07-12-2019, 11:22 AM
अब आगे की कहानी कांची की जुबानी:-
जैसे ही प्रभात और भाभी जी बाहर निकले, मैं भी उन्हें रिक्शा में बैठाने उनके पीछे पीछे गयी। जैसे ही वो रवाना हुए, मेरे पति प्रभात ने मुझे आंख मारकर बेस्ट ऑफ लक बोला। सामने से मैंने भी उसे आँख मार कर रिप्लाई किया। मैं जल्दी से अपने रूम में आई और जल्दी से पारदर्शी नाइटी पहनी और चुदवाने की उतावल में रॉकी के रूम में पहुंच गई। रॉकी तो जैसे मेरी राह ही तक रहा था। उसने अपने ऊपर के कपड़े तो पहले ही फेंक दिए थे। मुझे देखते ही दरवाजे की तरफ लपक पड़ा जैसे मेरी अगवानी करने आया हो। मैं भी जाकर सीधा उसके गले से लिपट गयी। रॉकी मेरी पीठ को सहलाने लगा और पीछे से मुझे दबाने लगा जिससे मेरे नर्म गद्देदार चुचे उसके मर्दाने सीने में चुभने लगे। मैंने भी उसे पूरी आजादी दे दी थी। अब ना मैं सहन कर पा रही थी, ना रॉकी के बस में था अपने को रोकना। उसने जल्दी ही मेरा गाउन और ब्रा पेंटी मुझसे अलग कर दिए। मैंने भी उसके जिस्म पर बचे अंडरवियर से उसके लन्ड को आजाद कर दिया। उसका मूसल लन्ड किसी सांप की भांति फुंफकार रहा था। उसका लन्ड देखते ही मेरे जिस्म में आग भर गई। मैंने उसका लन्ड हाथ में लिया और सहलाने लगी। रॉकी का लन्ड 8 इंच से तो ऊपर ही था ओर मोटा भी मेरे मन माफ़िक़ था। मैं लन्ड को सहला रही थी और रॉकी मेरे चुचों से खेल रहा था। उसने मेरे एक चुचे को मुँह में और दूसरे को हथेली में लेकर मुझे पूरी तरह गर्म कर दिया। वो अब मेरी पीठ को दबा कर मेरा मुँह अपने लन्ड के पास लाया। मैंने भी उसका लन्ड झट से मुँह में ले लिया और किसी लॉलीपॉप की भांति चूसने लगी। रॉकी आह भरकर रह गया। कुछ देर लन्ड चुसाई के बाद रॉकी ने मुझे उठाया और अपने बिस्तर पर ले आया। मैं थोड़ी हैरान थी कि थोड़ी देर पहले जो चल भी नहीं पा रहा था वो मुझे उठाकर बेड पर ले आया।
जब रॉकी से पूछा तो वो बोला- अगर यह बहाना नहीं बनाता तो क्या हम तुम इस हालात में होते?
यह सुनकर तो मैं उससे चिपट गयी और उसे चुम्बनों से नहला दिया। वो भी जल्दी ही मेरी चूत तक पहुंच गया और अपनी जीभ से मेरी चूत का रसपान करने लगा। मेरी चूत की आंखें खुशी से छलक गयी और रॉकी उसके आँसू (रस) पूरा ही पी गया।
अब वो उठा और मेरी दोनों टांगों को अपने हाथों से ऊंचे उठाया और पोजिशन बनाकर मेरी चूत का बरसों का इंतजार खत्म किया।
अब रॉकी का मूसल मेरी फूल सी चूत की गहराई में उतर रहा था और भी उसके हर धक्के का उसी की तरह साथ दे रही थी। आज मुझे असली लौड़े का अहसास अपनी चूत में हुआ था। मेरी चुदाई चल रही थी, तभी मेरी मोबाईल पर कोई कॉल आया। पर मैंने उस कॉल से ज्यादा अपनी चुदाई में दिलचस्पी दिखाई। मैं 'आह ... उम्म्ह... अहह... हय... याह... रॉकी और जोर से ... आह मजा आ रहा है!' आदि तरह की आवाजें निकाल रही थी। मेरी चूत चोदते चोदते रॉकी भी हाँफ़ने लगा था। अब हम दोनों चर्मोत्कर्ष पर थे, बस होड़ थी कि पहले कौन झड़े. पर यह होड़ में आखिर में ही हार गई। मैं झड़ कर निढाल हो गयी। अगले ही पल रॉकी के लन्ड ने भी अपना काम पूर्ण किया और वीर्य का एक फव्वारा निकला और मेरी चूत को लबालब कर गया। रॉकी मेरी ऊपर ही पसर गया और हाँफने लगा।
कुछ देर आराम करने के बाद जब घड़ी में समय देखा तो शाम के 5.30 बज रहे थे। मोबाईल में प्रभात का कॉल आया हुआ था।
