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Adultery रीमा की दबी वासना
रीमा ने जितेश के सीने पर अपना सर रख दिया और जितेश ने भी अपना हाथ रीमा की पीठ पर रख दिया | दोनों एक दूसरे के से चिपक कर अपनी अपनी  सांसे काबू करने लगे | दोनों तेजी से हाफ रहे थे उनके शरीर पसीने से लथपथ थे | वह दोनों  खुद को काबू करने की कोशिश करने लगे और अपनी लंबी लंबी तेज सांसों को नियंत्रित करने लगे | जितेश ने अपनी आंखें बंद कर ली थी उसे जो सुख प्राप्त हुआ था वह जिस आनंद के सागर में गोते लगाकर अभी अभी निकला था उसकी कल्पना भी उसने कभी नहीं की थी |  वह आंखें बंद करके बस उसी पल को हमेशा के लिए अपने दिलो-दिमाग में सजा लेना चाहता था | रीमा भी खुद को काबू कर रही थी | रीमा जितेश जितेश के सीने पर हाथ रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगी जितेश का हाथ रीमा के चूतड़ों पर चला गया और वह उसके चूतड़ों को सहलाने लगा था | दोनों छत की तरफ देख रहे थे इस लंड चूसाई से रीमा को प्रियम की याद आ गई जब उसने पहली बार प्रियंम का लंड चूसा था इसलिए  रीमा अपने पुराने अतीत में चली गई | प्रियम  का ख्याल आते ही उसे अपने घर का ख्याल आने लगा | उसे प्रियम रीमा अनिल रोहिणी सब याद आ गए | आखिर वह कैसे होंगे ? कहां होंगे ?  मेरे बिना वह किस हालत में जी रहे होंगे पता नहीं उन्होंने खाना खाया होगा नहीं खाया होगा कितने परेशान हो रहे होंगे मेरे लिए ? यही सब सोच सोच कर रीमा की जान निकली जा रही थी कुछ पल पहले वह खुशी  और आनंद के सागर में गोते लगा रही थी और अब उसके मन में अवसाद और दुख भरा हुआ था वह समझ नहीं पा रही थी आखिर उन पर क्या बीत रही होगी, वह बस यही सोच सोच कर परेशान हो रही थी पता नहीं किस हालत में वो लोग होंगे और कहां-कहां हाथ-पांव मार रहे होंगे मुझे ढूंढने के लिए मैं यहां से कब निकलेगी मुझे लगता है जितेश से मुझे बात करनी चाहिए मुझे मेरे घर पहुंचा दे | न पंहुचा दे तो कम से कम एक फ़ोन कर दे | या मेरी फ़ोन पर बात करा दे | वो हैरान थी आखिर जितेश इस ज़माने में बिना फ़ोन के रहता कैसे है | यहाँ से निकलने में खतरा  तो रहेगा लेकिन कम से कम में जितेश से बात तो कर ही सकती हूं जब भी जितेश को सही लगेगा मुझे यहां से निकाल कर बाहर घर पहुंचा देगा | सूर्य देव के आदमी चारो तरफ घूम रहे होगे |  पर क्या करूं खतरा तो है ही है खतरे से डरकर कब तक इस कमरे में बंद रहूंगी | 




उधर जब रीमा अनिल और रोहित को नहीं मिली | तो दोनों बेचारे पुरे सिक्युरिटी दल के साथ वापस अपने शहर आ गए हैं | हालांकि पोलिस ने अपना पूरा जाल बिछा दिया था | छोटे बड़े हर गुंडे के मूवमेंट पर नजर रखी जा रही थी | इधर रोहित ने भी अपने निजी जासूस को रीमा का पता लगाने में लगा रखा था लेकिन समस्या ये थी ये क़स्बा पूरी तरह से सूर्यदेव के कब्जे में था इसलिए इतनी जल्दी यहाँ रोहित के जासूसों के लिए घुसपैठ करना आसान नहीं था | रोहित उनसे बार-बार लगातार संपर्क कर रहा था लेकिन