07-12-2019, 06:39 PM
नये पड़ोसी
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मैं राज और मेरी पत्नी प्रीती मुम्बई शहर के सब-अर्ब मलाड में रहते हैं। ये कहानी करीब आज से छः महीने पहले शुरू हुई जब हमारे बगल के फ्लैट में नये पड़ोसी रहने के लिये आये।
हमारे नये पड़ोसी मिस्टर प्रशाँत एक कंसल्टेंट हैं, और उनकी पत्नी बबीता एक घरेलू महिला थी। वैसे तो मुम्बई इतना व्यस्त शहर है कि यहाँ किसी को किसी के लिये फुर्सत ही नहीं है। नये पड़ोसी होने के नाते हमारी जान पहचान बढ़ी और हम दो परिवार काफी घुल मिल गये थे।
मैं और मेरी पत्नी प्रीती के विचार एक समान थे। हम दोनों खुले सैक्स में विश्वास रखते थे। शादी के पहले ही हम दोनों सैक्स का मज़ा ले चुके थे। हम दोनों अपनी पूरानी सैक्स घटनाओं के बारे में अक्सर एक दूसरे को बताते रहते थे। चुदाई के किस्से सुनाते या सुनते वक्त प्रीती इतनी उत्तेजित हो जाती की उसकी चूत की प्यास मिटाना कभी मुश्किल हो जाता था।
मैंने और प्रीती ने इस शनिवार को प्रशाँत और बबीता को अपने यहाँ खाने की दावत दी। दोनों राज़ी हो गये। प्रशाँत एक शानदार व्यक्तित्व का मालिक था, ६’२ ऊँचाई और कसरती बदन। बबीता भी काफी सुंदर थी, गोल चेहरा, लंबी टाँगें और खास तौर पर उसकी नीली आँखें। पता नहीं उसकी आँखों में क्या आकर्षण था कि जी करता हर वक्त उसकी आँखों में इंसान झाँकता रहे।
शनिवार की शाम ठीक सात बजे प्रशाँत और बबीता हमारे घर पहुँचे। प्रशाँत ने शॉट्र्स और टी-शर्ट पहन रखी थी, जिससे उसका कसरती बदन साफ़ झलक रहा था। बबीता ने कॉटन का टॉप और जींस पहन रखी थी। उसके कॉटन के टॉप से झलकते उसके निप्पल साफ़ बता रहे थे की उसने ब्रा नहीं पहन रखी है। उसकी काली जींस भी इतनी टाईट थी की उसके चूत्तड़ों की गोलाइयाँ किसी को भी दीवाना कर सकती थी। उसके काले रंग के ऊँची हील के सैंडल उसकी लंबी टाँगों को और भी सैक्सी बना रहे थे। उसे इस सैक्सी पोज़ में देख मेरे लंड में सरसराहट होने लग गयी थी।
मैंने देखा की प्रीती प्रशाँत की और आकर्षित हो रही है। वो अपने अधखुले ब्लाऊज़ से प्रशाँत को अपनी चूचियों के दर्शन करा रही थी। आज प्रीती अपनी टाईट जींस और लो-कुट टॉप में कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही थी। वहीं बबीता भी मेरे साथ ऐसे बरताव कर रही थी जैसे हम कई बरसों पुराने दोस्त हों।
हम चारों आपस में ऐसे बात कर रहे थे कि कोई देख के कह नहीं सकता था कि हमारी जान पहचान चंद दिनों पूरानी है। पहले शराब का दौर चला और फिर खाना खाने के बाद हम सब ड्राईंग रूम में बैठे थे।
मैंने स्टीरियो पर एक री-मिक्स की कैसेट लगा दी। बबीता ने खड़ी हो कर प्रशाँत को डाँस करने के लिये कहा, किंतु उसने उसे मना कर दिया। शायद उसे नशा हो गया था, मगर उसने बबीता को मेरे साथ डाँस करने को कहा। बबीता ने मुझे खींच कर खड़ा कर दिया।
हम दोनों गाने की धुन पर एक दूसरे के साथ नाच रहे थे। बबीता ने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन पर रख हुए थे और मुझसे सटते हुए नाच रही थी। उसके बदन की गर्मी मुझे मदहोश कर रही थी। मैंने भी अपने दोनों हाथ उसकी कमर पे रख उसे अपने और करीब खींच लिया।
