30-11-2019, 10:21 PM
बहुत देर तक हिलाने के बाद अंकल कांपने लगे और जोर जोर से उस किताब को चूमने लगे.और . ओ रश्मि .. ओ रश्मि कहने लगे... फिर उनके वीर्य की पिचकारियां गिरने लगीं
जो काफ़ी दूर तक जा रहीं थी... उन्होंने 10..... 12 पिचकारी मारी फिर ठंडे हो गए.. फिर उन्होंने अपना पजामा ऊपर करा और कुर्ते की जेब मैं वो किताब फोल्ड करके रख ली....
अब वो प्लॉट से बाहर निकलने लगे....
मै छत पर ही रहा और छिप कर देखता रहा...
अंकल आये और सीधे स्टोर रूम मैं घुस गए. फिर 1 मिनट बाद वापस दुकान मै चले गए... थोड़ी देर बाद मै उतरने ही वाला था कि तभी मुझे रश्मि कमरे से निकलती दिखाई दी मैं फिर रुक गया..
रश्मि ने दुकान मै झाँका फिर वापस घर मै आने लगी फिर सीधा स्टोर मै घुस गई... वो अंदर 2 ही मिनट रुकी थी फिर स्टोर से निकल कर घर मै जाने लगी उसने कुछ चीज अपने सूट के अंदर अपनी छाती से छुपाई थी... वो अंदर कमरे में घुस गई..
ज़ब काफ़ी देर बाद वो बाहर नहीं निकली तब मै उतर आया और दुकान मैं चला गया..... दुकान मैं अंकल कुर्सी पर आराम से बैठे थे और बड़े ही खुश लगा रहे थे..
मेने अंकल से पुछा अंकल खाली बैठे हो कुछ काम ही कर लेते...
अंकल हसकर बोले बेटा अभी काम शुरू करा है जल्दी ही पूरा कर लूँगा... अब एकदम से तो सब कुछ नहीं कर सकता.. थोड़ा समय तो लगता ही है....
उनका जवाब मुझे अजीब लगा फिर मेने उनहें कुछ पैसे दिए और बाजार से कुछ कील और पेंच लाने को कहा..
अंकल पैसे लेकर चले गए..
उनके जाने के कुछ देर बाद ही मै उस किताब को ढूढ़ने स्टोर रूम मैं गया...
स्टोर पूरी तरह साफ था थोड़ा बहुत ही सामान 2,, 3 कुर्सी और एक चारपाई थी..
सामने टेबल पर उनका बैग रखा हुआ था जिसकी चैन खुली हुई थी ...
मेने उसे खोल कर देखा तो उसमे सिर्फ उनके एक जोड़ी कपड़े थे और एक कच्छा बनियान था...
मैंने जल्दी जल्दी इधर उधर निगाह मारी पर मुझे वो किताब नहीं मिली..
मै मायूस होकर वापस दुकान में आकर बैठ गया... 10 मिनट बाद मुझे रश्मि के आने कि आहट हुई.. रश्मि आयी और स्टोर रूम मे चली गई फिर एक मिनट बाद वो दुकान में आकर बैठ गई...
उसका चेहरा पूरा लाल हो रहा था...
उसने मुझसे पूँछा अंकल कहां हैं..
मैंने बोला वो कुछ सामान लेने बाजार गए हैं.. थोड़ी देर मे आ जायेंगे...
फिर मैंने रश्मि से खाना लाने को कहा.. रश्मि बोली भाई मेरा शरीर टूट रहा है.. तू अंदर जाकर ही खाना खा ले ज़ब तक यहाँ मे बैठ लूँगी
फिर मे अंदर चला गया...
मैंने खाना रखा और खाने लगा....
आज मुझे सब अजीब लग रहा था...
रश्मि कभी दुकान मे नहीं बैठती थी... आज बिना बोले ही बैठ रही है...
अंकल भी बड़े ख़ुश थे...
मे समझ नहीं पा रहा था कि क्या मैटर है..
अचानक मुझे याद आया कि रश्मि पहले स्टोर से कुछ लेकर निकली थी
और बाद मे भी स्टोर मे गई थी...
बार बार मे यही सोच रहा था कि... बाद मे स्टोर में क्यों गई होंगी...?
मैंने जल्दी जल्दी खाना खाया और फिर दुकान मैं झाँका अंकल अभी तक नहीं आये थे ...
