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कमलदास और अनुपा की अनोखी चुदास
#4
कमलदास डर गए और गिड़गिड़ाकर अनुपा से बोले- मुझे माफ़ कर दो। आइन्दा मैं कभी ऐसी ग़लती नहीं करूँगा। कृपया मेरी पहली और आख़िरी भूल समझकर मुझे क्षमा कर दो। मैं क़सम खाता हूँ कभी सुभोजीत से अकेले में भी नहीं मिलूँगा। अब मेरी इज्ज़त आपके हाथ में है।

कमलदास को गिड़गिड़ाता हुआ दखकर अनुपा बोली- आपका काम माफ़ करने के लायक नहीं है। ज़रा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।

कमलदास यह सुनकर बुरी तरह चौंककर बोले- आप यह क्या कह रही हैं?

कमलदास को गिड़गिड़ाता हुआ दखकर अनुपा बोली- आपका काम माफ़ करने के लायक नहीं है। ज़रा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।

कमलदास यह सुनकर बुरी तरह चौंककर बोले- आप यह क्या कह रही हैं?

अनुपा- जो सुन रहे हो, वही कह रही हूँ। ज़ल्दी से अपनी अण्डरवियार खोलो और अपना लंड दिखाओ मुझे। मैं भी तो देखूँ कि इतना कितना लम्बा लंड है तुम्हारा कि सुभोजीत उसे देखकर डर गया।

कमलदास किसी तरह सँभले, पर वह यह समझ गए कि अनुपा की चूत में खुज़ली मच गई है वरना वह ऐसा नहीं कहती। अच्छा मौक़ा है इसे चोदने का वर्ना आज नहीं तो फिर कभी यह मेरे हाथ नहीं आएगी।

कमलदास का लंड अनुपा को चोदने के ख्याल से ही फिर खड़ा हो गया। अपनी अण्डरवियार खोली तो लंड फिर से उफान पर था। अनुपा लंबे और मोटे लंड को देखकर खुश हो गई। उसे हाथों में लेकर बोली- वाह समधी जी। आपका लंड तो अच्छा-ख़ासा लम्बा और मोटा है। अब आपकी असली मेज़बानी का समय है।

कमलदास फिर से रंग में आ गए और बोले- कसर तो मैं भी कुछ नहीं रखूँगा। आपको वह मज़ा दूँगा कि आप अपने पति को भूल जाएँगीं।

कमलदास ने अनुपा को अपनी बाँहों में भींच लिया। अनुपा भी कमलदास से इस तरह चिपकी जैसे बरसों से उनके चिपकने का इन्तज़ार था। कमलदास ने अनुपा के होंठों को अपने होंठों से लगा लिया और उस लॉलीपॉप की तरह चूसने लगे। अनुपा भी पूरी तरह उनका साथ दे रही थी। दोनों एक-दूसरे की जीभ से खेल रहे थे। बहुत देर तक दोनों एक-दूसरे को चूसते रहे। कमलदास ने अनुपा का साड़ी खोल दी और उनके मोटे और बड़े उरोज़ों को मसलकर दबाने लगे। अनुपा की आह निकलने लगी। कमलदास ने फटाफट ब्लाउज़ खोला, उसके साथ ही लहंगे का नाड़ा भी खोल दिया। अनुपा अब उनके सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी।

कमलदास- हाय मेरी जान ! तुम्हारा बदन तो क़यामत ढा रहा है। कहाँ थी तुम इतने दिनों तक? तुम्हें पाकर तो मुझे नशा सा छा रहा है।

अनुपा- अरे मेरे सनम। मुझे क्या मालूम था तुम मेरे लिए इतने बेचैन हो? वर्ना कब की अपनी चूत तुम्हें खिला देती। आज मुझे अपने लौड़े का स्वाद चखा दो जानेमन। तुम्हारे समधी का तो अब ठीक से खड़ा भी नहीं होता।

कमलदास- अरी छिनाल तो मुझे तो याद किया होता। तुम्हारी चूत को ऐसा खाऊँगा कि सातों जन्म तक मेरा ही लौड़ा याद आएगा।

