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Adultery रीमा की दबी वासना
रोहित की भी आंखों में नींद नहीं आ रही थी वह बार-बार इधर-उधर बिस्तर पर करवट बदल रहा था और रीमा के बारे में सोचा था | आखिरी में इस तरह से कैसे गायब हो गई कि उसका कुछ भी सुराग नहीं मिल पा रहा है | सिक्युरिटी भी अपने हाथ-पांव मार रही है | उसके अपने खुद के आदमी भी रीमा को खोजने में लगे हुए हैं | कुछ तो क्लू मिले,  कुछ तो सुराग मिले | रीमा की किसी से दुश्मनी भी नहीं थी आखिर अचानक से क्या हो गया | अगर जग्गू से कुछ प्रॉब्लम  होती तो रीमा जरुर बताती | पता नहीं वो जिन्दा भी ई या किसी ने ...............नहीं नहीं ये मै क्या उल्टा सीधा सोच रहा हूँ | लेकिन अगर किसी ने सच में उसे मार दिया हो तो  | अगर ऐसा होता तो अब तक कहीं न कहीं लाश सिक्युरिटी को मिल गई होती | यही सोचकर ही रोहित के रोंगटे खड़े हो गए | उसके बाद में उसने खुद को समझाया और फिर से रीमा के बारे में सोचने लगा | 


कितनी खूबसूरत थी कितनी प्यारी सी थी और कितनी सुशील थी जब तक कि उनके बीच की शर्म और लिहाज से पर्दा नहीं हटा | रीमा  अपनी मर्यादा में ही रही और वो उसे देख कर  बस अपने अरमानो की आहें भरता रहा था | जब एक बार उसके रीमा के बीच की रिश्तो की शर्म का पर्दा हटा , फिर तो गजब हो गया | उसके बाद जिस भी रूप में रीमा को  रोहित ने देखा था वह हर बार पहले कि रीमा से बहुत ही अलग थी लेकिन जैसी भी थी कयामत थी कहर ढाती थी  |  रोहित को वह चरम सुख दिया  जो शायद ही कोई औरत दे सकती थी | रोहित के लिए वह बहुत स्पेशल थी भले ही उसके स्वर्गीय  भाई की पत्नी हो लेकिन क्या हुआ | रोहित भी रीमा के लिए बहुत खास था और रोहित के लिए रीमा  बहुत खास थी |  जो सुख उसे रीमा दे सकती थी या दिया था वो  शायद ही उसकी आसपास मडराती औरतों के झुंड में से ,  जो उसके जिंदगी में आई शायद ही कोई कर सकता हो | रीमा से जो उसे सुख मिला जो अपनापन मिला, उसे बाहर की वन नाइट स्टैंड वाली लड़कियां कहां दे सकती थी | कभी-कभी सज धज के ऐसे तैयार होकर निकलती थी तो जब मन करता था बस उसे ही देखता रहा हूं सारा कामकाज भूल जाऊं | रोहित तो उसके चेहरे को काफी देर तक निहारता रहता था | इतनी खूबसूरत इतनी कोमल रीमा कहां होगी,  कितनी मुसीबत में होगी,  कैसे जी रही होगी पता नहीं | गुंडे बदमाश कौन उठाकर ले गया है पता नहीं | उसके साथ क्या-क्या करेगा ? रीमा को सुरक्षा की चिंता भी रोहित को खाए जा रही थी | 


अनिल भी इसी सोच में डूबे हुए अपने बिस्तर पर इधर-उधर लुढ़क रहे थे और उसके दूसरी तरफ करवट करके लेती रोहिणी भी रीमा के बारे में सोच रही थी | आखिर रीमा के साथ क्या हुआ,  कुछ किसी को नहीं पता था | दोनों ही  अपने अपने खयालो में रीमा के बारे में ही सोच रहे थे | रोहिणी तो जैसे रीमा की दीवानी हो गई थी | इतनी प्यारी और खूबसूरत औरत का कौन दुश्मन हो सकता है | जो थोड़ी सी देर बात करने के बाद अपना पूरा दिल खोल के सामने रख देती थी इतनी भोली सुंदर सुशील दिल की साफ़  लड़की से किसी की क्या दुश्मनी हो सकती है | रोहिणी अपनी भावनाओं के सागर में डूबी हुई यही सब सोच रही थी | इधर अनिल भी रीमा के बारे में ही सोच रहे थे और  उनके रात में आने वाले  रीमा के सपनों को सोच समझकर लग रहा था कि अब शायद रीमा  उनके लिए बस सपना बनकर ही रह जाएगी | आखिर इस तरह से कैसे गायब हो सकती है 3 दिन से ज्यादा होने को आए थे और रीमा का अभी कुछ पता नहीं चल पा रहा था | वो रीमा के हुस्धीन के जाल में अभी भी फंसे हुए थे | धीरे-धीरे अनिल का हाथ खिसकता हुआ उनकी पैंट के अंदर चला गया | वह रीमा की खूबसूरती, अदा और उसकी लटके-झटके आंख बंद करके इमेजिन करने लगे और अपने लंड को सहलाने लगे | रीमा उनकी फेंटेसी थी उनकी सपनों की सौदागर थी | उनके सपनों की अप्सरा थी | उनके ख्वाबों की मलिका थी | 


