03-12-2019, 11:11 AM
सुभा – पापा। आप दोनों चुदाई करोगे तो हम दोनों क्या खाली बैठेंगे। मैं भी अपने देवर सुभोजीत के साथ जी भरकर चुदवाऊँगी क्योंकि आप दोनों को देककर मेरी चूत की तड़प जाग उठी है।
कमलदास और अनुपा को सुभा की बात माननी पड़ी क्योंकि इसके अलावा उनके पास कोई चारा नहीं था। अनुपा और कमलदास तो पहले ही नंगे थे अब सुभा और सुभोजीत भी कपड़े उतारकर नंगे हो गए। चुदाई का खेल फिर चालू हो गया। कमलदास के लौड़े को चूसकर अनुपा ने फिर खड़ा कर दिया। कमलदास नीचे लेट गए और अनुपा उनके ऊपर बैठकर उनके लौड़े को अपनी चूत पर सेट करके चुदवाने लगी। इधर सुभा ने भी सुभोजीत के लौड़े को मुँह में भर लिया। सुभोजीत को बहुत मज़ा आने लगा। उसे लगा कि कमलदास ने ठीक ही कहा था। लौड़ा चूसने में भले ही आनंद न आता हो, लेकिन चुसवाने में बहुत मज़ा आता है। सुभोजीत का लंड ५ इंच का था। अभी सुभा ने ठीक से लंड को अन्दर-बाहर करना शुरु ही किया था कि सुभोजीत का पानी निकल गया। सुभा ने सारा पानी चाट लिया।
सुभा ने सुभोजीत को समझाते हुए कहा कि कोई बात नहीं, पहली बार ऐसा होता है, लेकिन अब तुम मेरी चूत को चाट-चाटकर पानी निकालो और उसे पी जाओ। मेरी चूत में बहुत खुजली मची हुई है। सुभोजीत समझ गया और फिर उसने सुभा को लिटाया और चूत में जीभ डालकर चूसने लगा। सुभा तड़प उठी। बहुत दिनों के बाद वह नंगी होकर किसी से चूत चुसवा रही थी।
उधर अनुपा जब ऊपर-नीचे होते हुए थक गई तो कमलदास ने अनुपा को नीचे लिटाया और चूत में धकाधक लंड पेलने लगे। सुभा और सुभोजीत यह दृश्य देखकर और उत्तेजित हो गए। कुछ देर बाद कमलदास ने ज़ोर-ज़ोर के धक्के लगाते हुए सारा माल अनुपा की चूत में डाल दिया। सुभोजीत ने भी चूस-चूसकर सुभा का पानी निकाला और अच्छे बच्चे की तरह उसे चाट-चाटकर पी गया। सुभोजीत का लंड फिर से खड़ा होने लगा था। सुभा ने सुभोजीत के लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। सुभोजीत का लंड फिर तन गया। सुभा को लिटाकर सुभोजीत ने चूत में लंड डाला और धक्के देने लगा।
उसने पहली बार किसी की चूत में लंड डाला था। उसे आज बहुत कुछ सीखने और करने को मिला। वह अपनी सुन्दर और सेक्सी भाभी को चोद रहा था जिसके लिए उसके मन में बहुत सम्मान और प्यार था। साथ ही उसकी मम्मी एक ओर चुदवाकर लेटी पड़ी हुई थी और उनका खेल देख रही थी। कुछ देर में ही सुभोजीत ने सारा माल सुभा की चूत में डाल दिया। इस तरह रात-भर चुदाई चली। सुभोजीत ने सुभा की चूत के साथ ही सुभा की गाँड में भी लंड पेला जिसमें उसे बहुत मज़ा आया। उसके सामने ही उसकी मम्मी कमलदास से चुदवा रही थी। अनुपा और कमलदास ने जिस तरह चुदाई की, उसी अन्दाज़ में सुभोजीत ने सुभा की चुदाई की। पूरी रात सभी ने चुदाई का भरपूर आनन्द लिया
कमलदास और अनुपा को सुभा की बात माननी पड़ी क्योंकि इसके अलावा उनके पास कोई चारा नहीं था। अनुपा और कमलदास तो पहले ही नंगे थे अब सुभा और सुभोजीत भी कपड़े उतारकर नंगे हो गए। चुदाई का खेल फिर चालू हो गया। कमलदास के लौड़े को चूसकर अनुपा ने फिर खड़ा कर दिया। कमलदास नीचे लेट गए और अनुपा उनके ऊपर बैठकर उनके लौड़े को अपनी चूत पर सेट करके चुदवाने लगी। इधर सुभा ने भी सुभोजीत के लौड़े को मुँह में भर लिया। सुभोजीत को बहुत मज़ा आने लगा। उसे लगा कि कमलदास ने ठीक ही कहा था। लौड़ा चूसने में भले ही आनंद न आता हो, लेकिन चुसवाने में बहुत मज़ा आता है। सुभोजीत का लंड ५ इंच का था। अभी सुभा ने ठीक से लंड को अन्दर-बाहर करना शुरु ही किया था कि सुभोजीत का पानी निकल गया। सुभा ने सारा पानी चाट लिया।
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उधर अनुपा जब ऊपर-नीचे होते हुए थक गई तो कमलदास ने अनुपा को नीचे लिटाया और चूत में धकाधक लंड पेलने लगे। सुभा और सुभोजीत यह दृश्य देखकर और उत्तेजित हो गए। कुछ देर बाद कमलदास ने ज़ोर-ज़ोर के धक्के लगाते हुए सारा माल अनुपा की चूत में डाल दिया। सुभोजीत ने भी चूस-चूसकर सुभा का पानी निकाला और अच्छे बच्चे की तरह उसे चाट-चाटकर पी गया। सुभोजीत का लंड फिर से खड़ा होने लगा था। सुभा ने सुभोजीत के लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। सुभोजीत का लंड फिर तन गया। सुभा को लिटाकर सुभोजीत ने चूत में लंड डाला और धक्के देने लगा।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.