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Adultery रीमा की दबी वासना
औरत के जिस्म की यही खास बात है, वो बार बार झड़कर भी अनगिनत बार तक वासना में नहा कर अपनी जवानी की प्यास बुझाती रह सकती है | वो लगातार झड़ते हुए भी जवानी का मजा लूट सकती है | मर्द को ये सहूलियत नहीं मिली प्रक्रति से | वो एक बार झड गया तो उसे कुछ देर थमना ही होगा |  जितेश को भी काफी देर हो गई थी रीमा के जिस्म से खेलते हुए उसकी चूत को चाटते हुए |  अब जितेश से रहा नहीं जा रहा था तो जितेश ने  अपने हाथ में ढेर सारी लार उड़ेली और अपने तने हुए गरम  लंड पर मसल दी | वह अब रीमा को चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार था | रीमा भी चुदने के लिए पूरी तरह तैयार थी या नहीं ये जानना भी जरुरी था |

कमरे में उठ रही गरम सांसो और तेज धडकनों की ख़ामोशी को तोड़ते हुए जितेश बोला - अब आगे क्या ? 
रीमा उसकी तरफ देखने लगी, वो दो बार झड़ने से पूरी तरह मस्त थी ऊपर से जितेश ने फिर से उसके जिस्म में हवस का सूरूर भर दिया था | उसी मादकता और मस्ती में जितेश से अठखेलियाँ करती हुई बोली - अब क्या, मतलब क्या ?
जितेश अपने लार से सने लंड को मसलता हुआ बोला  - मतलब आगे का क्या प्लान है | 
रीमा भी अपने स्तनों को मसलते हुए - अब तो बस सोना है | 
जितेश अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए - हम तो सो जायेगे और ये महाशय तो रात भर जागते रहेंगे | 
रीमा - अब एक बार सुला तो दिया था |
जितेश - इन्होने कुछ ऐसा देख लिया है कि लेकिन इनको नीद नहीं आ रही |
रीमा - ऐसा क्या देख लिया |
जितेश - मखमली गुलाबी पनाहगाह |
रीमा - तो मै क्या करू, सुला दो जाकर उस पनाहगाह में |
जितेश - उसकी चाभी तो आपके पास है मल्लिकाए हुस्न |
रीमा - ये तो ज्यातती है, नीद इन महाशय को नहीं आ रही और सुलाऊ मै |
जितेश - जगाया भी तो आपने ही है |
रीमा - झूठ मत बोलो, मैंने किसी को नहीं जगाया | अपने आप ही जग रहे है मुझे देखकर |
जितेश - कितनी उम्मीद से तुमारी तरफ देख रहा है, मना मत करना बेचारे का दिल टूट जायेगा | 
इतना कहकर जितेश ने अपना लंड रीमा के हाथ में थमा दिया | रीमा का हाथ अपने आप ही उस पर फिसलने लगा | रीमा को भी अहसास था की बिना मुसल लंड घोटे उसके अन्दर की भी प्यास पूरी तरह नहीं बुझेगी | लाख जतन अपना लो लेकिन असली प्यास तभी बुझती है जब लंड चूत को चीरता हुआ अन्दर तक जाता है | रीमा ने उसके लंड को मसलते हुए नीचे पीठ के बल बिस्तर पर लेट गयी और  अपनी दोनों जांघे सिकोड़कर फैला दी | 

रीमा ने दोनों हाथो की एक एक उंगली लगाकर अपनी चूत के ओंठो को हल्का सा फैला दिया और जितेश 

के सामने एक अप्सरा की चूत थी | रीमा ने अपनी चूत को थोडा और फैलाया और उस गुलाबी सुरंग के मुहाने के सीधे दर्शन करा दिए  जितेश का लंड कुछ देर में जिस पनाहगाह में आराम फरमाएगा | 


[Image: 010.jpg]

