29-11-2019, 10:19 AM
कलाकार ने मेरे हाथ से फोन लेकर रख दिया और पुनः भक्ति भाव से काम में लग गया। मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था, पता लग रहा था क्यों मेरी सखियाँ इसके लिए बार बार कहती थीं।
“वो आकर मार-पीट तो नहीं करेगा?”
“बड़ा पोजेसिव है!”
लेकिन उसके इसी स्वामित्व भाव की तो मैं उसे सजा देना चाहती थी।
“आ…ह…!” मैंने अपने पेडू को और आगे ठेलने की कोशिश की। मेरी मुड़ी हुई टांगें दुखने लगी थीं। लेकिन इस आनन्द के सामने ये दर्द क्या था!
“आ…ह!”
वह दबाव के साथ कुरेद रहा था। कोमल होंठों और जिह्वा की ये रगड़ अद्भुत थी।
“आह आह आह! कुछ और बढ़ो यार!”
मेरी भगनासा को उसने जड़ के आसपास से घेरा और होंठों के नीचे दांत छिपाकर कचड़ दिया।
“अरे ब्बा…..!” मैं घबरा सी गयी।
उसने भगनासा को छोड़ दिया, मुझे रहत मिली।
उसने ये क्रिया फिर से दुहराई, लेकिन इस बार उसने भगनासा को छोड़ा नहीं, बल्कि जोर जोर चूसने लगा। आनन्द पीड़ा में बदल गया और मैं उससे निकलने के लिए छूटने लगी। आह आह आह आह… मैं रोने के जैसी कर रही थी। मैंने उसे छोड़ने के लिये कहा तो उसने मेरे नितम्ब पकड़ लिए।
मैंने अंतिम जोर लगाया- ओ…ह, छोड़ो!
उसने छोड़ दिया।
पहला चरम सुख!
मैंने धीरे धीरे आँखें खोलीं, नजर डबडबा गयी, आंसू निकल आए थे।
वह मेरी आँखों में देख रहा था।
उसने मेरा रुमाल लिया और मेरी आँखें पौंछीं, झुककर मुझे चूमा।
मेरी इच्छा हुई कि थैंक्स बोलूँ। अपनी योनि की गंध उसके मुँह पर पाकर शर्म आई और अच्छा लगा।
“चलो अब चलें… वो कभी भी आ सकता है…”
मैं यही तो चाहती थी, बॉयफ्रेंड से बदला लेना।
मैं उसकी कमर के बटन खोलने लगी।
“तुम करना चाहती हो?”
जवाब में मैंने उसकी चेन खींच दी। एक ये है, इस अवस्था में भी यह मुझसे पूछ रहा है कि चाहती हूँ कि नहीं। एक वो है, मेरा बॉयफ्रेंड… जबरदस्ती कर रहा था।
कितने अलग हैं दोनों!
मैंने उसकी पैंट को कमर से नीचे खिसका दिया। चड्डी में बहुत बड़ा उभार था, पता नहीं, इस मामले में कैसे हैं दोनों।
उसने पैंट पैरों से बाहर निकल लिया। मैं चड्डी के अन्दर की वस्तु के प्रति डरी हुई थी। पता नहीं कितना बड़ा है।
वह मेरा इन्तजार कर रहा था- तुम निकालो इसे!
आख़िरकार मैंने हिम्मत करके उसकी कमर में उंगलियाँ फंसाईं और झटके से नीचे खींच दी, उछलकर लिंग बाहर आ गया।
बाप रे… उस बॉयफ्रेंड के लिए मेरा गुस्सा और बढ़ गया; उसकी खातिर मुझे इतना बड़ा अपने अंदर लेना पड़ेगा।
कलाकार ने मेरे टॉप को उतारने के लिए पकड़ा। अब ये मामला प्यार का होता था, मैं ब्वायफ्रेंड से प्यार का बदला नहीं लेना चाहती थी, उसने मेरे साथ विश्वासघात नहीं किया था। उसने मेरे साथ सेक्स करने की कोशिश की थी। मुझे सेक्स का ही बदला लेना था, मैंने कलाकार को रोक दिया- रहने दो।
मैंने कलाकार के चेहरे को पकड़कर उसे चुम्बन दिया। चुम्बन उसकी कला-प्रतिभा, सज्जनता और शालीनता के लिए थे। फिर चुम्बन, फिर चुम्बन, और क्रमशः लम्बे होते चुम्बन। इस सुख को अपने ब्वायफ्रेंड से पति के रूप में सुहाग सेज पर पाना चाहा था।
मैं उसको मन में दिखाती हुई और जोर से चुम्बन ले रही थी।
मैंने कलाकार की कमर अपनी तरफ खींची। उसका लिंग अब तक मेरे योनि होंठों को कभी छू, कभी अलग हो रहा था। मैंने उसे अपने पर दबा लिया।
दरवाजे पर दस्तक हुई।
“कम इन।”
“दरवाजा खुला है?” मैंने कलाकार से पूछा।
“यस, इट्स ओपन!” कलाकार ने लिंग को दाहिने बाएँ हिलाकर मेरे योनि द्वार को ढूंढते और उस पर लिंग को सेट करते हुए कहा।
“तब भी तुम इतना कर गए? डर नहीं लगा?”