अनुपा नीचे झुकी और कमलदास का लौड़ा अपने मुँह में भरकर चूसने लगी। कमलदास पर मस्त नशा छाने लगा। कहाँ तो वो चोदने को तरस रहे थे और आज वो मौक़ा ख़ुद ही चलकर आ गया। अनुपा तब तक लंड चूसती रही जबतक कि सारा वीर्य उनके मुँह में नहीं चला गया। पूरा वीर्य और झाँटों के बाल चाटने के बाद अनुपा भी एकदम गरम हो गई थी।

अनुपा- वाह रे मादरचोद ! तेरा पानी तो अमृत जैसा है। मैं तो पीकर धन्य हो गई।

कमलदास- तेरे जैसी काम की देवी ने इसे अमृत बना दिया है रंडी। चल नीचे लेट जा, अब मैं तेरी चूत को चाट-चाटकर तेरा पानी निकाल दूँगा।

यह कहकर कमलदास ने अनुपा को नीचे लिटाया और पैन्टी खोल दी। अनुपा की मस्त चूत देखकर उनके मुँह में पानी आ गया। आज भी उसकी चूत गुलाबी थी और हल्के से बाल छाए हुए थे। कमलदास ने देर नहीं की और झट अनुपा की चूत में मुँह घुसेड़ दिया। अपनी जीभ से चूत के चारों ओर चाट-चाटकर गीला कर दिया फिर चूत के छेद में जीभ डाल-डालकर अनुपा को ज़न्नत का अहसास देने लगे। अनुपा भी चूत पर प्यारा सा स्पर्श पाकर सिहरने लगी। दो मिनट में ही कमलदास ने चूस-चूसकर चूत का पानी निकाल दिया और सारा पानी चाट गए।

अनुपा – मेरे सैंया, अब देर न करो। जल्दी से अपना लौ़ड़ा मेरी चूत में डाल दो।

कमलदास – हाँ… हाँ क्यों नहीं मेरी रानी। चल जल्दी से मेरे लौड़े को चूस कर गीला कर दे। पर मैं तेरी गाँड की बहन चोदूंगा फिर उसके बाद तेरी चूत की माँ चोदूँगा।

अनुपा- ओय होय हरामी। तुझे भी चूत की सौतन गाँड ज़्यादा पसन्द आई है। तुम सारे मर्द साले हरामी होते हैं। सौतन को पहले चोदते हैं, बाद में अपनी घरवाली को।

कमलदास- चल गंडमरी, अब देर मत कर। मेरा लौड़ा चूसकर गीला कर दे, वर्ना तेरी गाँड की ऐसी बहन चुदेगी कि तू खड़ी भी नहीं हो पाएगी।

अनुपा ने फिर से कमलदास के लौड़े को मुँह में भर लिया और चूस-चूसकर अच्छा-ख़ासा गीला कर दिया। कमलदास ने अनुपा को कुतिया बनाया और लंड का एक भरपूर धक्का गाँड की छेद पर दिया। अनुपा चीख पड़ी।

अनुपा- अरे हरामी मादरचोद। गाँड की माँ चोद दी तूने। भोसड़ी के धीरे-धीरे कर।

कमलदास धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगे। थोड़ी देर बाद उन्होंने अपनी गति तेज़ कर दी और धकाधक धक्के मारने लगे। अनुपा को अब मज़ा आने लगा और वह और तेज़ चोदो, और तेज़ चोदो कहने लगी। पाँच मिनट तक कमलदास ने अनुपा की गाँड मारी और फिर कुछ तेज़ धक्के मार-मारकर सारा वीर्य अनुपा की गाँड में डाल दिया। अनुपा की गाँड गरम वीर्य से भर गई। दोनों कुछ देर के लिए ज़मीन पर लेट गए।

कमलदास- क्यों मेरी जान। मज़ा आया कि नहीं चुदाई में?

