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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
#71
Big Grin

अदला बदली


हाय दोस्तो, मेरा नाम प्रभात रॉय है। उम्र 34 साल, सामान्य कद काठी, खुले विचार, सेक्स का शौकीन अभी बताने के लिए इतना ही काफी है। मेरी शादी करीब 6 साल पहले हुई थी। मेरी पत्नी का नाम कांची है, उसके साथ मेरी अच्छी पटती है। शादी के बाद के 6 साल में हमने एक बच्चा पैदा किया है जिसकी उम्र अभी करीब दो साल है। मैं अपनी पत्नी के साथ महीने में करीब 15 बार सेक्स करता हूँ मेरी पत्नी भी मेरा बराबर साथ देती है। हम अपनी लाइफ से संतुष्ट हैं या शायद थे।

बात करीब 6 महीने पुरानी है। जिस शहर में मेरी दुकान थी वहाँ ज्यादा कमाई नहीं थी और खर्चा ज्यादा तो दुकान पास के किसी गांव में शिफ्ट करनी पड़ी और बीवी के साथ वहीं रहने लगा। कांची भी गांव में ही पली बढ़ी है तो सेट होने में ज्यादा दिक्तत भी नहीं हुई। जल्दी ही आस पड़ोस की हमउम्र महिलाएं उसकी सहेलियाँ बन गयी। परिवार छोटा होने व घर का ज्यादा काम न होने की वजह से कांची समय बिताने आस पड़ोस में चली जाती। हमउम्र होने के कारण हर तरह की बातें होती। बातों बातों में कभी सेक्स का जायका भी लेती।

यहीं से मेरी कहानी शुरू होती है। दरअसल मेरा लिंग थोड़ा कम मोटा और लंबा है। हम सेक्स तो करते और संतुष्ट भी थे पर जो बातें औरतों के बीच होती, उस लिहाज़ से मेरी पत्नी थोड़ा कम संतुष्ट थी और उसको सेक्स का असली रूप ही उसे उस मंडली से पता चला था। अब हमारे बीच सेक्स तो होता पर वो आनन्द नहीं रहा। सेक्स तो वो मेरे साथ करती पर दिमाग में पड़ोसी रहते। अब मुझे भी खुद पर यकीन नहीं रहा और तरह तरह की सेक्स वर्धक टेबलेट लेने लगा। मेरे मन में भी अपनी पत्नी को परमआनन्द दिलवाने के ख्याल आते। एक दिन मैं अपनी पत्नी को पूरी नंगी करके चोद रहा था तो फिर से वो उसी लय में बात करने लगी। तो मैंने भी उसका दिल रखने के लिए बड़ा लंड दिलवाने का वादा कर लिया।

अब मेरी कांची ने बात पकड़ ली। सेक्स के किस्से पढ़कर मुझे भी अपनी कांची को किसी दमदार मर्द से चुदवाने का चाव तो लग ही गया था। पर यह संभव कैसे हो? बस उसका कोई आईडिया दिमाग में आ ही नहीं रहा था। इसका हल भी मेरी पत्नी ने ही निकाला। दरअसल मेरा एक खास फ्रेंड था रॉकी। उसकी पत्नी भी मेरी पत्नी की सहेली थी। वो दोनों कई बार सेक्स सम्बन्धी बातें करती थी तो रॉकी की बीवी ने उसे रॉकी के सामान के बारे में बताया था। अब मेरी पत्नी और मैंने रॉकी को ही अपना टारगेट बनाया। हम चारों ने किसी हिल स्टेशन घूमने का प्लान बनाया। पर रॉकी को अपना प्लान नहीं बताया। हमने उदयपुर, चितौड़ आदि जगह होते हुए माउंटआबू रुकने व घूमने का प्रोग्राम बनाया।

हम सब तय समय पर रॉकी की गाड़ी लेकर निकल पड़े घूमने को। उदयपुर, चितौड़ गढ़ में घूमने में पूरा दिन निकल गया और इस बीच मेरी पत्नी ने रॉकी से नजदीकियां बढ़ाने की शुरुआत कर ही दी। अब जब सेक्स की सामने से दावत मिल रही हो तो कोई मर्द कैसे पीछे रह सकता है। मेरी कांची और रॉकी की सेटिंग तो हो गयी पर प्रॉब्लम रॉकी की वाईफ बन रही थी। जब उदयपुर रात्रि विश्राम को रुके तो मेरी पत्नी ने बड़ी खुशी से मुझे अपना और रॉकी का मामला बताया ओर आगे की योजना बनाने लगे। उस दिन कई दिनों बाद मेरी कांची को चोदने में हम दोनों को सुकून मिला।

दूसरे दिन सवेरे उठते ही रॉकी मेरे रूम में आया और कांची को गुड मॉर्निंग बोला,

तो मैंने झट से कह दिया- अब दोस्त को भूल कर भाभी को मोर्निंग विश?

