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Incest निर्जन टापू पर
#8
वास्तव में ,इन तीन वर्षो की आयु बढ ने के स्थान पर शायद कम हुई थी।
सतत फलों और मछलियों के आहार से तथा दिन भर के कई मील के आवागमन से उसके बदन का छरहरापन वापस लौट आया था और अंग -अंग में कसाव झलकता था। शरीर पर विद्यमान वस्त्रों का क्षरण कब का हो चुका था अब तो टापू पर उगने वाली रेशेदार वनस्पति लज्जा ढकने के उपाय मात्र थे।

पुत्र यद्यपि वयस्क हो चुका था। प्रायः वे तरह तरह के खेल खेला करते थे। तीसरे वर्ष उसने महसूस किया की अब वह उसके शरीर को दूसरी नजर से से देखा करता था और उसके शरीर के अंगो की तारीफ भी करता था । उसकी परखी नजरो ने उसकी नजरो के बदलाव को ताड़ लिया था। उसकी नजरे उसके वक्षस्थल और कदली साम्भ सी जंघाओ का प्रायः अनुसरण करता पाती थी और बात बदल कर उसका ध्यान हटाने का प्रयास करती थी।

अपने ही पुत्र के इस तरह के देखने से उसके भी बदन में झुनझुनी उठने लगती थी ,पर वह स्वयं को भी सयंत करने का भरसक प्रयास करती थी। साथ में पुरुष के होने का अहसास उसके तन बदन में रोमांच और सनसनाहट से अभिसिक्त कर देता थायद्यपि वह उसका ही जाया था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: निर्जन टापू पर - by neerathemall - 02-12-2019, 04:22 PM



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