01-12-2019, 04:48 PM
जितेश और रीमा दोनों काफी देर तक एक दूसरे को सहलाते हुए एक दूसरे से चिपके रहे | जितेश के लंड से पिचकारी छूटने के बाद वह मुरझा गया था | बस लंड ही मुरझाया था अरमान नहीं | अरमान तो उसके अभी भी जिन्दा थे, रीमा के अरमान, उसके गुलाबी नाजुक कोमल जिस्म को भोगने के अरमान | उसके रसीले ओंठो का रस पीने के अरमान | उसके गुलाबी जिस्म की मखमली गुलाबी कसी हुई चूत चोदने के अरमान | रीमा को चोदने के अरमान | अब जब उसने रीमा के साथ यहाँ तक का सफ़र तय ही कर लिया है तो अब बिना चोदे रीमा को इस तरह से हाथ से जाने देना बेवखूफी होगी | रीमा के दिलो दिमाग में क्या है उसे पता नहीं था लेकिन उसने हर हाल में रीमा को चोदने का इरादा मजबूत कर लिया था | जितेश अपने मुरझाये लंड को अपने अरमानो के फौलादी इरादों से फिर खड़ा करने लगा | इन्ही अरमानो की लगायी आग उसके जिस्म में फिर से फ़ैलने लगी | उसका बदन रीमा के जिस्म से सटा हुआ था | धीरे धीरे रीमा के नाजुक गोरे गुलाबी बदन की गर्माहट और रीमा को चोदने के जिन्दा अरमानों ने उसके अंदर फिर से जोश भर दिया और रीमा की तरफ से बिना किसी वासना के उकसावे हरकत के ही जितेश का लंड फिर से तन्ने लगा था, फूलने लगा था |
रीमा अपनी ही दुनिया में खोयी हुई थी | प्रियम रोहित की याद में गहरे तक डूब गयी थी लेकिन उसकी भावनाओं के ज्वार में भी उसकी वासना ख़त्म नहीं हुई थी | उसे तो अहसास ही नहीं था की उसका जिस्म क्या चाहता है कितना चाहता है | उसे बस एक अपने अन्दर एक तड़प एक प्यास महसूस हो रही थी | ऐसा लग रहा था कुछ अधूरा है, कुछ है जो उसको खालीपन का अहसास करा रहा है | उसकी अपनी कामनाये थी वासनाये थी लेकिन उसकी वासनाये किसी मर्द की वासना या हवस से बिलकुल अलग थी | जितेश को पता था उसे क्या चाहिए लेकिन रीमा को बस एक अहसास था, असल में उसे क्या चाहिए ये तो उसे तभी पता चलता था जब वो वासना में डूब कर गोते लगाने लगती थी | उसकी वासना स्थिर नहीं थी निश्चित नहीं थी, पल पल के साथ उसकी चाहते और ख्वाइश बदल जाती थी | बढ़ जाती थी | उसे भी अहसास था जितेश इतने से मानने वाला नहीं है, उसे बिना चोदे वो छोड़ेगा नहीं | लेकिन उसे जितेश से ज्यादा खुद की चिंता थी आखिर उसे किस हद तक जाना है | किस हद तक उसे जितेश को अपने अंतर में जाने देना है | उसकी हद क्या है उसकी हसरत क्या है | रीमा की यही उलझन थी, हमेशा वो अपनी वासनाओं की हदों को लेकर सशंकित रहती थी | मन में हजारो सवाल थे | जवाब सिर्फ भविष्य में था | जितेश का फूलता तनता लंड रीमा की जांघ पर अपनी दस्तक देने लगा | रीमा को उसके कड़ेपन और गर्माहट का जब अहसास हुआ, तो उसने नीचे की तरफ नजर घुमाई |
रीमा ने जब उसका तनता हुआ लंड देखा तो उसे फिर अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी , आखिर उसकी चूत की प्यास तो अभी भी बरक़रार थी | उसके अरमानो की सेज तो अभी सजनी बाकि थी | आखिर उसे अपनी हसरतों की दौड़ तो अभी लगानी थी | इस दौड़ में उसके साथ बराबर दौड़ने वाला भी उसके जिस्म से चिपका हुआ था और उसे उम्मीद थी वो उसे किसी भी हाल में बीच मझधार में नहीं छोड़ेगा | इसीलिए वो अपनी वासना का अंनत समुद्र उसके साथ तैर कर पार करना चाहती थी | वो ख्वाइशये वो हसरते वो अरमान वो ललक वो प्यास वो तड़प वो हवस सब कुछ मिटाने का वक्त आ गया था | जितना दिल दिमाग लगाकर वासना के समन्दर में उतरकर खुद को तृप्त करेगी | उतना ही उसके अनसुलझे सवालो के जवाब मिलते जायेगे | अभी सही गलत ऊपर नीचे कुछ भी सोचने का वक्त नहीं था | अभी बस जिदगी और उसकी जवानी की हसरतो में डूब जाने का वक्त था | वासना के सागर में कूद जाने का वक्त था, इस हवस के सागर में डूब जाएगी या तैर करके पार लग जाएगी ये तो वक्त बताएगा लेकिन उसे इसमें कूदने से अब डर नहीं लग रहा था | | जितेश के लंड पर फिसलता उसका नरम हाथ और रीमा के दिमाग में चल रहा उसका अंतर्द्वंद | रीमा दिल से कही और थी शरीर से कही और थी लेकिन दोनों की मंजिल एक थी | अपने अरमानों को जी भरकर जीने की | ताकि अपने अन्दर इतना आत्मविश्वास पैदा कर सके की दुनिया के सीना तान कर जी सके | आखिरकार मेरी अपनी हसरते है चूत की अपनी प्यास है, जिस्म की अपनी जरूरते है और अपने अरमानो की तृप्ति ही उसकी मंजिल है यही उसके अन्दर का खोया आत्मविश्वास लौटाएगी | उसे बेचारी, मजबूर नहीं, मजबूत और आत्मविश्वास से भरी हुई औरत बनकर रहना है | ये तभी होगा जब वो अपने मन की करेगी, अपने मन के अरमानो को पूरा करेगी, अपने फैसले खुद लेगी और दकियानुकुसी बातो को अपने दिमाग से कूड़े की तरह निकाल कर बाहर फेंक देगी |
रीमा के जादुई स्पर्श से जितेश के लंड को जैसे करंट लग गया हो, वह बिजली की तेजी से फूलने लगा और उसमें खून भरने लगा |
रीमा ने भी उसके लंड को तेजी से हाथ से हिलाना शुरू कर दिया था रीमा ने अपने ओंठो को जितेश के ओंठो पर रख दिया | जितेश भी रीमा को कस कर चूमने लगा था | दोनों के वासना की आग में सूखे ओंठ कांपते हुए फलकों के साथ एक दुसरे से चिपक गए | एक दुसरे के मुहँ का रस एक दुसरे के सूखे ओंठो को नमी देने लगा | जितेश ने रीमा को पूरी तरह से अपने ऊपर लिटा लिया और उसका लंड अब रीमा की चूत के चिकने त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था | जितेश और रीमा एक दूसरे को कस के चूम रहे थे रीमा की बाहें रितेश के सर के दोनों तरफ थी जबकि जितेश के हाथ रीमा के चूतड़ों पर जाकर जम गए और वह रीमा के बड़े-बड़े चूतड़ों की अपनी हथेलियों से मालिश करने लगा |
