07-12-2019, 10:57 AM
उसके बाद हम दोनों एक साथ शॉवर के नीचे खड़े हो कर नहाए। अनु ने अभी भी अपने सैंडल पहने हुए थे। अनु ने मुझे और मैंने अनु को साबुन लगाया। फिर अपने अपने बदन तौलिये से पोंछ कर हम लोग बेडरूम में आ गये और फिर से एक दूसरे को चूमने-चाटने लगे। करीब दस मिनट तक एक दूसरे को चूमने और चाटने के बाद मैं उसकी चूची पर अपना मुँह लगा कर फिर से उसकी चूची पीने लगा।
मैं धीरे-धीरे अनु के पेट को चूमते हुए उसकी चूत पर अपना मुँह ले गया। चूत पर मेरा मुँह लगते ही अनु ने अपनी दोनों टाँगें फैला दीं और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर कसकर दबाने लगी। थोड़ी देर तक मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटा और चूसा। मेरे द्वारा चूत चटाई से अनु बहुत गरम हो गयी और बैठे-बैठे ही अपनी कमर उचकाने लगी। फिर वो मेरा चेहरा अपने हाथों से पकड़ कर अपने चेहरे के पास ले आयी और बोली, "मेरी जान, हम लोगों का रिश्ता क्या है।"
मैंने उसकी चूची को मसलते हुए कहा, "तुम मेरे दोस्त की बीवी हो... और आज से मेरी महबूबा हो।"
तब अनु मेरे होठों को चूमते हुए बोली, "तुम मुझको भाभी कह कर पुकारो। मुझे तुम्हारी भाभी बन कर चुदवाने में बेहद मजा मिलेगा। चलो मुझको भाभी कह कर पुकारो और मुझे चोदो।"
उसकी यह बात सुन कर मैंने उसकी चूची मसलते हुए कहा, "भाभी तुम बहुत ही सैक्सी और चुदक्कड़ हो। तुम्हारी चूत बहुत ही गरम है और चुदास से भरी है। मेरा लंड तुम्हारी चूत में घुसने के लिये खड़ा होकर झूम रहा है। भाभी मुझको तुमसे प्यार हो गया है।"
मेरी बात सुन कर अनु बिस्तर पे अपने चूत्तड़ों के नीचे तकिया लगा कर मेरे सामने चित हो अपने पैर फ़ैला कर लेट गयी। मैं उसकी चूची को पकड़ कर उसकी चूत को चाटने लगा। उसकी चूत की खुशबू बहुत ही अच्छी थी। करीब पाँच मिनट के बाद अनु ने मेरे कँधों को पकड़ कर मुझको अपने ऊपर से उठाया और बोली, "तुम अपने पैर मेरी तरफ कर लो... मुझको तुम्हारा लंड चूसना है।"
हम लोग जल्दी से सिक्स्टी-नाइन की पोज़िशन में लेट गये और अपना अपना काम शुरू कर दिया। अनु बहुत अच्छी तरह से मज़े लेकर मेरा लंड चूस रही थी। हम लोग एक दूसरे के चूत और लंड करीब पाँच मिनट तक चूसते रहे। मैंने फिर अनु को उसकी टाँगें फ़ैला कर लेटने को कहा और उसके पैर अपने कँधों पर रख लिये। मैंने उसकी टाँगों को और फ़ैला कर उसके घुटनों से उसकी टाँगों को मोड़ दिया। अब अनु की सैक्सी चूत मेरी आँखों के सामने खुली हुई थी। मैंने लंड पर थूक निकाल कर मला और लंड को अनु की चूत पर रख कर एक ही धक्के के साथ उसकी चूत के अंदर कर दिया। इसके बाद मैं उसकी चूचीयों को पकड़ कर उसकी चूत में अपना लंड पहले धीरे-धीरे और बाद में जोर-जोर से पेलने लगा। अनु भी अब नीचे से अपनी कमर उछाल कर मेरे हर धक्के का जवाब दे रही थी और मुझको अपनी बाँहों में भर कर चूम रही थी। थोड़ी देर के बाद अनु अपनी एक चूची मेरे मुँह पे लगाती हुई बोली, "मेरे चोदू सनम... मेरी चूत की चुदाई के साथ-साथ मेरी चूची भी पियो... इसमें बेहद मज़ा मिलेगा और मेरी चूत भी और गरम हो जायेगी।"
मैंने भी उसकी चूची को चूसते हुए थोड़ी देर तक उसको चोदा और फिर रुक गया। मेरे रुकते ही अनु ने मुझे चूमते हुए कहा, "शाबाश, तुम बहुत ही बेहतरीन तरीके से चोदते हो। मैं तुम्हें बहुत पहले से चाहती हूँ लकिन मैं तुमसे दूर रहती थी कि कहीं मेरे पति को मेरे इरादों का पता न चल जाये।" मैंने कहा, "तो फिर आज क्यों मेरा लंड अपनी चूत में लिया हुआ है।" अनु ने उत्तर दिया, "अब मुझ से सब्र नहीं हो रहा था, मुझे मुकुल से तसल्ली नहीं हो रही थी... वो ना तो तुम्हारी तरह मुझे चोदता है और ना ही वो मेरी चूत पे किस करता है और ना ही मेरी गाँड मारता है... मुझे गाँड मरवाने का बहुत शौक था.... साथ ही कईं दिनों से किसी और से चुदवाने का मौका भी नहीं मिला...
