07-12-2019, 10:50 AM
वीरका लण्ड तो अनुकी बातों से वैसे ही कड़क हो अनुके चुत पर चिपका था। वीर अपने हाथ अनुके बदन पर रगड कर उसकी नाजुक त्वचा को महसूस कर रहा था। वीर लगातार "अनु, आई लव यू" बोलते हुए उस से चिपका हुआ था। अनुके बदन की खुसबू से वीर पागल हुआ जा रहा था। वीरने उसकी पीठ पर पड़े हाथ से उसके कानो से बाल हटाये और अपने होंठो से अनुकी गरदन और कांख़ के पीछे चुमने लगा। अनुकी हलकी सी सिसकी निकली पर फिर हँसती भी रहि। वीरका जोश और बढ़ गया और वीरने फायदा उठाते हुए अनुकी कमर पर रखा हाथ पीछे से अनुकी नाईटी के अंदर थोड़ा घूसा दिया। वीरका हाथ अब उसके ब्राके हुक के ऊपर था और वीरने उसके ब्राके हुक और पट्टी को मुठी में टाइट बंद कर लिया। जिसकी वजह से वो हुक खुल गया। अनुके मुह से एक हलकी चीख़ निकलि पर वीरने अब अनुकी पूरी नंगी पीठ पर हाथ फेरने के मजे लिये। अनुने अभी तक कोई विरोध नहीं किया था तो वीरके होंसले बढ़ गए। वीरने अनुकी पीठ पर रखा हाथ अनुकी नाईटी के अंदर से ही उसकी बगल के नीचे से आगे ले जाकर साइड से उसके मुम्मे दबाने की कोशिश की।
मगर अनुकी बाजू उसके शारीर से चिपकी हुई थी और अनुने वीर हाथ उसकी बगल के नीचे से आगे नहीं जाने दिया। वीरने एक बार फिर कोशिश की पर कामयाब नहीं हुआ। तभी अनु ने वीरको पीछे किया और कहा की २ मिनट हो गए हैं और खिलखिलाने लगी। वीर उत्तेजित हो चूका था और समझ नहीं पाया की अनुके मन में क्या चल रहा है। अनुने अपने हाथ पीछे ले जाकर अपने ब्रा को हुक बंद करने की कोशिश की। वीरने उसकी मदद की पेशकश की और वो वीरकी तरफ पीठ घुमाये ख़ड़ी हो गयी। वीरने अब आराम से अनुकी नाईटी को थोड़ा ऊपर किया और वीरके सामने अनुकी नंगी गोरी पीठ थी। अभी अनुकी बाजू अनुकी बगल से चिपकी हुई नहीं थी। वीर अपने दोनों हाथ वह डाल कर अनुके मुम्मे दबा दिया।
अनु जोर लगा कर वीरका हाथ हटाना चाहती थी, लेकिन वीरने भी जोर लगा कर अनुको सोफ़े से उठा लिया। अनु वीरके सामने नज़रें झुकाये खड़ी हो गयी। वीर अनुको खींच कर अपने पास ले आया और अनुको अपनी बाँहों में भर कर जकड़ लिया। अनुका शरीर काँप रहा था और अनुकी साँसें उखड़ रही थी। वीरने अनुकी गर्दन और कान के पीछे चुम्मा दिया और अनुके कान पर मुँह लगा कर धीरे से कहा, "अनु तुम बहुत ही सुंदर हो। क्या तुम्हें मालूम है कि मैं हमेशा तुम्हारे बारे में ही सोचता हूँ? तुम मेरे सपनों में हमेशा आती हो और तुम ही मेरे सपनों की रानी हो, मैं तुमसे प्यार करता हूँ।"
इसके साथ वीरने अनुके कान को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और अनु वीरकी बाँहों में खड़ी-खड़ी काँप रही थी। वीरने अनुके चेहरे को अपने हाथों से ऊपर किया। वो बहुत शर्मा रही थी और अनुकी आँखें बंद थीं और अनुके होंठ आधे खुले थे। वीरने अपने होंठ अनुके होंठों पर रख दिए और अनुके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और अनुको फिर से अपनी बाँहों में भर कर भींच लिया। अनुने अपने चेहरे से अपने हाथों को हटा कर वीरको जकड़ लिया और अपनी जीभ वीर मुँह में डाल दी। वीरने अपना दाँया हाथ अनुके चूत्तड़ों पर ले जा कर अनुको अपने और पास खींच लिया। वीरका लंड अब तक पूरी तरह से तन्ना गया था और अनुकी जाँघों के अंदर घुसना चाह रहा था। अनुने वीर की जीभ को अपने दाँतों तले हल्का सा काट लिया और अपने होंठ वीर के होंठों से हटा कर वीर की गरदन पर रखे और वहाँ हल्के से दाँत गड़ कर काँपती हुई आवाज में बोली,
"हाँ, मैं भी तुमको कईं दिनों से चाहने लगी हूँ।"
"तुम मुझसे क्यों डरती हो" वीर ने अनु से पूछा।
"नहीं तो...!" अनुने उत्तर दिया।
वीर ने अपना दाँया हाथ अनुकी चूची पर रखते हुए कहा, "मुझे मालूम है, तुम मुझसे क्यों डरती हो। तुम्हें डर इस बात का है मैं तुम्हें चोद दुँगा।" वीरने कुछ चुप रहने के बाद उससे कहा, "क्या मैं सही बोल रहा हूँ?"
