03-12-2019, 04:02 PM
रश्मि बोली नहीं अंकल मेरी नाभि सही है... इसलिए ही तो डॉक्टर के पास जाना है.... ये बात उसने अपने निचले होंठ को दांतो से हल्का सा
दाबते हुए कही... अंकल ये देखते ही मुस्कुराकर बोले चलो ठीक है..
तुमको ले चलता हूँ अंकल ने स्टोर मे घुसकर अपनी साइकिल निकाली और रश्मि से बोले चलो रश्मि बैठो...
रश्मि और अंकल की आँखों मे कुछ इशारे चल रहे थे.. और मे ये सब जान रहा था पर अनजान बन रहा था.. अंकल ने फिर रश्मि को बैठने को बोला...
अब अंकल की साइकिल मे पीछे वाली सीट नहीं थी... और वो रश्मि को आगे बैठने को बोल रहे थे..
रश्मि अंकल से बोल रही थी अंकल मे आज तक आगे नहीं बैठी हूँ हम गिर पड़ेंगे.... इसलिए पैदल ही चलते हैं.. हम कुछ देर बात चीत भी कर लेंगे और शायद पैदल चलने से पेट मे भी आराम मिल जाए...
अंकल बोले रश्मि आज मे बहुत थक गया हूँ.. और सर्दी जुखाम भी है शरीर भी टूट रहा है पैदल नहीं चला जायेगा... चलो साइकिल से ही चलते हैं..
रश्मि आगे को बढ़ी और अंकल के सामने बैठने लगी..
उसकी लम्बाई ज्यादा नहीं थी 4 फुट 8 या 9 इंच होंगी इसलिए वो साइकिल पर नहीं चढ़ पायी.. उसने 3,,,,, 4 बार कोशिश करी पर नहीं चढ़ पायी.. अब अंकल ने रश्मि की कमर को दोनों हाथों से पकडा
और उसे उठा कर अपने आगे बैठा लिया..
फिर अंकल मुझसे बोले क्लीनिक थोड़ी दूर है.. और वहाँ अभी डॉक्टर होगा की नहीं. ये भी नहीं पता इसलिए थोड़ी देर हो सकती है. तुम दुकान देखते रहना... अब उन्होंने अपना दायां हाथ रश्मि के पेट से छुआ और बोले रश्मि चलें???
रश्मि ने अंकल के चेहरे की ओर देखा ओर चलने के लिए अपनी गर्दन हिला दी......
मुझे दाल मे कुछ काला लग रहा था... मे उनका पीछा करने की सोच रहा था पर कोई साधन नहीं था जिससे मे उनका पीछा
करूँ....
मे मायूस होकर बैठा था ओर सोच रहा था की कहीं इन दोनों की कोई प्लानिंग तो नहीं है...
..
.
..
तभी मेरा दोस्तों अपनी नई साइकिल मुझे दिखाने के लिए लाया..
मैंने उससे बोला यार थोड़ी देर के लिए अपनी साइकिल मुझे दे दे थोड़ा बाजार जाना है जरूरी काम है.. उसने मुझे साइकिल दी ओर बोला सही सलामत वापस करना.. मैंने उसे धन्यवाद किया और घर और दुकान मे
ताला लगा कर चल दिया.....
अब मेरे दिमाग़ मे कई सवाल थे... इतने बड़े बाजार मे मैं उन्हें कैसे ढूढूंगा...
अब वो बाजार ही गए हैँ या कहीं और...
मैं उन्हें कहां देखूँ... बस बुझा हुआ सा चला जा रहा था...
दाबते हुए कही... अंकल ये देखते ही मुस्कुराकर बोले चलो ठीक है..
तुमको ले चलता हूँ अंकल ने स्टोर मे घुसकर अपनी साइकिल निकाली और रश्मि से बोले चलो रश्मि बैठो...
रश्मि और अंकल की आँखों मे कुछ इशारे चल रहे थे.. और मे ये सब जान रहा था पर अनजान बन रहा था.. अंकल ने फिर रश्मि को बैठने को बोला...
अब अंकल की साइकिल मे पीछे वाली सीट नहीं थी... और वो रश्मि को आगे बैठने को बोल रहे थे..
रश्मि अंकल से बोल रही थी अंकल मे आज तक आगे नहीं बैठी हूँ हम गिर पड़ेंगे.... इसलिए पैदल ही चलते हैं.. हम कुछ देर बात चीत भी कर लेंगे और शायद पैदल चलने से पेट मे भी आराम मिल जाए...
अंकल बोले रश्मि आज मे बहुत थक गया हूँ.. और सर्दी जुखाम भी है शरीर भी टूट रहा है पैदल नहीं चला जायेगा... चलो साइकिल से ही चलते हैं..
रश्मि आगे को बढ़ी और अंकल के सामने बैठने लगी..
उसकी लम्बाई ज्यादा नहीं थी 4 फुट 8 या 9 इंच होंगी इसलिए वो साइकिल पर नहीं चढ़ पायी.. उसने 3,,,,, 4 बार कोशिश करी पर नहीं चढ़ पायी.. अब अंकल ने रश्मि की कमर को दोनों हाथों से पकडा
और उसे उठा कर अपने आगे बैठा लिया..
फिर अंकल मुझसे बोले क्लीनिक थोड़ी दूर है.. और वहाँ अभी डॉक्टर होगा की नहीं. ये भी नहीं पता इसलिए थोड़ी देर हो सकती है. तुम दुकान देखते रहना... अब उन्होंने अपना दायां हाथ रश्मि के पेट से छुआ और बोले रश्मि चलें???
रश्मि ने अंकल के चेहरे की ओर देखा ओर चलने के लिए अपनी गर्दन हिला दी......
मुझे दाल मे कुछ काला लग रहा था... मे उनका पीछा करने की सोच रहा था पर कोई साधन नहीं था जिससे मे उनका पीछा
करूँ....
मे मायूस होकर बैठा था ओर सोच रहा था की कहीं इन दोनों की कोई प्लानिंग तो नहीं है...
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तभी मेरा दोस्तों अपनी नई साइकिल मुझे दिखाने के लिए लाया..
मैंने उससे बोला यार थोड़ी देर के लिए अपनी साइकिल मुझे दे दे थोड़ा बाजार जाना है जरूरी काम है.. उसने मुझे साइकिल दी ओर बोला सही सलामत वापस करना.. मैंने उसे धन्यवाद किया और घर और दुकान मे
ताला लगा कर चल दिया.....
अब मेरे दिमाग़ मे कई सवाल थे... इतने बड़े बाजार मे मैं उन्हें कैसे ढूढूंगा...
अब वो बाजार ही गए हैँ या कहीं और...
मैं उन्हें कहां देखूँ... बस बुझा हुआ सा चला जा रहा था...