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Adultery एक नंबर के ठरकी (from internet)
#24
जवाब मे सबा ने मुड़कर उन्हे देखा और मुस्कुरा दी...राहुल कुछ ना समझ सका..वैसे भी वो राहुल को इन सभी की बातें बताती नहीं थी, उसे लगता था की राहुल को ये सब पसंद नहीं आएगा और वो उसका उनके साथ उठना-बैठना बंद करवा देगा, जो वो हरगिज नहीं चाहती थी, वो भले ही अपनी अतरंग बाते सोसायटी की इन औरतों के साथ शेयर नहीं करती थी, पर उनकी बाते सुनना उसे बहुत पसंद था, जिसे सुनकर वो एक्साइटिड हो जाया करती थी

दीवाली के दिनों में सोसायटी में ऐसी मस्ती आम बात थी...लेकिन इन सभी दंपतियो में सबसे ख़ास दिवाली का समय रहता था शशांक और सुमन के लिए.

दरअसल उन्हे शुरू से ही ऐसी मस्ती भरी दिवाली मनाने की आदत थी.

इन्हे मुंबई में आए हुए करीब 5 साल हो चुके थे...यहाँ आने से पहले शशांक बेंगलोर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था...शशांक और सुमन शुरू से ही सेक्स के मामले में एकदम खुले विचारो के थे..शशांक ने अपने ऑफीस की सेक्रेटरी को कई बार घर लाकर चोदा था...सुमन के भी कई अफेयर्स थे...दोनो एक दूसरे की सेक्स लाइफ में दखल नही देते थे...दोनो ने एक क्लब भी ज्वाइन किया हुआ था...जिसमें वीकेंड पर होने वाली पार्टीस में सभी मर्द अपनी-2 गाड़ी की चाबियाँ एक टेबल पर रख देते और जिसके हाथ जो चाबी आती वो उसी गाड़ी में जाकर वहां पहले से वेट कर रही उस गाड़ी के मालिक की बीबी को वहीं चोद देता था...इस खेल में सभी को हर बार नयी-2 चूतें चोदने को मिला करती थी...उस क्लब में शशांक और सुमन ने करीब 1 साल तक जमकर मज़े किए.

पर जब उसे नयी नौकरी मिली तो उसे मुंबई आना पड़ा..यहां भी उसने ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की पर उस तरह के खुल्ले विचारो वाले लोग उसे मिल नही पाए...फिर उसने अपना ये सोसायटी वाला ग्रुप बना लिया जिसमें वो एक दूसरे की बीबी के साथ तो नही पर दूसरे तरीके से मज़े ले सकता था...वाइफ स्वेपिंग करने की जब भी वो बात छेड़ता तो कोई उसमे इंटरेस्ट ही नहीं लेता, वहीं दूसरी तरफ सुमन ने भी कई बार अपनी सहेलियो के मन टटोलने की कोशिश की पर अपनी एक दूसरे के पतियों के साथ सेक्स करने की बात वो सिर्फ़ हँसी मज़ाक में ही टाल दिया करती थी...

और इस बार की दीवाली पर राहुल और सबा को शामिल करके, शशांक अपने दिल की वो आरजू भी पूरी करना चाहता था जो उसके मन मे कई सालों से थी...यानी अपने दोस्तो की बीबियों को चोदने की....उसकी खुद की बीबी तो हमेशा से उसके साथ थी...बस वो बाकी सभी को अपनी संगत में लेकर एक साथ मज़ा लेना चाहता था...थोड़ा मुश्किल था,लेकिन उसे पूरा भरोसा था की इस बार वो ज़रूर कामयाब होगा.

अगले दिन से जुए का प्रोग्राम शुरू होना था...यानी मौज मस्ती से भरी रातें जो दिवाली तक चलने वाली थी..

और शशांक ने जाने से पहले सभी को एक ख़ास बात कही...इस बार की ताश की पार्टीस में सभी सिर्फ़ नाइट सूट्स में ही आएँगे...उसकी इस बात पर किसी ने भी आपत्ति नही की,क्योंकि तैयार होकर 2-3 घंटे तक बैठना काफ़ी मुश्किल होता था..

पर उसकी इस बात के पीछे उसका उद्देश्य वो नही समझ पाए...जो आने वाले दिनों में काफ़ी मददगार होने वाला था.
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RE: एक नंबर के ठरकी (from internet) - by Deadman2 - 01-12-2019, 04:05 PM



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