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Misc. Erotica अनोखी ताक़तों का मालिक।
#27
Update 15.
रवि -( उसने रेड वाइन का एक गिलास भरा और रमा को जगाते हुए उसके होंठो के साथ लगाया )-रमा पीलो इसे अच्छा लगेगा तुम्हें ।
रमा एक ही घूट में सारा गिलास पी गयी ,उसका सिर चकराना कम हुआ तो उसने शीशे में देखा पर वो खुद को पहचान ही नहीं पाई पहचानती भी कैसे 38 साल की भरी पूरी औरत की जगह वो हॉलीवुड हीरोइन जैसी दिखने वाली 22-23 साल की लड़की को देख रही थी "यह मैं हूँ ?" उसने अपने स्तंनो ,चेहरे को छूते हुए पूछा । "हाँ तुम ही रमा यह तुम्हारा असली रूप है" रवि ने रमा को बाहों में भरते हुए कहा ।
रमा ने शीशे में देखा तो एक साढ़े छे फूट के बॉडी बिल्डर की बाहों में वो किसी छुई-मुई सी लग रही रही थी । रवि उसके एक मम्में को पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठाया और और उसके 1 इंच के निप्पल को अपने मुँह में डाल लिया और उसे वैसे ही चूसने लगा जैसे वो बचपन में मां का दूध पीता था । उसने जैसे ही चूसी मारी गाड़े मलाई दार दूध से उसका मुँह भर गया " बड़ा मीठा है तेरा दूध " उसने रमा की आँखों में देखते हुए कहा ।
रमा(शर्माते हुए)-धत इनमें दूध कँहा से आएगा ।
रवि(वाइन वाला गिलास उठाते हुए)-इनमें तो इतना दूध है कि दो बार निचोड़ने पर ही गिलास भर जाए ।
रमा तो जैसे शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी उसका प्रेमी उसका दूध पी रहा था और किसी गाय की तरह उसका दूध निकालने की बात कर रहा था । पर इससे पहले की वो कुछ और कहती रवि ने उसके एक स्तन को ज़ोर से भिचा औऱ सच में उसके चूचक में से दूध की एक मोटी धार निकालकर गिलास में पड़ी और गिलास आधे से ज्यादा भर गया । "आह रवि आराम से तोड़ ही डालोगे क्या" रमा ने रवि के होंठो पे अपनी उँगली रखते हुए कहा । रवि ने उसकी उँगली को मुँह में डाल कर उसे हल्का सा काटते हुए बोला"आह तेरी उंगलियां भी मीठी हैं खा जाऊं इन्हें तो" ।
रवि ने गिलास में रमा का जो दूध निकाला था उसे अपने मोटे हाथी लन्ड पर गिरा दिया और पूरे लंड पर अच्छे से मल लिया फिर उसने रमा को अपनी गोद में ऊपर उठा लिया ....रमा ने अपनी टाँगे उसकी कमर पर और बाहें उसके गले में डाल दीं ...वो अपनी चूत के नीचे साफ-2 रवि के मोटे लौड़े को महसूस कर रही थी वो समझ गयी कि क्या होने वाला है उसने अपने होंठ रवि के होंठो पे लगा दिए और उसके होंठों को चूमने लगी।
रवि ने अपनी एक बाजू से रमा की पतली कमर को थाम लिया और दूसरे हाथ से अपने लन्ड के टोपे को उसकी अनछुई चूत के नीचे लगा दिया और रमा के होंठो को अपने होंठो में कैद करते हुए एक इतने जोर का झटका मारा की उसका 15इंच लम्बा और 5इंच मोटा लौड़ा रमा की चूत की झिल्ली को चीरता हुआ आधे से ज्यादा उसकी चूत में समा गया ।
रमा के होंठ तो उसके होंठो की कैद में थे इसलिए वो चीख तो न पाई पर उसे दर्द इतना ज्यादा हुआ था कि उसने अपने लंबे नाखून रवि की गर्दन में इतने ज़ोर से गड़ा दिए कि रवि की गर्दन से खून निकल आया । रमा कि चूत मानो इस समय इतने मोटे लन्ड के कारण फटी जा रही थी और आग कि भठ्ठी की तरफ तप रही थी वो रवि के लिंग को निचोड़ रही थी इतनी कसी हुई थी रवि न तो अपने लौड़े को आगे कर पा रहा था पीछे । रवि ने अपने लन्ड को रमा की चूत में वैसे ही रहने दिया और रमा को गोद में उठाए हुए ही अपने बेडरूम में आ गया और एक तकिये के ऊपर रमा के सिर को धीरे से टिकाते हुए उसे बिस्तर पर टिका दिया । उसका मूसल लन्ड अभी भी रमा की चूत में था और लकड़ी में जैसे कील गड़ी होती है वैसे ही गड़ा हुआ था । उसने अपने हाथों में रमा का चेहरा थामा और उसके होंठों को अपने होंठों की बेरहम कैद से आज़ाद किया उसे लग रहा था कि रमा चिलायेगी ,गुस्सा करेगी लन्ड बाहर निकालने को कहेगी पर रमा तो छोटी लड़कियों जैसे मुस्कुराते हुए बोली "तुम्हारा लन्ड तो मेरे पेट तक आ गया है ,ऐसा लग रहा है मानो तुम्हारा लन्ड नहीं बल्कि कोई बच्चा आगया हो मेरे पेट में" रमा ने अपनी नाभि के पास अपने के उभार को देखते हुए कहा । रवि का लौड़ा रमा की बेहद कसी हुई चूत में मानों जल रहा था उसके लिए खुद को रोकना बेहद मुश्किल हो रहा था ,उसने रमा टाँगों को फैलाते हुए एक ताकतवर झटका अचानक ही दे मारा और उसका पूरा हाथियों वाला लौड़ा रमा की चूत के सारे अवरोध को तोड़ता हुआ अंदर घुस गया ।