रीमा के बड़े बड़े उठे हुए सुडौल उन्नत नुकीले उरोज जितेश की चौड़ी छातियों से रगड़ खाकर दो जवान जिस्म के पाटो के बीच पिस रहे थे | दो जिस्मो की इस कशमकश में रीमा के अरमान और जितेश की हवस अपनी तरुणाई छोड़कर जवान हो रही थी | दोनों जिस्म एक दुसरे में गुथमगुथा होकर अपनी वासनाओं की आग को और भड़काने में लगे हुआ थे | रीमा पूरी तरह से जितेश के ऊपर उल्टा लेटी हुई थी, उसके मांसल सुडौल चूतड़ ऊपर की तरफ उठे हुए थे | जितेश के हाथ उनकी अच्छे से मालिश कर रहे थे | रीमा और जितेश एक दूसरे को कस कर चूम रहे थे जितेश और रीमा के बदन की गर्मी बढने लगी थी | दोनों के जिस्मो की धड़कने अब साफ़ एक दुसरे को महसूस होने लगी थी | जितेश का लंड पूरी तरह से फूलकर तन गया था | उसमे दौड़ रहा तेज खून का बहाव उसे कंपा रहा था | उसका लंड बिल्कुल रीमा की चूत के मुहाने पर रगड़ खा रहा था और खून से भरा होने के कारन उसका सुपाडा पूरी तरह से लाल हो गया था |
उस पर गीलेपन की बूंद छलक आई थी |
उसके बाद में रीमा जितेश से अलग हो गई और वह जाकर के जितेश के लंड के पास बैठ गई जितेश के लंड को चूमने लगी | उसके लंड के सुपाडे पर आई प्रिकम की बूंद को रीमा ने चाट लिया और गटक गयी | लेकिन रीमा के साथ साथ जितेश भी सीधा हुआ और उसने रीमा को अपने नीचे लिटा कर के खुद उसके ऊपर छा गया | जितेश ने रीमा के दोनों बड़े बड़े उठे हुए धवल स्वेत गुलाबी उन्नत उरोजो की नुकीली पहाड़ियों को अपने हाथों में ले लिया और कसके मसलने लगा, चूमने लगा था | उसकी नुकीली चुन्चियो को मुंह में भर कर चूसने लगा था | रीमा आनंद से मस्त हो गई | उसके अरमानो की ख्वाइशे सिसकारियां बनकर मुहँ से सिसक रही थी | उसकी हवस की आग की आंच उसके नथुनों से गरम भाप बनकर निकल रही थी | उसका जिस्म उसकी हवस की आग में तपने लगा था | उसने अपनी आंखें बंद कर ली | जितेश काफी देर तक रीमा के दोनों बड़े बड़े स्तनों को बारी-बारी से चूस कर उनका रस पीता रहा | फिर उसका एक हाथ धीरे-धीरे रीमा के सपाट चिकने पेट पर से फिसलता हुआ रीमा की चिकनी बाल रहित चूत घाटी का मुआयना करने लगा | रीमा की चिकनी चूत घाटी की फिसलन को जितेश का हाथ संभाल नहीं पाया और फिसलता हुआ उसकी जांघों के बीच में स्थित उसके मखमली जिस्म के सबसे से वर्जित इलाके में पंहुच गया | उसकी उंगलिया उसकी चूत घाटी के निचले हिस्से पर उसके चूत दाने पर पहुंच गयी | रीमा कसकर सिसक उठी | ये सिसक उसकी दबी हुई अनछुई हवस की ललक की पहली दस्तक थी | जितेश रीमा की चूत दाने को रगड़ने लगा था | रीमा के तन बदन में आग लगाने के लिए पहले से ही क्या कुछ कम था जो वह चूत दाने को रगड़ने लगा था | चूतदाने पर जितेश की उंगलियों का स्पर्श पाते ही रीमा के पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया और वह वासना से पूरी तरह नहा गई | चूत से उठकर पुरे शरीर में दौड़ गयी वासना की तरंग में उसका पूरा शरीर काँप गया | जितेश ने रीमा के चूत दाने को कसकर उंगलियों से मसल्ला शुरू कर दिया था | जितेश ने रीमा के तन बदनमें आग लगा दी | उसके अन्दर उमड़ रहे वासना के समन्दर के भंवर और तेज हो गए | उसकी लहरे रीमा के मुंह से सिसकारियां बनकर फूटने फूटने लगी थी | वासना की गर्मी में तप रहा रीमा जिस्म अब आग की भट्ठी बनने की तरफ बढ़ चला | उसके मुहँ से तेज होती मादक कामुक सिसकारियां इस बात की निशानी थी की उसके अन्दर वासना की समुद्र का तूफ़ान और तेज हो रहा है |
रीमा - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई |
रीमा के मुहँ से मादक कराहे सुन जितेश का जोश भी बढ़ गया था | जितेश रीमा के उरोंजो को अपने मुंह में भर कर उनका सारा रस पी रहा था और नीचे अपनी उंगलियों से ही रीमां की चूत दाने को कस के रगड़ रहा था | रीमा अपने बदन में उठते गिरते वासना के भंवर में अपने पैर उठा गिरा रही थी | रीमा ने भी अपनी पीठ अपने हाथ जितेश की पीठ पर जमा दिए थे और उसके जिस्म से चिपक कर खुद के बदन को रगड़ने लगी थी | जितेश की उंगलियाँ किसी जादूगर की तरह रीमा के मखमली चूत इलाके में फिसल रही थी | जितेश की उंगलियों के जादू ने तो जैसे रीमा को मदहोश कर दिया | एक तरफ जितेश उसके सीने का सारा रस निचोड़े ले रहा था उसके ओंठ पूरी सख्ती से उसकी उठी हुई उन्नत नुकीली छातियों का रस निचोड़ने में लगे हुए थे | दुसरे उसकी चूत और चूत दाने पर फिसल रही उसकी उंगलियाँ उसकी चूत का सारा रस निचोड़ कर बाहर निकालने में लगी हुई थी | रीमा की सांसें बहुत तेज हो गई थी और वह मस्ती में आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह कर कराह रही थी |
जितेश ने रीमा के उन्नत उरोंजो का रस निचोड़ना छोड़कर धीरे-धीरे रीमा की गुलाबी चूत के इलाके में पंहुच गया | जितेश खुद को नीचे खिसकाता हुआ रीमा की जांघो के बीच जाकर बैठ गया | उसने अपना सर रीमा की नरम गुदाज जांघो में धंसा लिया | और कसकर उसकी जांघो को थाम लिया | उसके ओंठ रीमा की चूत घाटी के बीचो-बीच की मखमली दरार पर पहुंच गये | उसकी गीली जीभ का तीखा नम स्पर्श अपने गुलाबी जिस्म के सबसे सवेदनशील अंग पर पड़ते ही रीमा के मुहँ से जैसे सिसकारियों की बौछार निकल पड़ी |
