03-12-2019, 06:07 PM
मे उनको ढूंढ़ने तो निकला था पर मुझे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी की वो मुझे मिलेंगे.... क्योंकि मुझे साइकिल मिलने मे 5,, 10 मिनट खराब हो गए थे.. रास्ता बहुत खराब था रास्ते मैं जगह जगह पानी भरा था
मुझे रास्ते पर बहुत गुस्सा आ रहा था. और साइकिल चलाते जा रहा था
मैं सोच रहा था क्या सच मे अंकल ने रश्मि फ़ांस ली है. या ये मेरा भ्र्म है.. कहीं अंकल उसे अपने कमरे पर तो नहीं ले गए...
उनका कमरा भी मुझे नहीं पता था...
मुझे वो बात याद आ रही थी ज़ब अंकल खाली प्लॉट मे हिला रहे थे और ज़ब मैंने रश्मि को देखा तो वो उनको खिड़की से देख रही थी...
मुझे लग रहा था जैसे आज रश्मि जरूर चुद कर ही वापस आएगी...
जाने क्यों मे रश्मि को चुदते देखना चाहता था... पर अभी ये सम्भव नहीं लग रहा था... मेरा मूड खराब हो रहा था
मेने वापस लौटने का फैसला किया... तभी मुझे रश्मि और अंकल दिखाई दिए.... दोनों लोग पैदल चल रहे थे और दोनों के पूरे
कपड़ों पर कीचड लगी हुई थी.. साइकिल भी पूरी गंदी थी.. तब मुझे पता लगा ये दोनों साइकिल से कीचड़ मे गिर पड़े हैं.. मैंने तुरंत साइकिल रोक ली.. और उतर कर धीरे धीरे चलने लगा
अब मुझे वो रास्ता बड़ा अच्छा लग रहा था..
मैंने सोचा इनके कपड़े तो गन्दे हो गए अब ये डॉक्टर के पास तो नहीं जायेंगे.. मतलब अब अंकल उसे शायद अपने कमरे पर ही लेकर जायेंगे
धीरे धीरे वो दोनों आबादी से दूर कस्बे के बाहरी साइड पहुंच गए फिर एक ऊँची सी बाउंड्री मै घुस गए बाउंड्री का कोई गेट नहीं था अंदर बीच मै सिर्फ एक कमरा था उसके चारों तरफ 1,, 1 की जगह छोड़ी गईं थी शायद हवा और उजाले के लिए...
वो दोनों कमरे के अंदर चले गए
कमरे का गेट अब भी खुला हुआ था..
मेरा मन कह रहा था आज जरूर कुछ घपला होगा.. मैंने पास की झाड़ियों मे साइकिल को छिपा दिया.. अब
में अंदर जाने की सोच रहा था पर कुछ समझ नहीं आ रहा था कैसे अंदर जाऊं... सामने कमरे का दरवाजा खुला हुआ है वो दोनों मुझे देख लेते इसलिए इधर से मेरा घुसना बेकार था
मै जल्दी से उस बाउंड्री के चारों तरफ देखने चल दिया शायद कहीं से ऊपर चढ़ने का रास्ता मिल जाए...
पीछे वाली दीवार से कुछ दूर कुछ ईट पड़ी मिली जो शायद क्रिकेट खेलने वालों ने वहाँ डाल रखी थी....
मैंने ईट उठाकर दीवार के पास एक के ऊपर एक लगा दी फिर मे उनपर चढ़ गया और फिर मैं दीवार पर चढ़ कर उस कमरे की छत पर कूद गया कमरा काफ़ी बड़ा था ...
छत के बीच मैं एक जाल लगा था नीचे उजाले के लिए.. इतने बड़े कमरे मैं दोनों तरफ एक एक कमरा अलग अलग बन सकता था
मैंने आहिस्ता से जाल से नीचे देखा तो अंदर एक टूटी हुई सी चारपाई पड़ी हुई थी और पूरे घर मै कुछ ही बर्तन एक पानी का ड्रम और एक मिट्टी के तेल का stob था... और पूरा कमरा खाली था... रश्मि चारपाई पर बैठी थी और अंकल से कह रही थी..
अंकल आप इस वीराने मैं कैसे रहते हो.. यहाँ दूर दूर तक कोई भी नहीं रहता... आपके पास कोई सामान भी नहीं है..
अंकल बोले सब कपड़े और फालतू सामान मैंने अपने दोस्त के यहाँ रख दिया है ज़ब मेरी बेगम आ जाएगी तब ले आऊंगा... यहाँ अभी कोई रहता नहीं है कहीं कोई चोर सामान चोरी नहीं कर ले इसलिए वहाँ रख दिए हैँ....