उसने अपनी कमर को अब फिर से धीरे-धीरे चलाना शुरू किया और अपनी चूत से मेरा लंड पकड़ने की कोशिश करती हुई बोली, "मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं पहली दफा चुद रही हूँ... तुम बहुत मज़े के साथ चोदते हो... अब धीरे-धीरे मेरी चूत चोदो।" मैं फिर से उसको धीरे-धीरे चोदने लगा और उससे बोला, "तुम भी मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो... मैं भी हर वक्त तुम्हें चोदने के बारे में सोचता रहता था... मुझे भी तुम्हारी चूत और गाँड ने बहुत मज़ा दिया है... मैंने पहली बार गाँड मारी है... तुम्हारी गाँड इतनी टाईट थी कि लग रहा था कि किस्सी कुँवारी लड़की की चूत हो।"
तब अनु बोली, "तुम्हारा मोटा लंड और मेरी टाईट चूत हम दोनों को बेहद मज़ा दे रहे हैं... अब मैं बहुत गरम हो गयी हूँ... अब मेरी चूत जोर-जोर से चोदो।"
मैं भी अब तक उससे चुदाई की बातें करके बहुत गरम हो चुका था और उसे दनादन चोदने लगा। तब वो बोली, "अपना थूक मेरे मुँह में डालो... यह बहुत मज़े का है।"
मैंने भी तब अनु को चूमते हुए उसके मुँह में अपना ढेर सारा थूक डाल दिया। अनु अपनी चुदाई से मस्त हो कर बड़बड़ाने लगी, "आहह, ओह मज़ा आ गया और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत चोदो... पूरा-पूरा लंड डाल कर चोदो... मैं तो अब तुम्हारे लंड की दीवानी हो गयी... अब तुम जब भी कहोगे मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत के अंदर ले लुँगी। चोदो... चोदो... ज़ोर-ज़ोर से चोदो... बहुत मज़ा आ रहा है। आज मेरी चूत की सारी खुजली मिटा दो... मेरी चूत फाड़ कर उसके चिथड़े-चिथड़े कर दो। बस तुम मुझे ऐसे ही चोदते रहो। अल्लाह करे आज का वक्त रुक जाये और तुम मेरी चूत ऐसे ही चोदते रहो। हाय तुम्हारा लंड मेरी चूत में अंदर तक ठोकर मार रहा है और मुझको बेइंतेहा मज़ा मिल रहा है।"
थोड़ी देर के बाद मेरा पानी छूटने को हुआ और मैंने अनु से कहा, "मेरी जान... मेरा लंड अब उल्टी करने वाला है... क्या मैं अपना लंड निकाल लूँ?"
अनु अपनी टाँगों से मेरी कमर को कस कर पकड़ते हुए अपनी कमर उचका कर बोली, "जान से मार दूँगी अगर अपना लंड बाहर निकाला... अपना लंड मेरी चूत में इखराज़ कर दो... जो होगा फिर देख लेंगे।" मैं तब उसकी चूत पर पिल पड़ा और उसकी चूत में अपना लंड पागलों की तरह अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर के बाद मैं उसकी चूत के अंदर झड़ गया। मेरे झड़ने के साथ ही अनु ने अपनी चूत से मेरे लंड को निचोड़ लिया और वो भी झड़ गयी। मेरे लंड को उसने अपनी चूत के रस से नहला दिया और बोली, "ओह जानू... मज़ा आ गया... आज से पहले इस कदर मज़ा नहीं आया था... मेरी चूत को तुम्हारा लंड बेहद पसंद आया है। मोनिका दीदी के कमरे से आने वाली उनकी चीखें झूठ नहीं थी। तुम वाकई बोहत जालिम चोदु हो।"
मोनिका मुकुल की बहन का नाम था जिसे मैं चोदता था। मतलब अनु को पता था!