रीमा - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई आआआआह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममा आआआआआआआआआआआअ |
उसने रीमा की चूत पर अपने होंठ रख दिए और रीमा की गुलाबी रसीली मखमली चूत का रस चूसने लगा, वो रीमा की चूत बिलकुल ऐसे चूस रहा था जैसे एक भौंरा किसी कली का रस चूसता है | उसकी एक उंगली चूत दाने को मालिश करने लगी | रीमा के जिस्रीम में उठने वाली वासना की मादक तरंगो ने रीमा को मदहोश कर दिया | रीमा तो जितेश की इस हरकत से अपना काबू ही खो बैठी, वो आनंद में पागल हुई जा रही थी |
रीमा जैसे अपने जिस्म में उठती वासना की तरंगो को अब संभाल नहीं पा रही थी - आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह बस करो जितेश मै मर जाउंगी |
रीमा - आआआआह्ह्ह्हआआआ आह्ह्ह्हआआआआह्ह्ह्ह ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह |
जितेश किसी समधिष्ट योगी की तरह बस अपने अधरों की रीमा की गुलाबी मखमली चूत पर फिसलाता रहा | उसकी गीली जीभ रीमा की गरम चूत पर अपनी ठंडी फुहारों की मालिश करती रही | जितेश के कानो तक रीमा की कामुक सिसकारियां और कराहे पंहुच रही थी लेकिन जितेश को पता था उसका ध्यान कहाँ रहना चाहिए | अभी रीमा की तरफ ध्यान गया तो सारी मेहनत बेकार जाएगी | जब तक फडफड़आती, तड़पती, मचलती, कराहती, सिसकती रीमा अपनी वासना की पहली फुहार नहीं छोड़ देती, तब तक उसे इसी तरह समाधिस्त रहना होगा | वासना का खेल भी किसी साधना से कम नहीं अगर सही से खेला जाये |
रीमा के मुहँ से सिसकारियां बन होने का नाम नहीं ले रही थी |
रीमा - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बबबससससससससस करो | ओह गॉड
आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत अच्छा लग रहा है ........................................ ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऐसे चुचुचुचुचुचुचुचुसतेतेतेतेतेतेतेतेतेतेते आअहाआअहाआह्ह मेरे राराराराजाजाजाजाजाजाजाजाजा | बस चूसते रहो |
रीमा - बेबी ओओओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी यस यस यस यस यस यस यस यस लाइक दैट लाइक दैट |
जितेश के कानो में जैसे रीमा शब्द पड़े ही नहीं | जितेश ने अपनी जीभ निकाली और रीमा के दोनों चूत के पलकों को फैलाया और नीचे से ऊपर तक चाट लिया रीमा | रीमा इस गीले खुरदुरे एहसास से सिहर उठी |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह गागागागागागाडडडडडडडडडड ओह्ह्ह्ह माय गागागागागागाडडडडडडडडडड मार ही डालोगे क्या ..................................|
जितेश ने फिर से वही दुहराया |
रीमा - इट फील्स सो गुड मर ही जाउंगी मै ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी बहुत मजा आ आया आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |
उसके पूरे तन बदन में आग लग गई वह अपने पैर इधर-उधर हिलाने लगी | उसकी कमर झटके खाने लगी | रीमा के जिस्म में उठ रहे हवस के भंवर उसके जिस्म को हिलाने लगे थे | उसकी मखमली गुलाबी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ने लगी | लेकिन जितेश ने उसकी जांघों को कस के पकड़ रखा था उसके बाद जितेश ने अपनी जीभ रीमा की चूत सुरंग में घुसा कर उसको अंदर तक चूसना चाटना शुरू कर दिया | वो रीमा की मखमली चूत से निकल रहे उसकी वासना के अमृत रस को उसकी चूत के बाहर निकलने से पहले ही पिए ले रहा था | रीमा के चूत रस ने तो जैसे जितेश को जोश से भर दिया | वो रीम की बहुत कसके चूसने लगा | रीमा के जिस्म में भी हवस की आग अपनी पूरी ताकत से धधक रही थी, जो उसके पुरे बदन को जलाये हुये तपाये हुए थी | रीमा उसकी वासना की आग की तपिश में बहुत तेजी से जलती हुई हवस की तरंगो में गोते लगाने लगी थी और जितेश रीमा के चुत दाने को भी कस के रगड़ रहा था रीमा का खुद पर काबू नहीं था उसके शरीर में जैसे वासना का महातूफ़ान आ गया हो रीमा खुद को संभाल नहीं पाई और बिखर गई | रीमा के बदन तेजी से ऐठ गया अकड़ गया और कांपने लगा और कांपते जिस्म के साथ वह झड़ गई | रीमा की चूत जब इतनी खूबसूरत है तो उसका रस कितना मीठा होगा ये सोचकर ही जितेश रोमांच से भर गया | रीमा की गुलाबी चूत जैसे झरना बनकर बहने लगी | उसकी मखमली चूत के अंदरूनी ओंठ पूरी तरह फैला दिए और अपनी जीभ और ओंठो को उसकी मखमली गुलाबी चूत सुरंग के मुहाने से सटा दी, जितेश का मुहँ रीमा की झरना बनी चूत से चिपक गया | उसकी चूत से रिस रहे उसकी वासना के झरने की एक एक बूंद गटकने लगा | रीमा गुलाबी रसीली चूत का अमृत रस कौन मिस करना चाहेगा | जितेश घूँट दर घूँट रीमा की चूत का रसपान करता रहा | रीमा का बेकाबू जिस्म हिलता रहा | रीमा तो जैसे स्वर्ग में ही पहुंच गई हो उसने मुट्ठी भींच के बेड की चादर को पकड़ लिया और अपनी जांघों के बीच में उठ रही तेज वासनाओं के ज्वार को संभालने में लग गई थी हालांकि यह उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था | उसकी शरीर में उठने वाली वासना की तरंगे उसके मुंह से सिसकारियां बन निकलती रही |
