06-12-2019, 07:52 PM
मोनिका
तो भाइयों पहले पात्रों का परिचय देता हूँ । कहानी के मुख्या दो पात्र हैं।
पहला पात्र:- वीर , जो की एक २० वर्षीय नवयुवक है । देखने में हैंडसम और अच्छी कद काठी का है ।
दूसरी :- मोनिका जो की वीर के दोस्त मुकुल की बहन है। यह भी २० वर्षीया गौर वर्णीय सुन्दर लड़की है। इसकी हाइट ५।२ , छाती (बूब्स) ३४, कमर २६ और हिप्स (गांड) ३६, की है।
कहानी मैं वीर की जुबानी ही लिख रहा हूँ।
मुकुल से मेरी दोस्ती थी तो मेरा उसके घर आना जाना रहत था। पहली बार मैंने मोनिका को वंही देखा था। मेरे तो होश ही उड़ गए उसे देख कर। क्या गजब की मॉल थी वो।उसका रंग गोरा था, उसके बूब्स ३४ साइज जैसे निमंत्रण दे रहे थे। उसकी पतली सी कमर होगी यही कोई २६ की उसपर उसकी गांड होगी करीब ३८ की काफी क़यामत लग रही थी। चुकी मुकुल पास में था तो मैं कुछ नहीं कर पाया। फिर मुकुल ने ही मेरा उससे परिचय कराया और बताया की वो उसकी छोटी बहन है और कॉलेज में है। और मोनिका को बताया ये वीर है जिसने मेरी बहुत मदद की है और यही अपने मोहल्ले में ही रहता है। फिर हम दोनों ने हाय हेलो किया।
फिर एक दिन जब मैं मुकुल के घर पर मुकुल के साथ कुछ चर्चा कर रहा था तब मोनिका आयी और मुझे हाय किया और मुझे अपनी मैथ्स की प्रॉब्लम बता कर उसे सॉल्व करने को कहा। मैं मुकुल की तरफ देखने लाग, तो मुकुल बोला यार तुझे समझ आता है तो इसका प्रॉब्लम सॉल्व कर दे ना। तब मैंने उसे घंटे भर बाद आने का बोला और अपना एक अर्जेंट काम पटाने चला गया।
मैं दोपहर को जब अपना काम पटा कर आया तब तक मुकुल ऑफिस जा चूका था। घर पर मुकुल की माँ और मोनिका ही थी। दरवाजा मुकुल की माँ ने खोला और मुझे अंदर ले कर सोफे पर बिठाया और खाना खिलाया। फिर उन्होंने मोनिका को आवाज दे कर बुलाया। मोनिका ने एक स्कर्ट जो की काफी शार्ट, घुटनो के ऊपर तक ही था ऊपर में एक स्लीव लेस टी शर्ट पहनी थी वो भी काफी शार्ट थी। इस ड्रेस में वो काफी सेक्सी लग रही थी। मोनिका ने मुझे अपने रूम में ले गयी जो पहले माले पर था। रूम में हम दोनों नीचे चटाई पर बैठ गए। मोनिका ने अपनी मैथ्स की किताब से दो चार सवाल मुझे सॉल्व करने के लिए दिए। जिन्हे मैं सॉल्व करने लगा। अचानक मेरी नजर मोनिका की टांगो पर पड़ी तो पाया की उसकी चिकनी चिकनी टाँगे जांघो तक उसके स्कर्ट से बहार झांक रही है। ये नजारा बहुत ही उत्तेजक था। मैं इसे तिरछी नजरो से निहार रहा था। की कंही मोनिका को पता ना चल जाये।
उसके केले के तने जैसी सुडौल और चिकनी टंगे देख कर मेरे लंड में हलचल मच गयी और वो पेंट से बहार आने के लिए जैसे पेंट को फाड ही देगा इस प्रकार वो एकदम शाक्त हो गया और अपने पुरे शबाब में आ गया। मैंने उसे किताब से छुपा लिया। फिर मोनिका अपनी टी-शर्ट के ऊपर से ही अपने एक बूब्स को खुजलाने लगी, बिना मेरी मौजूदगी की चिंता किये, तब मुझे पता चला की ये उसकी चाल है, मुझे फसाने की। लेकिन अब मुझे भी उसे चोदने की इच्छा प्रबल होने लगी थी। तो मैंने उसे अपनी तरफ खिंच कर बांहो में जकड लिया और उसके नरम गुलाबी होंठो पर आपने गर्म होंठ रख दिया और उसका रसपान करने लगा। थोड़ी देर तो मोनिका दिखावे के लिए विरोध करती रही, बाद में वो भी मेरा साथ देने लगी। अब मैंने मोनिका को गोदी में उठाया और पलंग पर लेटा दिया और झटके से मोनिका की चूत में अपना लंड डालने की कोशिश कर रहा था पर जा नहीं पा रहा था। हम दोनों ही सोच में पड़ गये कि ऐसा कैसे है? मेरा लंड मोनिका की चूत में जा ही नहीं रहा था। काफी देर ऐसा करते रहने पर भी मेरा लंड मोनिका की चूत के अन्दर नहीं गया। तभी मेरी दिमाग में आया की मोनिका का यह पहला मौका है। इसलिये मैंने मोनिका को कोई क्रीम लाने को कहा। फिर मैंने पहले अपने लंड पर क्रीम लगाईं, और अपनी उंगली से मोनिका की चूत के अन्दर भी लगाईं। उसके बाद मोनिका को बिस्तर पर लेटाया और मैंने मोनिका को कहा कि वो अपने हाथों से अपनी चूत के छेद को खोले, फिर मैं उसकी चूत के अन्दर अपने लंड को धीरे-धीरे डालने लगा। लेकिन इस बार भी मेरा लंड फिसल कर बाहर चला गया।
तो मैंने मोनिका को समझाया- तुम पहली बार किसी मर्द का लंड अपनी चूत में लोगी, तो तुम्हें अपने दोनों हाथों से अपनी चूत के छेद को खोलना है, जब पहली बार लंड चूत में घुसेगा तो तुम्हें बहुत दर्द भी होगा पर तुम बर्दाश्त कर लेना। एक बार तुमने लंड का मजा ले लिया तो फिर आसानी से किसी का भी लंड अपनी चूत में ले सकती हो। तो मैंने मोनिका को पलंग पर लेटाया और उसकी कमर के नीचे दो तकिया रख दिए, इससे मोनिका की चूत का हिस्सा थोड़ा ऊपर उठ गया। मोनिका ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दी और मैं एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर धीरे-धीरे उसकी चूत के अन्दर डाला, मोनिका को ऐसा लगा कि उसके अन्दर कुछ बहुत ही गर्म चीज प्रवेश कर गई है। मोनिका के दोनों हाथ स्वतः ही उसकी चूत से हट गये और वो झटके से पीछे खिसक गई। मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि तुम्हारा ये (मेरे लंड की ओर इशारा करके) बहुत ही जल रहा है।
मैं बोला- मुझे भी लगा कि मेरा लंड किसी गर्म तवे में टच कर गया है।
फिर मैंने कहा- पहली पहली बार ऐसा होता है।
हम दोनों इस खेल में अनाड़ी थे ही, इसलिये कुछ समझ में नहीं आ रहा था, फिर भी हम दोनों ने आँखों ही आँखों में इशारा किया। क्योंकि दोनों को यह बात तो पता थी कि पहली बार कुछ दर्द या अजीब सा होता है और फिर खूब मजा आता है। इसलिये एक बार फिर हम दोनों ने अपनी पोजिशन ली। इस बार जब मैंने अपने लंड को मोनिका के अन्दर किया तो मोनिका ने अपनी आँखें बन्द कर ली और मैंने भी एक जोर से धक्का लगाया तो मोनिका को लगा कि उसके अन्दर कुछ कट सा गया है और वो चीख पड़ी। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया, इससे उसकी चीख अन्दर ही घुट कर रह गई। यह तो अच्छा था कि तो वक्त दोपहर का था और मोनिका की मम्मी अपने कमरे में सो रही थी, शायद इसलिये उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, नहीं तो उनको अब तक मोनिका के कमरे में होना चाहिए था। मैंने मोनिका को लगभग डाँटते हुए बोला- मरवायेगी क्या? मम्मी ऊपर आ सकती है?