उसके बदन की गर्माहट और बदन से उठती खुशबू ने मुझे मजबूर कर दिया और मैंने कसके उसे अपनी छाती से चिपका लिया। मेरा लंड उसकी चूत पे ठोकर मार रहा था। तभी मुझे खयाल आया कि मेरी बीवी और उसका पति भी इसी कमरे में हैं। मैंने गर्दन घुमा के देखा तो पाया की प्रीती प्रशाँत को खींच कर डाँस के लिये खड़ा कर चुकी है।
शायद मेरी बीवी की सुंदरता और खुलेपन ने प्रशाँत को डाँस करने पे मजबूर कर दिया था, इसलिए वो प्रीती को मना नहीं कर पाया। दोनों एक दूसरे को बांहों में ले हमारे पास ही डाँस कर रहे थे। नाचते-नाचते प्रीती ने लाईट धीमी कर दी। कमरे में बहुत ही हल्की रोशनी थी। हम चारों कामुक्ता की आग में जल रहे थे।
बबीता मुझसे और चिपकती हुई मेरे कान में बोली, “अच्छा है थोड़ा अंधेरा हो गया।”
मैंने उसे और कस के अपनी बांहों में ले अपने होंठ उसके होंठों पे रख दिए। उसने भी सहयोग देते हुए अपना मुँह खोल दिया और जीभ मेरे मुँह में डाल दी। हम दोनों एक दूसरे की जीभ चुभलाने लगे।
मेरे दोनों हाथ अब उसके चूत्तड़ों को सहला रहे थे। बबीता के हाथ मेरी पीठ पर थे और वो कामुक हो मेरी पीठ को कस के भींच लेती थी। मेरा लंड पूरा तन कर उसकी चूत को जींस के ऊपर से ही रगड़ रहा था। अच्छा था कि वो हाई हील की सैंडल पहनी हुई थी जिससे की उसकी चूत बिल्कुल मेरे लंड के स्तर तक आ रही थी। बबीता ने अपने आप को मुझे सोंप दिया था। मैंने पीछे से अपने दोनों हाथ उसकी जींस में डाल दिए और पाया की उसने पैंटी नहीं पहनी हुई है। मेरे हाथ अब उसके मुलायम चूत्तड़ों को जोर से भींच रहे थे, वो भी उत्तेजित हो अपनी चूत मेरे लंड पे रगड़ रही थी।
मेरी बीवी प्रीती का खयाल आते ही मैंने गर्दन घुमा के देखा तो चौंक पड़ा। दोनों एक दूसरे से चिपके हुए गाने की धुन पर डाँस कर रहे थे। प्रशाँत के हाथ प्रीती के शरीर पर रेंग रहे थे। प्रीती भी उसे अपने बांहों में भर उसके होंठों को चूस रही थी।
मैं बबीता को बांहों में ले इस पोज़िशन में डाँस करने लगा कि मुझे प्रीती और प्रशाँत साफ़ दिखायी पड़ें। चार साढ़े-चार इंच की हाई हील की सैंडल पहने होने के बावजूद प्रीती प्रशाँत के कंधे तक मुश्किल से ही पहुँच पा रही थी। प्रशाँत का एक हाथ प्रीती की चूचियों को सहला रहा था और दूसरा हाथ दूसरी चूँची को सहलाते हुए नीचे की और बढ़ रहा था, और नीचे जाते हुए अब वो उसकी चूत को उसकी टाईट जींस के ऊपर से सहला रहा था।
मुझे हैरानी इस बात की थी कि उसे रोकने कि बजाय प्रीती प्रशाँत को सहयोग दे रही थी। उसने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दी जिससे प्रशाँत के हाथों को और आसानी हो। पर मैं कौन होता हूँ शिकायत करने वाला। मैं खुद उसकी बीवी को बांहों में भरे हुए उसे चोदने के मूड में था।