रमा कि मानो जान हल्क में आ गयी हो उसने अपना सिर थोड़ा ऊपर उठाकर देखा तो उसके पेट में रवि के लंबे मोटे लौड़े से बन रहा उभार साफ नजर आ रहा था जो उसकी फुद्दी से ठीक स्तंनो के बीच तक आ रहा था । उसे दर्द से ज्यादा हैरानी हो रही थी कि इतना बड़ा लौड़ा उसकी फुद्दी में फिट कैसे हो गया उसकी चूत की गहराई का हर एक इंच रवि के लन्ड को महसूस कर रहा था ।
रवि ने उसकी एक टांग को 90 डीग्री पर मोड़ते हुए पकड़ लिया हल्के-2 झटके देना शुरू किया वो रमा की आँखों में देखता हुआ धीरे-2 पर जानदार झटके मार रहा था वो लन्ड को आधे से ज्यादा बाहर निकलता फिर पूरा अंदर ठेल देता उसके बड़े अंडकोष रमा की गाँड़ से टकरा जाते और घप कि आवाज होती । धीरे-2 रमा की चूत उसके मोटे लन्ड की आदि होती जा रही थी और वो अपने धक्कों की रफ्तार तेज करता जा रहा था । जल्दी रमा का दर्द मज़े में बदल गया और वो आंखे बंद करके अपने होंठ काटते हुए चुदाई का आनंद उठाने लगी "ओह ररवी.....आह...आह...चोदो ...आह.....और ज़ोर से चोद... आह...हाँ ऐसे ही.....उफ्फ कितना मूसल है तेरा लौड़ा आह..." पक पक.... और घप घप... की आवाज़ के बीच रमा की कामुक आवाज़ें पूरे कमरे में गूँज रही थी । रवि दनादन धक्के दे रहा था और रमा चादर को पकड़े बस मादक सिसकियां ले रही थी "आह… रवि… जोर से… और जोर से… फाड़ डाल मेरी चुत को!”...."ले मेरी जान और ले ....तेरी यह टाइट बुर ने पागल बना दिया ले साली औऱ ले " रवि ने रमा के मम्मों को पकड़ते हुए कहा और रफ्तार और तेज़ कर दी।
"आह धक्का दे… हाँ… हाँ दे… दे… दे… हाँ हाँ ऐसे ही दिये जा रवि… हाय राजे मैं कहाँ उड़े जा रही हूँ… लगता है अब गिरी और अब गिरी… आह आह आह! रमा रवि की पीठ को नोचते हुए चिल्ला रही थी । रवि उसके तरबूजों को मसलते हुए अपने हाथी लन्ड से उसकी चूत का भुरता बना रहा था पूरा कमरा उसके जानदार धक्कों की आवाज़ से गूंज रहा था "धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… . धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… . धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… " उधर रमा की मादक आवाज़े आऽऽह.. धीरे.. आऽऽह.. आऽऽह..आऽऽह.. रुक जरा.. हाँ.. आऽऽह… जोर से.. आऽऽह.. आऽऽह.. आऽऽह.. ह्म्म.. हाँऽऽअः का मधुर संगीत की तरह गूँजने रही थीं ।
“आह रमा… मेरी रानी, ले मेरा लंड… और ले… बड़ी मस्त है तेरी चुत… पहली बार में ही पूरा अंदर ले लिया है तूने… आह… देख कैसा मेरा लंड अंदर खींच रही है… मैं आ रहा हूँ जान… ले मेरा लंड…” रवि मदहोशी में बोल रहा था वो अपने चरम कि तरफ बढ़ रहा था और बेहरमी से घस्से पे घस्सा लागये जा रहा था उसे अपने अंडकोष भारी होते हुए महसूस हो रहे थे पर उसे इतना मज़ा आ रहा था कि बिना रुके पूरी रफ्तार से रमा की चूत में लन्ड पेले जा रहा था ।
“आआ… आआअह रवि… आआआ आआआ प्लीज तेज चोदो… आआ आआअ… मैं मर जाऊँगी आआ आआआआ....ऐसे ही आह ....कितना मज़ा आ रहा है ...आह" रमा चुदाई की के मज़े में डूबी बड़बड़ा रही थी दूसरी तरफ रवि को लग रहा जैसे वो किसी भी पल झड़ जाएगा उसके अण्डकोषों की थैली वीर्य से भरती जा रही थी लेकिन वो रमा कि पहली चुदाई का मज़ा खराब नहीं करना चाहता इसलिए उसने धक्के लगाना बंद कर दिए पर लन्ड को रमा की चूत के अंदर ही रहने दिया ...."रुक क्यों गए ...चोदो न ...प्लीज़ रुको मत ..चोदते रहो ...रवि मत तड़पाओ मुझे " रमा तरस भरी नजरों से रवि की और देखते हुए कहा । "करूँगा चुदाई मेरी जान मेरी रमा बस एक मिनट " रवि चादर के एक कोने से पतली से कपड़े की पट्टी फाड़ते हुए और पट्टी कस के अपने लौड़े की जड़ पर वैसे ही बाँध लिया जैसे चोट लगी जगह को बांधते हैं ।
रमा( शरारत भरी मुस्कान के साथ)-अपने लौड़े को राखी बाँध रहे हो ?