वो एक लम्बी साँस लेने के बाद अपना सिर हिला कर हाँ बोली।
"क्या मैं तुम्हें चोद सकता हूँ?" वीरने अनुसे कहा और अनु की चूची को जोर से दबा दिया।
अनु एक आह भरते हुए मुझसे बोली, "नहीं ये जायज़ नहीं है।"
वीर ने अनु की चूची और जोर से दबा कर पूछा, "क्यों? क्यों जायज़ नहीं है?"
अनु ने तब वीर के कान को अपने मुँह में लिया और हल्का दाँत लगाया और धीरे से बोली, "जरा धीरे से दबाओ, मुझको दर्द हो रहा है।"
"क्यों जायज़ नहीं है?" वीरने फिर से पूछा।
"क्योंकि मैं शादीशुदा हूँ!" वो अपनी सैक्सी आवाज में वीरसे बोली। वीरने अपना हाथ अनुकी नाईटी में डाल कर अनुकी चूची को पकड़ कर मसलना शुरू किया। अनुकी चूची बहुत सख्त थी और अनुके निप्पल खड़े थे।
"हाय मेरी जान! प्यार करने वाले शादी के बिना भी चुदाई कर सकते हैं," वीरने उसकी चूची मसलते हुए कहा।
"लेकिन ये गुनाह है," अनुने उत्तर दिया।
वीरने उसके निप्पल अपनी अँगुली के बीच ले कर मसलते हुए कहा, "ये गुनाह करने में बहुत मज़ा है, मेरी जान... प्लीज़ मुझे चोदने दो। प्लीज़ चोदने दो ना," और वीरने अनुकी चूची को कस कर दबाते हुए अनुके होठों को पागलों की तरह चूमने लगा।
अनुने कोई उत्तर देने की बजाय वीरके मुँह में अपनी जीभ डाल दी। वीरने अनुकी जीभ को थोड़ी देर के लिये चूसा और फिर कहा, "अनु मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ कर देखो कि वो कैसे तुम्हारी चूत में घुसने के लिये पागल हो रहा है" और इतना कहने के बाद वीरने अपनी पैंट उतार दी।
पहले तो अनु कुछ सकपकायी लेकिन थोड़ी देर के बाद अनुने वीरके लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया। अनुने जैसे ही वीरका लंड अपने हाथों से पकड़ा, अनुकी कँपकँपी छूट गयी और वीरको अपने दूसरे हाथ से बाँधते हुए बोली, "यह तो बहुत ही लंबा और मोटा लंड है। मैंने अब तक इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं देखा है।" अनु वीरका लंड एक हाथ से पकड़ कर मरोड़ने लगी और फिर धीरे से बोली, "मेरी चूत भी इस लंड की लिये बेकरार है। अब जल्दी से मुझे चोदो।"
मगर अनुकी बाजू उसके शारीर से चिपकी हुई थी और अनुने वीर हाथ उसकी बगल के नीचे से आगे नहीं जाने दिया। वीरने एक बार फिर कोशिश की पर कामयाब नहीं हुआ। तभी अनु ने वीरको पीछे किया और कहा की २ मिनट हो गए हैं और खिलखिलाने लगी। वीर उत्तेजित हो चूका था और समझ नहीं पाया की अनुके मन में क्या चल रहा है। अनुने अपने हाथ पीछे ले जाकर अपने ब्रा को हुक बंद करने की कोशिश की। वीरने उसकी मदद की पेशकश की और वो वीरकी तरफ पीठ घुमाये ख़ड़ी हो गयी। वीरने अब आराम से अनुकी नाईटी को थोड़ा ऊपर किया और वीरके सामने अनुकी नंगी गोरी पीठ थी। अभी अनुकी बाजू अनुकी बगल से चिपकी हुई नहीं थी। वीर अपने दोनों हाथ वह डाल कर अनुके मुम्मे दबा दिया।
अनु जोर लगा कर वीरका हाथ हटाना चाहती थी, लेकिन वीरने भी जोर लगा कर अनुको सोफ़े से उठा लिया। अनु वीरके सामने नज़रें झुकाये खड़ी हो गयी। वीर अनुको खींच कर अपने पास ले आया और अनुको अपनी बाँहों में भर कर जकड़ लिया। अनुका शरीर काँप रहा था और अनुकी साँसें उखड़ रही थी। वीरने अनुकी गर्दन और कान के पीछे चुम्मा दिया और अनुके कान पर मुँह लगा कर धीरे से कहा, "अनु तुम बहुत ही सुंदर हो। क्या तुम्हें मालूम है कि मैं हमेशा तुम्हारे बारे में ही सोचता हूँ? तुम मेरे सपनों में हमेशा आती हो और तुम ही मेरे सपनों की रानी हो, मैं तुमसे प्यार करता हूँ।"
