07-12-2019, 11:23 AM
मैं सुबह से तीसरी बार चुद रही थी तो अब मेरी चूत ने जवाब दे दिया था। मैं थक कर चूर हो गयी थी। रॉकी भी 8-10 मिनट में झड़ गया और मेरे से अलग हो गया। अब हम लोगों ने अपने अपने कपड़े पहने और रॉकी ने रूम सर्विस को चाय का बोला। थोड़ी देर हमने इधर उधर की बातें की। बाहर बारिश लगभग बन्द सी हो गयी थी। पहाड़ी इलाका होने से झरनों की आवाजें आ रही थी। इतने में वेटर चाय और बिस्किट ले आया। हमने साथ बैठ कर चाय पी और मूड बहलाने के लिए बाहर निकले। बाहर का नजारा देखकर तो डर गए। बारिश ने तो बाहर तबाही मचा रखी थी। जहाँ तहाँ पेड़ गिरे हुए थे और ट्रैफिक का भी बुरा हाल था। लगता था कि जो तूफान अभी अभी रॉकी के रूम में आया था, उससे भी बड़ा तूफान बाहर आया होगा।
हमें प्रभात और निक्कू (रॉकी की वाईफ) की टेंशन होने लगी। रॉकी ने अपनी वाईफ को कॉल किया पर उसे नेटवर्क की वजह से कॉल नहीं लगा तो मैंने प्रभात के नंबर पर कॉल किया। प्रभात ने बताया कि बारिश की वजह से रास्ता बंद हो गया है जो सुबह से पहले नहीं खुल सकता है। हम दोनों सुरक्षित हैं और एक होटल में रूम लेकर रात बिता लेते हैं। सुबह रास्ता खुलते ही लौट आएंगे। यह सुनकर रॉकी थोड़ा टेंशन में दिखा। तो मैंने कारण पूछा।
रॉकी बोला- प्रभात और निक्कू अकेले वहाँ?
तो मैं बोली- जब मैं आपके साथ यहाँ अकेली हूँ तो क्या उनका हक नहीं बनता? और वो दोनों समझदार हैं, अपना फैसला खुद ले सकते हैं। जस्ट चिल्ड यार, और मैंने रॉकी के लन्ड को दबा दिया।
रॉकी समझ गया और मेरे चुचों से खेलने लगा।
मैंने उसे रोका- अब यह सब रात को आराम से करेंगे। अब मुझे भूख लग रही है। रॉकी ने मोबाइल में टाइम देखा तो रात के 8.00 बज रहे थे। हमने होटल के ही रेस्तरां में खाना आर्डर किया और फ्रेश होकर रेस्तरां में चले गए। करीब आधा घंटा में खाना आया, हमने खाया तब तक नौ बज चुके थे।
रॉकी बोला- तुम रूम में जाओ, मैं अभी आता हूँ।
मैं रॉकी के रूम में चली गयी और पूरी नंगी होकर अपने मोबाइल में अन्तर्वासना खोल कर सेक्सी कहानी पढ़ने लगी। करीब बीस मिनट बाद रॉकी दो आइसक्रीम लेकर आया। मुझे नंगी देखकर वो खुश हो गया और आइसक्रीम साइड रखकर मेरे ऊपर ही चढ़ गया। मैंने उसे दूर हटाया और एक आइसक्रीम उसे पकड़ाई और एक खुद खाने लगी। आइसक्रीम का स्वाद थोड़ा अजीब लग रहा था पर मैंने इग्नोर किया और पूरी आइसक्रीम खत्म की। कुछ ही देर में मेरी चूत में अंगारे भड़कने लगे। तब तक रॉकी भी नंगा हो गया था। मैंने सीधा रॉकी के लन्ड में हाथ डाला। उसका लन्ड भी कुछ ज्यादा कड़क लग रहा था तो मैंने रॉकी से वजह पूछी।