मे दबे पाँव वापस आया और स्टोर मे घुस गया इस बार मेरी नजर सीधा बैग पर गई...
मैं ये देखकर चौंक गया कि थोड़ी देर पहले बैग खुला हुआ था मेने बन्द नहीं करा था... तो अभी ये बैग बंद कैसे हो गया...
फिर मैंने जल्दी से बैग खोला... बैग मे सबसे ऊपर रश्मि की वही लाल कच्छी थी जो उस दिन मैने अंकल को दी थी...
मेने कच्छी अलग करके देखा तो उस पूरी कच्छी मैं तो अंकल ने अपना वीर्य बहाया हुआ था कुछ वीर्य सूखा था और कुछ गीला .....
पूरी कच्छी कहीं कहीं से ही लाल लग रही थी नहीं तो पूरी सफ़ेद हो चुकी थी... फिर मैने बैग मैं झाँका तो वो किताब मिल गई मैने कच्छी वहीं रखी और किताब उठा ली..
फिर मैंने किताब खोल कर देखी पहले फोटो मे एकदम अंग्रेज एक लड़की की चूचियाँ दबा रहा होता है ... और उस अंग्रेजन के चेहरे के ऊपर रश्मि का फोटो चिपका हुआ था.....
दुसरे फोटो मैं अंग्रेज रश्मि की चूत चाट रहा होता है तीसरे फोटो मै रश्मि की चूत पर अपना लण्ड रगड रहा था..
चौथे फोटो मैं उसने अपना लण्ड रश्मि की चूत मैं डाल रखा है
पाँचवी फोटो मैं उसने रश्मि को कुतिया बना रखा है और पीछे से उसके जोड़े हुए है.... छटे फोटो मे वो लेटा हुआ है और रश्मि उसके लण्ड पर बैठी हुई थी..
सातवे फोटो मैं रश्मि उसके लण्ड से ऊपर उठी हुई थी और उसकी चूत मे से अंग्रेज का वीर्य बह रहा था.....
मेरा करंट बन चुका था मैंने जल्दी से किताब और कच्छी वापस रख दी और दुकान मै जाकर बैठ गया.......
अब मेने रश्मि की तरफ देखा तो वो बड़ी बेचैन लग रही थी..
उसने फिर मुझसे पूँछा अंकल कब आएंगे...
मैंने फिर जवाब दिया बस आ ही रहे होंगे....
.............
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शेष कल
जो काफ़ी दूर तक जा रहीं थी... उन्होंने 10..... 12 पिचकारी मारी फिर ठंडे हो गए.. फिर उन्होंने अपना पजामा ऊपर करा और कुर्ते की जेब मैं वो किताब फोल्ड करके रख ली....
अब वो प्लॉट से बाहर निकलने लगे....
मै छत पर ही रहा और छिप कर देखता रहा...
अंकल आये और सीधे स्टोर रूम मैं घुस गए. फिर 1 मिनट बाद वापस दुकान मै चले गए... थोड़ी देर बाद मै उतरने ही वाला था कि तभी मुझे रश्मि कमरे से निकलती दिखाई दी मैं फिर रुक गया..
रश्मि ने दुकान मै झाँका फिर वापस घर मै आने लगी फिर सीधा स्टोर मै घुस गई... वो अंदर 2 ही मिनट रुकी थी फिर स्टोर से निकल कर घर मै जाने लगी उसने कुछ चीज अपने सूट के अंदर अपनी छाती से छुपाई थी... वो अंदर कमरे में घुस गई..
ज़ब काफ़ी देर बाद वो बाहर नहीं निकली तब मै उतर आया और दुकान मैं चला गया..... दुकान मैं अंकल कुर्सी पर आराम से बैठे थे और बड़े ही खुश लगा रहे थे..
मेने अंकल से पुछा अंकल खाली बैठे हो कुछ काम ही कर लेते...
अंकल हसकर बोले बेटा अभी काम शुरू करा है जल्दी ही पूरा कर लूँगा... अब एकदम से तो सब कुछ नहीं कर सकता.. थोड़ा समय तो लगता ही है....
उनका जवाब मुझे अजीब लगा फिर मेने उनहें कुछ पैसे दिए और बाजार से कुछ कील और पेंच लाने को कहा..
अंकल पैसे लेकर चले गए..
उनके जाने के कुछ देर बाद ही मै उस किताब को ढूढ़ने स्टोर रूम मैं गया...