 रीमा की गुलाबी चूत देखकर जितेश का लंड जोर जोर से झटके मराने लगा | उसके लंड को भी शायद ये अहसास हो गया था की वो इस मखमली गुलाबी सुरंग की सैर करने वाला है | क्या चूत थी, गोरी चिकनी गीली  बिल्कुल किसी स्वर्ग की अप्सरा जैसी गुलाबी चूत ...............उसके पतले पतले खुले हुए ओंठ  और कसकर पूरी तरह से बंद उसकी चूत की  गुलाबी सूरंग का मुहाना | 

जितेश भी तो वासना से भरा हुआ था सिर्फ चूत देखकर ही उसका भला कहाँ होने वाला था | अब तक तो बस चूत देखि ही थी उसका अहसास करने का वक्त आ गया था | रीमा की गुलाबी चूत में अन्दर तक घुसने और उस स्वर्ग जैसी अनुभूति को दिलो दिमाग में उतारने का अहसास ही कुछ अलग होगा | उसकी कोमल मखमली चूत का सपर्श ही कितना सुखद होगा ............आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह् | जितेश का तो रीमा की चूत चोदने से पहले ही बुरा हाल हो गया था | इस समय उसके दिल और दिमाग में बस रीमा रीमा और रीमा की गुलाबी घुसी हुई थी | लेकिन इस स्वप्न लोक में घुमने से कहाँ काम चलने वाला था | उसे हकीकत में लौटकर उसे जीना भी तो था | 