कांपती रीमा को देखकर भी जितेश नहीं रुका | उसके चूत रस से जितेश का मुहँ भीग गया | जितेश ने रीमा की चूत से बहते झरने का सारा रस पी लिया उसके बाद भी कुछ देर तक रीमा की चूत को कसकर चूसा | एक तरफ निढाल हो रीमा अपनी सांसे काबू करना चाहती थी लेकिन जितेश कहाँ उसे पल भर की फुर्सत दे रहा था | रीमा के मुंह से मादक सिसकारियां निकलना जारी रही | रीमा के दिल के अरमान उसकी चूत से चूत रस बनकर झर झर कर बह रहे थे | उसकी अनंत ख्वाइशो में कुछ अंश की तृप्ति वो अपने अंतर्मन में महसूस कर रही थी |
रीमा अब उत्तेजना के भंवर में बुरी तरह से फंस चुकी थी | उसका बदन आनंद से सरोबार हो खुद उसके काबू में नहीं था | इधर जितेश ने रीमां की चूत के मुहाने में से उसका जूस निचोड़ने के बाद अपनी जुबान घुसा उसे अन्दर ठेलने की कोशिश करने लगा
वो जीभ से ही रीमा की चूत चोद देना चाहता था लेकिन असफल रहा | फिर उसने बारी बारी से उसके पतले चूत ओंठो को चूमा और फिर चूत दाना चूसने लगा |
उसने रीमा की चूत के दोनों ओंठ फैला दिए और उसकी चूत के अंदरूनी ओंठो पर अपनी खुरखुरी जुबान फिराने लगा | रीमा तो जैसे आनंद से पागल ही हो गई थी |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओ नोनोनोनोनोनोनोनोनोनो जितेश अब रुक जावो प्लीज , आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मेरी जान लेकर ही मानोगे क्या ? आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज |
रीमा के मुंह से फूटती वासना की सिसकारी देखकर जितेश का जोश और बढ़ गया | जितेश की जीभ रीमा की चूत के होठों पर और उंगली रीमा की चूत के दाने पर बहुत तेजी से आगे पीछे फिसल रही थी |
उसके बाद जितेश ने अपनी एक उंगली को लार से भिगोते हुए उसे रीमा की गुनगुनी गुलाबी रसीली चूत में अंदर तक घुसेड़ दिया | रीमा एक मादक कराह से सिसक कर रह गयी |
रीमा - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज ये मत करो, पागल कर दोगे तुम मुझे, ओओह्ह्हह्ह्ह्ह जितेश प्लीज् .................................|
यह अहसास उसे रोहित की याद दिला गया | रीमा पूरी तरह से आनंद से नहा गई थी उसे पता था ऐसा काम सिर्फ रोहित ने ही उसके साथ किया है | वह बिल्कुल उसी ख्वाब में फिर से डूब गई | जितेश को मतलब ही नहीं था रीमा क्या बडबडा रही है | उसे सिर्फ एक चीज पता था रीमा मैडम को जितना हो सके उतनी गहराई तक वासना के सागर में डुबो कर उन्हें चरम सुख के किनारे तक ले जावो जहाँ आजतक उन्हें कोई न ले गया हो | वो चाहता था जिस शिद्दत से रीमा ने उसका लंड चूसा है और उसे वो जन्नत दिखाई है जिसका अहसास सालो साल उसके दिलो दिमाग में जिन्दा रहेगा | उसी शिद्दत से, दिलो जान से वो रीमा के जिस्म को छुकर सहलाकर चूमकर उसे बाकि औरतो से खासमखास का अनुभव कराना चाहता है | रीमा स्पेशल है, उसका जिस्म स्पेशल है उसकी वासना हवस स्पेशल है और इसलिए जितेश दिलो जान से रीमा को हर वो सुख देना चाहता है जो शायद रीमा के मन के कोने में दबा हुआ एक अनचाहा अरमान है | लंड चूत में घुसेड़ कर तो सभी चुदाई करते है लेकिन उससे पहले का सुख और अहसास सबसे खास होता है ये अहसास ऐसा है जो सालोसाल दिलो दिमाग में जिन्दा रहेगा | वो रीमा को एक ऐसी यादगार रात देना चाहता है जो उसके जीवन में सबसे खास बन जाये | वो न केवल रीमा के रोम रोम में वासना की आग लगाना चाहता है बल्कि उसके जिस्म के रोम रोम की आग बुझाना भी चाहता है | उसे एक ऐसी वासना की तृप्ति तक पहुचाना है जिसके बाद उसके मन में कोई शिकायत न रहे |
इधर जितेश ने दूसरी उंगली भी रीमा की चूत में घुसा दी और तेजी से आगे पीछे करने लगा | रीमा तो ऐसे पागल सी हो गई थी वह अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी उसके शरीर में उठने वाली तरंगें अब काबू से बाहर हो रही थी और रीमा का शरीर में कंपन होने लगा रीमा की वासना अब टूटने लगी थी रीमा का वासना का तूफ़ान फिर से अपने चरम पर था | उसके जिस्म में जल रही वासना की आग का इधन अब खतम हो गया था | बुझाते दिए बुझाने से पहले भभकते है उसी तरह रीमा के जिस्म में हवस की आग वासना की तरंगे बनकर भभकने लगी | इन तरंगो में इतनी ताकत थी की रीमा का जिस्म कांपने लगा | आखिर रीमा के जिस्म में जल रही वासना की आग दरिया बह निकला | रीमा को जिस्म को तपाकर जलाकर रखी हुई उसकी वासना फिर से किसी पहाड़ से निकल कर बहती नदी की तरह बहने लगी थी | रीमा कांप रही थी झर रही थी बह रही थी, और बिलकुल वैसे ही तेज सिसकारियां का शोर करती हुई बह रही थी जैसे पहाड़ों के चंगुल से निकली हुई नदी तेज धार के साथ शोर मचाती बहती है |
इस बार रीमा का बदन काफी देर तक कांपता रहा हिलता रहा | रीमा झड़ती रही | रीमा के ओर्गास्म का शोर इस बार जितेश के कानो के अन्दर तक भी पंहुच गया | जितेश भी इस बार थम गया | रीमा कुछ देर तक कांपती रही उसके बाद में रीमा शांत हो गई | लेकिन जितेश को अभी कहां चैन था वह रीमा के पास आ गया और उसने रीमा के रसीले ओंठो से खुद के ओंठ सटाकर कसकर चूमना शुरू कर दिया था | उसके अन्दर धधक रही हवस की आग उसके जिस्सम को जलाये हुए थी | उसके बदन की आंच रीमा को अपने नरम पसीने से लथपथ बदन पर महसूस हो रही थी | उसने रीमा के चेहरे कान नाक आंख गला सबको चूम डाला, बारी बारी से चूमता रहा | रीमा झड़ चुकी थी, हांफ रही थी लेकिन न तो उसकी ख्वाइशो ने हार मानी थी न उसकी लालसा ने | रीमा की वासना का एक दौर उसके अन्दर से झरना बनकार बह चुका था लेकिन रीमा के जिस्म की अनंत प्यास तो अभी भी बरकरार थी | रीमा की वासना की चाहत तो अब तरुणाई पार कर जवान हो पायी थी | अभी तो रात ने भी अंगड़ाईयाँ लेना बस शुरू ही किया था | रीमा के जिस्म पर जितेश की फिसलती उंगलियों और थिरकते ओंठो से रीमा के जिस्म का रेस्पोंस बता रहा था उसके अन्रदर अभी कितनी वासना भरी हुई है इसीलिए जितेश के चुमते ही रीमा के अंदर फिर से लहरें उठने लगी और वह फिर से आनंद के सागर में गोते लगाने लगी थी |