वो झेंप गया पर

मेरी कांची ने बात संभालते हुए बोली- दोस्त को रोज सुप्रभात कहते ही हैं, मैं तो आज ही साथ हूँ।

इस तरह हम उदयपुर से निकलकर माउंट आबू के लिए निकल लिए। गाड़ी रॉकी ड्राइव कर रहा था तो उसकी पत्नी उसके पास वाली सीट पर बैठी थी,

कुछ दूर जाकर मैंने जानबूझकर रॉकी से कहा- तुम थक गए होंगे तो ड्राइव में कर लेता हूँ।

अब रॉकी पीछे की सीट पर आ गया और मैं ड्राइव करने लगा। रॉकी की पत्नी मेरे बगल में बैठी थी और मेरी पत्नी रॉकी के साथ। मैं उनकी हरकतें दर्पण से देख रहा था और मन ही मन खुश भी हो रहा था कि हमारा आईडिया काम कर रहा है। इस तरह करीब 11 बजे हम माउंटआबू पहुँचे। होटल पहले से ही बुक था, हम अपने अपने रूम में गए।

आज मेरी कांची बहुत खुश लग रही थी। रूम में जाते ही कांची ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मुझे भी नंगा कर दिया। फिर हाथ पकड़ कर मुझे बाथरूम में ले गयी। बाथरूम में शावर के नीचे नहाते हुए दोनों ने एक दूसरे को खूब मसला। दोनों के नंगे बदन ऐसे रगड़ रहे थे जैसे चक्की के दो पाट। आज कई दिनों बाद मेरा लंड भी फुल साइज में खड़ा था और कांची उसे अपनी चूत में लेने के लिए तड़फ रही थी। उस टाइम हम दोनों ने हर आसन में चुसाई से चुदाई तक भरपूर सेक्स किया। उस दिन की चुदाई के बाद,

तो कांची भी कह उठी- हमेशा ऐसी चुदाई करते तो आज ये सब करना ही नहीं पड़ता।

पर यह जोश किसी के हाथ में तो होता नहीं। नहा धोकर जब बाहर निकले तो रॉकी बाहर ही इंतज़ार कर रहा था,

वो झट से बोल उठा- आज तो बड़ी देर लगा दी नहाते हुए?

मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं, थकान की वजह से जरा आंख लग गयी थी।

अब हम माउंट आबू में होटल से बाहर निकले और रेस्टोरेंट में खाना खाया। उस दौरान कांची और रॉकी आमने सामने बैठे और टेबल के नीचे से एक दूसरे के पैर रगड़ने लगे। रॉकी की वाइफ तो खाने में मग्न थी पर मेरा पूरा ध्यान उनकी हरकतों पर था। मैंने कांची के सामने देखा तो वो मुस्करा रही थी। खाना खाकर हम वही आस पास मार्केट में घूमने निकले। घूमते घूमते रॉकी का पैर एकदम से मुड़ गया और वो मोच खा बैठा। बाद में कांची ने बताया कि वो जान बूझकर किया गया नाटक था।

होटल पास ही में था तो हम किसी तरह सहारा देकर रॉकी को रूम पर ले आये और उसी के रूम में बैठ कर गप्पें लगाने लगे। रॉकी की पत्नी थोड़ा अपसेट लग रही थी।

जब हमने पूछा तो रुआँसी होकर बोली- आबू घूमने का कितना मन था पर अब घूम ही नहीं पाऊंगी।

रॉकी बोला- क्यों नहीं घूम पाओगी? कांची भाभी और भाईसाब के साथ घूम आओ।

रॉकी की पत्नी- "तो फिर आपका ख्याल कौन रखेगा?" रॉकी की वाईफ ने पूछा।

तो मैं बोला- आप और कांची चले जाओ, रॉकी का खयाल मैं रख लूंगा।

पर बात यहाँ भी नहीं बनी क्योंकि कांची अकेले औरतों के जाने से डर रही थी या बहाना बना रही थी। तो अब तय हुआ कि मैं रॉकी की वाईफ को घुमा के आऊंगा और कांची रॉकी का ख्याल रखेगी। यह हम तीनों के मन की मुराद पूरी होती दिख रही थी। 


मैं और रॉकी की वाईफ लक्खी लेक और अन्य जगह घूमने निकल गए।
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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 07-12-2019, 11:22 AM



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