अनुपा- इससे पहले इतना मज़ा कभी नहीं आया मेरे सनम। आज तो तुमने मेरी गाँड फाड़कर रख दी है।

कमलदास अनुपा के ऊपर आ गए। दोनों के गरम बदन एक-दूसरे से टकराने लगे। कमलदास ने चुम्बनों की बौछार कर दी। पूरे चेहरे पर अपनी जीभ फिरा-फिराकर अनुपा के मुँह को गीला कर दिया और अपनी जीभ अनुपा के मुँह में डाल दी। अनुपा मज़े ले-लेकर उसे चूसने लगी।

अनुपा ने लंड को चूसकर फिर खड़ा कर दिया। कमलदास ने लंड के सुपाड़े को चूत पर रखा और चोदने लगे। अनुपा ने दोनों हाथों से कमलदास को जकड़ लिया और टाँगों में फाँस लिया। दोनों इस समय एक जिस्म-एक जान नज़र आ रहे थे। आनंदीनाल ने बहुत देर तक अनुपा को चोदा और सारा माल उसकी चूत में डाल दिया।

कमलदास- मेरी गंडमरी रानी। तुझे चोदकर तो वो मज़ा आया है जो मेरी पत्नी को चोदने के बाद भी नहीं आया था। मेरा बस चले तो तुझे यहीं मेरे साथ रख लूँ।

अनुपा- तूने भी मज़े, बहुत मज़े से मुझे चोदा है। मैं तो बस तेरी होकर रह गई हूँ। जाने की इच्छा तो नहीं हो रही है, पर मुझे जाना होगा। सुभोजीत इन्तज़ार कर रहा होगा। पता नहीं वो सोया भी कि नहीं। और रात भी बहुत हो गई है।

कमलदास- ठीक है। कल मिलते हैं। पर सुभोजीत को समझा देना कि वह इस सम्बन्ध में किसी से कुछ कहे नहीं। बहुत भोला और सीधा लड़का है।

अनुपा- तुम चिन्ता मत करो। मैं उसे समझा दूँगी। वह किसी से नहीं कहेगा।

अनुपा ने अपने कपड़े पहने और अपने कमरे में चली गई। कमलदास आज ख़ुद को बहुत खुशकिस्मत समझ रहे थे क्योंकि आज वे अपने ख़्वाबों को हक़ीकत में बदल चुके थे। उन्हें बहुत अच्छी नींद लगी थी।

इधर अनुपा जब अपने कमरे में पहुँची तो सुभोजीत जाग रहा था। सुभोजीत ने गुस्सा ज़ाहिर करते हुए कहा कि तुम इतनी देर से वहाँ क्या कर रही थी? मैं कब से इन्तज़ार कर रहा हूँ?

अनुपा ने उसे समझाते हुए कहा कि बेटा उन्हें समझाना बहुत ज़रूरी था। अब वे समझ गए हैं और आइन्दा ऐसी हरक़त नहीं करेंगे। तुम भी यह बात किसी से कहना नहीं और उनसे ज़्यादा बात मत करना। चलो अब सो जाओ।

अनुपा ख़ूब चुदा-चुदाकर थकी हुई थी इसलिए उसे भी बिस्तर पर पड़ते ही नींद आ गई, लेकिन सुभोजीत को कुछ-न-कुछ गड़बड़ लग रही थी। आख़िरकार वह भी सो गया।

अगले दिन अनुपा और कमलदास डाईनिंग-टेबल पर खाना खाते-खाते बहुत हँसी-मज़ाक कर रहे थे। सुभोजीत यह देखकर हैरान था क्योंकि उसे लगा था कि आज मम्मी उनसे बात नहीं करेगी, लेकिन यहाँ तो उल्टा और हँसी-मज़ाक कर रही है। सुभोजीते ने सारा दिन किसी तरह निकाला। रात को वह सोने का नाटक करने लगा। अनुपा को लगा कि वह सो गया है तो वह उठी और आनंदीनाल के कमरे में पहुँच गई।