रीमा अपनी ही दुनिया में खोयी हुई थी | प्रियम रोहित की याद में गहरे तक डूब गयी थी लेकिन उसकी भावनाओं के ज्वार में भी उसकी वासना ख़त्म नहीं हुई थी | उसे तो अहसास ही नहीं था की उसका जिस्म क्या चाहता है कितना चाहता है | उसे बस एक अपने अन्दर एक तड़प एक प्यास महसूस हो रही थी | ऐसा लग रहा था कुछ अधूरा है, कुछ है जो उसको खालीपन का अहसास करा रहा है | उसकी अपनी कामनाये थी वासनाये थी लेकिन उसकी वासनाये किसी मर्द की वासना या हवस से बिलकुल अलग थी | जितेश को पता था उसे क्या चाहिए लेकिन रीमा को बस एक अहसास था, असल में उसे क्या चाहिए ये तो उसे तभी पता चलता था जब वो वासना में डूब कर गोते लगाने लगती थी | उसकी वासना स्थिर नहीं थी निश्चित नहीं थी, पल पल के साथ उसकी चाहते और ख्वाइश बदल जाती थी | बढ़ जाती थी | उसे भी अहसास था जितेश इतने से मानने वाला नहीं है, उसे बिना चोदे वो छोड़ेगा नहीं | लेकिन उसे जितेश से ज्यादा खुद की चिंता थी आखिर उसे किस हद तक जाना है | किस हद तक उसे जितेश को अपने अंतर में जाने देना है | उसकी हद क्या है उसकी हसरत क्या है | रीमा की यही उलझन थी, हमेशा वो अपनी वासनाओं की हदों को लेकर सशंकित रहती थी | मन में हजारो सवाल थे | जवाब सिर्फ भविष्य में था | जितेश का फूलता तनता लंड रीमा की जांघ पर अपनी दस्तक देने लगा | रीमा को उसके कड़ेपन और गर्माहट का जब अहसास हुआ, तो उसने नीचे की तरफ नजर घुमाई |
रीमा ने जब उसका तनता हुआ लंड देखा तो उसे फिर अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी , आखिर उसकी चूत की प्यास तो अभी भी बरक़रार थी | उसके अरमानो की सेज तो अभी सजनी बाकि थी | आखिर उसे अपनी हसरतों की दौड़ तो अभी लगानी थी | इस दौड़ में उसके साथ बराबर दौड़ने वाला भी उसके जिस्म से चिपका हुआ था और उसे उम्मीद थी वो उसे किसी भी हाल में बीच मझधार में नहीं छोड़ेगा | इसीलिए वो अपनी वासना का अंनत समुद्र उसके साथ तैर कर पार करना चाहती थी | वो ख्वाइशये वो हसरते वो अरमान वो ललक वो प्यास वो तड़प वो हवस सब कुछ मिटाने का वक्त आ गया था | जितना दिल दिमाग लगाकर वासना के समन्दर में उतरकर खुद को तृप्त करेगी | उतना ही उसके अनसुलझे सवालो के जवाब मिलते जायेगे | अभी सही गलत ऊपर नीचे कुछ भी सोचने का वक्त नहीं था | अभी बस जिदगी और उसकी जवानी की हसरतो में डूब जाने का वक्त था | वासना के सागर में कूद जाने का वक्त था, इस हवस के सागर में डूब जाएगी या तैर करके पार लग जाएगी ये तो वक्त बताएगा लेकिन उसे इसमें कूदने से अब डर नहीं लग रहा था | | जितेश के लंड पर फिसलता उसका नरम हाथ और रीमा के दिमाग में चल रहा उसका अंतर्द्वंद | रीमा दिल से कही और थी शरीर से कही और थी लेकिन दोनों की मंजिल एक थी | अपने अरमानों को जी भरकर जीने की | ताकि अपने अन्दर इतना आत्मविश्वास पैदा कर सके की दुनिया के सीना तान कर जी सके | आखिरकार मेरी अपनी हसरते है चूत की अपनी प्यास है, जिस्म की अपनी जरूरते है और अपने अरमानो की तृप्ति ही उसकी मंजिल है यही उसके अन्दर का खोया आत्मविश्वास लौटाएगी | उसे बेचारी, मजबूर नहीं, मजबूत और आत्मविश्वास से भरी हुई औरत बनकर रहना है | ये तभी होगा जब वो अपने मन की करेगी, अपने मन के अरमानो को पूरा करेगी, अपने फैसले खुद लेगी और दकियानुकुसी बातो को अपने दिमाग से कूड़े की तरह निकाल कर बाहर फेंक देगी |
रीमा के जादुई स्पर्श से जितेश के लंड को जैसे करंट लग गया हो, वह बिजली की तेजी से फूलने लगा और उसमें खून भरने लगा |
रीमा ने भी उसके लंड को तेजी से हाथ से हिलाना शुरू कर दिया था रीमा ने अपने ओंठो को जितेश के ओंठो पर रख दिया | जितेश भी रीमा को कस कर चूमने लगा था | दोनों के वासना की आग में सूखे ओंठ कांपते हुए फलकों के साथ एक दुसरे से चिपक गए | एक दुसरे के मुहँ का रस एक दुसरे के सूखे ओंठो को नमी देने लगा | जितेश ने रीमा को पूरी तरह से अपने ऊपर लिटा लिया और उसका लंड अब रीमा की चूत के चिकने त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था | जितेश और रीमा एक दूसरे को कस के चूम रहे थे रीमा की बाहें रितेश के सर के दोनों तरफ थी जबकि जितेश के हाथ रीमा के चूतड़ों पर जाकर जम गए और वह रीमा के बड़े-बड़े चूतड़ों की अपनी हथेलियों से मालिश करने लगा |