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आखिर रीमा आज किसी मुसीबत में है तो अनिल को कैसे चैन हो सकता है लेकिन अपनी उस ख्वाबों की मलिका सपनों की अप्सरा को बारे में सोच समझकर ही अनिल के पेंट में तनाव आने लगता था और अभी भी वही हो रहा था | पड़ोस में दूसरी तरफ मुहँ किए हुए करवट से रोहिणी लेटी हुई थी लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था उनका हाथ अपने लंड पर चलने लगा था और वह रीमा के उस खूबसूरती के स्वप्न में आंखें बंद करके डूबने लगे थे | रोहिणी को भी रीमा याद आ रही थी कैसे दोनों ने पूरी रात हंसी ठिठोली करें और एक दूसरे को ना केवल नंगा किया न केवल एक दुसरे के जिस्म को छुआ बल्कि मन की गहराइयों को भी छुआ था | जिस्म का स्पर्श जब मन की गहराइयो को छु लेता है तो वो दिलो दिमाग में हमेशा के लिए अंकित हो जाता है |   उसने रीमा को एक नई चीज सिखाई | वह दोनों ने एक दूसरे के नाजुक से नाजुक प्राइवेट अंगों को छुआ, चुम्मा चाटी और एक दूसरे को वह सुख दिया जो शायद ही एक औरत ही दूसरे औरत को दे सकती है | रीमा कितनी भोली है जैसा रोहणी बताती गई थी रीमा वैसा करती  गई |  एक दूसरे के स्पर्श ने  पनी जवानी के उस सुख को महसूस किया जो शायद ही किसी मर्द के साथ एक औरत को मिल सकता था|  औरत का अनुभव ही  अलग होता है औरतों का स्पर्श हल्का होता है औरतों का स्पर्श  मादक होता है औरतों का स्पर्श  सहज होता है औरत का स्पर्श कीमल होता है उस कोमलता के एहसास को याद करके  रीमा के जिस्म की उस नरमी को और बदन की गर्मी को याद करके भी रोहिणी मदहोश हुई जा रही थी | आखिरी रीमा चीज ही ऐसी थी | उसके दिमाग पर भी रीमा का नशा पूरी तरह से चढ़ा हुआ था | उसका गुलाबी चिकना दमकता बदन और चिकनी चूत घाटी अभी तक रोहिणी भूली नहीं है | जब पहली बार रीमा को नंगा किया था तो अपलक उसकी खूबसूरती देखती रह गयी थी | आज भी उसकी वो सूरत उसके दिलो दिमाग में बसी है | 


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रोहिणी का  हाथ भी अपने उरोजो को मसलते मसलते अपनी पैंटी के अंदर घुस गया |  वह अपने चूत दाने  को उंगली से मसलने लगी थी | आखिर रीमा चीज ही ऐसी थी किसी को भी अपनी वासना के सागर में डूबा कर मदहोश कर दें और रोहिणी को रीमा के साथ बिताया हुआ हर वह पल जब वह दोनों एक-दूसरे के शरीर से चिपके हुए थे और उनके बीच में कपड़ों का कोई पर्दा नहीं था एक दूसरे को स्पर्श करते हुए एक दूसरे को टच करते हुए एक-दूसरे के शरीर से शरीर को जोड़ते हुए एक दूसरे की गहराइयों की नाप लेते हुए दूसरे के होंठों को चूमते हुए एक दूसरे में खोई जा रही थी उस पल को याद कर करके और अपने अंदर की दबी हुई लालसा को अपने चूत दाने को मसल मसल करके  दिमाग में जी रही थी