फिर रश्मि बोली अंकल मुझे ठंड लग रही है अब ज़ब तक ये कपड़े सूखेगे तब तक मै क्या pehnoogi... अंकल ने इधर उधर देखा और खिड़की से पर्दा उतार कर रश्मि को दी फिर बोले यहाँ तो कुछ नहीं है
तुम ये पर्दा लपेट लेना... पर्दा भी लम्बी चौड़ी है इसे तो हम दोनों
भी ओढ़ सकते हैँ... ये कहकर अंकल हंस पड़े... फिर रश्मि बोली
अंकल आप जल्दी से बाहर चले जाओ तो मै अपने कपड़े धो कर सुखा लूं....
फिर अंकल बोले रश्मि ठण्ड तो मुझे भी लग रही है मुझे भी कपड़े धो कर पहनने हैँ.. तुम अपने कपड़े उतार कर मुझे दे दो और तुम पर्दा लपेट कर बैठ जाओ... रश्मि को शर्म सी आ रही थी फिर अंकल बाहर निकल गए और रश्मि ने अपने कुर्ती और सलवार उतार कर ड्रम के पास डाल दी.. मैंने आज रश्मि को पहली बार नंगा देखा था.. उसकी चूचियाँ ज्यादा बड़ी तो नहीं थी पर कमाल की थीं उसने कच्छी नहीं उतारी और पर्दा ओढ़ कर चारपाई पर लेट गई... फिर उसने अंकल को अंदर आने के लिए आवाज लगाई.
अंकल अंदर आ गए.. रश्मि इस तरह लेटी थी की उसके पैर अंकल तरफ थे रश्मि ने अपना मुँह नहीं ढका था वो अंकल को देख सकती थी
अब उन्होंने अपना कुरता पायजामा उतारा और रश्मि के कपड़ों के साथ उठाकर बाल्टी मै डाल दिया... फिर रश्मि से बोले.. रश्मि तुमने अंदर वाले कपड़े नहीं दिए.....
रश्मि उनके इस सवाल से चौंक गई फिर धीरे से
बोली नहीं अंकल जी मै अंदर सिर्फ कच्छी पहनती हूँ और कुछ नहीं..
फिर अंकल बोले लेकिन इन कपड़ों मै तुम्हारी कच्छी तो है ही नहीं.. अब
रश्मि की आंखे बड़ी हो गईं उसने अंकल की तरफ देखा फिर बोली.. नहीं अंकल मैंने उसे पहन रखा है...
फिर अंकल बोले रश्मि कच्छी भी मुझे दो मे उसे धो देता हूँ.. उस कच्छी पर गंदी कीचड लगी होगी.. और उस कीचड मैं कितनो की पेशाब मिली होगी तुम्हारे नीचे इन्फेक्शन हो जायेगा....
फिर रश्मि बोली नहीं अंकल रहने दो मैं बिलकुल नंगी नहीं होना चाहती...
मुझे रास्ते पर बहुत गुस्सा आ रहा था. और साइकिल चलाते जा रहा था
मैं सोच रहा था क्या सच मे अंकल ने रश्मि फ़ांस ली है. या ये मेरा भ्र्म है.. कहीं अंकल उसे अपने कमरे पर तो नहीं ले गए...
उनका कमरा भी मुझे नहीं पता था...
मुझे वो बात याद आ रही थी ज़ब अंकल खाली प्लॉट मे हिला रहे थे और ज़ब मैंने रश्मि को देखा तो वो उनको खिड़की से देख रही थी...
मुझे लग रहा था जैसे आज रश्मि जरूर चुद कर ही वापस आएगी...
जाने क्यों मे रश्मि को चुदते देखना चाहता था... पर अभी ये सम्भव नहीं लग रहा था... मेरा मूड खराब हो रहा था
मेने वापस लौटने का फैसला किया... तभी मुझे रश्मि और अंकल दिखाई दिए.... दोनों लोग पैदल चल रहे थे और दोनों के पूरे
कपड़ों पर कीचड लगी हुई थी.. साइकिल भी पूरी गंदी थी.. तब मुझे पता लगा ये दोनों साइकिल से कीचड़ मे गिर पड़े हैं.. मैंने तुरंत साइकिल रोक ली.. और उतर कर धीरे धीरे चलने लगा
अब मुझे वो रास्ता बड़ा अच्छा लग रहा था..
मैंने सोचा इनके कपड़े तो गन्दे हो गए अब ये डॉक्टर के पास तो नहीं जायेंगे.. मतलब अब अंकल उसे शायद अपने कमरे पर ही लेकर जायेंगे
धीरे धीरे वो दोनों आबादी से दूर कस्बे के बाहरी साइड पहुंच गए फिर एक ऊँची सी बाउंड्री मै घुस गए बाउंड्री का कोई गेट नहीं था अंदर बीच मै सिर्फ एक कमरा था उसके चारों तरफ 1,, 1 की जगह छोड़ी गईं थी शायद हवा और उजाले के लिए...
वो दोनों कमरे के अंदर चले गए
कमरे का गेट अब भी खुला हुआ था..