रीमा के बड़े बड़े उठे हुए सुडौल उन्नत नुकीले उरोज जितेश की चौड़ी छातियों से रगड़ खाकर दो जवान जिस्म के पाटो के बीच पिस रहे थे | दो जिस्मो की इस कशमकश में रीमा के अरमान और जितेश की हवस अपनी तरुणाई छोड़कर जवान हो रही थी | दोनों जिस्म एक दुसरे में गुथमगुथा होकर अपनी वासनाओं की आग को और भड़काने में लगे हुआ थे | रीमा पूरी तरह से जितेश के ऊपर उल्टा लेटी हुई थी, उसके मांसल सुडौल चूतड़ ऊपर की तरफ उठे हुए थे | जितेश के हाथ उनकी अच्छे से मालिश कर रहे थे | रीमा और जितेश एक दूसरे को कस कर चूम रहे थे जितेश और रीमा के बदन की गर्मी बढने लगी थी | दोनों के जिस्मो की धड़कने अब साफ़ एक दुसरे को महसूस होने लगी थी | जितेश का लंड पूरी तरह से फूलकर तन गया था | उसमे दौड़ रहा तेज खून का बहाव उसे कंपा रहा था | उसका लंड बिल्कुल रीमा की चूत के मुहाने पर रगड़ खा रहा था और खून से भरा होने के कारन उसका सुपाडा पूरी तरह से लाल हो गया था |
उस पर गीलेपन की बूंद छलक आई थी |
उसके बाद में रीमा जितेश से अलग हो गई और वह जाकर के जितेश के लंड के पास बैठ गई जितेश के लंड को चूमने लगी | उसके लंड के सुपाडे पर आई प्रिकम की बूंद को रीमा ने चाट लिया और गटक गयी | लेकिन रीमा के साथ साथ जितेश भी सीधा हुआ और उसने रीमा को अपने नीचे लिटा कर के खुद उसके ऊपर छा गया | जितेश ने रीमा के दोनों बड़े बड़े उठे हुए धवल स्वेत गुलाबी उन्नत उरोजो की नुकीली पहाड़ियों को अपने हाथों में ले लिया और कसके मसलने लगा, चूमने लगा था | उसकी नुकीली चुन्चियो को मुंह में भर कर चूसने लगा था | रीमा आनंद से मस्त हो गई | उसके अरमानो की ख्वाइशे सिसकारियां बनकर मुहँ से सिसक रही थी | उसकी हवस की आग की आंच उसके नथुनों से गरम भाप बनकर निकल रही थी | उसका जिस्म उसकी हवस की आग में तपने लगा था | उसने अपनी आंखें बंद कर ली | जितेश काफी देर तक रीमा के दोनों बड़े बड़े स्तनों को बारी-बारी से चूस कर उनका रस पीता रहा | फिर उसका एक हाथ धीरे-धीरे रीमा के सपाट चिकने पेट पर से फिसलता हुआ रीमा की चिकनी बाल रहित चूत घाटी का मुआयना करने लगा | रीमा की चिकनी चूत घाटी की फिसलन को जितेश का हाथ संभाल नहीं पाया और फिसलता हुआ उसकी जांघों के बीच में स्थित उसके मखमली जिस्म के सबसे से वर्जित इलाके में पंहुच गया | उसकी उंगलिया उसकी चूत घाटी के निचले हिस्से पर उसके चूत दाने पर पहुंच गयी | रीमा कसकर सिसक उठी | ये सिसक उसकी दबी हुई अनछुई हवस की ललक की पहली दस्तक थी | जितेश रीमा की चूत दाने को रगड़ने लगा था | रीमा के तन बदन में आग लगाने के लिए पहले से ही क्या कुछ कम था जो वह चूत दाने को रगड़ने लगा था | चूतदाने पर जितेश की उंगलियों का स्पर्श पाते ही रीमा के पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया और वह वासना से पूरी तरह नहा गई | चूत से उठकर पुरे शरीर में दौड़ गयी वासना की तरंग में उसका पूरा शरीर काँप गया | जितेश ने रीमा के चूत दाने को कसकर उंगलियों से मसल्ला शुरू कर दिया था | जितेश ने रीमा के तन बदनमें आग लगा दी | उसके अन्दर उमड़ रहे वासना के समन्दर के भंवर और तेज हो गए | उसकी लहरे रीमा के मुंह से सिसकारियां बनकर फूटने फूटने लगी थी | वासना की गर्मी में तप रहा रीमा जिस्म अब आग की भट्ठी बनने की तरफ बढ़ चला | उसके मुहँ से तेज होती मादक कामुक सिसकारियां इस बात की निशानी थी की उसके अन्दर वासना की समुद्र का तूफ़ान और तेज हो रहा है |
रीमा - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई |
रीमा के मुहँ से मादक कराहे सुन जितेश का जोश भी बढ़ गया था | जितेश रीमा के उरोंजो को अपने मुंह में भर कर उनका सारा रस पी रहा था और नीचे अपनी उंगलियों से ही रीमां की चूत दाने को कस के रगड़ रहा था | रीमा अपने बदन में उठते गिरते वासना के भंवर में अपने पैर उठा गिरा रही थी | रीमा ने भी अपनी पीठ अपने हाथ जितेश की पीठ पर जमा दिए थे और उसके जिस्म से चिपक कर खुद के बदन को रगड़ने लगी थी | जितेश की उंगलियाँ किसी जादूगर की तरह रीमा के मखमली चूत इलाके में फिसल रही थी | जितेश की उंगलियों के जादू ने तो जैसे रीमा को मदहोश कर दिया | एक तरफ जितेश उसके सीने का सारा रस निचोड़े ले रहा था उसके ओंठ पूरी सख्ती से उसकी उठी हुई उन्नत नुकीली छातियों का रस निचोड़ने में लगे हुए थे | दुसरे उसकी चूत और चूत दाने पर फिसल रही उसकी उंगलियाँ उसकी चूत का सारा रस निचोड़ कर बाहर निकालने में लगी हुई थी | रीमा की सांसें बहुत तेज हो गई थी और वह मस्ती में आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह कर कराह रही थी |
जितेश ने रीमा के उन्नत उरोंजो का रस निचोड़ना छोड़कर धीरे-धीरे रीमा की गुलाबी चूत के इलाके में पंहुच गया | जितेश खुद को नीचे खिसकाता हुआ रीमा की जांघो के बीच जाकर बैठ गया | उसने अपना सर रीमा की नरम गुदाज जांघो में धंसा लिया | और कसकर उसकी जांघो को थाम लिया | उसके ओंठ रीमा की चूत घाटी के बीचो-बीच की मखमली दरार पर पहुंच गये | उसकी गीली जीभ का तीखा नम स्पर्श अपने गुलाबी जिस्म के सबसे सवेदनशील अंग पर पड़ते ही रीमा के मुहँ से जैसे सिसकारियों की बौछार निकल पड़ी |
रीमा - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई आआआआह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममा आआआआआआआआआआआअ |
उसने रीमा की चूत पर अपने होंठ रख दिए और रीमा की गुलाबी रसीली मखमली चूत का रस चूसने लगा, वो रीमा की चूत बिलकुल ऐसे चूस रहा था जैसे एक भौंरा किसी कली का रस चूसता है | उसकी एक उंगली चूत दाने को मालिश करने लगी | रीमा के जिस्रीम में उठने वाली वासना की मादक तरंगो ने रीमा को मदहोश कर दिया | रीमा तो जितेश की इस हरकत से अपना काबू ही खो बैठी, वो आनंद में पागल हुई जा रही थी |
