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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
#21
उसकी इतनी शराफत असह्य थी, मैं कोई खुरदुरा, कठोर व्यवहार चाहती थी, मैं अपने प्रति गुस्से से भरी थी।

कलाकार ने जोर से धक्का दिया और मेरे कौमार्य पटल को फाड़ता जड़ तक घुस गया।

दर्द से मेरी चीख निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

“रुकना मत!” मैंने दाँत पीसते हुए कहा। मेरा प्रेमी सामने खड़ा है।

कलाकार जैसे जागा और जोर जोर धक्के लगाने लगा। मैं दाँत पीसती दर्द से चिल्लाती रही और सुन सुनकर वह और जोर जोर ठोकता रहा।

मैंने चिल्लाकर ब्वायफ्रेंड से पूछा- तुमने मुझे बताया नहीं… क्या तुम मुझे प्यार करते हो?

मैं धक्कों में ऊपर नीचे हो रही थी, और पेड़ू पर थप थप जोर जोर बज रहा था।

कलाकार अब और नहीं थम सका, गुर्राता हुआ मेरे अंदर छूटने लगा- हुम्म… हुम्म… हुम्म…

‘थप थप थप…’ वीर्य की लहरें खून के साथ मिलकर सब तरफ लिथड़ने लगीं।

कुछ छींटे मेरे चेहरे पर आ पड़े।

पूरी ताकत से ठेल ठेलकर उसने अंतिम बूंद तक खाली किया और मेरे गर्भ-कलश को अपने बीज से भरकर बाहर निकल आया।

उसके लिंग पर गाढ़े लाल द्रव की मोटी लकीरें खिंची थीं। मेरे जीवन का पहला पुरुष अंग, मेरा उद्घाटन करने वाला।

मेरा प्रेमी भी उसे देख रहा था।

मेरी क्षत-विक्षत योनि से उड़ेल-उड़ेलकर लाल द्रव निकल रहा था। कुर्सी की सीट गंदी हो गई थी। मैंने रूमाल छेद पर दबा लिया। घाघरे को खींचकर पैरों को ढक लिया।

कलाकार बाथरूम की ओर प्रस्थान कर गया।

ब्वायफ्रेंड जैसे किसी आवेग से दौड़कर मेरे पास आया- ये क्या कर लिया?

“बड़े उतावले थे… कर लो तुम भी!”

“प्लीज, इतना इंसल्ट न करो।”

“अब बोलो ‘आय लव यू’!”

“प्लीज दीपिका!”

“मैंने इतना तुम्हारे लिए किया…!” भावावेग से मेरा गला रुंध गया।

“मुझे मालूम नहीं था कि तुम मेरे कहने का बदला इस तरह लोगी।”

“मैं अपनी जान भी ले लूंगी। मैंने क्या सोचा था, तुमने क्या किया ?

कलाकार बाहर आया, कपड़े पहने, पैंट कसी, उसके गालों पर मेरी योनि के प्रथम स्पर्श के स्वस्तिक कलश बड़े प्यारे लग रहे थे।
उस क्षण कलाकार मुझे बहुत अपना-सा लगा।

मैं उठी और बाथरूम चली गई।

घाघरा भीग गया था। दूसरा घाघरा नहीं था।

बाहर कमरे में गई तो देखा, मेरा ब्वायफ्रेंड कलाकार से कुछ बोल रहा था।

कलाकार ने मुझे देखकर कहा- मैडम, ये मुझे मेरी कलाकारी के पैसे चुकाना चाह रहा है। मैं आपकी इजाजत के बगैर पैसे कैसे ले सकता हूँ।

ब्वायफ्रेंड- प्लीज… मुझे देने दो!

कलाकार- मैंने कहा है कि मैं इस काम के पैसे तभी लूंगा, जब उसे पसंद किया जाएगा।

ब्वायफ्रेंड- मुझे यह कलाकारी बहुत पसंद आई है, और…

मैंने लज्जा से सिर झुका लिया।

पैसे अदा करके ब्वायफ्रेंड मेरी तरफ आया- थोड़ी देर रुकना।

वह जल्दी से नया घाघरा लेकर आया। मैंने आर्टिस्ट के स्वस्तिक-कलश छपे गालों को चूमा और ब्वायफ्रेंड के साथ बाहर निकल गई।
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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 29-11-2019, 10:22 AM



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