रवि-हाहाहा ....नहीं मेरी काम की देवी ,तेरा गुलाम लौड़ा कहीं समय से पहले उल्टी न कर दे इसलिए इसकी गर्दन को बाँध दिया है , तो अगला राउंड शुरू करें ?
रमा(अपनी कमर हिलाते हुए)-नेकी और पूछ पूछ ? शुरू करो ।
रवि(लन्ड को रमा की चूत से बाहर खींचते हुए) -अब जब शेर के गले में मैंने पट्टा डाल ही दिया तो इसकी सवारी करके देखो ज़रा ।
रमा ने उठकर उसके लिंग को देखा. रमा के मम्मों के रस से भीगा हुआ मोटा लम्बा लेकिन गोरा लौड़ा रमा को पागल बना रहा था. रमा ने उसके हैथियों वाले लंड को अपनी मुट्ठी मे भरा तो उसकी पूरी हथेली रस से चुपद गयी. और थोड़ा सा खेंचते ही उनका लिंग मुट्ठी से फिसला जा रहा था. रमा ने उसकि कमर के दोनो ओर अपने घुटनो को रख कर अपनी योनि को आसमान की ओर तने उनका लिंग पर रखा. फिर अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर दो उंगलियों से अपनी चूत की फांकों को अलग किया और दूसरे हाथ से उनके लिंग को थाम कर उसे अपनी योनि के द्वार पर सेट कर दिया. फिर रमा उसकी बलिष्ठ चौड़ी छाती पर अपने दोनो हाथ रख कर उन्हे सहलाने लगी उसके छ्होटे मसूर के दाने समान दोनो निपल को अपने नाखूनो से छेड़ते हुए रमा अपनी कमर को नीचे की ओर दबाया.
पहले झटके मे उसका मोटा टोपा कुछ अंदर तक घुस गया. रमा इस अवस्था मे कुछ देर तक रुकी. रमा ने रवि की तरफ देखा. वो उसे देखते हुए मुस्कुरा रहा था. रमा ने भी उसकी तरफ एक दर्दीली मुस्कुराहट छोड़ते हुए अपना सारा बोझ उसके ऊपर डाल दिया. उसका किसी बड़ी लम्बी और मोटी लौकी जैसा लौड़ा वापस उसकी चूत मे अंदर तक घुसता चला गया. वो अपनी पूरी जान लगा कर रवि के ऊपर बैठ गयी।
रमा ने अपना एक हाथ उन दोनो के मिलन की जगह डाल कर टटोला फिर कराहते हुए कहा, “घुस गया है पूरा….ओफफफ्फ़ कैसे झेलती होगी कोई तुम्हें रवि ..ऐसा लग रहा है मानो मेरी चूत को कोई चाकू चीर रहा है. इसीलिए एक बार जो तेरे संपर्क मे आती है उसका तुझे छोड़कर कर जाने का सपने मे भी मन नही होता है इसीलिए तरन तेरी गुलाम है और आज तूने मुझे भी जीत लिया.”
रमा उसके लिंग पर अपनी चूत को ऊपर नीचे करने लगी. रवि ने राम की बड़ी गुलाबी चूचियो को पकड़ कर दबाना शुरू किया. एक चूची के निपल को ज़ोर से खींचा तो उसमे से दूध की धार निकल कर रवि के चेहरे पर पड़ी. रवि ने मुँह खोल कर दूध की धार को अपने मुँह की ओर किया. एक हाथ से मेरे निपल की दिशा अपने मुँह की ओर सेट करके दूसरे हाथ से उसे मसल मसल कर दूहने लगा. रमा के मोटे सुडौल पर रुई से नरम स्तनो से दूध निकल कर पिचकारी की धार की तरह सीधा उसके मुँह मे गिर रहा था. रवि ने अपना मुँह पूरा खोल कर रमा के स्तनो से निकलने वाले सारे दूध को अपने मुँह मे समेट लिया.