रीमा जैसे अपने जिस्म में उठती वासना की तरंगो को अब संभाल नहीं पा रही थी - आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह बस करो जितेश मै मर जाउंगी |
रीमा - आआआआह्ह्ह्हआआआ आह्ह्ह्हआआआआह्ह्ह्ह ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह |
जितेश किसी समधिष्ट योगी की तरह बस अपने अधरों की रीमा की गुलाबी मखमली चूत पर फिसलाता रहा | उसकी गीली जीभ रीमा की गरम चूत पर अपनी ठंडी फुहारों की मालिश करती रही | जितेश के कानो तक रीमा की कामुक सिसकारियां और कराहे पंहुच रही थी लेकिन जितेश को पता था उसका ध्यान कहाँ रहना चाहिए | अभी रीमा की तरफ ध्यान गया तो सारी मेहनत बेकार जाएगी | जब तक फडफड़आती, तड़पती, मचलती, कराहती, सिसकती रीमा अपनी वासना की पहली फुहार नहीं छोड़ देती, तब तक उसे इसी तरह समाधिस्त रहना होगा | वासना का खेल भी किसी साधना से कम नहीं अगर सही से खेला जाये |
रीमा के मुहँ से सिसकारियां बन होने का नाम नहीं ले रही थी |
रीमा - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बबबससससससससस करो | ओह गॉड
आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत अच्छा लग रहा है ........................................ ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऐसे चुचुचुचुचुचुचुचुसतेतेतेतेतेतेतेतेतेतेते आअहाआअहाआह्ह मेरे राराराराजाजाजाजाजाजाजाजाजा | बस चूसते रहो |
रीमा - बेबी ओओओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी यस यस यस यस यस यस यस यस लाइक दैट लाइक दैट |
जितेश के कानो में जैसे रीमा शब्द पड़े ही नहीं | जितेश ने अपनी जीभ निकाली और रीमा के दोनों चूत के पलकों को फैलाया और नीचे से ऊपर तक चाट लिया रीमा | रीमा इस गीले खुरदुरे एहसास से सिहर उठी |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह गागागागागागाडडडडडडडडडड ओह्ह्ह्ह माय गागागागागागाडडडडडडडडडड मार ही डालोगे क्या ..................................|
जितेश ने फिर से वही दुहराया |
रीमा - इट फील्स सो गुड मर ही जाउंगी मै ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बेबी बहुत मजा आ आया आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |
उसके पूरे तन बदन में आग लग गई वह अपने पैर इधर-उधर हिलाने लगी | उसकी कमर झटके खाने लगी | रीमा के जिस्म में उठ रहे हवस के भंवर उसके जिस्म को हिलाने लगे थे | उसकी मखमली गुलाबी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ने लगी | लेकिन जितेश ने उसकी जांघों को कस के पकड़ रखा था उसके बाद जितेश ने अपनी जीभ रीमा की चूत सुरंग में घुसा कर उसको अंदर तक चूसना चाटना शुरू कर दिया | वो रीमा की मखमली चूत से निकल रहे उसकी वासना के अमृत रस को उसकी चूत के बाहर निकलने से पहले ही पिए ले रहा था | रीमा के चूत रस ने तो जैसे जितेश को जोश से भर दिया | वो रीम की बहुत कसके चूसने लगा | रीमा के जिस्म में भी हवस की आग अपनी पूरी ताकत से धधक रही थी, जो उसके पुरे बदन को जलाये हुये तपाये हुए थी | रीमा उसकी वासना की आग की तपिश में बहुत तेजी से जलती हुई हवस की तरंगो में गोते लगाने लगी थी और जितेश रीमा के चुत दाने को भी कस के रगड़ रहा था रीमा का खुद पर काबू नहीं था उसके शरीर में जैसे वासना का महातूफ़ान आ गया हो रीमा खुद को संभाल नहीं पाई और बिखर गई | रीमा के बदन तेजी से ऐठ गया अकड़ गया और कांपने लगा और कांपते जिस्म के साथ वह झड़ गई | रीमा की चूत जब इतनी खूबसूरत है तो उसका रस कितना मीठा होगा ये सोचकर ही जितेश रोमांच से भर गया | रीमा की गुलाबी चूत जैसे झरना बनकर बहने लगी | उसकी मखमली चूत के अंदरूनी ओंठ पूरी तरह फैला दिए और अपनी जीभ और ओंठो को उसकी मखमली गुलाबी चूत सुरंग के मुहाने से सटा दी, जितेश का मुहँ रीमा की झरना बनी चूत से चिपक गया | उसकी चूत से रिस रहे उसकी वासना के झरने की एक एक बूंद गटकने लगा | रीमा गुलाबी रसीली चूत का अमृत रस कौन मिस करना चाहेगा | जितेश घूँट दर घूँट रीमा की चूत का रसपान करता रहा | रीमा का बेकाबू जिस्म हिलता रहा | रीमा तो जैसे स्वर्ग में ही पहुंच गई हो उसने मुट्ठी भींच के बेड की चादर को पकड़ लिया और अपनी जांघों के बीच में उठ रही तेज वासनाओं के ज्वार को संभालने में लग गई थी हालांकि यह उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था | उसकी शरीर में उठने वाली वासना की तरंगे उसके मुंह से सिसकारियां बन निकलती रही |
कांपती रीमा को देखकर भी जितेश नहीं रुका | उसके चूत रस से जितेश का मुहँ भीग गया | जितेश ने रीमा की चूत से बहते झरने का सारा रस पी लिया उसके बाद भी कुछ देर तक रीमा की चूत को कसकर चूसा | एक तरफ निढाल हो रीमा अपनी सांसे काबू करना चाहती थी लेकिन जितेश कहाँ उसे पल भर की फुर्सत दे रहा था | रीमा के मुंह से मादक सिसकारियां निकलना जारी रही | रीमा के दिल के अरमान उसकी चूत से चूत रस बनकर झर झर कर बह रहे थे | उसकी अनंत ख्वाइशो में कुछ अंश की तृप्ति वो अपने अंतर्मन में महसूस कर रही थी |