दर्द के मारे मोनिका के आँख से आँसू निकल रहे थे और वो लगभग रोते हुये बोली- मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
मैं उसके ऊपर झुक गया और उसकी आँखों से निकलते हुये आँसू को पीने लगा और बोला- पगली मुझे भी तो ऐसा लग रहा है कि मेरे लंड का चमड़ा फट गया है और मुझे भी खूब जलन हो रही है। थोड़ी देर और बर्दाश्त करते हैं।
अब हम लोग केवल अपने में ध्यान दे रहे थे। उसके बाद मैंने अपने को थोड़ा पीछे किया और एक बार फिर जोर से धक्का दिया। इस बार मोनिका को ऐसा लगा कि उसके हलक तक कुछ घुस गया है। जिस प्रकार उल्टी आने पर मुंह खुलता है ठीक उसी प्रकार मोनिका का मुँह खुल गया और आँखें ऐसा लग रही थी कि बाहर आ जायेगी। पता नहीं मुझे क्या सूझी कि मैं उसके ऊपर गिर गया और उसके स्तनों को दबाने लगा और उसके स्तन की घुंडी को अपने मुंह में लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा। मेरे थोड़ी देर ऐसा करते रहने से उसके शरीर के अन्दर एक अजीब सी सिरहन सी उठने लगी और उसे लगने लगा कि वो मुझे अपने अन्दर ले सकती है। और पता नहीं क्या हुआ कि मोनिका की कमर खुद-ब-खुद ऊपर की ओर उठने लगी मानो कह रही हो 'वीर, मेरे ऊपर लेटो नहीं, आओ मेरे अन्दर आओ।' मुझे भी मोनिका की कमर उठने का भान हो गया इसलिये मैं सीधा हुआ और अपने लंड को एक बार फिर थोड़ा बाहर निकाला और फिर एक जोर से धक्का दिया। उसके बाद मैं धक्के पे धक्का देता रहा और मेरे धक्के को वो अपने अन्दर महसूस करती रही। हालाँकि मेरे इस तरह के धक्के से उसे तकलीफ हो रही थी और उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी पर पता नहीं कब वो सिसकारी उत्तेजना भरी आवाज में बदल गई।
ठीक यही हालत मेरी की भी हो रही थी, मेरे चेहरे से पसीना निकल रहा था और अपनी पूरी ताकत और वेग के साथ मोनिका के अन्दर जाने की कोशिश कर रहा था। मैं कभी तेज धक्के लगाता तो कभी सुस्त पड़ जाता मानो थक गया हो... और फिर तेज धक्के लगाने लगता। इसी क्रम में मोनिका का जिस्म भी मेरा साथ देता। मोनिका कभी उत्तेजनावश मेरी पीठ में नाखून गड़ा देती तो कभी मेरी घुंडी को दोनों उंगलियों के बीच में लेकर मसल देती। मैं भी गुस्से में आकर उसके गाल में एक चपत लगा देता। तभी मेरा का शरीर अकड़ने लगा और फिर ढीला पड़ गया, मैं हाँफते हुए उसके ऊपर गिर गया। मैंने अपने लंड को उसके भीतर ही पड़े रहने दिया, बाहर निकालने की कोई कोशिश नहीं की। थोड़ी देर बाद मेरा लंड सिकुड़ कर बाहर आ गया और हम दोनों अलग होकर मेरे बगल में लेट गए।
मोनिका को लगा कि उसके अन्दर कोई लावा फूट गया हो। मोनिका को पहली बार वो आनन्द प्राप्त हुआ जो वो अपनी सहेलियों से सुनती थी। हालाँकि उसकी योनि के अन्दर एक जलन सी हो रही थी। मुझे इस समय मोनिका पर बहुत प्यार आ रहा था, मैं उसके बाल सहला रहा था। फिर मैं और मोनिका दोनों अपनी जगह से उठे क्योंकि हम दोनों को ही अपने नीचे कुछ गीला सा लग रहा था। उसी समय मेरी और मोनिका की नजर बिस्तर पर पड़े हुए खून पर गई। मैं एकदम से अलमारी के पास गया और रूई निकाल लाया और मोनिका को बिस्तर पर बैठा कर उसकी टांगें फैला कर उसकी चूत और उसके आस पास की जगह को साफ किया। उसके बाद
मैं उससे बोला- मोनिका यह मेरे और तुम्हारे मिलन की निशानी है, अब जिन्दगी भर ये मेरे पास रहेगी! कहकर मैंने उसे एक छोटी सी पन्नी के अन्दर रख लिया।
मैंने विक्टरी का निशान बनाते हुए एक आँख मार दी। मोनिका थोड़ा सा शरमा गई, हमारी पहली चूत चुदाई के बाद, हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहने और एक दूसरे से विदा ली, और मैं अपने चला गया।
उसके बाद मैं मोनिका को रोज मैथ्स की ट्यूशन देने आता और मौका निकल कर उसकी चुदाई करता। हमारा यह चुदाई का सिलसिला मोनिका की शादी तक चलता रहा।