सुभोजीत भी अनुपा के जाती ही पीछे-पीछे चलने लगा। अनुपा ने जाते ही कमलदास को बाँहों में भर लिया और जी भरकरक उनके होंठों का रस पिया। सुभोजीत दरवाज़े के की-होल से यह देखकर बुरी तरह चौंक गया। इधर अनुपा इस बात से बेख़बर कमलदास से चिपकी हुई थी। अनुपा ने पहले कमलदास को नंगा किया और फिर ख़ुद नंगी हो गई। आज पहली बार सुभोजीत अपनी मम्मी को नंगी देख रहा था। उसकी मम्मी उछल-उछल कर कमलदास से चुदवा रही थी। उसे अपनी मम्मी से नफ़रत होने लगी। वह सोच भी नहीं सकता था कि सबको अपने गुस्से से डराकर रखने वाली इतना नीचे गिर सकती है।

कमलदास और अनुपा की चुदाई का खेल देखकर उसके रोंगटे खड़े हो गए और उसके हाथ-पाँव काँपने लगे। वह कमरे के बाहर खड़ा हुआ काँप रहा था कि सामने से उसकी भाभी सुभा आ खड़ी हुई। सुभा उसे देखकर हैरान हुई कि वह यहाँ क्यों खड़ा है और इतना काँप क्यों रहा है?

सुभोजीत ने सारी बात बता दी। सुभा भी अनुपा और कमलदास की चुदाई देखकर दंग रह गई। उन दोनों को चुदाई करते देख पहले तो सुभा को बहुत गुस्सा आया पर उसे भी चुदाई की प्यास सताने लगी।

सुभा की चूत की तड़प बढ़ गई। वह भी चुदवाना चाहती थी। उसे लगा कि सुभोजीत छोटा ही सही, पर उसे चोदकर अभी उसकी चूत की तड़प तो दूर कर ही सकता है। उसने कुछ सोचा और सुभोजीत को बताया। सुभोजीत पहले तो घबराया पर सुभा की वज़ह से हिम्मत आ गई।

सुभा और सुभोजीत दोनों दरवाज़ा खोलकर अन्दर आ गए, जहाँ अनुपा और कमलदास चुदाई में मगर हो रहे थे। सुभा और सुभोजीत को देखकर दोनों हक्के-बक्के रह गए। उनके मुँह से आवाज़ भी नहीं निकली। अनुपा कमलदास से अलग हो गई। अनुपा अपने बेटे के सामने नंगी थी तो कमलदास आज अपनी बेटी के सामने नंगे खड़े थे। दोनों को अपनी इस स्थिति पर बड़ी ग्लानि हो रही थी।

सुभा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा – तो रात में यह काम होता है। पर आप बिल्कुल डरिए मत। मैं और सुभोजीत इसमें कोई रुकावट नहीं बनेंगे।

कमलदास बोले- हमें माफ कर दो बेटी। इस उम्र में हमें यह नहीं करना चाहिए था लेकिन हम दोनों इतने अकेले थे कि अपने आपको रोक नहीं सके।

सुभा- कोई बात नहीं पापा। हमें आपसे कोई शिकायत नहीं और ना ही मेरी सास से है। आप दोनों को पूरा हक़ है अपने अरमानों को पूरा करने का।

अनुपा – क्या तुम सच कह रही हो सुभा? तुम्हें हमसे कोई शिकायत नहीं है?

सुभा – नहीं मम्मी। हमे आपसे कोई शिकायत नहीं है। लेकिन हमारी एक शर्त है, उसके बाद ही हम आपको माफ़ करेंगे।

अनुपा – हम तुम्हार हर शर्त मानने को तैयार हैं सुभा।

सुभा – आप दोनों फिर एक-दूसरे की चुदाई करो। मैं और सुभोजीत आपका साथ देंगे।

कमलदास – तुम कहना क्या चाहती हो सुभा? तुम दोनों भला हमारा कैसे साथ दोगी?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: कमलदास और अनुपा की अनोखी चुदास - by neerathemall - 03-12-2019, 11:11 AM



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