मेरे भी हाथ बबीता के चूत्तड़ों को सहला रहे थे। बबीता उत्तेजना में मुझे चूमे जा रही थी। तभी मैंने देखा कि प्रशाँत ने अपना एक हाथ प्रीती के टॉप में डाल कर उसके मम्मों पे रख दिया था। जब उसने प्रीती की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी तो उसने हाथ पीठ की और ले जाकर उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। मुझे उस पारदर्शी टॉप से साफ दिखायी दे रहा था कि प्रशाँत के हाथ अब प्रीती के मम्मों को सहला रहे थे।
माहोल में जब चुदाई का आलम फ़ैलता है तो सब पीछे रह जाता है। मैंने भी आगे बढ़ कर बबीता के चूत्तड़ से हाथ निकाल उसकी जींस के बटन खोल जींस उतार दी। पैंटी तो उसने पहनी ही नहीं थी।
“मैं सोच रही थी कि तुम्हें इतनी देर क्यों लग रही है।” बबीता अपने सैंडल युक्त पैरों से अपनी जींस को अलग करती हुए बोली। “प्लीज़ मुझे प्यार करो ना!”
मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पे रख दिया। हाथ रखते ही मैंने पाया कि उसकी चूत एक दम सफ़ाचट थी। उसने अपनी चूत के बाल एक दम शेव किए हुए थे। बिना झाँटों की एक दम नयी चूत मेरे सामने थी। मैंने अपने हाथ का दबाव बढ़ा दिया और उसकी चूत को जोर से रगड़ने लगा। मैंने अपनी एक अँगुली उसकी चूत के मुहाने पर घुमायी तो पाया कि उसकी चूत गीली हो चुकी थी।
“तुम अपनी अँगुली मेरी चूत में क्यों नहीं डालते, जिस तरह मेरे पति ने अपनी अँगुली तुम्हारी बीवी की चूत में डाली हुई है।” उसने कहा तो मैंने घूम कर देखा और पाया कि प्रशाँत का एक हाथ मेरी बीवी की चूचियों को मसल रहा है और दूसरा हाथ उसकी खुली जींस से उसकी चूत पे था। उसके हाथ वहाँ क्या कर रहे थे मुझे समझते देर नहीं लगी।
अचानक मेरी बीवी प्रीती ने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ़ देखा। वो एक अनजान आदमी के हाथों को अपनी चूत पे महसूस कर रही थी और मैं एक परायी औरत की चूत में अँगुली कर रहा था। वो मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुरायी और मैं समझ गया कि आज की रात हम दोनों के ख्वाब पूरे होने वाले हैं। प्रीती मुस्कुराते हुए अपनी जींस और पैंटी पूरी उतार कर नंगी हो गयी।
जैसे ही उसने अपनी जींस और पैंटी उतारी, उसने प्रशाँत के कान में कुछ कहा। प्रशाँत ने उसकी ब्रा और टॉप भी उतार दिए। अब वो एक दम नंगी उसकी बांहों में थी। प्रशाँत के हाथ अब उसके नंगे बदन पर रेंग रहे थे।
“लगता है हम उनसे पीछे रह गये।” कहकर बबीता ने मुझसे अलग होते हुए अपना टॉप उतार दिया। जैसे हम किसी प्रतिस्पर्धा में हों। बबीता अब बिल्कुल नंगी हो गयी, उसने सिर्फ पैरों में हाई-हील के सैंडल पहने हुए थे।
“लगता है कि हमें उनसे आगे बढ़ना चाहिए,” कहकर बबीता ने मेरी जींस के बटन खोल मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया। बबीता मेरे लंड को सहला रही थी और मेरा लंड उसके हाथों की गर्माहट से तनता जा रहा था। बबीता एक अनुभवी चुदक्कड़ औरत की तरह मेरे लंड से खेल रही थी।
मैं भी अपनी जींस और अंडरवियर से बाहर निकल नंगा बबीता के सामने खड़ा था। बबीता ने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया, जो तन कर सढ़े आठ इंच का हो गया था। “बहुत मोटा और लंबा है” कहकर बबीता लंड को दबाने लगी।
