूरा लंड उसकी गाँड मे घुस गया तो जोर की सिस्करी निकली, “ओहहहहह हँआँआँआँ।” प्रशाँत का लंड प्रीती की गाँड की दीवारों को रौंदता हुआ जड़ तक समा गया था।
प्रशाँत ने मिनी और मेरा धन्यवाद दिया कि हम दोनों ने प्रीती की गाँड मारने में उसकी सहायता की और कैसे उसका लंड प्रीती की गाँड में अंदर तक घुसा हुआ है और कैसे प्रीती की गाँड उसके लंड को भींचे हुए है। उसने बताया कि उसे प्रीती की चूत में फँसे डिल्डो का भी एहसास हो रहा है और ये उत्तेजना उसके लंड से लेकर उसकी गोलियों तक जा रही थी। प्रशाँत जान बूझ कर ये सब बातें बता कर मुझे चिढ़ा रहा था। “हरामी साला” मेरे मुँह से गाली निकली।
लेकिन अब तक मैं अपना लंड अपनी पैंट में से निकाल कर सहला रहा था। सब जानते थे कि मेरी बीवी की गाँड की चुदाई ने मुझे भी उत्तेजित कर दिया था। पर जो होने वाला था उसके आगे ये कुछ भी नहीं था। मिनी अब उनसे दूर जा कर खड़ी हो गयी। प्रशाँत का लंड प्रीती की गाँड में अंदर बाहर हो रहा था। प्रशाँत अपने लंड को करीब तीन इंच बाहर खींचता और अपने आठ इंच के लंड को पूरा जड़ तक पेल देता।
प्रशाँत जानबूझ कर धीरे-धीरे धक्के लगा रहा था। पर समय के साथ उसकी रफ़्तार तेज हो रही थी। अब वो पाँच इंच लंड को बाहर निकालता और पूरा पेल देता। थोड़ी देर में वो अपने लंड का सुपाड़ा सिर्फ़ अंदर रहने देता और एक झटके में पूरा लंड प्रीती की गाँड में डाल देता। प्रीती की गाँड पूरी तरह खुल गयी थी और हर झटके को वो अपने कुल्हों को पीछे कर के ले रही थी, “हाँ डाल दो पूरा लंड मेरी गाँड में.... ओहहहहहह हँआँआँ और जोर से.... हँआँआँ चोदो.... फाड़ दो मेरी गाँड को।”
प्रीती उन मिंया-बीवी के बीच सैंडविच बनी हुई थी। नीचे से बबीता अपनी चूत को ऊपर उठा कर उसके मुँह में भर देती और पीछे से प्रशाँत उसके कुल्हों को पकड़ कर जोर से लंड पेल देता। जैसे ही उसका लंड अंदर तक जाता, प्रीती का मुँह बबीता की चूत पे और जोर से दब जाता। प्रशाँत उसकी गाँड भी मार रहा था और उसकी चूत में फँसे डिल्डो को और अंदर की और घुसा देता।
अब अविनाश भी इस खेल में शामिल होना चाहता था। उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपने लंड को सहलाने लगा। अपने लंड को सहलाते हुए वो बबीता के चेहरे के पास आ गया। अविनाश अपने लंड को उसके मुँह के पास कर के उसके होंठों पर रगड़ने लगा। बबीता ने अपने हाथ से उसका लंड पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और वो जोरों से अविनाश के लंड को चूसने लगी।
अब मैं और मिनी ही बचे थे। मिनी तो पहले ही नंगी थी। मैं भी कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो कर अपने लंड को सहला रहा था। मिनी मेरे पास आ कर मेरे नंगे बदन से सट गयी और सहलाने लगी। हम भूखे कुत्तों की तरह एक दूसरे के बदन को नोच रहे थे और मसल रहे थे, पर हम अपनी नज़रें बिस्तर से नहीं हटा पा रहे थे जहाँ एक का पति दूसरे की पत्नी से अपना लंड चूसवा रहा था और मेरी बीवी दूसरे की बीवी की चूत चूस रही थी और उसके पति से अपनी गाँड मरवा रही थी।
अचानक प्रीती ने अपना मुँह बबीता की चूत से ऊपर उठाया और जोर से चींख पड़ी, “ओहहहह ये नहीं हो सकता।” मैं सोच में पड़ गया कि अचानक उसे क्या हुआ, क्या उसका पानी छूटने वाला है या उसकी गाँड दर्द कर रही है। “हे भगवान.... प्लीज़ ऐसा मत करो।” वो फिर बोली और उसकी आँखों मे आँसू आ गये।
तब प्रशाँत ने उसके चींखने की वजह बतायी, “राज डरो मत यार... इसके डिल्डो की बेटरी खतम हो गयी है... बेचारी।” अब मेरी समझ में आया कि जब उसका पानी छूटने वाला था तभी डिल्डो की बेटरी खतम हो गयी। और कितना चलती... पाँच घंटे सो तो वो उसे अपनी चूत में डाले घूम रही थी।