 जितेश झुकता हुआ पूरी तरह से रीमा के नाजुक गुलाबी बदन के ऊपर आकर छा गया था |  रीमा जांघे फैलाये नीचे बिस्तर पर लेटी हुई थी उसकी जांघें उठी हुई थी |  जितेश पूरी तरह से रीमा के ऊपर था | उसने अपने एक हाथ से अपने लंड को रीमा की गुलाबी चूत के मुहाने से सटाया | रीमा ने भी खुद को पूरी तरह से उसके मुसल लंड के लिए तैयार कर लिया था |  फिर रीमा जितेश  को बांहों में भरते हुए अपने हाथों हाथ उसकी पीठ पर जमा दिए | रीमा भी जानती थी जितेश का लंड बहुत मोटा और तगड़ा है उसकी चीख ही निकल जाएगी इसीलिए उसने भी अपने आप को तैयार कर लिया था |  उसने अपने पैरो का क्रॉस बनाते हुए उसे जितेश की कमर पर चिपका दिया |  रीमा जानती थी जितेश का लंड उसकी चूत को चीर के रख देगा इसीलिए वह उसको भी बर्दाश्त करने के लिए पूरी तरह तैयार थी | आज तक रीमा सिर्फ रोहित और अपने पति के लंड से चुदी थी | उसकी चूत में कोई तीसरा लंड आज तक गया नहीं था | पता नहीं कौन सा नशा था जितेश के व्यक्तित्व में रीमा उसके जाल में फंस कर रह गयी | उसने जितेश के लिए अपने सारे मानसिक बन्धनों को, खुद से लिए गए वादों को किनारे रख दिया | जिस चूत को वो दुनिया भर से सहेज कर रखना चाहती थी और रोहित के अलावा शायद किसी को सौपने को राजी नहीं था फिर ऐसा क्या हुआ आज रीमा एक अनजान अजनबी के आगे अपनी जांघे फैलाये लेती है | उसके लंड से चुदने को बेताब है | उसके लंड को अपनी चूत में लेने को बेताब है | शायद जितेश के बलिष्ठ शरीर और मुसल लंड को देखकर रीमा बहक गयी है या फिर ये उसकी ही लालसा थी जिसका उसे खुद पता नहीं था | रीमा की फैली जांघो में जितेश समां चूका था, अब बस लंड के चूत में घुसने की देर रह गयी थी | एक अनजाना लंड रीमा की चूत को चीर के रख देगा, फाड़ कर रख देगा | उसकी मखमली गुलाबी सुरंग में अन्दर तक जाकर धंस जायेगा | लगातार ठोकरे मरेगा, दे दनादन ठोकरे मरेगा | सटासट उसका मुसल लंड उसकी मखमली चूत की संकरी सुरंग को चीरता हुआ उसके अनगिनत फेरे लगाएगा और तब तक उसे चीर चीर कर फैलाता रहेगा जब तक पूरा का पूरा उसके अन्दर तक धंस न जाये | फिर शुरू होगा सरपट अन्धी सुरंग में रेस लगाने का सिलसिला और ये चुदाई और ठुकाई तब तक नहीं रुकेगी जब तक उस मुसल लंड से उसके सफ़ेद लावे की लपटे न निकलने लगे | तब तक रीमा उस फौजी की बलिष्ट बांहों  बांहों में उसी के भरोसे झूलती रहेगी | वो रीमा को हचक हचक के छोड़ेगा, ठोकरे मरेगा, मसलेगा, कुचलेगा, उसकी कमर पर झटके मार मार कर उसे बेहाल कर देगा | उसकी गिरफ्त में वो तड़पती मछली की तरफ फडफडाती रहेगी | आखिर क्यों वो एक अनजान मर्द के हाथो अपना सबकुछ लुटाने को तैयार है | आखिर उसकी गुलाबी चूत सुरंग के अंतर की गहराई में उतरने के बाद उसके मन का कौन सा कोना बचेगा जिसे वो अनछुआ कह सकेगी | जब उसका लंड उसकी सुरंग के अंतर के अंतिम छोर तक का सफ़र तय कर लेगा, फिर उसका अपना क्या रह जायेगा, किस बात पर वो गर्व कर पायेगी | किस बात को लेकर वो शीशे में अपनी आँखों में आंखे मिला पायेगी | उसका वजूद ही क्या रह जायेगा | क्या उसका वजूद बस एक गुलाबी चूत सुरंग भर का है, क्या उसका वजूद बस मर्द की जांघ के नीचे लेती औरत भर का है | क्या इस तरह से चुदना ही उसकी नियति है, क्या औरत की बस यही नियति है | जितेश का लंड घोटने के बाद रोहित को क्या मुहँ दिखाउंगी, आखिर क्यों प्रियम के गिडगिडाने के बाद भी उसे अपनी चूत नहीं चोदने दी | आखिर फिर जग्गू को क्यों मना किया | प्रियम जग्गू या बाकि मर्दों से जितेश में क्या अलग है | सबके पास लंड है और सभी मुझे चोदना चाहते थे | जैसे जितेश का लंड अभी मेरी चूत में जायेगा वैसे ही  बाकि सबका लंड भी तो मेरी चूत जाता फिर मैंने उन्हें क्यों मना किया | आखिर ये दोगलापन नहीं है तो क्या है | जितेश में ऐसा क्या है जो प्रियम राजू या जग्गू में नहीं था | उसका बाप भी मुझे चोदना चाहता था आखिर जितेश जैसे ही पराये तो थे | फिर जितेश को अपने जिस्म की सबसे अनमोल धरोहर क्यों लूटने दे रही हूँ | नहीं मेरी चूत बहुत खास है इस पर रोहित जैसे मेरे अपने का ही हक़ है | 

जितेश ने अपने तने लंड को पकड़ कर उस पर हाथ  दो-चार बार आगे पीछे किया और उसकी खाल को खींचकर पीछे कर दिया था | जितेश ने अपने लंड से रीमा की चूत की दरार और दाने पर दो चार बार रगडा, जिससे रीमा की चूत के ओंठ दोनों तरफ को फ़ैल गए | फिर जितेश ने अपने लंड के  फूले लाल सुपाडे को रीमा की चूत के गुलाबी ओंठो के बीच सटा दिया | रीमा सिसक उठी | एक अनजान मर्द का मोटा लंड उसके जिस्म के सबसे नाजुक हिस्से को चीरने जा रहा था | नहीं ये कैसे हो सकता है |  

