06-12-2019, 07:43 PM
उसने मुझे अब बिस्तर पर सीधा लेटाया और दोनों पाँव चौड़े कर दिए। वो मेरे ऊपर लेट गया। मैंने अपना हाथ नीचे किया और उसका लिंग पकड़ कर अपने अंदर कर दिया। उसकी मशीन एक बार फिर शुरू हो गयी। हम दोनों चरम प्राप्ति की तरफ तेजी से बढ़ रहे थे। मैंने अपनी दोनों टांगो को उठाते हुए उसकी कमर पर लपेट दिया। वो मेरी अंदर की गहराइयों में डूबता हुआ कही खो गया था पर उसकी गति लगातार बढ़ती जा रही थी। यह संकेत था उसके चरम के नजदीक पहुंचने का। चरम प्राप्तिपर मेरे मुँह से कुछ ज्यादा ही जोर से निकल गया ओ मोहित! वो भी तेज आहें निकलते हुआ छूट गया, हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर जकड़ लिया। हम दोनों ऐसे ही निश्चेत पड़े रहे।
मैंने उठने की कोशिश की तो उसने फिर मुझे जकड़ लिया। मुझे भी यह पसंद आया। अब हम दोनों एक दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे। अभी तीन घंटो में कुछ समय बाकी था। उसका लिंग अब नरम पड़ कर अपने आप मेरे प्रवेश द्वार से बाहर आ गया था। मैं उठी और अपने बिखरे हुए कपडे सँभालने लगी। मैं अपने नीचे के अंत-वस्त्र को पहने लगी, उसने तुरंत मुझसे छीन कर उसे एक तरफ रख दिया और मुझे पीठ के बल लेटा कर अपने मुँह से मेरे निप्पल को चूसने लगा। मुझे मजा आने लगा। वह अपना एक हाथ बराबर मेरे शरीर पर घुमा रहा था। बारी बारी से अब वो मुझे होठों पर चुम रहा था कभी निप्पल पर। मैं भी उसकी पीठ और पुठ्ठो पर अपने हाथों का प्यारा स्पर्श कर फिरा रही थी। हम कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे के शरीर का आनद लेते रहे। अब काफी समय हो चूका था और हम नींद की दवाई के साथ और रिस्क नहीं लेना चाहते थे। मैंने खड़े होकर अपने दोनों अंतवस्त्र पहन लिए। वह कपडे पहन चूका था और मुझे फिर घूरने लगा। मैंने पूछा क्या करू? ऐसे ही रहु? उसने शरारत से सर हां में हिला लिया। थोड़ी ही देर में मैंने अपने सारे कपडे पहन लिए थे। अब मैं फिर से पहले की भांति लेट गयी। वो अभी भी मेरे गद्दे पर ही था। मैंने उसे थोड़ा धक्का लगाते हुए उसके गद्दे की तरफ धकेला। उसने कहा काम निकल गया क्या? मेरी हंसी निकल गयी। मैंने उसका शर्ट गले से पकड़ा और अपनी और खिंच कर उसके होठों पर चुम्बन कर दिया।
हम कुछ सेकंड तक एक दूसरे के होठों का रस लेते रहे। अब मैं पूरी थक चुकी थी, मेरी उबासी निकली और वो मुझे छोड़ कर बाहर निकला और वापिस आकर अपनी पत्नी के साथ गद्दे पर सो गया। कब आँख लगी पता ही नहीं चला, एक संतुष्टि की बहुत प्यारी नींद ली मैंने उस रात। सुबह पांच बजे कुछ आवाज़ के साथ मैं जागी। मोहित अपनी पत्नी को उठाने की कोशिश कर रहा था पर वो नींद की दवाई के असर से उठ ही नहीं रही थी।
उसने झकझोड़ते हुए उसको उठाया, फिर दोनों ने मिल कर बाकी के दोनों लोगो को भी उठाया। मैं भी तब उठ खड़ी हुई। अब हम सब नीचे पहुंचे जहां पूजा में सब अपने लिए कुछ मांग रहे थे।
मुझे तो मेरा वर मिल चूका था जिसने मेरी सारी मांगे पूरी कर दी थी।
मैंने उठने की कोशिश की तो उसने फिर मुझे जकड़ लिया। मुझे भी यह पसंद आया। अब हम दोनों एक दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे। अभी तीन घंटो में कुछ समय बाकी था। उसका लिंग अब नरम पड़ कर अपने आप मेरे प्रवेश द्वार से बाहर आ गया था। मैं उठी और अपने बिखरे हुए कपडे सँभालने लगी। मैं अपने नीचे के अंत-वस्त्र को पहने लगी, उसने तुरंत मुझसे छीन कर उसे एक तरफ रख दिया और मुझे पीठ के बल लेटा कर अपने मुँह से मेरे निप्पल को चूसने लगा। मुझे मजा आने लगा। वह अपना एक हाथ बराबर मेरे शरीर पर घुमा रहा था। बारी बारी से अब वो मुझे होठों पर चुम रहा था कभी निप्पल पर। मैं भी उसकी पीठ और पुठ्ठो पर अपने हाथों का प्यारा स्पर्श कर फिरा रही थी। हम कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे के शरीर का आनद लेते रहे। अब काफी समय हो चूका था और हम नींद की दवाई के साथ और रिस्क नहीं लेना चाहते थे। मैंने खड़े होकर अपने दोनों अंतवस्त्र पहन लिए। वह कपडे पहन चूका था और मुझे फिर घूरने लगा। मैंने पूछा क्या करू? ऐसे ही रहु? उसने शरारत से सर हां में हिला लिया। थोड़ी ही देर में मैंने अपने सारे कपडे पहन लिए थे। अब मैं फिर से पहले की भांति लेट गयी। वो अभी भी मेरे गद्दे पर ही था। मैंने उसे थोड़ा धक्का लगाते हुए उसके गद्दे की तरफ धकेला। उसने कहा काम निकल गया क्या? मेरी हंसी निकल गयी। मैंने उसका शर्ट गले से पकड़ा और अपनी और खिंच कर उसके होठों पर चुम्बन कर दिया।
हम कुछ सेकंड तक एक दूसरे के होठों का रस लेते रहे। अब मैं पूरी थक चुकी थी, मेरी उबासी निकली और वो मुझे छोड़ कर बाहर निकला और वापिस आकर अपनी पत्नी के साथ गद्दे पर सो गया। कब आँख लगी पता ही नहीं चला, एक संतुष्टि की बहुत प्यारी नींद ली मैंने उस रात। सुबह पांच बजे कुछ आवाज़ के साथ मैं जागी। मोहित अपनी पत्नी को उठाने की कोशिश कर रहा था पर वो नींद की दवाई के असर से उठ ही नहीं रही थी।
उसने झकझोड़ते हुए उसको उठाया, फिर दोनों ने मिल कर बाकी के दोनों लोगो को भी उठाया। मैं भी तब उठ खड़ी हुई। अब हम सब नीचे पहुंचे जहां पूजा में सब अपने लिए कुछ मांग रहे थे।
मुझे तो मेरा वर मिल चूका था जिसने मेरी सारी मांगे पूरी कर दी थी।