रॉकी बोला- आइसक्रीम में मैंने सेक्सवर्धक दवा मिलाई थी। अब तुझे चुदने में मुझे चोदने में दुगना मजा आएगा।
अब रुकना मेरी सहनशक्ति से बाहर था। मैंने रॉकी को खींच के बेड पर पटक दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गई। रॉकी का लण्ड अपने हाथ से ही अपनी चूत में सेट करके पूरा अंदर ले लिया। इस बार चूत को भी कुछ ज्यादा ही दर्द हुआ और मेरी चीख निकल गयी। अब मैं होश में नहीं थी मैं रॉकी को गालियां बकने लगी- मादरचोद, पहले नहीं ला सकता था यही आइसक्रीम, भोसड़ी के बहुत मज़ा आ रहा है तेरा लौड़ा लेकर। काश तू मेरा पति होता तो मैं रोज तुझसे ही चुदवाती। तेरी पत्नी बहुत किस्मत वाली है जो उसे इतना मोटा लौड़ा मिलता है।
रॉकी- रण्डी, आज ले ले तेरी जिंदगी का आनन्द, मिटा ले अपनी चूत की खूजली! पूरे कर ले अपने अरमान और मुझे भी निहाल कर दे। साली निक्कू को चोद चोद कर पक गया था। आज तेरी चूत को जी भर कर चोदूंगा मेरी रानी।
इन्ही बातों के साथ रॉकी मेरी चूत की माँ बहन एक कर रहा था और मेरे नीचे से गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रहा था। 15-20 मिनट की चुदाई के बाद मैं दो बार झड़ चुकी थी पर रॉकी अभी भी लगा हुआ था।
अब उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से चूत में धमाचौकड़ी मचा दी। करीब आधा घंटा बाद सब वह स्खलित हुआ। तब तक मेरी चूत का पकोड़ा बन चुका था। पर उसका लन्ड फिर भी अच्छा लग रहा था। रॉकी ने चुदाई पूरी करके लन्ड बाहर निकाला। तब चूत के दर्द का कुछ अहसास हुआ पर इस परम आनन्द के आगे वो दर्द कुछ भी नहीं था। फिर मैं बाथरूम गयी औऱ फ्रेश होकर रॉकी के साथ नंगी ही सो गई।
सुबह जब दरवाजे पर दस्तक हुई तो हमारी आंख खुली और जल्दी से कपड़े पहन कर मैंने ही दरवाजा खोला।
बाहर प्रभात और निक्कू खड़े थे। घड़ी में समय देखा तो 10.30 बज रहे थे। थकावट में कब दिन निकला पता ही नहीं चला। मुझे प्रभात से तो प्रॉब्लम थी ही नहीं, पर निक्कू से आंख मिलाना मुश्किल हो रहा था। पर कुछ यही हाल निक्कू का देख कर मैंने राहत की सांस ली।
हमें प्रभात और निक्कू (रॉकी की वाईफ) की टेंशन होने लगी। रॉकी ने अपनी वाईफ को कॉल किया पर उसे नेटवर्क की वजह से कॉल नहीं लगा तो मैंने प्रभात के नंबर पर कॉल किया। प्रभात ने बताया कि बारिश की वजह से रास्ता बंद हो गया है जो सुबह से पहले नहीं खुल सकता है। हम दोनों सुरक्षित हैं और एक होटल में रूम लेकर रात बिता लेते हैं। सुबह रास्ता खुलते ही लौट आएंगे। यह सुनकर रॉकी थोड़ा टेंशन में दिखा। तो मैंने कारण पूछा।
रॉकी बोला- प्रभात और निक्कू अकेले वहाँ?