मैंने घूम कर देखा तो पाया कि मेरी बीवी मुझसे आगे ही थी। प्रीती प्रशाँत के सामने घुटनों के बल बैठी उसके लंड को हाथों में पकड़े हुए थी। प्रशाँत का लंड लंबाई में मेरे ही साईज़ का था पर कुछ मुझसे ज्यादा मोटा था। प्रीती उसके लंड की पूरी लंबाई को सहलाते हुए उसके सुपाड़े को चाट रही थी।
मुझे पता था कि प्रीती की इस हर्कत का असर प्रशाँत पर बुरा पड़ने वाला है। प्रीती लंड चूसने में इतनी माहिर थी कि उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता था। उसका लंड चूसने का अंदाज़ ही अलग था। वो पहले लंड के सुपाड़े को अपने होठों में ले कर चूसती और फिर धीरे-धीरे लंड को अपने मुँह में भींचती हुई नीचे की और बढ़ती जिससे लंड उसके गले तक चला जाता। फिर अपनी जीभ से चाटते हुए लंड ऊपर की और उठाती। यही हर्कत जब वो तेजी से करती तो सामने वाले की हालत खराब हो जाती थी।
इसी तरह से वो प्रशाँत के लंड को चूसे जा रही थी। जब वो उसके सुपाड़े को चूसती तो अपने थूक से सने हाथों से जोर-जोर से लंड को रगड़ती। मैं जानता था कि प्रशाँत अपने आपको ज्यादा देर तक नहीं रोक पायेगा।
करीब दस मिनट तक प्रीती प्रशाँत के लंड की चूसाई करती रही। मैं और बबीता भी दिलचस्पी से ये नज़ारा देख रहे थे। प्रशाँत ने अपने लंड को प्रीती के मुँह से बाहर निकाला और मेरे और बबीता के पास आ खड़ा हो गया। बबीता मेरे लंड को सहला रही थी और प्रशाँत अपने होंठ बबीता के होंठों पे रख उन्हें चूमने लगा। बबीता उससे अलग होते हुए बोली, “प्रशाँत! राज को बताओ न कि मुझे किस तरह की चुदाई पसंद है।”
फिर कामुक्ता का एक नया दौर शुरू हुआ। प्रशाँत अपनी बीवी बबीता के पीछे आकर खड़ा हो गया और मुझे उसके सामने खड़ा कर दिया। फिर बबीता के माथे पे आये बालों को हटाते हुए मुझसे बोला, “राज इसके होंठों को चूसो।”
मैंने एक आज्ञाकारी शिष्य की तरह आगे बढ़ कर अपने होंठ बबीता के होठों पर रख दिए। बबीता ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। हम दोनों एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे। “अब इसकी चूचियों को चूसो,” प्रशाँत ने कहा।
मैं नीचे झुक कर बबीता की चूँची को हाथों में पकड़ कर उसका निप्पल अपने मुँह में ले चूसने लगा। उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी और कसी हुई थी। गोल चूंची और काले सख्त निप्पल काफी मज़ा दे रहे थे।
“दूसरी को नज़र अंदाज़ मत करो” कहकर उसने बबीता की दूसरी चूँची पकड़ मेरे मुँह के आगे कर दी। मैं अपने होंठ बढ़ा कर उसके दूसरे निप्पल को अपने मुँह मे ले चूसने लगा।
करीब पाँच मिनट तक मैं उसकी चूचियों को चूसता रहा, और मैंने पाया कि प्रशाँत के हाथ मेरे कंधों पे थे और मुझे नीचे की और दबा रहा था। मुझे इशारा मिल गया। कैसे एक पति दूसरे मर्द को अपनी बीवी से प्यार करना सिखा रहा था। मैंने नीचे बैठते हुए पहले उसकी नाभी को चूमा और फिर उसकी कमर को चूमते हुए अपने होंठ ठीक उसकी चूत के मुख पे रख दिए।