रमा कामवेग में पगला सी गयी थी वो तेजी से रवि के के खम्बे जैसे लौड़े पर कूद-कूद कर उसे चोद रही थी ,रवि अपने चरम पर पहुँच गया था उसने रमा के स्तंनो को बेहद ज़ोर से अपने मुठ्ठी में भीच लिया उसका लन्ड रमा की चूत में रह रहकर झटके खा रहा था पर लन्ड को बांधने का उसका आइडिया काम कर गया न उसका माल निकला और न लन्ड ही शिथिल हुआ ,चरम अवस्था के गुज़र जाने के बाद रवि के मुख से एक लंबी आह निकली और वो निश्वास छोड़ते हुए बिस्तर पर पसर गया ।
उसका लन्ड अभी भी पूरी तरह सख्त था और रमा की टाइट और गहरी चूत के अन्दर था ।रमा इसी इसी पोज़ में नीचे झुक कर रवि के गालों,होंठो ,गले और छाती पर किस करने लग गयी ।
रवि(रमा की पीठ सहलाते हुए)-मज़ा आ गया मेरी जान क्या मस्त चुदाई करती हो तुम ।
रमा(रवि के होंठ चूमते हुए)-मैं तो आंनद और मज़े के आसमान में उड़ रही हूँ लग रहा जैसे सुहागरात हो मेरी । तुम हो मेरे पति रवि ।
रवि(उठ कर रमा को गोदी लेते हुए)-हम्म और तुम मेरी पत्नी । रवि ने रमा को खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और अपने लिंग को उसकी योनि के अंतस्थल तक पहुँचाने की कोशिश में लग गया था
रमा जो कि रवि के हाथों में अब खिलोने जैसे लग रही थी उसे भी रवि की हरकतों का अंदाज़ा था पर वो कुछ नहीं कर सकती थी वो इतनी थक चुकी थी कि उसके हाथ पाँवो ने जबाब दे दिया था वो तो बस लटके हुए थे और किसी भी सहारे की तलाश में थे पर सहारा कहाँ वो तो अब रवि की गोद में थी और उसकी जाँघो के बीच में उसका, मोटा लिंग फिर से अपनी लड़ाई लड़ता हुआ दिख रहा था वो जानती थी कि अब उसकी फुद्दी को फाड़ने के लिए वो फिर से तैयार था और वो फिर से उस संघर्ष का हिस्सा है वो भी थोड़ा सा रवि के कंधों का सहारा लेके आगे की ओर हुई थी कि झट से रवि ने उसे नीचे से एक ध्क्का लगाया और उसका मूसल का लिंग उसे भेदता हुआ अंदर और बहुत अंदर तक पहुँच चुका था रवि बेड पर था और उसके पैर जमीन पर टिके हुए थे पर उसके धक्के इतने ताकतवर थे कि रमा हर बार किसी गेंद की भाँति ऊपर की ओर उछल पड़ती थी रवि रवि का लिंग अब पूरी तरह से अपना रास्ता खोजने में सफल हो गया था और उनके दोनों हाथ उसकी कमर के चारो ओर उसे जोर के जकड़े हुए था उस्का दाढ़ी वाला चेहरा उसके नरम और मुलायम कोमल सीने को छूता तो रमा के मुख से एक लंबी सी सिसकारी भी निकलती
रमा- ऊऊह्ह रवि प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज धीरीईईईईईईईई...फट गई मेरी ।
रवि- रुक जा रमा थोड़ा और बस ...बस मेरा शोना आह....रवि उसे दिलासा देते हुए अपने लन्ड को तेजी से उसकी योनि के अन्दर बाहर करता जा रहा था ।
रमा- मैं माअरर्र्ररर जाऊँगी और नहीं ....आह...आह....ओह... मां
पर रवि को कहाँ शांति थी वो तो एक हैवान बन चुका था उसके धक्के इतने जबरदस्त होते जा रहे थे कि हर धक्के में रमा उसके कंधों के ऊपर निकल जाती थी पर उसकी मजबूत पकड़ से आगे नहीं जा पाती थी लेकिन हर धक्कों के साथ वो फिर से गर्म होने लगी थी अब धीरे-धीरे उसकी पकड़ रवि के कंधों पर मजबूत होती जा रही थी और कस्ती जा रही थी
उसके शरीर में एक और बार उमंग की लहरे दौड़ चुकी थी वो फिर से अपने अंदर की उथल पुथल को संभालने की चेष्टा कर रही थी वो अब हर धक्के पर कसकर रवि को अपने शरीर के और पास लाने की कोशिश करती जा रही थी अब उसके पैरों में भी और हाथों में भी जोर आ गया था वो अब रवि रवि पर झुकी जा रही थी और हर धक्के को अपने अंदर तक महसूस कर रही थी
रमा के जोर के आगे अब रवि भी झुक गया और, उसने अपने को बिस्तर पर गिरने दिया अब रमा उसके ऊपर थी और वो नीचे पर उसका काम चालू था अब उसकी पकड़ रमा की चुचियों पर थे और अपनी हथेलियो को कसकर उनके चारो ओर पकड़े हुए था उसके हाथों के सहारे ही रमा ऊपर की ओर उठी हुई थी और वो नीचे लेटे हुए रमा की सुंदरता को देख रहा था और उसे जम कर भोग रहा था उसके शरीर की आख़िरी शक्ति को भी वो लगाकर उस सुंदरता को उछाल रहा था और नीचे पड़े हुए रमा को आनंद के सागर में गोते लगाते हुए देखा रहा था और रमा भी अब अपने को उचका कर रवि के हर धक्कों को अपने अंदर तक ले जाती थी और फिर उसके कानों में रवि की आवाज टकराई
रवि- क्यों रमा मजा आया ना उूुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममम ...तेरे जैसी चुड़कड नहीं देखी ....ले और ले ...