"तुझे मोनिका और मेरे बारे में कब से पता है अनु जान?" मैंने उससे पूछा।
"जब से तुम उसे पढ़ाने आते हो और पढ़ाई के बहाने उसकी ठुकाई करते हो, तब से," वो मेरा लन्ड अपने हाथ से दबा कर बोली, "पर घबराओ मत, वो तुम्हारा अपना चक्कर है, मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं है। बस ये लंड मुझे खिलाते रहना जान।"
अनु मेरी बाहों में सिमट गई। मुझे मोनिका और अनु की चूत एक साथ चोदने का ख्याल आया तो मेरा लंड तड़प उठा। लंबी चुदाई से हम दोनों अब तक बहुत थक चुके थे और इसलिये हम दोनों एक दूसरे को अपनी बाँहों से जकड़ कर सो गये। करीब एक बजे हम लोगों की आँख खुली। हम दोनों नंगे ही सो रहे थे और अनु ने अभी भी अपने हाई हील सैंडल पहने हुए थे। आँख खुलते ही मेरा लंड फिर से अनु की चूत में घुसने के लिये खड़ा होने लगा। हम लोगों ने एक बार फिर से जम कर चुदाई की। अब तक करीब साढ़े तीन बज रहे थे। अनु बोली, "मेरी जान... जाने का तो मन नहीं है, लेकिन क्या करूँ जाना पड़ेगा। मैंने कहा, "ठीक है.. अभी अपने रूम में जाओ, लेकिन कल मुकुल के सोते ही मेरे रूम में अपनी चूत और गाँड ले आना। मैं फिर तुम्हारी चूत और गाँड को लंड खिलाऊँगा। आओगी ना लंड खाने?"
अनु बोली, "जरूर मेरे चोदू सनम, कल मैं फिर से तुम्हारा प्यारा लंड अपनी चूत और गाँड को खिलवाऊँगी!" और इतना कह कर अनु अपने कमरे में अपनी चुदी चूत और गाँड ले कर चली गयी।
मैं धीरे-धीरे अनु के पेट को चूमते हुए उसकी चूत पर अपना मुँह ले गया। चूत पर मेरा मुँह लगते ही अनु ने अपनी दोनों टाँगें फैला दीं और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर कसकर दबाने लगी। थोड़ी देर तक मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटा और चूसा। मेरे द्वारा चूत चटाई से अनु बहुत गरम हो गयी और बैठे-बैठे ही अपनी कमर उचकाने लगी। फिर वो मेरा चेहरा अपने हाथों से पकड़ कर अपने चेहरे के पास ले आयी और बोली, "मेरी जान, हम लोगों का रिश्ता क्या है।"
मैंने उसकी चूची को मसलते हुए कहा, "तुम मेरे दोस्त की बीवी हो... और आज से मेरी महबूबा हो।"
तब अनु मेरे होठों को चूमते हुए बोली, "तुम मुझको भाभी कह कर पुकारो। मुझे तुम्हारी भाभी बन कर चुदवाने में बेहद मजा मिलेगा। चलो मुझको भाभी कह कर पुकारो और मुझे चोदो।"
उसकी यह बात सुन कर मैंने उसकी चूची मसलते हुए कहा, "भाभी तुम बहुत ही सैक्सी और चुदक्कड़ हो। तुम्हारी चूत बहुत ही गरम है और चुदास से भरी है। मेरा लंड तुम्हारी चूत में घुसने के लिये खड़ा होकर झूम रहा है। भाभी मुझको तुमसे प्यार हो गया है।"
मेरी बात सुन कर अनु बिस्तर पे अपने चूत्तड़ों के नीचे तकिया लगा कर मेरे सामने चित हो अपने पैर फ़ैला कर लेट गयी। मैं उसकी चूची को पकड़ कर उसकी चूत को चाटने लगा। उसकी चूत की खुशबू बहुत ही अच्छी थी। करीब पाँच मिनट के बाद अनु ने मेरे कँधों को पकड़ कर मुझको अपने ऊपर से उठाया और बोली, "तुम अपने पैर मेरी तरफ कर लो... मुझको तुम्हारा लंड चूसना है।"