प्रीती फिर अपनी उत्तेजना के अंतिम कगार से वंचित रह गयी। प्रशाँत उसकी गाँड में जोर के धक्के मारते हुए बोला, “प्रीती डार्लिंग... चिंता मत करो, मैं वादा करता हूँ कि आज तुम्हें चुदाई का वो आनंद आयेगा कि तुम्हारी चूत खुले बाँध की तरह पानी फ़ेंकेगी।” प्रीती ने अपना चेहरा उठा कर प्रशाँत की और देखा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि और क्या उसके दिमाग में है।
हमने देखा कि अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए प्रीती खुद अपने बंद हुए डिल्डो को पकड़ कर अंदर बाहर करने लगी, पर प्रशाँत ने उसका हाथ हटा दिया। अब प्रशाँत ने प्रीती को उसकी छातियों से पकड़ा और पीछे की और हो गया। थोड़ी देर इस तरह होने के बाद उसने अपनी टाँगें सीधी की और पीठ के बल लेट गया। अब वो जमीन पर लेटा था और प्रीती उसके ऊपर उसका लंड अपनी गाँड मे लिए आधी लेटी थी। प्रीती ने अब अपनी टाँगें फैला दी जिससे प्रशाँत का लंड उसकी गाँड में घुसा हुआ दिख रहा था और साथ ही चूत में फँसा डिल्डो भी।
बबीता अब अविनाश के लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर अपने हाथों से उसे मसल रही थी। पर वो खुद छूटने की कगार पर थी, इसलिए वो खड़ी हो गयी और अपनी दोनों टाँगें चौड़ी कर के अपनी चूत प्रीती के मुँह पर रख दी, “जो तुमने शुरू किया है उसे तुम्हें ही खतम करना पड़ेगा। मेरी चूत जोरों से चूसो और मेरा पानी छुड़ा दो।”
प्रीती अपनी जीभ का तिकोण बना कर उसे चोद रही थी। बबीता और थोड़ा झुकते हुए अपनी चूत को और दबा देती। उसका चेहरा पीछे की और था और उसके बाल प्रशाँत के पेट को छू रहे थे। “हँआँआँआँ चू..ऊऊऊऊऊस ओहहहहहह आहहहहहह “हाँआँआँ जोर से... हूँऊऊऊऊ....,” कहकर बबीता की चूत ने प्रीती के मुँह में पानी छोड़ दिया। प्रीती गटक-गटक कर उसका पानी पी रही थी। जब एक-एक बूँद बबीता की चूत से छूट चुका था तो वो निढाल हो बिस्तर पर गिर गयी।
प्रशाँत अभी तक उसी तरह अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसाये लेटा था। फिर उसने अपनी आखिरी चाल चली, “अविनाश मेरा तो पानी अब छूटने वाला है, ऐसा दृश्य देख कर... क्यों नहीं तुम अपना लंड इसकी चूत में डाल देते हो।”
अब मेरे और अविनाश की समझ मे आया की प्रशाँत क्या चाहता था। अविनाश उछल कर प्रीती की टाँगों के बीच आ गया। उसने अपना हाथ प्रीती की चूत में फँसे डिल्डो पर रखा। पर उसे बाहर निकालने की बजाय वो उसे अंदर-बाहर करने लगा।
थोड़ी देर बाद अविनाश अपने लंड को प्रीती की चूत के मुँह पे लगा कर धीरे-धीरे अंदर करने लगा और साथ ही डिल्डो को बाहर खींचने लगा। जितना उसका लंड अंदर जाता उतना ही वो डिल्डो को बाहर खींच लेता। मैंने देखा कि डिल्डो पूरी तरह से प्रीती की चूत के पानी से लसा हुआ था और चमक रहा था। जब अविनाश का पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया तो उसने डिल्डो बाहर निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि जो डिल्डो मेरी बीवी की चूत में पिछले पाँच घंटे से घुसा हुआ था, वही अब उसके पानी से लसा हुआ मेरे हाथ में है। मैंने बिना हिचकिचाते हुए उसे अपने मुँह में ले चाटने लगा। मुझे उसकी चूत के पानी का स्वाद सही में अच्छा लग रहा था। जब मैंने उसे चाट कर साफ कर दिया तो उसे बिस्तर पर रख दिया।