रमा- हाँ… हाँ… आआआआआह्ह और तेज और
रवि- हाँ… और हाँ…
और एक तूफान सा उठ रहा था उस कमरे में बहुत तेज तूफान जिसकी गति का अंदाज़ा उस कमरे में रखी हर चीज को महसूस हो रह था एक दूसरे की सिसकारी से कमरा भर उठा था और जिस तेजी से वो बह रही थी उसे देखकर लगता था कि वो उथल-पुथल के संकेत है पर कोई भी झुकने को तैयार नहीं था रवि की हर चोट अब रमा के लिए एक वरदान था और उसके शरीर की गरिमा थी वो अपने तुमको उस इंसान का शुक्रगुज़ार मान रही थी , कि उसने उसे इस चरम सीमा तक पहुँचने में उसकी मदद की अचानक ही उसके अंदर का उफ्फान अपनी गति से अपने शिखर पर पहुँचने लगा था और उसके अंदर एक तुफ्फान सा उठने लगा था जो कि वो नीचे पड़े हुए रवि की ओर एक कामुक दृष्टि के साथ ही उनके ऊपर झुक गई और रवि रवि के होंठों पर टूट पड़ी और कस कर अपने दोनों हाथों से उसके चेहरे को पकड़कर उनके होंठों से गुथ गई वो अपने जीभ को उनके मुख के अंदर तक घुसाकर उनसे गुजारिश करने लगी थी
रमा- और जोर से रवि और जोर से
रवि- हाँ… हाँ… हाँ… और और
रमा- हाँ… हाँ… और और उूुुउउम्म्म्मम सस्स्स्स्स्स्स्स्शह ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई और वो झड़ने लगी बहुत तेज जैसे एक समुंदर सा उसकी योनि से बाहर निकल गई हो पर वो रुकी नहीं उस समुंदर को वो अपने शरीर से बाहर निकालना चाहती थी बाहर और बाहर उसने अब भी रवि के ऊपर उचक कर अपना समर्थन जारी रखा और रवि को और तेजी से करने का आग्रह करने लगी थी
रमा- और रवि और तेज मार डालो मुझे ईईईईईईईई
और बस धम्म से वो रवि के ऊपर गिर पड़ी अब वो उस स्वर्ग लोक में थी जहां कि वो रवि के साथ निकली थी और अब वो वहां पहुँच गई थी और रवि के होंठ अब उसके चेहरे के हर कोने में वो महसूस कर रही थी और उनकी पकड़ भी अब उसे सांस लेने को रोक रही थी पर रमा कुछ नहीं कर सकती थी वो लगभग मर चुकी थी उसके शरीर में अब इतनी जान भी नहीं बची थी कि वो अपने को छुड़ा सके और लंबी सांसें भी ले सके वो वैसे ही निढाल सी रवि के ऊपर गिरी पड़ी ।
लेकिन रवि तो अभी दूसरी बार चरम पर पहुंचने के लिए त्यार भर हुआ हुआ था , उसका मोटा लौड़ा अभी भी रमा की चूत के अन्दर ही था ।रमा ने इतना रस छोड़ा था कि उसका पूरा लन्ड भीग गया अब उसे ऐसा लग रहा था मानों उसके लन्ड पर चींटियां रेंग रही हों ।
पर वो निढाल हो चुकी रमा को तंग नहीं करना चाहता था वो चाहता था कि रमा चुदाई के हर एक पल को एन्जॉय करे ।
वो हाथ बिस्तर पर रखते हुए उठ गया । अब एक बार फिर उसकी गोद में थी ,उससे लिपटी हुई और थकी हुई । रवि ने अपनी एक बाजू रमा की नाज़ुक कमर के चारों तरफ डालकर उसे अच्छे से थाम लिया और दूसरे हाथ का सहारा लेकर खिसकते हुए बिस्तर के नीचे उतर गया और खड़ा हो गया । उसका लन्ड अभी भी रमा की योनि के भीतर ही था और वो उसकी गोद में ।
रवि रमा को उठा कर अपनी आलीशान रसोई में ले आया और उसकी मोटी गाँड़ को सेल्फ पर टिकाते हुए उसकी पीठ को दीवार के सहारे टिका दिया ।
रवि(रमा के गाल सहलाते हुए)- रमा मेरी रानी, मेरी जान ,मेरी पत्नी ठीक हो तुम ?
रमा(जैसे वो नींद से जागी हो ,उसका अंग अंग टूट रहा था)-हम्म ठीक हूँ ,कितना ज्यादा झड़ी न मैं ?