हम लोग जल्दी से सिक्स्टी-नाइन की पोज़िशन में लेट गये और अपना अपना काम शुरू कर दिया। अनु बहुत अच्छी तरह से मज़े लेकर मेरा लंड चूस रही थी। हम लोग एक दूसरे के चूत और लंड करीब पाँच मिनट तक चूसते रहे। मैंने फिर अनु को उसकी टाँगें फ़ैला कर लेटने को कहा और उसके पैर अपने कँधों पर रख लिये। मैंने उसकी टाँगों को और फ़ैला कर उसके घुटनों से उसकी टाँगों को मोड़ दिया। अब अनु की सैक्सी चूत मेरी आँखों के सामने खुली हुई थी। मैंने लंड पर थूक निकाल कर मला और लंड को अनु की चूत पर रख कर एक ही धक्के के साथ उसकी चूत के अंदर कर दिया। इसके बाद मैं उसकी चूचीयों को पकड़ कर उसकी चूत में अपना लंड पहले धीरे-धीरे और बाद में जोर-जोर से पेलने लगा। अनु भी अब नीचे से अपनी कमर उछाल कर मेरे हर धक्के का जवाब दे रही थी और मुझको अपनी बाँहों में भर कर चूम रही थी। थोड़ी देर के बाद अनु अपनी एक चूची मेरे मुँह पे लगाती हुई बोली, "मेरे चोदू सनम... मेरी चूत की चुदाई के साथ-साथ मेरी चूची भी पियो... इसमें बेहद मज़ा मिलेगा और मेरी चूत भी और गरम हो जायेगी।"
मैंने भी उसकी चूची को चूसते हुए थोड़ी देर तक उसको चोदा और फिर रुक गया। मेरे रुकते ही अनु ने मुझे चूमते हुए कहा, "शाबाश, तुम बहुत ही बेहतरीन तरीके से चोदते हो। मैं तुम्हें बहुत पहले से चाहती हूँ लकिन मैं तुमसे दूर रहती थी कि कहीं मेरे पति को मेरे इरादों का पता न चल जाये।" मैंने कहा, "तो फिर आज क्यों मेरा लंड अपनी चूत में लिया हुआ है।" अनु ने उत्तर दिया, "अब मुझ से सब्र नहीं हो रहा था, मुझे मुकुल से तसल्ली नहीं हो रही थी... वो ना तो तुम्हारी तरह मुझे चोदता है और ना ही वो मेरी चूत पे किस करता है और ना ही मेरी गाँड मारता है... मुझे गाँड मरवाने का बहुत शौक था.... साथ ही कईं दिनों से किसी और से चुदवाने का मौका भी नहीं मिला...
उसने अपनी कमर को अब फिर से धीरे-धीरे चलाना शुरू किया और अपनी चूत से मेरा लंड पकड़ने की कोशिश करती हुई बोली, "मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं पहली दफा चुद रही हूँ... तुम बहुत मज़े के साथ चोदते हो... अब धीरे-धीरे मेरी चूत चोदो।" मैं फिर से उसको धीरे-धीरे चोदने लगा और उससे बोला, "तुम भी मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो... मैं भी हर वक्त तुम्हें चोदने के बारे में सोचता रहता था... मुझे भी तुम्हारी चूत और गाँड ने बहुत मज़ा दिया है... मैंने पहली बार गाँड मारी है... तुम्हारी गाँड इतनी टाईट थी कि लग रहा था कि किस्सी कुँवारी लड़की की चूत हो।"
तब अनु बोली, "तुम्हारा मोटा लंड और मेरी टाईट चूत हम दोनों को बेहद मज़ा दे रहे हैं... अब मैं बहुत गरम हो गयी हूँ... अब मेरी चूत जोर-जोर से चोदो।"
मैं भी अब तक उससे चुदाई की बातें करके बहुत गरम हो चुका था और उसे दनादन चोदने लगा। तब वो बोली, "अपना थूक मेरे मुँह में डालो... यह बहुत मज़े का है।"
मैंने भी तब अनु को चूमते हुए उसके मुँह में अपना ढेर सारा थूक डाल दिया। अनु अपनी चुदाई से मस्त हो कर बड़बड़ाने लगी, "आहह, ओह मज़ा आ गया और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत चोदो... पूरा-पूरा लंड डाल कर चोदो... मैं तो अब तुम्हारे लंड की दीवानी हो गयी... अब तुम जब भी कहोगे मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत के अंदर ले लुँगी। चोदो... चोदो... ज़ोर-ज़ोर से चोदो... बहुत मज़ा आ रहा है। आज मेरी चूत की सारी खुजली मिटा दो... मेरी चूत फाड़ कर उसके चिथड़े-चिथड़े कर दो। बस तुम मुझे ऐसे ही चोदते रहो। अल्लाह करे आज का वक्त रुक जाये और तुम मेरी चूत ऐसे ही चोदते रहो। हाय तुम्हारा लंड मेरी चूत में अंदर तक ठोकर मार रहा है और मुझको बेइंतेहा मज़ा मिल रहा है।"
थोड़ी देर के बाद मेरा पानी छूटने को हुआ और मैंने अनु से कहा, "मेरी जान... मेरा लंड अब उल्टी करने वाला है... क्या मैं अपना लंड निकाल लूँ?"