मैंने वापस कॉल किया तो प्रभात ने बताया कि बाहर जोरदार बारिश चल रही है और अभी कोई ओटो टेक्सी नहीं मिल रही है तो आने में समय लगेगा। यह सुनकर तो मैं और भी खुश हो गयी और
प्रभात को कहा- आप कोई तरह की चिंता ना करें, मैं रॉकी भाईसाब का अच्छे से ख्याल रख रही हूं। और अब दर्द भी कम है। तो प्रभात भी समझ गए कि कौनसा दर्द कम है।
जब मैंने रॉकी को बताया कि वे लोग देर से आयेंगे तो वो खुशी से उछल पड़ा। मैंने खिड़की से बाहर झाँका तो बारिश अपनी गति से चल रही थी।
रॉकी बोला- चलो बाहर बारिश में नहाते हैं।
मैंने जल्दी से गाउन पहना और रॉकी ने सिर्फ पैंट और हम दोनों बारिश में नहाने लगे।
आज पहली बार बारिश में नहाने का भी अलग ही आनन्द आ रहा था। मैं और रॉकी बांहों में बांहें डाल कर फिल्मी स्टाइल में झूम रहे थे। बारिश में भीग कर मेरे चुचे गाउन में चमक रहे थे। जिसे देखकर रॉकी का पेंट भी तम्बू बना हुआ था। आसपास के लोग हमें पति पत्नी समझ रहे थे और हम भी हद में ही थे। जब नहाकर थक गए तो दोनों रूम में गए और बाथरूम में घुस गए। अब शावर के साफ पानी में साथ में ही नहाने के लिए दोनों ने अपने कपड़े अपने बदन से अलग किये। अब हम दोनों फिर से जन्मजात नंगे थे। शावर लेते हुए हमने चुदाई का एक और दौर चलाया। इस बार रॉकी ने मुझे डॉगी स्टाइल में चोदा।
जैसे ही प्रभात और भाभी जी बाहर निकले, मैं भी उन्हें रिक्शा में बैठाने उनके पीछे पीछे गयी। जैसे ही वो रवाना हुए, मेरे पति प्रभात ने मुझे आंख मारकर बेस्ट ऑफ लक बोला। सामने से मैंने भी उसे आँख मार कर रिप्लाई किया। मैं जल्दी से अपने रूम में आई और जल्दी से पारदर्शी नाइटी पहनी और चुदवाने की उतावल में रॉकी के रूम में पहुंच गई। रॉकी तो जैसे मेरी राह ही तक रहा था। उसने अपने ऊपर के कपड़े तो पहले ही फेंक दिए थे। मुझे देखते ही दरवाजे की तरफ लपक पड़ा जैसे मेरी अगवानी करने आया हो। मैं भी जाकर सीधा उसके गले से लिपट गयी। रॉकी मेरी पीठ को सहलाने लगा और पीछे से मुझे दबाने लगा जिससे मेरे नर्म गद्देदार चुचे उसके मर्दाने सीने में चुभने लगे। मैंने भी उसे पूरी आजादी दे दी थी। अब ना मैं सहन कर पा रही थी, ना रॉकी के बस में था अपने को रोकना। उसने जल्दी ही मेरा गाउन और ब्रा पेंटी मुझसे अलग कर दिए। मैंने भी उसके जिस्म पर बचे अंडरवियर से उसके लन्ड को आजाद कर दिया। उसका मूसल लन्ड किसी सांप की भांति फुंफकार रहा था। उसका लन्ड देखते ही मेरे जिस्म में आग भर गई। मैंने उसका लन्ड हाथ में लिया और सहलाने लगी। रॉकी का लन्ड 8 इंच से तो ऊपर ही था ओर मोटा भी मेरे मन माफ़िक़ था। मैं लन्ड को सहला रही थी और रॉकी मेरे चुचों से खेल रहा था। उसने मेरे एक चुचे को मुँह में और दूसरे को हथेली में लेकर मुझे पूरी तरह गर्म कर दिया। वो अब मेरी पीठ को दबा कर मेरा मुँह अपने लन्ड के पास लाया। मैंने भी उसका लन्ड झट से मुँह में ले लिया और किसी लॉलीपॉप की भांति चूसने लगी। रॉकी आह भरकर रह गया। कुछ देर लन्ड चुसाई के बाद रॉकी ने मुझे उठाया और अपने बिस्तर पर ले आया। मैं थोड़ी हैरान थी कि थोड़ी देर पहले जो चल भी नहीं पा रहा था वो मुझे उठाकर बेड पर ले आया।
जब रॉकी से पूछा तो वो बोला- अगर यह बहाना नहीं बनाता तो क्या हम तुम इस हालात में होते?