मिनी अब तक मेरे लंड को पकड़े हुए थी। उसने मेरी तरफ देखा और घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। वो एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर चूस रही थी और दूसरे हाथ की अँगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी। पर उसकी नज़रें वहीं गड़ी थीं जहाँ मेरी बीवी की दोहरी चुदाई हो रही थी।
मैंने अपना ध्यान मिनी से हटाया और फिर प्रीती पर केंद्रित कर दिया। मैंने देखा कि अविनाश आधा खड़ा हो अपने लंड को प्रीती के मुँह में दे कर धक्के मर रहा था। प्रीती भी पूरे जोर से उसे चूस रही थी। जब उसका लंड पूरी तरह से तन गया तो वो प्रीती के थूक से लसे अपने लंड को ले कर प्रीती की टाँगों के बीच आ गया।
प्रीती अपनी टाँगें थोड़ी और चौड़ी कर के पीछे को पसर गयी। अविनाश एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर प्रीती की चूत पे रगड़ने लगा। अब मेरी बीवी की दो लंड से चुदाई होने वाली थी। एक उसकी गाँड में और दूसरा उसकी चूत में।
अविनाश ने प्रीती की एक टाँग को जाँघों से पकड़ा और अपनी कोहनी पे रख दी। इससे प्रीती की चूत और खुल गयी। थोड़ी देर अपने लंड को रगड़ने के बाद उसने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। अब वो धक्के लगा कर उसकी चूत को चोद रहा था।
प्रीती प्रशाँत की छाती पर लेटी अपनी ज़िंदगी की सबसे भयंकर चुदाई का आनंद ले रही थी। उसका चेहरा इधर-उधर हो रहा था और साथ ही उसके मुँह से सिस्करियाँ फूट रही थी।
मैं अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था कि जब एक लंड चूत की जड़ों तक पहुँचता है और दूसरी तरफ़ दूसरा लंड गाँड की जड़ों तक पहुँचता है तो शरीर में दोनों लंड के संगम का आनंद कैसा रहता होगा। प्रीती इसी संगम का आनंद उठा रही थी, “मैं तुम दोनों के लंड को अपने में महसूस कर रही हूँ, अभी जोर से चोदो मुझे... हाँ और जोर से... रुको मत बस चोदते जाओ।”
प्रशाँत ने एक जोर की हुँकार भरी और अपने कुल्हे ऊपर को उठा दिए। अविनाश ने भी प्रीती के कुल्हों को पकड़ कर अपने लंड को अंदर तक पेल दिया। मैं समझ गया कि दोनों छूटने की कगार पर हैं। प्रीती का भी समय नज़दीक आता जा रहा था, “हँआआआआआआ और जोर से... ओओहहहहह ऊईईईईईईईईईईईई।”
मुझे खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। मिनी इतनी जोर से मेरे लंड को चूस रही थी और साथ ही अपने दाँतों का भी इस्तमाल कर रही थी। पर मिनी की आँखें अपने पति के लंड पे जमी थीं जो मेरी बीवी की चूत में एक पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था।
और फिर वो हुआ जिसका सबको इंतज़ार था, प्रीती जोर से चींखी “ओहहहहहहहह हाँआआआआआआआआ ओहहहहहहहहह हाय आआआआआआआआआ,” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसका शरीर इस तरह अकड़ रहा था कि क्या बताऊँ। इतने में प्रशाँत के लंड ने भी उसकी गाँड में अपना वीर्य उगल दिया।
अविनाश ने प्रीती की दोनों चूचियों को जोर से मसला और उसके लंड ने उसकी चूत में बौंछार कर दी। मैं कल्पना कर रहा था कि प्रीती की चूत और गाँड, वीर्य से भरी कैसी होगी कि तभी मेरा भी शरीर अकड़ा और मैंने अपना वीर्य मिनी के मुँह में उगल दिया।
मिनी ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाला और बेड पर से डिल्डो को उठा कर अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। कसम से ऐसी सामुहिक चुदाई की कल्पना नहीं की थी मैंने।
मुझे इस बात की खुशी थी कि हम शर्त जीत ना सके तो क्या पर हारे भी नहीं थे। अब देखते हैं कि छुट्टियों में क्या गुल खिलते हैं।
!!! समाप्त !!!
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