रवि(रमा को वाइन का एक भरा हुआ गिलास थमाते हुए)- हम्म पूरी चादर ही भिगोकर कर रख दी है तुमने तो । लो वाइन पी लो अच्छा लगेगा तुम्हें । उसने गिलास रमा को थमाया और एक अपने लिए भी भरकर चियर्स किया और गटागट पी गया ।
रमा(वाइन से भरा गिलास खत्म करते हुए, वाइन पीने के बाद वो कुछ सामान्य होने लगी थी)-मेरे पेट यह क्या है ।
रवि-वो ही शेर ,जो तुम्हारा गुलाम है ।
रमा(रमा अपने पेट की तरफ देखती है जिसमें अभी भी रवि के लन्ड का उभार नज़र आ रहा था)-अच्छा तो यह महाराज अभी तक शांत नहीं हुए ?
रवि(रमा के मोम्मे सहलाते हुए)-कैसे होगा ?गले में पट्टा जो बँधा है । जब तक मालकिन का हुक्म नहीं होगा यह ऐसे ही मालकिन की सेवा के लिए तैयार रहेगा ।
रमा(उसे चिंता होने लगी थी कि कहीं रवि के लन्ड में खून का बहाव न रुक जाए)- रवि तुम पागल हो क्या ,खून जम जाएगा खोलो इसे ।
रवि-अच्छा एक ही दिन में लन्ड हमसे ज्यादा प्यारा होगया मैडम को ? और हम पागल ।
रमा-मज़ाक मत करो जल्दी से खोलो न इसे ।
रवि- शेर खुलने के बाद खाना मांगेगा तो क्या करोगी ?
रमा(रवि का सिर बालों से पकड़ कर अपने मम्में पे लगाते हुए)-तो मैं उसे बहुत सारा दुधु पिलाऊंगी ।
रवि(रमा की के सुन्दर चेहरे उसके काले लम्बे बालों ,मादक अदाओं और बेमिसाल कामुक बदन को निहारते हुए)- पर इस शेर को कसरत करनी है ।
रमा(अपनी टाँगों को रवि की गाँड़ पर लपेटते हुए)-सिर्फ बातें ही करोगे आज ।
रवि अपनी कमर को धीरे-2 आगे पीछे करने लगता है उसका मूसल लंड एक बार रमा की चूत को मथने लगता है पर बड़े आराम से बिना किसी हड़बड़ी के । रमा अपनी में रवि के लिंग का एक एक इंच महसूस कर रही थी और रवि का लन्ड उसकी चूत के इंच इंच से रगड़ खा रहा था दोनों का रोम रोम रोमांच से भरता जा रहा था । दोनों के ठंडे और थक चुके बदनों में एक बार फिर गर्मी और ताज़गी बढ़ती जा रही थी । "रमा तुम्हारे इस रूप पर मैं पूरी दुनियां कुर्बान कर दूँ" रवि धक्कों की गति को बढ़ाते हुए कहता । उतेजना और कामवेग के कारण रमा के होंठ सूख रहे थे वो रवि के होंठो की चूमना चाहती थी पर रवि तो आँखे बंद किये बस लयबद्ध तरीके से उसे चोदे जा रहा था वो रवि की मजबूत बाहों को पकड़ती है और अचानक आगे को कूद कर रवि की गोद में चढ़ जाती है और उसके गले में बाहें डालकर उससे लिपट जाती है उसके गुबारों जैसे मोटे स्तन पिचक कर किसी गोल प्लेट से हो जाते है । इससे पहले की रवि कुछ समझ पाता वो अपने होंठो को रवि के गर्म होंठो पे रख देती है । रवि के सब्र का बाँध अब टूट जाता है वो रमा की कमर को पकड़कर अपने मूसल से उसकि चूत को बेहरमी से चोदने लगता है ।
एक हल्की सी आह निकली थी रमा के मुख से और उसके होंठों ने फिर से रवि के होंठों पर कब्जा जमा लिया था हर धक्का अब उसके अंदर तक उतर रहा था और धक्के के साथ ही एक हल्की सी आहह भी रवि के मुख में कही गुम हो जाती थी पर रमा को कोई दिक्कत नहीं थी वो और भी आ करके उसके ऊपर चढ़ गई थी ताकि उसकी चोट ठीक से और सटीक लगे रवि भी अपनी बाहों में रमा को कसे हुए धीरे-धीरेधक्के लगाता जा रहा था और अपने लिंग को अंदर और अंदर तक उतारता जा रहा था उसे बहुत मजा आने लगा था जिस शरीर की उसने इतने साल तम्माना की थी आज उसका भाग्य जाग उठा था उसी शरीर को वो जैसे चाहे वैसे भोग सकता था और जितना चाहे वो उसके