रीमा का कोई अता-पता नहीं था | रोहित कुछ भी कमी बाकि नहीं रखना चाहता था उसने रिटायर हो चुके एक जान पहचान के इंटेलिजेंस के ऑफिसर को रीमा की खोज के लिए लगाया, जिसकी खुद की अपनी जासूसी की एजेंसी थी | उसने रीमा के इस तरह गायब होने की वजह जानने की कोशिश करी, लेकिन इसका जवाब न तो रोहित के पास था न पोलिस के पास | ऊपर से विलास के बेटे की मौत का मामला भी टॉप सीक्रेट हो गया था इसलिए कड़ियाँ जोड़ना तो छोड़ो पकड़ना मुश्किल हो रहा था | विलास अपनी मौत के शोक में आग बबूला बैठा था | अपने घर के क्रिया कर्म करते ही वो कहर बनकर सब पर टूटेगा ये, उसे जानने वाले सबको पता था | सूर्यदेव को भी ये बात पता थी इसलिए उसके पास ज्यादा दिन नहीं थे | उसे भी हर हाल में रीमा को ढूंढकर विलास के सामने करना था नहीं तो वो कुत्ते की मौत मारा जाता | सिक्युरिटी अपने स्तर  हाथ-पांव मार रही थी लेकिन अब सिक्युरिटी कड़ियां जोड़ने पर और जिन लोगों पर शक था उनको उठा उठा कर पकड़ कर पूछताछ कर रही थी और यह काम लंबा था और इसलिए रातो रात रिजल्ट मिल पाना नामुमकिन था | यही सब  समझते हुए अनिल और रोहित दोनों ही वापस अपने घर की तरफ लौट आए  थे | रोहित के घर पर रोहिणी प्रियम अनिल और उनके दोनों बेटे और बेटी कमरे में बैठे हुए थे टीवी पर रीमा के गायब हो जाने की खबर चल रही थी और पूरे शहर को पता चल गया था कि रीमा गायब हो गई है | प्रियम को भी पता चल गया था रोहिणी को भी पता चल गया था और भी पूरे शहर को भी पता चल गया था | घर में सभी इस तरह से दुख में मायुस सा चेहरा बनाये थे  जैसे घर में मातम मनाया जा रहा हो |  सभी के मन में एक ही बात थी आखिरी रीमा ने किसी का क्या बिगाड़ा था वह तो इतनी सीधी और सरल थी | कभी किसी से तेज आवाज में बात तक नहीं करती थी | सभी शोक में डूबे हुए थे रोहित और अनिल ने दूसरे को देखा और रोहिणी की तरफ देख कर बोले - बच्चो इस तरह से परेशान होने की जरुरत नहीं है | पोलिस ने बोला है अगले 24 घन्टे में रीमा मिल जाएगी |

रोहित - मुझे लगता है दीदी बच्चों को खाना खिला कर सुला देना चाहिए | 
रोहिणी  ने भी हामी भरी | 
वह प्रियम के साथ-साथ अपने दोनों बच्चों को ले करके खाना खिलाने के लिए ले जाने लगी | 
इधर अनिल और रोहित दोनों आगे क्काया किया जाये इस बारे में सोचने लगे | काफी  देर तक इसी बात की चर्चा करते रहे कि आखिर और कौन-कौन से तरीके हैं जिसे रीमा को जल्दी खोजा जा सके | तभी रोहित का फ़ोन बजा | वो शहर की ही एक बड़े सिक्युरिटी  अधिकारी का फ़ोन था | 
रोहित के साथ उसकी हाय हल्लो हुई फिर वो पोलिस क्या कर रही है ये अपडेट देने लगा | रोहित ने अपना फ़ोन स्पीकर पर कर दिया |