जब मैं उसकी चूत पे पहुँचा तो मैं दंग रह गया। प्रशाँत ने बबीता के पीछे से अपने दोनों हाथों से उसकी चूत की पंखुड़ियाँ पकड़ के इस कदर फैला दी थीं, जिससे मुझे उसकी चूत को चाटने में आसानी हो। जैसे ही मैंने अपने जीभ उसकी चूत पे फ़िरायी, मैंने पाया कि मेरी बीवी प्रीती ठीक मेरे बगल में बैठी थी और उसकी निगाहें बबीता की चूत पे टिकी हुई थी।
प्रशाँत को अच्छी तरह पता थी कि मर्द की कौन सी हर्कत उसकी बीवी की चूत में आग लगा सकती थी, “अब अपनी जीभ से इसकी चूत के चारों और चाटो”, उसने कहा।
आज मैं कई सालों के बाद किसी दूसरी औरत की चूत को चाट रहा था, वो भी जब कि मेरी बीवी छः इंच की दूरी पे बैठी मुझे निहार रही थी। मैंने अपना एक हाथ बढ़ा कर प्रीती की चूत पे रखा तो पाया कि उत्तेजना में उसकी चूत भी गीली हो चुकी थी। मैं अपनी दो अँगुलियाँ उसकी चूत में घुसा कर अंदर बाहर करने लगा। मैं बबीता की चूत को चाटे जा रहा था और प्रीती मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी।
“अब इसकी चूत को नीचे से ऊपर तक चाटो और करते जाओ?” प्रशाँत ने बबीता की चूत और फ़ैलाते हुए कहा। मैंने वैसे ही किया जैसा उसने करने को कहा। बबीता की चूत से उठी मादक खुशबू मुझे और पागल किये जा रही थी।
“अब अपनी पूरी जीभ बबीता की चूत में डाल दो?” प्रशाँत ने कहा। बबीता ने भी अपनी टाँगें और फैला दी जिससे मुझे और आसानी हो सके। मैं अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा कर उसे जोर से चोद रहा था। बबीता की सिस्करियाँ शुरू हो चुकी थी, “हाँ राज... चूसो मेरी चूत को... निचोड़ लो मेरी चूत का सारा पानी, ओहहहहह हँआआआआआआँ!” प्रशाँत बबीता के चूत को फ़ैलाये उसके पीछे खड़ा था। मैं और तेजी से उसकी चूत को चूसने लगा। इतने में बबीता का शरीर अकड़ा और जैसे कोई नदी का बाँध खोल दिया गया हो, उस तरह से उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मेरा पूरा मुँह उसके रस से भर गया। बबीता जमीन पे बैठ कर अपनी उखड़ी साँसों को संभालने लगी।
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद उसने मेरे चेहरे को अपने नज़दीक कर मुझे चूम लिया, “राज अब मैं चुदवाने के लिये तैयार हूँ!” इतना कहकर बबीता मेरा हाथ पकड़ मुझे सोफ़े के पास ले गयी।
बबीता सोफ़े पे झुक कर घोड़ी बन गयी, और थोड़ा नीचे झुकते हुए उसने अपने गोरे चूत्तड़ ऊपर उठा दिए। उसकी गुलाबी और गीली चूत और उठ गयी थी। मैं अपने हाथ से उसके चूत्तड़ सहलाने लगा। फिर मैं अपना लंड उसकी चूत पर रख कर घिसने लगा। मैंने गर्दन घुमा कर देखा तो प्रशाँत और प्रीती मेरे बगल में खड़े एक दूसरे के नंगे बदन को सहला रहे थे, मगर उनकी आँखें मेरे लंड पे टिकी हुई थी। मैंने अपने लंड को धीरे से बबीता की चूत में घुसा दिया।
बबीता की चूत काफी गीली थी और एक बार वो झड़ भी चुकी थी, फिर भी मुझे उसकी चूत में लंड घुसाने में बहुत जोर लगाना पड़ रहा था। इतनी कसी चूत थी उसकी। मैंने एक जोर का धक्का मार अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक डाल दिया और उसे चोदने लगा।