साथ खेल सकता था वो उत्तेजित तो था पर वो इंतजार करना चाहता था बहुत देर तक वो रमा के अंदर रहना चाहता था और वैसे ही उसके नरम और कोमल शरीर को अपने शरीर के साथ जोड़े रखना चाहता था वो अपने माथे को रमा के कंधे पर ले गया था और रमा ने भी अब रवि के सिर को कस्स कर पकड़ रखा था पता नहीं कहाँ से इतना जोर आ गया था कि वो अपनी बाहों से उसके सिर को जाने ही नहीं देना चाहती थी उसकी पकड़ में इतनी मजबूती थी कि रवि को ही अपना चेहरा हाथ कर या फिर इधर उधर करते हुए सांस लेने के लिए जगह बनानी पड़ रही थी पर वो खुश था और अपने माथे को उसके कंधे पर रखे हुए धीरे-धीरे अपनी कमर को चला रहा था उसका हर धक्का रमा के अंतर मन को झंझोर देती थी थकि हुई रमा के अंदर का हर हिस्सा झलक जाता था हर अंग में एक नई उर्जा उत्पन्न हो जाती थी वो रवि को और भी कस्स कर पा लेती थी और अपने कमर को अऔर भी आगे करते हुए उसकी चोट को अंदर तक उतार लेने की कोशिश करती थी रवि को भी रमा का इस तरह से साथ देना बहुत अच्छा और परम सुख दाईं लग रहा था वो जानता था कि रमा एक अंदर जो आग है वो उसके हाथों से ही भुझेगी पर कब यह वो नहीं जानता था पर हाँ… एक बात तो साफ थी कि रमा हर दम तैयार मिलेगी उसे
वो अपने दोनों हाथों से रमा की पीठ का हर कोना टटोल चुका था और अब अपने हाथों को उसके कंधों के ऊपर और एक हाथ को उसके नितंबो के ऊपर रखकर अपने तुमसे जोड़े रखा था और अपनी धक्कों की रफ़्तार को धीरे-धीरे बढ़ाने लगा था अब तो रमा की कमर को भी वो अपनी जाँघो पर टिकने नहीं दे रहा था और नहीं रमा ही उसकी जाँघो पर टिक रही थी उसकी भी हालत लगता था कि रवि के जैसी हो गई थी वो भी थोड़ा सा उठकर रवि के हर धक्के को उपने अंदर समा लेने को तैयार थी और रवि के कंधे पर लटकी हुई थी वो उसके माथे को कसकर पकड़े हुए अपनी कमर को थोड़ा सा उचका करके रवि को जगह बना के देना चाहती थी, कि करो और करो
रमा- आअह्ह प्लीज बस रुखना नहीं बस रुखना नहीं और जोर से और जोर से ....रवि ...
रवि- जान ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब आआआआआआआआह्ह ....उफ्फ्फ....कितनी टाइट चूत है तेरी ....
रमा-- रुकना नहीं प्लीज थोड़ी देर और प्लीज ...और करो ...आह....ओह मां यह लन्ड नहीं अजगर है .....आह कितना अंदर है यह
रवि- जान कितनी खूबसूरत हो तुम्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प कितनी प्यारी हो तुम ....साली कायली जेनर के 1 करोड़ फैन हैं और तू तो उससे भी सेक्सी ....तुझे हर रोज़ चुदूँगा ....आह...आह
लगता था कि जैसे रवि अपने मन की बातें अभी ही रमा को बता देना चाहता था पर रमा के कानो में कोई बातें नहीं जा रही थी उसका तो पूरा ध्यान रवि के लन्ड की तरफ था जो कि अब तो दोगुनी रफ़्तार से उसके अंदर-बाहर हो रहा आता
रमा- बस स्बस सस्स्शह अह्हहहहहहहह उूुुुुुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममम ...मर जाऊंगी....आह हाँ ऐसे ही .....
और रमा एक झटके से उसके गले में लटक गई और सांसों का चलना तो जैसे कई गुना बढ़ गया था वो स्थिर रहने की कोशिश कर रही थी पर रवि के धक्के पर हर बार काफी ऊपर उछल जाती थी अपनी पकड़ को बनाए रखने के लिए वो और भी जोर से रवि के गले के चारो और अपनी पकड़ बनाए हुए थी और उसको उसके मुकाम पर पहुँचाने की कोशिश करती जा रही थी ...