स्टोर पूरी तरह साफ था थोड़ा बहुत ही सामान 2,, 3 कुर्सी और एक चारपाई थी..
सामने टेबल पर उनका बैग रखा हुआ था जिसकी चैन खुली हुई थी ...
मेने उसे खोल कर देखा तो उसमे सिर्फ उनके एक जोड़ी कपड़े थे और एक कच्छा बनियान था...
मैंने जल्दी जल्दी इधर उधर निगाह मारी पर मुझे वो किताब नहीं मिली..
मै मायूस होकर वापस दुकान में आकर बैठ गया... 10 मिनट बाद मुझे रश्मि के आने कि आहट हुई.. रश्मि आयी और स्टोर रूम मे चली गई फिर एक मिनट बाद वो दुकान में आकर बैठ गई...
उसका चेहरा पूरा लाल हो रहा था...
उसने मुझसे पूँछा अंकल कहां हैं..
मैंने बोला वो कुछ सामान लेने बाजार गए हैं.. थोड़ी देर मे आ जायेंगे...
फिर मैंने रश्मि से खाना लाने को कहा.. रश्मि बोली भाई मेरा शरीर टूट रहा है.. तू अंदर जाकर ही खाना खा ले ज़ब तक यहाँ मे बैठ लूँगी
फिर मे अंदर चला गया...
मैंने खाना रखा और खाने लगा....
आज मुझे सब अजीब लग रहा था...
रश्मि कभी दुकान मे नहीं बैठती थी... आज बिना बोले ही बैठ रही है...
अंकल भी बड़े ख़ुश थे...
मे समझ नहीं पा रहा था कि क्या मैटर है..
अचानक मुझे याद आया कि रश्मि पहले स्टोर से कुछ लेकर निकली थी
और बाद मे भी स्टोर मे गई थी...
बार बार मे यही सोच रहा था कि... बाद मे स्टोर में क्यों गई होंगी...?
मैंने जल्दी जल्दी खाना खाया और फिर दुकान मैं झाँका अंकल अभी तक नहीं आये थे ...
मे दबे पाँव वापस आया और स्टोर मे घुस गया इस बार मेरी नजर सीधा बैग पर गई...
मैं ये देखकर चौंक गया कि थोड़ी देर पहले बैग खुला हुआ था मेने बन्द नहीं करा था... तो अभी ये बैग बंद कैसे हो गया...
फिर मैंने जल्दी से बैग खोला... बैग मे सबसे ऊपर रश्मि की वही लाल कच्छी थी जो उस दिन मैने अंकल को दी थी...
मेने कच्छी अलग करके देखा तो उस पूरी कच्छी मैं तो अंकल ने अपना वीर्य बहाया हुआ था कुछ वीर्य सूखा था और कुछ गीला .....
पूरी कच्छी कहीं कहीं से ही लाल लग रही थी नहीं तो पूरी सफ़ेद हो चुकी थी... फिर मैने बैग मैं झाँका तो वो किताब मिल गई मैने कच्छी वहीं रखी और किताब उठा ली..
फिर मैंने किताब खोल कर देखी पहले फोटो मे एकदम अंग्रेज एक लड़की की चूचियाँ दबा रहा होता है ... और उस अंग्रेजन के चेहरे के ऊपर रश्मि का फोटो चिपका हुआ था.....
दुसरे फोटो मैं अंग्रेज रश्मि की चूत चाट रहा होता है तीसरे फोटो मै रश्मि की चूत पर अपना लण्ड रगड रहा था..
चौथे फोटो मैं उसने अपना लण्ड रश्मि की चूत मैं डाल रखा है
पाँचवी फोटो मैं उसने रश्मि को कुतिया बना रखा है और पीछे से उसके जोड़े हुए है.... छटे फोटो मे वो लेटा हुआ है और रश्मि उसके लण्ड पर बैठी हुई थी..
सातवे फोटो मैं रश्मि उसके लण्ड से ऊपर उठी हुई थी और उसकी चूत मे से अंग्रेज का वीर्य बह रहा था.....
मेरा करंट बन चुका था मैंने जल्दी से किताब और कच्छी वापस रख दी और दुकान मै जाकर बैठ गया.......
अब मेने रश्मि की तरफ देखा तो वो बड़ी बेचैन लग रही थी..
उसने फिर मुझसे पूँछा अंकल कब आएंगे...
मैंने फिर जवाब दिया बस आ ही रहे होंगे....
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शेष कल