मेरा मन कह रहा था आज जरूर कुछ घपला होगा.. मैंने पास की झाड़ियों मे साइकिल को छिपा दिया.. अब
में अंदर जाने की सोच रहा था पर कुछ समझ नहीं आ रहा था कैसे अंदर जाऊं... सामने कमरे का दरवाजा खुला हुआ है वो दोनों मुझे देख लेते इसलिए इधर से मेरा घुसना बेकार था
मै जल्दी से उस बाउंड्री के चारों तरफ देखने चल दिया शायद कहीं से ऊपर चढ़ने का रास्ता मिल जाए...
पीछे वाली दीवार से कुछ दूर कुछ ईट पड़ी मिली जो शायद क्रिकेट खेलने वालों ने वहाँ डाल रखी थी....
मैंने ईट उठाकर दीवार के पास एक के ऊपर एक लगा दी फिर मे उनपर चढ़ गया और फिर मैं दीवार पर चढ़ कर उस कमरे की छत पर कूद गया कमरा काफ़ी बड़ा था ...
छत के बीच मैं एक जाल लगा था नीचे उजाले के लिए.. इतने बड़े कमरे मैं दोनों तरफ एक एक कमरा अलग अलग बन सकता था
मैंने आहिस्ता से जाल से नीचे देखा तो अंदर एक टूटी हुई सी चारपाई पड़ी हुई थी और पूरे घर मै कुछ ही बर्तन एक पानी का ड्रम और एक मिट्टी के तेल का stob था... और पूरा कमरा खाली था... रश्मि चारपाई पर बैठी थी और अंकल से कह रही थी..
अंकल आप इस वीराने मैं कैसे रहते हो.. यहाँ दूर दूर तक कोई भी नहीं रहता... आपके पास कोई सामान भी नहीं है..
अंकल बोले सब कपड़े और फालतू सामान मैंने अपने दोस्त के यहाँ रख दिया है ज़ब मेरी बेगम आ जाएगी तब ले आऊंगा... यहाँ अभी कोई रहता नहीं है कहीं कोई चोर सामान चोरी नहीं कर ले इसलिए वहाँ रख दिए हैँ....
फिर रश्मि बोली अंकल मुझे ठंड लग रही है अब ज़ब तक ये कपड़े सूखेगे तब तक मै क्या pehnoogi... अंकल ने इधर उधर देखा और खिड़की से पर्दा उतार कर रश्मि को दी फिर बोले यहाँ तो कुछ नहीं है
तुम ये पर्दा लपेट लेना... पर्दा भी लम्बी चौड़ी है इसे तो हम दोनों
भी ओढ़ सकते हैँ... ये कहकर अंकल हंस पड़े... फिर रश्मि बोली
अंकल आप जल्दी से बाहर चले जाओ तो मै अपने कपड़े धो कर सुखा लूं....
फिर अंकल बोले रश्मि ठण्ड तो मुझे भी लग रही है मुझे भी कपड़े धो कर पहनने हैँ.. तुम अपने कपड़े उतार कर मुझे दे दो और तुम पर्दा लपेट कर बैठ जाओ... रश्मि को शर्म सी आ रही थी फिर अंकल बाहर निकल गए और रश्मि ने अपने कुर्ती और सलवार उतार कर ड्रम के पास डाल दी.. मैंने आज रश्मि को पहली बार नंगा देखा था.. उसकी चूचियाँ ज्यादा बड़ी तो नहीं थी पर कमाल की थीं उसने कच्छी नहीं उतारी और पर्दा ओढ़ कर चारपाई पर लेट गई... फिर उसने अंकल को अंदर आने के लिए आवाज लगाई.
अंकल अंदर आ गए.. रश्मि इस तरह लेटी थी की उसके पैर अंकल तरफ थे रश्मि ने अपना मुँह नहीं ढका था वो अंकल को देख सकती थी
अब उन्होंने अपना कुरता पायजामा उतारा और रश्मि के कपड़ों के साथ उठाकर बाल्टी मै डाल दिया... फिर रश्मि से बोले.. रश्मि तुमने अंदर वाले कपड़े नहीं दिए.....
रश्मि उनके इस सवाल से चौंक गई फिर धीरे से
बोली नहीं अंकल जी मै अंदर सिर्फ कच्छी पहनती हूँ और कुछ नहीं..
फिर अंकल बोले लेकिन इन कपड़ों मै तुम्हारी कच्छी तो है ही नहीं.. अब
रश्मि की आंखे बड़ी हो गईं उसने अंकल की तरफ देखा फिर बोली.. नहीं अंकल मैंने उसे पहन रखा है...
फिर अंकल बोले रश्मि कच्छी भी मुझे दो मे उसे धो देता हूँ.. उस कच्छी पर गंदी कीचड लगी होगी.. और उस कीचड मैं कितनो की पेशाब मिली होगी तुम्हारे नीचे इन्फेक्शन हो जायेगा....
फिर रश्मि बोली नहीं अंकल रहने दो मैं बिलकुल नंगी नहीं होना चाहती...