मैंने देखा कि प्रशाँत और प्रीती हमारे पास आ गये हैं। प्रीती ने ठीक बबीता के बगल में सोफ़े पर लेट कर अपनी टाँगें फैला दी। उसकी चूत का मुँह और खुल गया था। उसकी गुलाबी चूत इतनी प्यारी थी और जैसे कह रही हो कि आओ मुझे चोदो। प्रशाँत उसकी टाँगों के बीच आकर अपना खड़ा लंड उसकी चूत पे घिसने लगा।
मैं बबीता की चूत को पीछे से चोद रहा था इसलिए मुझे साफ और अच्छी तरह दिखायी दे रहा था कि प्रशाँत किस तरह अपना लंड प्रीती की चूत पे रगड़ रहा था। बबीता ने अपना एक हाथ बढ़ा कर प्रशाँत के लंड को अपने हाथों में ले लिया और उसे प्रीती की चूत के मुँह पे रख दबाने लगी।
क्या नज़ारा था, एक औरत दूसरे मर्द से चुदवा रही थी और अपने पति का लंड उस मर्द की बीवी की चूत पे रगड़ उसे चोदने को कह रही थी। मैं उत्तेजना के मारे बबीता के चूत्तड़ पकड़ कर कस-कस के धक्के लगा रहा था। बबीता ने प्रीती की चूत अपने हाथों से और फैला दी और प्रशाँत के लंड को ठीक वहीं पे रख दिया। प्रशाँत ने इशारा समझ कर एक ही धक्के में अपना लंड पूरा पेल दिया।
प्रशाँत मेरी बीवी प्रीती को जोर के धक्कों के साथ चोद रहा था और मैं उसकी बीवी बबीता की चूत मे अपना लंड पेल रहा था। मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ायी तो बबीता पीछे की और घूम कर बोली, “राज थोड़ा धीरे-धीरे चोदो और अपनी बीवी को देखो।”
मैंने देखा कि प्रीती की टाँग मुड़ कर उसकी चूचियों पे थी और प्रशाँत धीमे धक्कों के साथ उसे चोद रहा था। उसका मोटा लंड वीर्य रस से लसा हुआ लाईट में चमक रहा था। इतने में बबीता अपनी एक अँगुली प्रीती की चूत में डाल अंदर बाहर करने लगी। बबीता की अँगुली और प्रशाँत का लंड एक साथ प्रीती की चूत में आ जा रहे थे। प्रीती भी पूरी उत्तेजना में अपने चूत्तड़ उछाल कर प्रशाँत के धक्कों का साथ दे रही थी।
इतनी जोरदार चुदाई देख मैंने भी अपने धक्कों में तेजी ला दी। बबीता भी अपने चूत्तड़ पीछे की और धकेल कर ताल से ताल मिला रही थी। मैंने अपनी एक अँगुली बबीता की चूत में डाल कर गीली की और फिर उसकी गाँड के छेद पे घुमा कर धीरे से अंदर डाल दी। बबीता सिसक पड़ी, “ओहहहहह राज क्याआआआआ कर रहे हो?” मैंने उसकी बात पे ध्यान नहीं दिया और उसे जोर से चोदते हुए अपनी अँगुली उसकी गाँड के अंदर बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा था। वहीं पर प्रशाँत भी जम कर प्रीती की चुदाई कर रहा था। मैंने बबीता के शरीर को अकड़ता पाया, और उसने मेरे लंड को अपनी चूत की गिरफ़्त में ले लिया।
मैं जोर-जोर के धक्के लगा रहा था, मेरा भी पानी छूटने वाला था। मैंने दो चार धक्के मारे और मेरे लंड ने बबीता की चूत में बौंछार कर दी, साथ ही बबीता की चूत ने भी अपना पानी छोड़ दिया।
मैं फिर भी धक्के मारे जा रहा था और अपनी बीवी प्रीती को देख रहा था। उसकी साँसें तेज थी और वो सिसक रही थी, “ओहहहहहह आआहहहहह प्रशाँत... चोदो मुझे... और जोर से.... हाँआआआ ऐसे ही चोदो.... और जोर से....!”