इसके साथ वीरने अनुके कान को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और अनु वीरकी बाँहों में खड़ी-खड़ी काँप रही थी। वीरने अनुके चेहरे को अपने हाथों से ऊपर किया। वो बहुत शर्मा रही थी और अनुकी आँखें बंद थीं और अनुके होंठ आधे खुले थे। वीरने अपने होंठ अनुके होंठों पर रख दिए और अनुके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और अनुको फिर से अपनी बाँहों में भर कर भींच लिया। अनुने अपने चेहरे से अपने हाथों को हटा कर वीरको जकड़ लिया और अपनी जीभ वीर मुँह में डाल दी। वीरने अपना दाँया हाथ अनुके चूत्तड़ों पर ले जा कर अनुको अपने और पास खींच लिया। वीरका लंड अब तक पूरी तरह से तन्ना गया था और अनुकी जाँघों के अंदर घुसना चाह रहा था। अनुने वीर की जीभ को अपने दाँतों तले हल्का सा काट लिया और अपने होंठ वीर के होंठों से हटा कर वीर की गरदन पर रखे और वहाँ हल्के से दाँत गड़ कर काँपती हुई आवाज में बोली,
"हाँ, मैं भी तुमको कईं दिनों से चाहने लगी हूँ।"
"तुम मुझसे क्यों डरती हो" वीर ने अनु से पूछा।
"नहीं तो...!" अनुने उत्तर दिया।
वीर ने अपना दाँया हाथ अनुकी चूची पर रखते हुए कहा, "मुझे मालूम है, तुम मुझसे क्यों डरती हो। तुम्हें डर इस बात का है मैं तुम्हें चोद दुँगा।" वीरने कुछ चुप रहने के बाद उससे कहा, "क्या मैं सही बोल रहा हूँ?"
वो एक लम्बी साँस लेने के बाद अपना सिर हिला कर हाँ बोली।
"क्या मैं तुम्हें चोद सकता हूँ?" वीरने अनुसे कहा और अनु की चूची को जोर से दबा दिया।
अनु एक आह भरते हुए मुझसे बोली, "नहीं ये जायज़ नहीं है।"
वीर ने अनु की चूची और जोर से दबा कर पूछा, "क्यों? क्यों जायज़ नहीं है?"
अनु ने तब वीर के कान को अपने मुँह में लिया और हल्का दाँत लगाया और धीरे से बोली, "जरा धीरे से दबाओ, मुझको दर्द हो रहा है।"
"क्यों जायज़ नहीं है?" वीरने फिर से पूछा।
"क्योंकि मैं शादीशुदा हूँ!" वो अपनी सैक्सी आवाज में वीरसे बोली। वीरने अपना हाथ अनुकी नाईटी में डाल कर अनुकी चूची को पकड़ कर मसलना शुरू किया। अनुकी चूची बहुत सख्त थी और अनुके निप्पल खड़े थे।
"हाय मेरी जान! प्यार करने वाले शादी के बिना भी चुदाई कर सकते हैं," वीरने उसकी चूची मसलते हुए कहा।
"लेकिन ये गुनाह है," अनुने उत्तर दिया।
वीरने उसके निप्पल अपनी अँगुली के बीच ले कर मसलते हुए कहा, "ये गुनाह करने में बहुत मज़ा है, मेरी जान... प्लीज़ मुझे चोदने दो। प्लीज़ चोदने दो ना," और वीरने अनुकी चूची को कस कर दबाते हुए अनुके होठों को पागलों की तरह चूमने लगा।
अनुने कोई उत्तर देने की बजाय वीरके मुँह में अपनी जीभ डाल दी। वीरने अनुकी जीभ को थोड़ी देर के लिये चूसा और फिर कहा, "अनु मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ कर देखो कि वो कैसे तुम्हारी चूत में घुसने के लिये पागल हो रहा है" और इतना कहने के बाद वीरने अपनी पैंट उतार दी।
पहले तो अनु कुछ सकपकायी लेकिन थोड़ी देर के बाद अनुने वीरके लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया। अनुने जैसे ही वीरका लंड अपने हाथों से पकड़ा, अनुकी कँपकँपी छूट गयी और वीरको अपने दूसरे हाथ से बाँधते हुए बोली, "यह तो बहुत ही लंबा और मोटा लंड है। मैंने अब तक इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं देखा है।" अनु वीरका लंड एक हाथ से पकड़ कर मरोड़ने लगी और फिर धीरे से बोली, "मेरी चूत भी इस लंड की लिये बेकरार है। अब जल्दी से मुझे चोदो।"