अधिकारी - रोहित तुम परेशान मत हो | हम रीमा को जल्दी ही खोज लेगें | अब तक मेरा जो अस्सेमेंट है रीमा वही उसी कस्बे में है | कस्बे के बाहर हमने नाकाबंदी कर रखी, वहां से निकलने वाले हर गाड़ी की जाँच की जा रही है | सूर्यदेव नाम के गुंडा वहां तस्करी और दुसरे काले धंधे करके खुद को उस कस्बे का माफिया घोषित कर रखा है | उसके हर आदमी और मूवमेंट पर हमारी नजर है | वहां की पोलिस भी बहुत सहयोग कर रही है | मैंने रीमा के कॉल डिटेल्स निकाल लिए है | उस पर ग्रोसरी स्टोर पर हुए हमले से भी इसका कोई न कोई लिंक हो सकता है | हम हर पहलू से जाँच कर रहे है | कल सुबह तक रीमा की पहचान बताने वाले को हम ढाई लाख का इनाम भी घोषित करवा देगें | इसके अलावा सारे ऑटो और रिक्शा वाले भी हमारे राडार पर है | सूर्यदेव पर हमारी नजर है जरुरत पड़ी तो सूर्यदेव को हिरासत में ले लेगे | असल में वो विलास और मंत्री जी खास आदमी है इसलिए अभी उस पर हाथ डालने का मतलब खुद के हाथ जलाना है | थोड़ा सा धैर्य रखो, अगर हमें एक भी सुराग मिला तो तुरत सूर्यदेव को धर दबोचे | 
रोहित - यार मिलन्द ये सूर्यदेव है कौन, इतने सालो से यहाँ हम रह रहे है | आसपास के आठ दस जिलो की तो सारी कुंडली हमें पता है | इसका नाम कभी नहीं सुना | 
मिलिंद - हाँ सरप्राइज तो हमारे लिए भी है, सुना है विलास से इसकी कुछ खटपट भी हुई है हालिया बिज़नस को लेकर | फिलहाल इसका नाम तीन साल पहले ही हमारे राडार पर आय है जब हमने १० किलो कोकीन जब्त की थी | चूँकि हमारा जिला नहीं लगता इसलिए फिर ज्यादा कोशिश नहीं की गयी | ऊपर से बॉस का भी आदेश था मामले की जाँच बंद कर दो | लेकिन मै उस जिले से इसके सारे काले कारनामो का किस्सा निकलवा रहा हूँ | 
रोहित -अच्छा एक बात बता मिलिंद ये विलास वही न जिसका रिवर लाउन्ज में मंत्री जी के साथ पार्टनर शिप है | 
मिलिंद - हाँ वही, तू जानता है उन्हें | 
रोहित - हाँ पैराडाइज का सेटअप तो मैंने ही किया था | तभी मुलाकात हुई थी |
मिलिंद - कभी उसके दर्शन हमें भी करा दे |
रोहित - उसमे क्या है कभी भी चला जा |
मिलिंद - हम सरकारी नौकर है, पैसो का पेड़ नहीं लगा है | इतना महंगा है, एक विजिट में दो महीने की सैलरी निपट जाएगी | 
रोहित - भाई मजे लेगा तो जेब तो ढीली ही होगी | अच्छा ये सब छोड़ ये बता विलास के साथ कुछ त्रासदी हुई है क्या | शहर की हाई सोसाइटी सर्किल में घूम रहा है कुछ भयानक हो गया है विलास के साथ | उसके बेटे ने आत्महत्या कर ली है |
मिलिंद - टॉप सीक्रेट है बताना मत किसी को, उसके बेटे को किसी ने गोली मारी है वो भी जंगल के बीचो बीच में | उसकी लाश पूरी तरह से नंगी मिली है | किसी लड़की का चक्कर होगा पक्का बता रहा हूँ | आगे जाँच करने का आदेश नहीं वरना सब पता चल जाता | किसी उलटा खोपड़ी के आदमी की बेटी को चोदने की कोशिश की होगी या चुदाई के बीचो बीच पकड लिया होगा | तुरंत ही पेल दिया | ये मै इसलिए कह रहा हूँ वहाँ से एक साड़ी या दुप्पटे का कपड़े के धागे मिले है | मतलब वहां कोई लड़की आई या लायी गयी |
रोहित - ये कब की बात है |
मिलिंद - ये तो रीमा भाभी गायब हुई है | ओह शिट ........................बुत जग्गू और रीमा के बीच कोई कनेक्शन नहीं है |
रोहित - ओह शिट शिट शिट ये मेरे दिमाग में अब तक क्यों नहीं आया | 
मिलिंद - क्या नहीं आया ?