[Image: 15727_havepussyp.jpg]


जितेश के तने लंड के सुपाडे का अगला सिरा रीमा की गुलाबी गरम चूत की नरम ओंठो को बस छुआ ही था कि तब तक रीमा प्रतिरोध करके जितेश को पीछे ठेलने लगी | जितेश को कुछ समझ नहीं आया, कहाँ वो रीमा की चूत पर लंड सटाकर उसे चोदने का अरमान पूरा करने जा रहा था यहाँ रीमा ने पूरा जोर लगाकर उसे पीछे धकेल दिया - नहीं ये नहीं हो सकता | 
रीमा के इस बर्ताव से हैरान सा जितेश - क्या नहीं हो सकता | 
रीमा वासना के नशे में उलझन से भरी हुई - मै तुम्हे ये नहीं करने दे सकती |
जितेश झुन्झुलाता हुआ - क्या नहीं करने दे सकती क्या नहीं हो सकता ?
रीमा - नहीं जितेश ये सही नहीं है |
जितेश - क्या हुआ कुछ बोलोगी भी, अभी तो ख़ुशी खुसी जांघे फैलाकर लेट गयी थी |
रीमा - मै आवेश में बह गयी थी लेकिन ये गलत है |
जितेश - क्या गलत है कुछ खुलकर बताओगी |
रीमा - तुम मुझे नहीं चोद सकते |
जितेश झुंझलाता हुआ - ठीक है नहीं चोदुंगा  तुम्हे लेकिन हुआ क्या ये तो बता दो , आखिर मेरी गलती क्या है ?
रीमा - तुम्हे अहसास है चूत औरत के जिंदगी का कितना अहम् हिस्सा होती है | चूत की औरत की जिंदगी के क्या कीमत है | उसकी चूत से उसका पूरा अस्तित्व इज्जत भविष्य पूरी जिंदगी जुडी होती है | 
जितेश - हाँ इतना जानता हूँ मै |
रीमा - तो तुम्हे ये भी मालूम होगा, जब औरत अपना जिस्म किसी को सौपती है तो कितना भरोसा करती होगी |
जितेश - आगे बोलो |
रीमा - मेरी जिंदगी की सबसे खास चीज मै तुम्हे नहीं लुटने दे सकती |  ये चूत ही तो है जिसके कारन सर उठाकर सम्मान से जीती हूँ | वो तुम लूट लोगे फिर मेरे पास क्या रह जायेगा गर्व करने के लिए | 
जितेश - मतलब ?
रीमा - हर औरत का गहना होती है ये चूत | इस गहने को औरत तभी उतारती है जब कोई उसकी जिंदगी का गहना बनने को तैयार हो जाये | जब औरत चुदती है तो उसका चाहने वाला या उसका पति उसका गहना बन जाता है | जिस पर वह गर्व करती है फूली नहीं समाती | कम से कम मन में संतोष तो रहता है उसकी चूत न सही उसको लूटने वाला तो उस पर जान छिडकता है | जिसको उसने अपना जिस्म सौपा है वो हर पल उसका साया बनकर उसके साथ रहेगा | उसकी अपनी से ज्यादा चाहेगा और उसके सुख के लिए खुद सारे दुःख उठाएगा | 
जितेश चूत रहा और रीमा की बात को समझने की कोशिश करने लगा | 
रीमा - खामोश क्यों हो, न तो तुम मेरे आशिक हो , न चाहने वाले हो, मुझे चोदकर मेरा सब कुछ लूट लोगे बदले में मुझे क्या मिलेगा, तुमारे महाशय की पिचकारी का जूस | 
जितेश को अभी भी समझ नहीं आय लेकिन ख़ामोशी गलत दिशा में जा सकटी थी - क्या चाहती हो ये भी बता दो | 
रीमा - मै कोई रंडी नहीं हूँ, न मै छिनार हूँ जो हर जगह मुहँ काला करवाती फिरू | मै माडर्न हूँ लेकिन इतनी भी नहीं की कही भी किसी से चुदवाती फिरू |
