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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
#65
उसके मुँह से गंदी बातें सुन कर मैं बहुत गरम हो गया और उसकी गाँड में अपना लंड धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। अनु की गाँड इतनी टाईट थी कि लंड को अंदर-बाहर करने में काफी जोर लगाना पड़ रहा था। अनु फिर चींखी और बोली, "ननन नहीं प्लीज़ हिलना नहीं, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, अभी ऐसे ही रहो... जब मेरी गाँड की तुम्हारे लंड से दोस्ती हो जाये तो फिर हिलना।" मैंने अपना हाथ उसके पेट के नीचे ले जा कर उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल दी। फिर थोड़ी देर के बाद मैं अनु की गाँड धीरे-धीरे चोदने की कोशिश करने लगा। वो चिल्ला रही थी, "ऊऊऊईईई ईई... नहीं मैं मर जाऊँगी। मेरी गाँड फट जायेगी, प्लीज़ अभी अपने लंड को नहीं हिलाओ!"


लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और उसकी गाँड जोर जोर से चोदने लगा। अनु मुझको गाली देने लगी, "भोँसड़ी के, बहनचोद, गैर औरत की गाँड मुफ्त में मारने को मिल गयी है... इसलिये मेरी गाँड फाड़ रहा है!" मैं उसकी बातों पर ध्यान न देते हुए उसकी गाँड में अपना लंड पेल-पेल कर चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद अनु को भी मज़ा आने लगा और अपनी गाँड मेरे लंड के धक्कों के साथ आगे पीछे करने लगी। थोड़ी देर उसकी गाँड चोदने के बाद मुझे लगा कि मेरा वीर्य छूटने वाला है। मैंने उसके चूत्तड़ पकड़ कर अपने और पास खींचते हुए कहा, "ओह जानू, मैं अब छूटने वाला हूँ।"

तब अनु अपनी कमर को मेरे और पास ला कर लंड को अपनी गाँड के और अंदर लेती हुई बोली, "अब मज़ा आ रहा है, अपने लंड को मेरी गाँड के अंदर छूटने दो और मेरी गाँड को अपने लंड की मलाई से भर दो!" इसके साथ ही मैंने दो चार और तेज़-तेज़ धक्के मार कर उसकी गाँड के अंदर अपने लंड की पिचकारी छोड़ दी। अनु ने भी मेरे झड़ने के साथ ही अपनी चूत का पानी छोड़ दिया। मैं थोड़ी देर तक उसकी पीठ के ऊपर पड़ा रहा और फिर उसकी गाँड में से अपना लंड निकाला। मेरा लंड उसकी गाँड में से "पुच" की आवाज से बाहर निकल आया।

अनु जल्दी से उठ कर बाथरूम की तरफ़ अपनी सैंडल खटपटाती हुई भागी और थोड़ी देर के बाद मैं भी बाथरूम में चला गया। अनु मेरे लंड को देखती हुई बोली, "देखो साला मेरी गाँड मार के कैसे मरे चूहे जैसा हो गया है।"

मैंने कहा, "कोई बात नहीं... मैं इस को फिर तैयार कर लेता हूँ।" अब तक मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था। अनु मेरे पास आयी और मुझको अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे होठों पर चुम्मा दे कर बोली, "मैं तुम्हें बताती हूँ की मैं कितनी बेहया और गंदी हूँ!"

फिर मुझको मेरे कँधों से पकड़ कर मुझको कमोड पर बैठने के लिये बोली। मैं उसकी बात मानते हुए कमोड पर बैठ गया। अनु तब मेरी जाँघों पर मेरी तरफ मुँह कर के बैठ गयी। मेरा लंड इस समय उसकी चूत के छेद पर अपना सिर मार रहा था। उसने मुझे फिर से अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे मुँह को चूमते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ दी और मेरे लंड पर पेशाब करने लगी। मुझको अनु का यह अंदाज़ बहुत पसंद आया। उसके गरम-गरम पेशाब से मेरा लंड धुल रहा था। हम लोग इसी तरह कमोड पर बैठे रहे और जब अनु का पेशाब पूरा हो गया तो वो बोली, "मैंने तुम्हारा लंड गंदा किया था और अब मैंने इसको धो दिया है।"

मैंने उसको चूमते हुए कहा, "तुम वाकय बहुत बेशर्म हो।" उसने उत्तर दिया, "तुमने बना दिया है।"

मैंने तब अनु से कहा, "उठो और अब तुम घोड़ी बनो... मैं अपने लंड से तुम्हारी गाँड धोता हूँ।"

अनु तब उत्तेजित होकर बोली, "हाँ, बेहद मज़ा आयेगा... पर पहले मैं तुम्हारे लंड को सुखा तो दूँ!"

हम दोनों खड़े हो गये और अनु झट से झुक कर मेरा लंड पकड़ कर अपनी जीभ उस पर ऊपर से नीचे तक फिराने लगी। मेरे लंड से अपना पेशाब चाटने के बाद वो घोड़ी बन कर कमोड पकड़ के अपनी गाँड ऊपर कर के खड़ी हो गयी। मैंने उसके चूत्तड़ों की फाँकों को अलग करते हुए अपना लंड उसकी गाँड के छेद के सामने रखा। अपना लंड उसकी गाँड के सामने रखते हुए मैंने अपनी पेशाब की धार उसकी गाँड के छेद पर मारनी शुरू कर दी। जैसे ही मेरा गरम-गरम पेशाब उसकी गाँड के छेद पर पड़ा, अनु उत्तेजित हो कर बोली, "ओह जानू... बहुत मज़ा आ रहा है... मुझे आज से पहले चुदाने का इतना मज़ा नहीं आया। तुम भी मेरी तरह बेहद बेहया और गंदे हो, मुझे तुम्हारे जैसा मर्द ही चाहिये था जिस के साथ मैं भी इसी तरह खुल कर बेहयाई कर सकूँ।"
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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 07-12-2019, 10:56 AM



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