रीमा अब उत्तेजना के भंवर में बुरी तरह से फंस चुकी थी | उसका बदन आनंद से सरोबार हो खुद उसके काबू में नहीं था | इधर जितेश ने रीमां की चूत के मुहाने में से उसका जूस निचोड़ने के बाद अपनी जुबान घुसा उसे अन्दर ठेलने की कोशिश करने लगा
वो जीभ से ही रीमा की चूत चोद देना चाहता था लेकिन असफल रहा | फिर उसने बारी बारी से उसके पतले चूत ओंठो को चूमा और फिर चूत दाना चूसने लगा |
उसने रीमा की चूत के दोनों ओंठ फैला दिए और उसकी चूत के अंदरूनी ओंठो पर अपनी खुरखुरी जुबान फिराने लगा | रीमा तो जैसे आनंद से पागल ही हो गई थी |
रीमा - ओओओओओओओओओओओओ नोनोनोनोनोनोनोनोनोनो जितेश अब रुक जावो प्लीज , आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मेरी जान लेकर ही मानोगे क्या ? आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज |
रीमा के मुंह से फूटती वासना की सिसकारी देखकर जितेश का जोश और बढ़ गया | जितेश की जीभ रीमा की चूत के होठों पर और उंगली रीमा की चूत के दाने पर बहुत तेजी से आगे पीछे फिसल रही थी |
उसके बाद जितेश ने अपनी एक उंगली को लार से भिगोते हुए उसे रीमा की गुनगुनी गुलाबी रसीली चूत में अंदर तक घुसेड़ दिया | रीमा एक मादक कराह से सिसक कर रह गयी |
रीमा - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज ये मत करो, पागल कर दोगे तुम मुझे, ओओह्ह्हह्ह्ह्ह जितेश प्लीज् .................................|
यह अहसास उसे रोहित की याद दिला गया | रीमा पूरी तरह से आनंद से नहा गई थी उसे पता था ऐसा काम सिर्फ रोहित ने ही उसके साथ किया है | वह बिल्कुल उसी ख्वाब में फिर से डूब गई | जितेश को मतलब ही नहीं था रीमा क्या बडबडा रही है | उसे सिर्फ एक चीज पता था रीमा मैडम को जितना हो सके उतनी गहराई तक वासना के सागर में डुबो कर उन्हें चरम सुख के किनारे तक ले जावो जहाँ आजतक उन्हें कोई न ले गया हो | वो चाहता था जिस शिद्दत से रीमा ने उसका लंड चूसा है और उसे वो जन्नत दिखाई है जिसका अहसास सालो साल उसके दिलो दिमाग में जिन्दा रहेगा | उसी शिद्दत से, दिलो जान से वो रीमा के जिस्म को छुकर सहलाकर चूमकर उसे बाकि औरतो से खासमखास का अनुभव कराना चाहता है | रीमा स्पेशल है, उसका जिस्म स्पेशल है उसकी वासना हवस स्पेशल है और इसलिए जितेश दिलो जान से रीमा को हर वो सुख देना चाहता है जो शायद रीमा के मन के कोने में दबा हुआ एक अनचाहा अरमान है | लंड चूत में घुसेड़ कर तो सभी चुदाई करते है लेकिन उससे पहले का सुख और अहसास सबसे खास होता है ये अहसास ऐसा है जो सालोसाल दिलो दिमाग में जिन्दा रहेगा | वो रीमा को एक ऐसी यादगार रात देना चाहता है जो उसके जीवन में सबसे खास बन जाये | वो न केवल रीमा के रोम रोम में वासना की आग लगाना चाहता है बल्कि उसके जिस्म के रोम रोम की आग बुझाना भी चाहता है | उसे एक ऐसी वासना की तृप्ति तक पहुचाना है जिसके बाद उसके मन में कोई शिकायत न रहे |
इधर जितेश ने दूसरी उंगली भी रीमा की चूत में घुसा दी और तेजी से आगे पीछे करने लगा | रीमा तो ऐसे पागल सी हो गई थी वह अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी उसके शरीर में उठने वाली तरंगें अब काबू से बाहर हो रही थी और रीमा का शरीर में कंपन होने लगा रीमा की वासना अब टूटने लगी थी रीमा का वासना का तूफ़ान फिर से अपने चरम पर था | उसके जिस्म में जल रही वासना की आग का इधन अब खतम हो गया था | बुझाते दिए बुझाने से पहले भभकते है उसी तरह रीमा के जिस्म में हवस की आग वासना की तरंगे बनकर भभकने लगी | इन तरंगो में इतनी ताकत थी की रीमा का जिस्म कांपने लगा | आखिर रीमा के जिस्म में जल रही वासना की आग दरिया बह निकला | रीमा को जिस्म को तपाकर जलाकर रखी हुई उसकी वासना फिर से किसी पहाड़ से निकल कर बहती नदी की तरह बहने लगी थी | रीमा कांप रही थी झर रही थी बह रही थी, और बिलकुल वैसे ही तेज सिसकारियां का शोर करती हुई बह रही थी जैसे पहाड़ों के चंगुल से निकली हुई नदी तेज धार के साथ शोर मचाती बहती है |
इस बार रीमा का बदन काफी देर तक कांपता रहा हिलता रहा | रीमा झड़ती रही | रीमा के ओर्गास्म का शोर इस बार जितेश के कानो के अन्दर तक भी पंहुच गया | जितेश भी इस बार थम गया | रीमा कुछ देर तक कांपती रही उसके बाद में रीमा शांत हो गई | लेकिन जितेश को अभी कहां चैन था वह रीमा के पास आ गया और उसने रीमा के रसीले ओंठो से खुद के ओंठ सटाकर कसकर चूमना शुरू कर दिया था | उसके अन्दर धधक रही हवस की आग उसके जिस्सम को जलाये हुए थी | उसके बदन की आंच रीमा को अपने नरम पसीने से लथपथ बदन पर महसूस हो रही थी | उसने रीमा के चेहरे कान नाक आंख गला सबको चूम डाला, बारी बारी से चूमता रहा | रीमा झड़ चुकी थी, हांफ रही थी लेकिन न तो उसकी ख्वाइशो ने हार मानी थी न उसकी लालसा ने | रीमा की वासना का एक दौर उसके अन्दर से झरना बनकार बह चुका था लेकिन रीमा के जिस्म की अनंत प्यास तो अभी भी बरकरार थी | रीमा की वासना की चाहत तो अब तरुणाई पार कर जवान हो पायी थी | अभी तो रात ने भी अंगड़ाईयाँ लेना बस शुरू ही किया था | रीमा के जिस्म पर जितेश की फिसलती उंगलियों और थिरकते ओंठो से रीमा के जिस्म का रेस्पोंस बता रहा था उसके अन्रदर अभी कितनी वासना भरी हुई है इसीलिए जितेश के चुमते ही रीमा के अंदर फिर से लहरें उठने लगी और वह फिर से आनंद के सागर में गोते लगाने लगी थी |