जितेश - फिर वो गार्ड के साथ वाला किस्सा |
रीमा - क्या करती मै, सड़ती रहती सूर्यदेव के चंगुल में | वैसे भी उसने पीछे लंड घुसेड़ा था | 
जितेश - वो तो अब समझ में आया पीछे करवाने में प्रॉब्लम नहीं है, चूत चुदवाने में ईगो हर्ट हो रहा है, तुमारी ऐसी की तैसी |
इतना कहकर वो रीमा की तरफ लपका और झपट्टा मार कर रीमा को बाहों में जकड लिया | 
रीमा उसकी सख्त मजबूत बांहों में कसमसाने लगी - छोड़ो मुझे |
जितेश - छोड़ो नहीं चोदो मुझे कहना चाहिए |
रीमा - नहीं जितेश तुम ऐसा नहीं कर सकते |
जितेश - इस समय तुम मेरे रहमोकरम पर हो और मै कुछ भी कर सकता हूँ |
रीमा उसके चंगुल से खुद को छुड़ाती हुई - तुम मेरा रेप करोगे | 
जितेश भी उसे सख्ती से जकड़ते हुए - अगर नहीं मानी तो सख्ती तो करनी पड़ेगी न | 
रीमा - तुम तो बेहद शरीफ इंसान हो तुम ऐसा कैसे कर सकते हो |
जितेश - जब शरीफ इंसानों का लंड खड़ा होता है तो उनकी शराफत भी लंड पर आ जाती है | 
रीमा - नहीं प्लीज ऐसा मत करो |
जितेश ने रीमा को बेड पर पटक दिया और उस पर आकर छा गया | उसके इक हाथ से रीमा के दोनों हाथ पकड़कर ऊपर की तरफ कर दिए | फिर अपनी टांगे फंसा कर उसकी टांगे फ़ैलाने | 
रीमा जितेश से मिन्नतें करने लगी - जितेश प्लीज ऐसा मत करो | 
रीमा के दिल में सच में दहशत भरने लगी, उसे लगने लगा था अब जितेश उसको चोदकर ही मानेगा | 
जितेश - ये तो अपने चूतड़ और चूत दिखाने से पहले सोचना चाहिये था | बहुत सब्र कर लिया है अब और नहीं रुका जाता | 
इतना कहकर वो रीमा के चूत पर अपना लंड सटाने के लिए हाथ नीचे ले गया | 
रीमा हताश स्वर में बोली - तुम भी दूसरे मर्दों जैसे ही निकले, पिचले कुछ दिनों में जहाँ इतना सहा है ये भी सही | 
रीमा के एकदम से हथियार डालते ही जितेश की आक्रामकता ग्लानी में बदल गयी | क्या करे क्या न करे उसे समझ नहीं आया | अभी तो चुदने के लिए राजी थी, जांघे फैलाये मेरे लंड की राह देख रही थी फिर अचानक ऐसा क्या हो गया चुदवाने से इंकार करने लगी | मजा क्या मै अकेला लूटूँगा | फिर प्रतिरोध के बाद अचानक से सरेंडर | उफफ्फ्फ्फ़ औरत को समझ पाना बहुत मुश्किल है | 
जितेश - क्या चाहती हो मैडम ? लंड अकड़कर पत्थर की तरह ठोस हो गया  चोदने की ठरक दिलो दिमाग को पागल बनाये दे रही है  और आप कभी हाँ कभी न वाली नौटंकी लगाये बैठे हो | 
रीमा - जो करना हो कर लो मै कुछ नहीं कन्हूंगी |
जितेश - मैडम मै एक फौजी हूँ लोगो के जान लेता हूँ, जरुरत पड़े तो जान दे भी सकता हूँ | अब इससे ज्यादा मै आपके लिए कुछ नहीं कर सकता | आपको जबदस्ती नहीं चोदुंगा ये मेरे वसूलो के खिलाफ है | लेकिन फिर कह रहा हूँ आपके लिए जान जोखिम में डाली है और जरुरत पर तो जान की बाजी लगा दूंगा, लेकिन आप पर आंच नहीं आने दूंगा | 