वो नहीं चाहती थी कि रवि को बीच में ही छोड़ दे पर हिम्मत और ताकत की कमी थी उसमें थकि हुई थी और हर एक धक्का जो कि रवि की कमर से लग रही थी हिल सी जाती थी वो हर धक्के पर उसकी पकड़ छूट जाती और बहुत रोकने पर भी वो उछल कर उसके सिर से ऊपर उछल जाती थी रवि को भी उसकी परिस्थिति समझ में आ रही थी पर वो अपने अंदर जाग उठे हैवान से लड़ रहा था और बहुत ही धीरज से काम ले रहा था पर रमा के झरने से और उसके निढाल हो जाने से उसके अंतर मन को शांति नहीं मिल रही थी वो जो चाहता था वो नहीं हो पा रहा था वो एक बार अपने होंठों को रमा के गालों से लेकर उसके होंठों तक घुमाकर रमा को फिर से उत्साहित करने की कोशिश करता रहा पर.........रमा तो जैसे धीरे-धीरे निढाल सी होती जा रही थी और अपना शरीर का पूरा भार रवि के ऊपर छोड़ कर अपनी ही दुनियां में कही खो जाना चाहती थी पर रवि अपने मन की किए बगैर कहाँ मानने वाला था ...उसने रमा की बाजुओं को पकड़ कर अपनी गर्दन को आज़ाद कर लिया ....रमा किसी लाश कि तरह हवा में झूल गयी पर इससे उसमे कुछ चेतना वापिस आ गयी वो बस अपनी टाँगों के सहारे रवि कि कमर पर झूल रही थी उसकी पीठ आधे वृत की तरह मुड़ी हुई थी । रवि ने उसको कमर से पकड़ लिया और बेहरमी से और बेहद तेज रफ्तार से चोदना शुरू कर दिया रवि के हर धक्के से उसकी जान हलक में आ जाती और रवि ने जैसे धक्कों कि रेल ही चला दी थी । रवि का लावा फूटने ही वाला था और वो बिना कुछ सोचते हुए वहशी ताकत के साथ रमा को चोदे जा रहा था आखिर उसने एक हुंकार भरी और एक जानलेवा धक्के के साथ रमा उसकी पकड़ से छूट कर जमीन पर जा गिरी वीर्य का एक अंतहीन झरना रमा के ऊपर गिरने लगा जिससे रमा ऐसे लथपथ हो गयी जैसे किसी ने उस पर क्रीम की बाल्टी उड़ेल दी हो । रवि की शक्ति भी निचुड़ चुकी थी वो भी किसी लाश की तरह रमा के ऊपर ढेर हो गया ।
रमा की जब नींद खुली तो उसने खुद को एक चिपचिपे पदार्थ से लथपथ पाया "हे भगवान इतना वीर्य" उसके मुँह से शब्द अपने आप निकल आए ।
रवि खुद भी फर्श पर पड़ा अपने ही वीर्य से लिबड़ा हुआ सो रहा था । उसका खूबसूरत लिंग अब सो रहा था पर अभी वो कितना मोटा कितना लम्बा लग रहा था । उसने रवि थोड़ा खींच कर एक कोने में किया औऱ रसोई की साफ सफाई कि । बेडरूम ठीक किया और तौलिया लेकर नहाने चली गयी । उसे ख्याल भी नहीं था कि वो इस सारे समय बिल्कुल नंगी थी । नहाने के बाद उसे अपने नंगे पन का एहसास हुआ तो वो अपने आप मे ही शरमा गयी और अपने कपडे खोजने लगी । लिविंगरूम के कोने में उसे अपनी साड़ी पड़ी मिली जो जगह -2 से फटी हुई थी ।
अपने लिए कपडे खोजने के लिए उसने रवि कि अलमारी खोली पर उसमें सभी कपडे रवि के ही थे । काफी देर खोजने के बाद उसे ग्रे रंग की एक टॉप और काला लोयर मिला जो उसे कुछ अपने साइज के लगे । उन्हें पहन कर उसने खुद को शीशे में देखा तो उसकी हँसी फूट पड़ी । टॉप की फिटिंग तो ठीक ही लग रही थी पर वो लम्बी कुछ ज्यादा ही थी पर एक किफायती गृहणी के दिमाग ने इसका हल भी निकाल लिया उसने टॉप को आगे की तरफ से मोड़कर नाभि के कुछ ऊपर बाँध लिया । इस साधारण सी पोशाक में भी उसका तराशा हुआ बदन बेहद कामुक लग रहा था । उसका 38-24-38 का जानलेवा फिग्गर उभर कर आ रहा था । कुछ मेकअप और बाल सँवार लेने के बाद उसने रवि को जगाया तो एक बार रवि भी उसे कायली जैनर समझ बैठा ।
रवि-उफ्फ रमा कहर लग रही तुम इस ड्रेस में , पर यह तुम्हारे पास आई कँहा से ?
रमा-मेरे नादान यार यह आपके ही कपडे हैं ।
रवि को उसके उभरे हुए स्तंनो ,पतली कमर और गाँड़ को आश्चर्य भरी निगाहों से देख रहा था ऊपर से क्यामयत ढाता सेक्सी चेहरा । वो सोच रहा जब रमा इस रूप में उसके साथ कहीं बाहर जाएगी तो सब मर्दों को लौड़ों को पहली नज़र में खड़ा कर देगी । रवि उसे अपने आगोश में लेने के लिए आगे बढ़ता है पर रमा उसे रोक देती है और "अभी नहा कर आई हूँ अब गन्दा मत कर देना मुझे ,पहले नहा के आओ"
रवि-अब मैं गन्दा कर दूँगा तुम्हें ?
रमा(उसके बदन की तरफ इशारा करते हुए जो अभी वीर्य से लथपथ था)-पहले अपना दहीं साफ कर लो जो तुमने पूरी रसोई में फैला रखा था । ऐसा लग रहा था मानो एक नहीं बल्कि 20-30मर्द एक साथ झड़ गए हों । रमा ने शरारत भरी मुस्कान देते हुए उसे धक्के देते हुए रसोई से बाहर निकाल दिया और गैस स्टोव ऑन कर लिया कॉफी बनाने के लिए ।जारी.........
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RE: अनोखी ताक़तों का मालिक। - by Tanu - 24-01-2019, 08:23 PM



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