“सिर्फ तुम्हारे लिये… अगर तुम्हें डर नहीं लगा तो मुझे कोई डर नहीं?”
“क्या कोई लड़की ग्राहक यहाँ आई है?” ब्वायफ्रेंड की ऊँची आवाज बाहरी कमरे से आई।
हम दोनों में से कोई नहीं बोला… खुद आएगा।
“दीपिका, यहाँ हो?” कहता हुआ वह अंदर आया।
मैंने कलाकार की कमर पकड़ ली; वैसे भी उसे बढ़ावा देने की जरूरत नहीं थी, उसने धक्का दिया, लिंग होंठों के पार हो गया।
स्स्स… मैंने दाँत पर दाँत रख लिये। पहला खिंचाव! ओह…!
“ये क क्क क्या कर रही हो!!!” विस्मय से उसकी आवाज हकला सी गई।
कलाकार शायद मुझे फैलने देने के लिए रुकना चाहता था। मैंने उसे लगातार दबाते रहने के लिए प्रेरित किया।
“क्या यह तुम्हारा पहली बार है?”
पता नहीं मैंने उसे बताया था कि नहीं… पर इस सवाल में उसके पौरुष की घोषणा थी। मेरे प्रेमी के सामने मुझसे पूछ रहा था- इज दिस योर फर्स्ट टाइम?
उसके गालों पर मेरे स्वस्तिक और कलश चमक रहे थे।
मेरा ब्वायफ्रेंड स्तम्भित खड़ा था। अवाक! कलाकार के गालों, उसके नंगे नितम्बों और मेरी खुली जांघों को देखता।
“हाँ…” मैंने कहा।
फिर मैंने ब्वायफ्रेंड से पूछा- क्या तुम मुझे प्यार करते हो?
“दीपिका, प्लीज…” उसके बोल फूटे।
“किक मी हार्ड बास्टर्ड…!” मैं कलाकार पर चिल्लाई
“वो आकर मार-पीट तो नहीं करेगा?”
“बड़ा पोजेसिव है!”
लेकिन उसके इसी स्वामित्व भाव की तो मैं उसे सजा देना चाहती थी।
“आ…ह…!” मैंने अपने पेडू को और आगे ठेलने की कोशिश की। मेरी मुड़ी हुई टांगें दुखने लगी थीं। लेकिन इस आनन्द के सामने ये दर्द क्या था!
“आ…ह!”
वह दबाव के साथ कुरेद रहा था। कोमल होंठों और जिह्वा की ये रगड़ अद्भुत थी।
“आह आह आह! कुछ और बढ़ो यार!”
मेरी भगनासा को उसने जड़ के आसपास से घेरा और होंठों के नीचे दांत छिपाकर कचड़ दिया।
“अरे ब्बा…..!” मैं घबरा सी गयी।
उसने भगनासा को छोड़ दिया, मुझे रहत मिली।
उसने ये क्रिया फिर से दुहराई, लेकिन इस बार उसने भगनासा को छोड़ा नहीं, बल्कि जोर जोर चूसने लगा। आनन्द पीड़ा में बदल गया और मैं उससे निकलने के लिए छूटने लगी। आह आह आह आह… मैं रोने के जैसी कर रही थी। मैंने उसे छोड़ने के लिये कहा तो उसने मेरे नितम्ब पकड़ लिए।
मैंने अंतिम जोर लगाया- ओ…ह, छोड़ो!
उसने छोड़ दिया।
पहला चरम सुख!
मैंने धीरे धीरे आँखें खोलीं, नजर डबडबा गयी, आंसू निकल आए थे।
वह मेरी आँखों में देख रहा था।
उसने मेरा रुमाल लिया और मेरी आँखें पौंछीं, झुककर मुझे चूमा।
मेरी इच्छा हुई कि थैंक्स बोलूँ। अपनी योनि की गंध उसके मुँह पर पाकर शर्म आई और अच्छा लगा।
“चलो अब चलें… वो कभी भी आ सकता है…”
मैं यही तो चाहती थी, बॉयफ्रेंड से बदला लेना।
मैं उसकी कमर के बटन खोलने लगी।
“तुम करना चाहती हो?”