अनिल का मूड पूरी तरह से बन चुका था अब क्या करें रोहिणी को चोदे  या फिर क्या करें लेकिन हालात ऐसे नहीं थी जो वो रोहिणी से  कहें कि उन्हें उसे चोदना है | उन्हें पता था रोहिणी  भी दुख से भरी हुई थी | अनिल भी अंदर से उदास थे लेकिन क्या करें हैं | रीमा के मादक जिस्म ने  उनके  दिलो-दिमाग में जो आग लगा दी थी | उन्उहें कुछ तो करना ही था |  अपना लंड को हिला हिला कर के ही अंदर की हवस को बुझाने अनिल जी वहां  से उठे और स्टडी रूम में जाकर लेट गए | रोहिणी अपने में खोयी हुई थी इसलिए उसका ध्रूयान उस तरफ गया हि नहि |   स्टडी रूम में आकर के लाइट और कमरे के सारे परदे  बंद कर दिए | इसके बाद में सोफा लेटकर  अपने हाथ से लंड हिलाने लगे | उनके दिलो-दिमाग पर रीमा ही छाई हुई थी | रीमा उनके सपने में अक्सर आती रहती थी और वह सपने ऐसे होते थे कि अनिल को अपनी पिचकारी छोड़नी ही पड़ जाती थी | आज तो हो खुली आंखों से सपना देख रहे थे अपनी रीमां का जो उनकी सपनों की मल्लिका थी लेकिन आज पता नहीं इस अनहोनी के कारण उनसे दूर थी | उन्हें  पता भी नहीं था वह कहां है लेकिन उसके नाम की मुठ तेजी से मारने लगे थे और अपने लंड पर हाथ को फिसलने लगे थे | रीमा को चोदने की ख्वाहिश उनके अंदर हमेशा से थी और जब उन्होंने पहली बार रीमा की गुलाबी गरम कसी हुई चूत के दर्शन किए थे तब से तो जैसे उनके ऊपर नशा सा चढ़ गया था | उस कसी हुई गुलाबी चूत  को पाने की लालसा में तिल तिल कर  घुट रहे थे | ना किसी से कह सकते थे ना किसी को बता सकते थे | बस उसकी गुलाबी चूत की ललक में पागल हुए जा रहे थे | रीमा का वो गोरा दमकता बदन और उसके बड़े बड़े चुताड़ो के बीच में वो गुलाबी चीरा और उसकी दो फांके, उन्ही दो फांको के छेद ने तो उन्हें पागल कर रखा था | 


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 बस एक ही चारा था अपने लंड पर वह सारे अरमानों का गुस्सा उतार देते थे और अभी भी वही हो रहा था उनका हाथ उनके अपने लंड पर बहुत तेजी से फिसल रहा था अब उन्होंने पेंट खोल दी लंड पूरी तरह से तन गया था | कमरे में घनघोर अँधेरा और उस पर भी उनका काला मोटा मुसल लंड लार की चमक से चमक रहा था | 