रोहित - रिवर लाउन्ज में बवाल हो गया था | जग्गू ने किसी लड़की के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करी थी और तुम्हे तो पता है रीमा कितनी आदर्शवादी है | उसने वहां हंगामा खड़ा कर दिया था | हालाँकि वो लड़की थी तो साली रंडी ही लेकिन रीमा को सब अपने जैसे लगते है | सच्चे आदर्शवादी ...................विलास को माफ़ी मांगनी पड़ी थी | लेकिन मुझे डाउट है विलास उस बात को लेकर आगे गया होगा | 
मिलिंद - लेकिन वो नशेड़ी उसकी औलाद |
रोहित - लेकिन रीमा के खिलाफ जग्गू .....................वो तो मेरे बेटे प्रियम का भी अच्छा दोस्त था, लेकिन सच ये भी है रीमा की वजह से उसका कॉलेज छुट गया था |
मिलिंद - अब आगे क्या करना है, विलास पर सीधे सीधे हाथ डालने का मतलब है नौकरी गयी | 
रोहित - मुझे लगता है कुछ न कुछ तो जग्गू और रीमा के बीच कनेक्शन है | मुझे कुछ पता चलता है तो तुझे बताता हूँ | 
इतना कहकर फ़ोन काट गया |
  थोड़ी देर बाद बच्चे जब खाना खाकर अपने अपने कमरों में चले गए तो रोहिणी भी वहां आ गई और वह भी जानकारियां लेने लगी थी | उसके बाद रोहिणी ने सबके लिए खाना लगा दिया | उसके बाद में बेमन से थोड़ा-थोड़ा खाना रोहित अनिल और रोहिणी ने खाया |  अपने अपने कमरे में चले गए थे सबके दिमाग में इसमें बस एक ही बात घूम रही थी आखिर रीमा इस तरह से कैसे गायब हो गई क्या हुआ कैसे हुआ अभी उनको सारी बात नहीं पता चली थी इसीलिए वह इन सब रहस्यों से अनजान थे | सब कुछ बस अनुमानों पर टिका था, रोहित आखिर कैसे पता लगाये की जग्गू और रीमा की बीच क्या कुछ हुआ था | प्रियम से पूछता हूँ शायद कुछ पता चले | लेकिन जब वो प्रियम के कमरे की तरफ गया | तो बाहर की आहट सुनते ही प्रियम सोने का नाटक करने लगा | रोहित उसको सोता देख वापस आ गया और सुबह उससे बात करने की सोचने लगा |



काफी देर तक सभी लोग अपने-अपने कमरे में बिस्तर पर इधर उधर लुढ़कते  रहे न रोहिणी की आंखों में नींद थी ना ही रोहित की आंखों में नींद थी ना ही अनिल की आंखों में नींदे और ना ही प्रियम की आंखों में नींद थी | प्रियम को  लग रहा कही न कही उसकी वजह से तो चाची मुसीबत में नहीं फंस गयी | आखिर थी तो उसकी चाची ही | चाची से जो भी लड़ाई झगड़ा मारपीट गुस्सा मान मनोबल चलता था वो सब तो रिश्ते का हिस्सा था |  उसकी चाची ने ही उसे वह जिंदगी के राज बताएं थे जो शायद उसको अपनी जवानी की दहलीज के आगे निकल जाने के बाद पता चलते | उन्होंने उसे वह सारे राज कच्ची जवानी में बता दिए थे | रीमा चाची की वजह से उसने उतना सब कुछ इस कच्ची उम्र देख लिया था जो शायद उसे अभी देखने की उम्र नहीं थी | चाची ने उसका लंड चूसा था, अपने खूबसूरत से गुलाबी जिस्म का कोना कोना दिखाया था |  इसीलिए वह अपनी चाची के जवान गोरे जिस्म  का दीवाना था | उसके दिलो-दिमाग मेरी रीमां चाची ही छाई रहती थी | उसे सही गलत न केवल समझती थी बल्कि जवानी के रहस्य भी बताती थी, उन्हें कर कर दिखाती थी | उसका लंड जब जब रीमा चाची के लिए खड़ा हुआ हर बार उसकी प्यास को उन्होंने चूस कर बुझाया था |  अफसोस चाची अचानक से  गायब हो गयी उनका कोई पता नहीं लग रहा | अपना गोरा बदन दिखाया, अपने दूध दिखाए न केवल दिखाये बल्कि पीने को भी दिया | अपनी गोरी गुलाबी चूत दिखाई और चुदने को भी दिया | नाराज होती थी तो प्यार भी करती थी | आखिर कौन अपने जिस्म का कोना कोना दिखाकर जवानी के गुर अब उसे समझाएगा | जो गलत होता था उसकी सजा देती थी डांटती थी | लेकिन अपने सीने से भी चिपका लेती थी | कौन करेगा इतना प्यार उसे | उसे चाची को दुःख नहीं पंहुचना चाहिए था | माँ की तो कभी शक्ल तक देखने की नहीं मिली अब चाची भी चली गयी | 
 अब क्या करेगा  चाची के बिना यही सब सोच सोच का उसकी आंखों में आसूं आ गए | आखिर कहाँ चली गयी तुम रीमा चाची | 
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 30-11-2019, 08:31 AM



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