मैं समझ गया कि प्रीती का समय नज़दीक आ गया है। उसने जोर से अपने चूत्तड़ ऊपर उठा कर प्रशाँत के लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले अपना पानी छोड़ दिया। प्रशाँत का भी काम होने वाला था। वोह अपना लंड प्रीती की चूत से बाहर निकाल कर हिलाने लगा और फिर उसके पेट और छाती पर अपने वीर्य की बरसात कर दी।
प्रशाँत अपना लंड फिर उसकी चूत में घुसा कर धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला तो वो प्रीती की चूत के पानी और खुद के सफ़ेद वीर्य से लिसड़ा हुआ था। प्रशाँत ने थोड़ा साईड में हो कर अपना लंड प्रीती के मुँह में दे दिया। और बबीता अपने आप को एडजस्ट कर अपना मुँह प्रीती की चूत पर रख के उसे चाटने लगी।
मेरा लंड फिर तनाव में आ गया था और मैं जोर के धक्कों के साथ बबीता को चोद रहा था। बबीता मेरी बीवी की चूत को चूस रही थी और प्रीती प्रशाँत के लंड को। माहौल में काम की आग दहक रही थी और हम चारों उत्तेजना से भरे पड़े थे।
दो चार कस के धक्के मार कर मैंने एक बार फिर अपना पानी बबीता की चूत में छोड़ दिया। प्रीती की चूत ने भी बबीता के मुँह में अपना पानी छोड़ दिया और वहीं प्रीती भी प्रशाँत के लंड से छूटे पानी को पी रही थी।
हम चारों पसीने में लथ-पथ थे और साँसें तेज हो गयी थी। ऐसी जमकर चुदाई शायद सभी ने पहली बार की थी। हम सब लेट कर सुस्ताने लगे। बबीता ने मुझे बांहों में भर कर चूमते हुए कहा, “राज ऐसी चुदाई मैंने आज पहली बार की है, तुम्हारे चोदने का अंदाज़ सही में निराला है।”
“बबीता... ये तो मुझे प्रशाँत ने सिखाया कि तुम्हें किस तरह की चुदाई पसंद है,” मैंने उसे चूमते हुए जवाब दिया।
रात के बारह बज चुके थे और दूसरे दिन काम पर भी जाना था। प्रशाँत और बबीता खड़े हो कर अपने कपड़े पहनने लगे। कपड़े पहन कर दोनों ने हमसे विदा ली और अपने घर चले गये। मैं और प्रीती भी एक दूसरे को बांहों में ले सो गये।
अगले कुछ दिनों तक हमारी मुलाकात प्रशाँत और बबीता से नहीं हो पायी। उस रात की चुदाई ने हमारी सैक्स लाईफ को एक नया मोड़ दिया था। अक्सर रात को बिस्तर में हम उस रात की चर्चा करते और जमकर चुदाई करते। हम दोनों की इच्छा थी कि प्रशाँत और बबीता के साथ एक रात और गुज़ारी जाये।
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