इतना कहकर जितेश उठने जा रहा था की रीमा के अपनी जांघो का क्रास उसके चुताड़ो और कमर के इर्द गिर्द जमा दिया | अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर जमा दिए - वादा करो जब तक हमारा साथ है बस मुझे ही प्यार करोगे और मुझे ही चोदोगे | ये चूत का सफ़र मेरे पति के अलावा बस एक बहुत ही खास आदमी ने किया है | तुम्हें उस खासियत को बरक़रार रखना होगा | तुम बस मेरे रहोगे, खास सबसे खासमखास | वादा करो |
जितेश - बस इतनी सी बात है |
रीमा भवुक होते हुए - तुमारे लिए इतनी सी बात होगी, मेरे जिस्म की गुलाबी गहराई के अंतरों का सफ़र तय करोगे लेकिन क्या फायदा जब औरत के मन को न छु पाए | चुदाई तो लोग रंडी के साथ भी कर लेते, उसके लिए बस एक चूत चाहिए | लेकिन जहाँ रिश्ता होता है वहां जिस्म से पहले मन को छूना पड़ता है |  तुमारे चोदने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा अगर तुम मेरे मन की गहराई में न उतर पाए | तुमारा लंड मेरी चूत की गुलाबी सुरंग की कितनी गहराई नाप पाता है, कितनी तेज ठोकर मारता है, कितनी बार मेरी चूत का झरना बहाता, ये सब मेरे लिए बेमानी हो जायेगा | 
जितेश भी गंभीर हो गया - तुम बहुत भावुक हो और नाजुक भी, मुझे पहले दिन ही इस बात का अहसास हो गया था | मुझे नहीं पता था तुम इतनी गहराई तक सोचती हो और इतनी गंभीरता से सोचती ही | मै पूरा ख़याल रखूँगा की मेरी ये कांच की गुड़ियाँ को अब खरोच भी न आये , न उसके जिस्म पर न उसके मन पर |
रीमा - मै चुदना चाहती हूँ लेकिन सिर्फ जिस्म से नहीं, मै चाहती हो जब हमारे जिस्म मिले, तुम मेरे अन्दर तक जावो तो हमारे मन भी एक दूसरे में घुल मिल जाये | हमारी आत्मा भी एक हो जाये | मै सम्पूर्णता से चुदना चाहती हूँ, सिर्फ खोखले जिस्म की भड़ास मिटाने से मेरा मन तृप्त नहीं होगा | 
जितेश - मै तुम्हे दिलो दिमाग से इतना प्यार दूंगा की तुमारी पुराणी सारी प्यास बुझ जाएगी | तुमने अपना दिल खोलकर मेरे सामने रख दिया है अब इसको सहेज का रखना और तुम्हे चोदकर तुम्हे मन और जिस्म दोनों से तृप्त करना मेरी जिम्मेदारी |
रीमा को नहीं मालूम था क्यों जितेश के साथ वो इस कदर भावुक हो गयी थी | शायद उसके मन में अहसास था कही की रोहित पूरी तरह से उसका नहीं हो सकता और उसे एक मर्द चाहिए था जो बस उसका हो सिर्फ उसका | पता नहीं रीमा के मन में क्या है ये तो रीमा को भी नहीं पता था | 
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 02-12-2019, 12:01 AM



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