जवाब में मैंने उसकी चेन खींच दी। एक ये है, इस अवस्था में भी यह मुझसे पूछ रहा है कि चाहती हूँ कि नहीं। एक वो है, मेरा बॉयफ्रेंड… जबरदस्ती कर रहा था।
कितने अलग हैं दोनों!
मैंने उसकी पैंट को कमर से नीचे खिसका दिया। चड्डी में बहुत बड़ा उभार था, पता नहीं, इस मामले में कैसे हैं दोनों।
उसने पैंट पैरों से बाहर निकल लिया। मैं चड्डी के अन्दर की वस्तु के प्रति डरी हुई थी। पता नहीं कितना बड़ा है।
वह मेरा इन्तजार कर रहा था- तुम निकालो इसे!
आख़िरकार मैंने हिम्मत करके उसकी कमर में उंगलियाँ फंसाईं और झटके से नीचे खींच दी, उछलकर लिंग बाहर आ गया।
बाप रे… उस बॉयफ्रेंड के लिए मेरा गुस्सा और बढ़ गया; उसकी खातिर मुझे इतना बड़ा अपने अंदर लेना पड़ेगा।
कलाकार ने मेरे टॉप को उतारने के लिए पकड़ा। अब ये मामला प्यार का होता था, मैं ब्वायफ्रेंड से प्यार का बदला नहीं लेना चाहती थी, उसने मेरे साथ विश्वासघात नहीं किया था। उसने मेरे साथ सेक्स करने की कोशिश की थी। मुझे सेक्स का ही बदला लेना था, मैंने कलाकार को रोक दिया- रहने दो।
मैंने कलाकार के चेहरे को पकड़कर उसे चुम्बन दिया। चुम्बन उसकी कला-प्रतिभा, सज्जनता और शालीनता के लिए थे। फिर चुम्बन, फिर चुम्बन, और क्रमशः लम्बे होते चुम्बन। इस सुख को अपने ब्वायफ्रेंड से पति के रूप में सुहाग सेज पर पाना चाहा था।
मैं उसको मन में दिखाती हुई और जोर से चुम्बन ले रही थी।
मैंने कलाकार की कमर अपनी तरफ खींची। उसका लिंग अब तक मेरे योनि होंठों को कभी छू, कभी अलग हो रहा था। मैंने उसे अपने पर दबा लिया।
दरवाजे पर दस्तक हुई।
“कम इन।”
“दरवाजा खुला है?” मैंने कलाकार से पूछा।
“यस, इट्स ओपन!” कलाकार ने लिंग को दाहिने बाएँ हिलाकर मेरे योनि द्वार को ढूंढते और उस पर लिंग को सेट करते हुए कहा।
“तब भी तुम इतना कर गए? डर नहीं लगा?”
“सिर्फ तुम्हारे लिये… अगर तुम्हें डर नहीं लगा तो मुझे कोई डर नहीं?”
“क्या कोई लड़की ग्राहक यहाँ आई है?” ब्वायफ्रेंड की ऊँची आवाज बाहरी कमरे से आई।
हम दोनों में से कोई नहीं बोला… खुद आएगा।
“दीपिका, यहाँ हो?” कहता हुआ वह अंदर आया।
मैंने कलाकार की कमर पकड़ ली; वैसे भी उसे बढ़ावा देने की जरूरत नहीं थी, उसने धक्का दिया, लिंग होंठों के पार हो गया।
स्स्स… मैंने दाँत पर दाँत रख लिये। पहला खिंचाव! ओह…!
“ये क क्क क्या कर रही हो!!!” विस्मय से उसकी आवाज हकला सी गई।
कलाकार शायद मुझे फैलने देने के लिए रुकना चाहता था। मैंने उसे लगातार दबाते रहने के लिए प्रेरित किया।
“क्या यह तुम्हारा पहली बार है?”
पता नहीं मैंने उसे बताया था कि नहीं… पर इस सवाल में उसके पौरुष की घोषणा थी। मेरे प्रेमी के सामने मुझसे पूछ रहा था- इज दिस योर फर्स्ट टाइम?
उसके गालों पर मेरे स्वस्तिक और कलश चमक रहे थे।
मेरा ब्वायफ्रेंड स्तम्भित खड़ा था। अवाक! कलाकार के गालों, उसके नंगे नितम्बों और मेरी खुली जांघों को देखता।
“हाँ…” मैंने कहा।
फिर मैंने ब्वायफ्रेंड से पूछा- क्या तुम मुझे प्यार करते हो?
“दीपिका, प्लीज…” उसके बोल फूटे।
“किक मी हार्ड बास्टर्ड…!” मैं कलाकार पर चिल्लाई