 इधर रोहिणी भी अपनी प्यारी सी हंसती खिलखिलाती गुदगुदाती अठखेलियाँ करती  रीमा को सोच समझकर के मदहोश हुई जा रही थी आखिरी में कहां होगी..... किस हाल में होगी उसने कुछ खाया होगा नहीं खाया होगा पता नहीं किन जालिमों के हाथ में वह होगी | उसे हमारी याद आ रही होगी या नहीं आ रही होगी | हम उसके लिए कितने परेशान हैं या वह किन मुसीबतों में पड़ी होगी इसका कोई भी अंदाजा नहीं था | यही सब सोच सोच कर रोहिणी  परेशान हो रही थी और उसकी पैंटी में उसकी चल रही उंगली थम गई | आखिर वह क्या करें इतनी असहाय कभी नहीं थी वह जान चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी | आखिर रीमा का पता कैसे लगाया जाए | रीमा की कल्पनाओं में खोई हुई रीमा को लेकर परेशान रोहिणी ने भी फिर से अपना हाथ अपनी  पैंटी में घुसा दिया | उसने अपनी गर्दन घुमाकर देखी  अनिल वहां नहीं थे | वह समझ गई अनिल भी रीमा के नशे में चूर हो गए हैं | अब रोहिणी के सामने खुला मैदान था वह कुछ भी कर सकती थी | उसने अपना नाईट गाउन उतार फेंका | फिर धीरे से पैंटी भी खिसका दी | अब बस उसके जिस्म पर ब्रा रह गयी थी | उन्होंने  तेजी से अपनी चूत दाने को रगड़ना शुरु किया | अपनी आंखें बंद कर वह बस रीमा के बारे में सोचने लगी जैसे रीमा अभी उसके पास ही हो | वो बिस्तर पर लेती हो और रीमा उसके ऊपर छाई हो | उसे चूम रही हो सहला रही हो उसके बड़ी-बड़ी उठी हुई छतिया उसकी छातियों से टकराकर के एक दूसरे में  चूर हो रही हो | उसके बदन की नरम गर्माहट से रोहिणी की वासना का ज्वार भी बढ़ने लगा हो |  दोनों के आपस में रगड़ते बदन एक ऐसी गर्मी पैदा कर रहे हो  जो शायद उन दोनों को जलाकर के रख कर देगी | रोहिणी की चूत दाने पर तेज फिसलती उंगली  की रगड़न से उसके पूरे शरीर में वासना की तरंगों बहने लगी | रोहिणी ने एक हाथ की उंगलियाँ अपनी चूत घुसा दी दुसरे से वो चूत दाने को मसल रही थी | उसकी कल्पना में ऐसा उसने सोच रखा था जैसे रीमा उसके ऊपर छाई हुई हो उसे चूम रही हो चाट रही हो और उसकी चूत में उंगली कर रही हो, उसके चूत दाने को मसल रही हो |  जबकि एक हाथ से वह अपनी चूत दाने को रगड़ रही थी और दूसरे हाथ की उंगलियों से अपनी चूत को चोद रही थी | 
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रोहिणी कल्पना कर रही थी कि यह सब कुछ रीमा कर रही है आखिर रोहिणी  की वासना का पारा पूरी तरह से चढ़ा हुआ था वह भी पूरी तरह से रीमा के हुस्न के  जाल में मदहोश हुई पड़ी हुई थी आखिर क्यों हो रीमा ऐसी चीज ही थी | रोहिणी को मदहोश होना बनता था | रीमा की वासना के जाल में जाकर रोहिणी खुद को चोद कर रगड़ कर अपनी प्यास बुझाने की कोशिश कर रही थी ताकि उसके परेशान मन को थोड़ी सी शांति मिले | 


उधर अनिल का भी यही हाल था उनका लंड पूरी तरह से अब कपड़ों के जाल से मुक्त था और पूरी तरह से सीधा ऊपर की तरफ तो ना हुआ था अंधेरे में भी अगर कोई नजदीक जाकर देखें तो ऐसा लग रहा था जैसे फुट भर का कोई डंडा उनके शरीर से निकलकर के छत की तरफ को सीधा तना हुआ है और उस पर तेजी से उनका हाथ फिसल रहा था | वह रीमा की कल्पना करके खुद का मुट्ठ मार रहे थे और सोच रहे थे जैसे वह रीमा की गुलाबी चूत को चोद रहे हो  | रीमा के गुलाबी जिस्म को अपने सख्केत हाथो से थामे उसकी उन्नत नुकीली पहाड़ियों को मसलते हुए अपना मुसल लंड उसकी गुलाबी कसी चूत में पेल रहे हो | उसके  गुलाबी जिस्म के उठे हुए उन्नत नुकीली पहाड़ियों का रस पी रहे हो | उसके मीठे रसीले गुलाबी नर्म होठों का रस चख रहे हो और उसके जिस्म को भोग रहे हो लेकिन असल में वह सिर्फ मुट्ठ मार रहे थे | रीमा को पाने की लालसा ने जो अनिल को पूरी तरह से अपनी काबू में ले रखा था उन्हें रीमा के अलावा कुछ नहीं सूझ नहीं रहा था |  रीमा के किडनैप होने के बाद से जो जैसे वह बस दिन-रात रीमा के बारे में ही सोचते रहते थे और चिंता से घुले हुए गले जा रहे थे और वहीं उनकी चिंता कब उनकी वासना में बदल गई उन्हें खुद नहीं पता चला | रीमा की चिंता अब रीमा की वासना में बदलकर के उनके उनके दिलो-दिमाग में भर गई थी और उसी को बुझाने के लिए वह स्टडी रूम में तेजी से अपने लंड को मुठिया रहे थे
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 30-11-2019, 10:23 PM



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