अनु अपनी टाँगों से मेरी कमर को कस कर पकड़ते हुए अपनी कमर उचका कर बोली, "जान से मार दूँगी अगर अपना लंड बाहर निकाला... अपना लंड मेरी चूत में इखराज़ कर दो... जो होगा फिर देख लेंगे।" मैं तब उसकी चूत पर पिल पड़ा और उसकी चूत में अपना लंड पागलों की तरह अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर के बाद मैं उसकी चूत के अंदर झड़ गया। मेरे झड़ने के साथ ही अनु ने अपनी चूत से मेरे लंड को निचोड़ लिया और वो भी झड़ गयी। मेरे लंड को उसने अपनी चूत के रस से नहला दिया और बोली, "ओह जानू... मज़ा आ गया... आज से पहले इस कदर मज़ा नहीं आया था... मेरी चूत को तुम्हारा लंड बेहद पसंद आया है। मोनिका दीदी के कमरे से आने वाली उनकी चीखें झूठ नहीं थी। तुम वाकई बोहत जालिम चोदु हो।"
मोनिका मुकुल की बहन का नाम था जिसे मैं चोदता था। मतलब अनु को पता था!
"तुझे मोनिका और मेरे बारे में कब से पता है अनु जान?" मैंने उससे पूछा।
"जब से तुम उसे पढ़ाने आते हो और पढ़ाई के बहाने उसकी ठुकाई करते हो, तब से," वो मेरा लन्ड अपने हाथ से दबा कर बोली, "पर घबराओ मत, वो तुम्हारा अपना चक्कर है, मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं है। बस ये लंड मुझे खिलाते रहना जान।"
अनु मेरी बाहों में सिमट गई। मुझे मोनिका और अनु की चूत एक साथ चोदने का ख्याल आया तो मेरा लंड तड़प उठा। लंबी चुदाई से हम दोनों अब तक बहुत थक चुके थे और इसलिये हम दोनों एक दूसरे को अपनी बाँहों से जकड़ कर सो गये। करीब एक बजे हम लोगों की आँख खुली। हम दोनों नंगे ही सो रहे थे और अनु ने अभी भी अपने हाई हील सैंडल पहने हुए थे। आँख खुलते ही मेरा लंड फिर से अनु की चूत में घुसने के लिये खड़ा होने लगा। हम लोगों ने एक बार फिर से जम कर चुदाई की। अब तक करीब साढ़े तीन बज रहे थे। अनु बोली, "मेरी जान... जाने का तो मन नहीं है, लेकिन क्या करूँ जाना पड़ेगा। मैंने कहा, "ठीक है.. अभी अपने रूम में जाओ, लेकिन कल मुकुल के सोते ही मेरे रूम में अपनी चूत और गाँड ले आना। मैं फिर तुम्हारी चूत और गाँड को लंड खिलाऊँगा। आओगी ना लंड खाने?"
अनु बोली, "जरूर मेरे चोदू सनम, कल मैं फिर से तुम्हारा प्यारा लंड अपनी चूत और गाँड को खिलवाऊँगी!" और इतना कह कर अनु अपने कमरे में अपनी चुदी चूत और गाँड ले कर चली गयी।
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