यह सुनकर तो मैं उससे चिपट गयी और उसे चुम्बनों से नहला दिया। वो भी जल्दी ही मेरी चूत तक पहुंच गया और अपनी जीभ से मेरी चूत का रसपान करने लगा। मेरी चूत की आंखें खुशी से छलक गयी और रॉकी उसके आँसू (रस) पूरा ही पी गया।
अब वो उठा और मेरी दोनों टांगों को अपने हाथों से ऊंचे उठाया और पोजिशन बनाकर मेरी चूत का बरसों का इंतजार खत्म किया।
अब रॉकी का मूसल मेरी फूल सी चूत की गहराई में उतर रहा था और भी उसके हर धक्के का उसी की तरह साथ दे रही थी। आज मुझे असली लौड़े का अहसास अपनी चूत में हुआ था। मेरी चुदाई चल रही थी, तभी मेरी मोबाईल पर कोई कॉल आया। पर मैंने उस कॉल से ज्यादा अपनी चुदाई में दिलचस्पी दिखाई। मैं 'आह ... उम्म्ह... अहह... हय... याह... रॉकी और जोर से ... आह मजा आ रहा है!' आदि तरह की आवाजें निकाल रही थी। मेरी चूत चोदते चोदते रॉकी भी हाँफ़ने लगा था। अब हम दोनों चर्मोत्कर्ष पर थे, बस होड़ थी कि पहले कौन झड़े. पर यह होड़ में आखिर में ही हार गई। मैं झड़ कर निढाल हो गयी। अगले ही पल रॉकी के लन्ड ने भी अपना काम पूर्ण किया और वीर्य का एक फव्वारा निकला और मेरी चूत को लबालब कर गया। रॉकी मेरी ऊपर ही पसर गया और हाँफने लगा।
कुछ देर आराम करने के बाद जब घड़ी में समय देखा तो शाम के 5.30 बज रहे थे। मोबाईल में प्रभात का कॉल आया हुआ था।
मैंने वापस कॉल किया तो प्रभात ने बताया कि बाहर जोरदार बारिश चल रही है और अभी कोई ओटो टेक्सी नहीं मिल रही है तो आने में समय लगेगा। यह सुनकर तो मैं और भी खुश हो गयी और
प्रभात को कहा- आप कोई तरह की चिंता ना करें, मैं रॉकी भाईसाब का अच्छे से ख्याल रख रही हूं। और अब दर्द भी कम है। तो प्रभात भी समझ गए कि कौनसा दर्द कम है।
जब मैंने रॉकी को बताया कि वे लोग देर से आयेंगे तो वो खुशी से उछल पड़ा। मैंने खिड़की से बाहर झाँका तो बारिश अपनी गति से चल रही थी।
रॉकी बोला- चलो बाहर बारिश में नहाते हैं।
मैंने जल्दी से गाउन पहना और रॉकी ने सिर्फ पैंट और हम दोनों बारिश में नहाने लगे।
आज पहली बार बारिश में नहाने का भी अलग ही आनन्द आ रहा था। मैं और रॉकी बांहों में बांहें डाल कर फिल्मी स्टाइल में झूम रहे थे। बारिश में भीग कर मेरे चुचे गाउन में चमक रहे थे। जिसे देखकर रॉकी का पेंट भी तम्बू बना हुआ था। आसपास के लोग हमें पति पत्नी समझ रहे थे और हम भी हद में ही थे। जब नहाकर थक गए तो दोनों रूम में गए और बाथरूम में घुस गए। अब शावर के साफ पानी में साथ में ही नहाने के लिए दोनों ने अपने कपड़े अपने बदन से अलग किये। अब हम दोनों फिर से जन्मजात नंगे थे। शावर लेते हुए हमने चुदाई का एक और दौर चलाया। इस बार रॉकी ने मुझे डॉगी स्टाइल में चोदा।