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कहानीकार
#4
मैं कुल, समग्र, समूचा सत्ताइस बरस का हूँ। मुझे एक का दो दिखाई दे रहा है और दूरदृष्टि की जगह मैं दो दृष्टि के बारे में सोच रहा हूँ। बादल के धुँधलाने जैसा यह वाक्यांश 'कुल समग्र समूचा' शायद मेरे रुझान और मिजाज के एक खास मगर संकोची पक्ष पर रोशनी फेंकता है : कि मैं शब्दों और वाक्यों के साथ खेलने, उन्हें सहलाने ढालने के लिए तैयार रहता हूँ; जिस तरह अध्यात्मी रुद्राक्ष की माला पर उँगलियाँ फिराते हैं।

मतलब, मैं अपने भीतर एक कथाकार होने का बीज या कम से कम उर्वर जमीन देखता हूँ। कि अगर मैं खोदता चलूँ, गहरा और गहरा, एक दिन तनें और लताएँ निकलें और बड़ी हों, और कौन जानता है किसी वक्त एक पंखुरी खिल जाए... एक तितली उड़ती हुई आएगी, खुशबुओं से हवा भारी और घास के तिनगों पर ओस की बूँदें चमक रही होंगी। मेरे दिमाग में यह तस्वीर बनी है : एक कथाकार, एक कहानी के बुन कर, बनने की...।

पर दो दृष्टियाँ क्यों? दो का अवबोधन कहना ज्यादा सटीक है। मैं इस तरह देखता हूँ कि मेरी पीठ पर एक दूसरा 'मैं' बँधा है जिसे मैं ढोता हूँ और जो मेरे खुद का एक संकोची, धुँधला लेखकीय रूपायन है : जो चेहरे, वस्तु और घटनाओं को भेद लेता है और उनका तत्व खींच पाता है (तत्व मुझे बढ़ी हथेली के बीचोबीच इत्र की एक बूँद की तरह दिखाई दे रहा है) जिनसे कहानी का तानाबाना बनता है। इस दृष्टिकोण में, इस प्रकार, हरेक व्यक्ति, वस्तु या घटना की दो असलियतें हैं : एक जो प्रकट यथार्थ है, यानि जिस तरह दुनिया है और खुलती है, और दूसरी जो उनकी कथा कहती है। इस तरह मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि प्रत्येक इनसान और वस्तु अपनी जिंदगी तो जीते ही हैं, वे सदा किसी कहानी का निर्वाह भी करते हैं। इसलिए उतनी ही कथाएँ हैं जितने प्राण, वस्तु और घटनाएँ। और यद्यपि यथार्थ और कथा अविभाज्य है, वे एक चीज नहीं।

आसान समय के लिए दृष्टांत गढ़ने की तरह, मैं खुद को कहता हूँ कि जब मैं अपनी सामान्य जिंदगी जी रहा हूँ, वह जो मेरे कंधे पर आसीन है, इस यथार्थ को उघाड़ कर, अन्वेषित कर उनकी कहानियाँ रच रहा है। इस वजह से बिना किसी पूर्वाग्रह के, मैंने जिंदगी की बनिस्पत कथा को एक उच्चतर दर्जा दे दिया है। इस नियमन में कथा वह अधि यथार्थ है जिसमें आम जीवन बसता है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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कहानीकार - by neerathemall - 03-12-2019, 11:29 AM
RE: कहानीकार - by neerathemall - 03-12-2019, 03:57 PM
RE: कहानीकार - by neerathemall - 03-12-2019, 03:58 PM
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