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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
#52
Heart 
मैंने सासुजी को कहा की मम्मी आप मंगलवार के जागरण में अकेले जाओ तो मुझे भी ले जा सकते हो कंपनी देने के लिए। उन्होंने हां में सर हिलाया। मैं मन ही मन एक मुस्कान लिए उनके साथ अपने घर की तरफ चल पड़ी।

आखिर वो मंगलवार के दिन का सूरज उग आया, जिसका मुझे पिछले कुछ दिनों से इंतज़ार था। पर इंतज़ार अभी पुरा ख़त्म नहीं हुआ था। असल इंतज़ार तो आज रात के जागरण का था। मैं एक मीठी मुस्कान के साथ उठी और एक उत्साह के साथ रोज़मर्रा के कामों में लग गयी। दोपहर को मैं रात की तैयारी में लग गयी, मैंने चेहरे पर उबटन लगाया ताकि मेरा चेहरा ओर खिल जाए। फिर अपने पुरे शरीर का वैक्सीन किया ताकि सारे अनचाहे बाल निकल कर त्वचा चिकनी हो जाये।

आज तो समय भी जैसे धीरे धीरे बीत रहा था। जब किसी का बेसब्री से इंतज़ार होता हैं तो समय ऐसे ही परीक्षा लेता हैं। शाम का खाना खा लेने के तुरंत बाद ही मैंने सजना सवरना शुरू कर दिया था। जैसे किसी जागरण में नहीं किसी शादी में शिरकत करनी हो। अभी एक घंटा बाकी था जाने में और मैंने अंदर से अपनी पसंदीदा गुलाबी साड़ी निकाली, फिर पहले ही बनाये प्लान के मुताबिक अंदर से वो महंगे वाले डिज़ाइनर अंतवस्त्र निकाले जो मेरे पति कुछ ख़ास मौको पर उन्हें रिझाने के लिए पहनने को कहते थे। मैं क्या, कोई भी स्त्री उन खूबसूरत अंतवस्त्रों में बहुत कामुक और हसीन लगती। अब मैंने साड़ी पहन ली। फिर से मैं अपना मेकअप करने लगी। मैं सारी तैयारी ऐसे कर रही थी जैसे जागरण नहीं सुहागरात हो। ओरो के लिए वो जागरण था पर मेरे लिए तो सुहागरात ही थी।

एक बार फिरसे सासुजी की चिर परिचित आवाज़ सुनाई दी, तैयार हो गयी क्या। इतनी तैयारियों में ध्यान ही नहीं रहा कि कब वो समय हो गया जिसका मुझे कब से इंतज़ार था। वहां पहुंच कर मेरी नजरे लगातार मोहितको ढूंढ रही थी, जिसके लिए लिए मैंने आज सुबह से इतनी तैयारियां की थी। पर वो मुझे कही दिखाई नहीं दिया। तभी भाभियोने अपने कक्षमें बुलाया। आज वहाँ इतनी भीड़ नहीं थी। अब हम लोग आपस में बातें करने लगे। दोनों भाभियाँ कह रही थी कि आज उनके इस कमरे पर दूसरी औरतों का कब्जा होने वाला हैं। उनके कुछ ख़ास रिश्तेदार दूसरी औरतों से अलग उस छोटे कमरे में सोना चाहते थे।

तभी सामने से मोहित ने इठलाते हुए कमरे में प्रवेश किया। मैं ऐसे शरमाई जैसे नई नवेली दुल्हन का पति आ गया हो। उसने अपनी पत्नी को बताया कि उन्होंने जो काम सौपा था वो करके आया हैं। फ़िर वो वापिस बाहर अपने दूसरे कामों के लिए चला गया। भाभी ने बताया कि वो लोग इस भीड़ में नहीं सोयेंगे बल्कि छत पर सायेंगे। उनका पति उसी इंतज़ाम की बात कर रहा था। मुझे एक गहरा धक्का लगा, अगर यह सब भी ऊपर सोयेंगे तो मेरे अरमानो का क्या होगा। मुझे अपनी दिनभर की सारी तैयारियां व्यर्थ होती नज़र आयी। मुझे मोहित पर भी बहुत गुस्सा आया, वो ये कैसे कर सकता हैं। क्या इसमें सिर्फ मेरा ही फायदा था, उसका भी तो फायदा था। उन्होंने मुझसे आग्रह किया की मैं भी इस भीड़ में ना रहु और उनके साथही ऊपर सो जाऊ। उन्हें कैसे बताती कि मेरा उनसे भी पहले ऊपर सोने का ही प्लान था।

काफी देर बातें करने के बाद, दूसरी औरतें उस कमरे में आने लगी, तो हम लोग बाहर निकल आये। अब सबके सोने का समय हो चुका था। पिछली बार की तरह इस बार भी सुबह 5 बजे का मुहर्त था। मैं, दोनों भाभियाँ और उनकी एक सहेली के पीछे पीछे छत पे जाने के लिए सीढिया चढ़ने लगे। तभी मोहित आ गया और मेरे पीछे चलने लगा। इस दौरान उसने बड़ी बेशर्मी से मेरे कमर को छुआ और मेरे पुट्ठो पर हाथ फेरता रहा। मुझे ख़ुशी तो हो रही थी साथ ही साथ गुसा भी आ रहा था कि उसने मेरे साथ ये धोखा क्यों किया। वो कुछ ओर इंतज़ाम कर सकता था हम दोनों के लिए। हम छत पर पहुंच गए, मोहित ने दरवाज़े पर कुण्डी लगा ली ताकि कोई ओर ना आ सके। वहा तीन मच्छरदानियाँ लगी थी तीन गद्दों के साथ।

बढ़ी भाभी अपनी सहेली जो शायद उनकी बहन थी के साथ एक गद्दे को हथिया लिया। छोटी भाभी जो मोहित की पत्नी भी थी ने मुझे अपने साथ सोने का निमंत्रण दिया। मोहित ने पीछे से आँख से इशारा करते हुए हुए मुझे ना करने को कहा। मैं अब उसकी बात क्यों मानु? मैं वही करुँगी जो मैं चाहती हूँ। मैं कहना चाहती थी मेरी इच्छा आपके साथ सोने की नहीं बल्कि आपके पति के साथ हैं। फिलहाल मैंने मना कर दिया, और कहा कि आप अपने पतिके साथ सो जाइये, मैं आखिरी गद्दे पे अकेले सो जाउंगी। वो भी शायद यही चाहती थी। वो लोग अब आपस में कुछ मजाक मस्ती की बातें कर रहे थे। सारे मजाक मोहित की तरफ से ही आ रहे थे और बाकी लोग सिर्फ हंस रहे थे। मैं मन ही मन कुढ़ रही थी इसको तो जैसे कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ रहा था।


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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 06-12-2019, 07:40 PM



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