तो मैं बोली- जब मैं आपके साथ यहाँ अकेली हूँ तो क्या उनका हक नहीं बनता? और वो दोनों समझदार हैं, अपना फैसला खुद ले सकते हैं। जस्ट चिल्ड यार, और मैंने रॉकी के लन्ड को दबा दिया।
रॉकी समझ गया और मेरे चुचों से खेलने लगा।
मैंने उसे रोका- अब यह सब रात को आराम से करेंगे। अब मुझे भूख लग रही है। रॉकी ने मोबाइल में टाइम देखा तो रात के 8.00 बज रहे थे। हमने होटल के ही रेस्तरां में खाना आर्डर किया और फ्रेश होकर रेस्तरां में चले गए। करीब आधा घंटा में खाना आया, हमने खाया तब तक नौ बज चुके थे।
रॉकी बोला- तुम रूम में जाओ, मैं अभी आता हूँ।
मैं रॉकी के रूम में चली गयी और पूरी नंगी होकर अपने मोबाइल में अन्तर्वासना खोल कर सेक्सी कहानी पढ़ने लगी। करीब बीस मिनट बाद रॉकी दो आइसक्रीम लेकर आया। मुझे नंगी देखकर वो खुश हो गया और आइसक्रीम साइड रखकर मेरे ऊपर ही चढ़ गया। मैंने उसे दूर हटाया और एक आइसक्रीम उसे पकड़ाई और एक खुद खाने लगी। आइसक्रीम का स्वाद थोड़ा अजीब लग रहा था पर मैंने इग्नोर किया और पूरी आइसक्रीम खत्म की। कुछ ही देर में मेरी चूत में अंगारे भड़कने लगे। तब तक रॉकी भी नंगा हो गया था। मैंने सीधा रॉकी के लन्ड में हाथ डाला। उसका लन्ड भी कुछ ज्यादा कड़क लग रहा था तो मैंने रॉकी से वजह पूछी।
रॉकी बोला- आइसक्रीम में मैंने सेक्सवर्धक दवा मिलाई थी। अब तुझे चुदने में मुझे चोदने में दुगना मजा आएगा।
अब रुकना मेरी सहनशक्ति से बाहर था। मैंने रॉकी को खींच के बेड पर पटक दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गई। रॉकी का लण्ड अपने हाथ से ही अपनी चूत में सेट करके पूरा अंदर ले लिया। इस बार चूत को भी कुछ ज्यादा ही दर्द हुआ और मेरी चीख निकल गयी। अब मैं होश में नहीं थी मैं रॉकी को गालियां बकने लगी- मादरचोद, पहले नहीं ला सकता था यही आइसक्रीम, भोसड़ी के बहुत मज़ा आ रहा है तेरा लौड़ा लेकर। काश तू मेरा पति होता तो मैं रोज तुझसे ही चुदवाती। तेरी पत्नी बहुत किस्मत वाली है जो उसे इतना मोटा लौड़ा मिलता है।
रॉकी- रण्डी, आज ले ले तेरी जिंदगी का आनन्द, मिटा ले अपनी चूत की खूजली! पूरे कर ले अपने अरमान और मुझे भी निहाल कर दे। साली निक्कू को चोद चोद कर पक गया था। आज तेरी चूत को जी भर कर चोदूंगा मेरी रानी।
इन्ही बातों के साथ रॉकी मेरी चूत की माँ बहन एक कर रहा था और मेरे नीचे से गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रहा था। 15-20 मिनट की चुदाई के बाद मैं दो बार झड़ चुकी थी पर रॉकी अभी भी लगा हुआ था।
अब उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से चूत में धमाचौकड़ी मचा दी। करीब आधा घंटा बाद सब वह स्खलित हुआ। तब तक मेरी चूत का पकोड़ा बन चुका था। पर उसका लन्ड फिर भी अच्छा लग रहा था। रॉकी ने चुदाई पूरी करके लन्ड बाहर निकाला। तब चूत के दर्द का कुछ अहसास हुआ पर इस परम आनन्द के आगे वो दर्द कुछ भी नहीं था। फिर मैं बाथरूम गयी औऱ फ्रेश होकर रॉकी के साथ नंगी ही सो गई।
सुबह जब दरवाजे पर दस्तक हुई तो हमारी आंख खुली और जल्दी से कपड़े पहन कर मैंने ही दरवाजा खोला।
बाहर प्रभात और निक्कू खड़े थे। घड़ी में समय देखा तो 10.30 बज रहे थे। थकावट में कब दिन निकला पता ही नहीं चला। मुझे प्रभात से तो प्रॉब्लम थी ही नहीं, पर निक्कू से आंख मिलाना मुश्किल हो रहा था। पर कुछ यही हाल निक्कू का देख कर मैंने राहत की सांस ली।