28-11-2019, 03:10 PM
और दोस्तो, मैंने अपनी पहले की कहानियों में भी बताया है कि जब भी कामवासना की आग भड़कती है तो सब रिश्ते, ओहदे और भेद भाव ख़त्म हो जाते हैं।
यहाँ भी यही हुआ !
#
मालकिन और नौकर का भेदभाव जाता रहा, उस नौकर राजू ने शालिनी के हाथ से पाइप छीन कर दूर फेंका और उसके कपड़े उतारने को लपका।
यहाँ भी शालिनी की एक और फ़ंतासी भी थी जो वो हमेशा से चाहती थी कि कोई उसके साथ कपड़े फाड़ कर सेक्स करे, इसलिए वो अपने टोपर और केप्री को पकड़ कर उसे उतारने नहीं दे रही थी, पर अब वो उसका गुलाम नौकर नहीं था।
और जो लडकियाँ इस कहानी को पढ़ रही होंगी वो जानती होंगी कि बहुत ज्यादा महंगे और कीमती कपड़े उतने ही नाज़ुक भी होते हैं। राजू उसके कपड़ों पर झपट पड़ा और उन्हें उतारने की कोशिश करने लगा, खींचने लगा, शालिनी के बदन के कपड़ों का जो हिस्सा उसके हाथ में आया, वो ही फट कर उसके जिस्म से अलग हो गया और शालिनी के जिस्म के खूबसूरत अंग नुमाया होने लगे, और थोड़ी ही देर में उसका टॉप चीथड़े चीथड़े होकर नीचे गिरा पड़ा था, उसके बदन के ऊपरी हिस्से पर सिर्फ ब्रा ही रह गई।
शालिनी को बहुत मज़ा आ रहा था, वो राजू को और तरसाने के लिए बाथरूम से बाहर की ओर भागी, लेकिन...
उस वहशी हो चुके नौकर ने जोर से उसके चूतड़ों पर हाथ मारा और उसकी केप्री में अंदर तक हाथ घुसा के उसे खींच लिया, पर वो फिर भी रुकी नही, नतीज़ा यह हुआ कि 'च्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र च्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र करते हुए उसकी केप्री भी पूरी तरह से फट गई, पर शालिनी भागने में कामयाब हो गई लेकिन भागते भागते उसकी केप्री के चीथड़े उसके नितम्बों-जांघों से अलग होकर राजू के हाथ में रह गये।
अब शालिनी की सलोनी काया पर मात्र पेंटी और ब्रा ही थी।
वो भी उसके पीछे पीछे भागा, वो कमरे से निकल के उसी अवस्था में बाहर की तरफ़ भाग गई, उसे पता था बंगले में उन दोनों के सिवा कोई नहीं था, उसे बहुत मज़ा आ रहा था, पर वो ज्यादा तेज़ी से उसके पीछे आ रहा था, वहाँ ऐसा दृश्य हो गया था जैसे कि कोई जंगली रीछ किसी सफ़ेद मेमने को पकड़ने को दौड़ रहा हो, क्यूँकि शालिनी अति की गोरी और खूबसूरत थी और राजू हद से ज्यादा काला तो था ही उसके पूरे बदन पर बाल भी थे।
अब शालिनी लॉन में आ गई और वह फव्वारे की इर्दगिर्द घूम घूम कर उसे छकाने लगी और अब हंसने भी लगी थी, क्यूंकि उस भागते हुए नंग धडंद नौकर का कडक, और तना हुआ लंड भी उसके भागने से झूल रहा था जो उसे बहुत ही मजेदार लग रहा था और शालिनी के हंसने और उसे छकाने से वो नौकर भी आश्वस्त हो गया कि वो अपनी मालकिन के साथ कोई जबर नहीं कर रहा है !
और फिर वासना की मारी शालिनी खुद उसकी पकड़ में चल कर ही आ गई। उस नौकर की हिम्मत अब बहुत बढ़ गई थी, उसने भी उसे पकड़ कर सबसे पहला काम यह किया कि उसकी पेंटी को फाड़ कर अलग किया, ब्रा के भी दो टुकड़े कर डाले।
और घर की मालकिन शालिनी घर से बाहर खुले आसमान के नीचे पूर्ण निर्वस्त्र हो गई थी, और यह अहसास उसे बहुत बहुत अच्छा लग रहा था, उसने ब्रा और पेंटी के चीथड़े पास ही पड़े डस्टबिन में डाल दिए और अपनी बाहें राजू की ओर फैला दीं, राजू ने भी अब उसे एक नाज़ुक फूल की तरह से अपनी गोद में उठा लिया और विक्रम और बेताल की तरह से उसे अपने एक कंधे पर पटक लिया, शालिनी की लम्बाई भी काफी अच्छी है, तो उसके दोनों हाथ उसके चूतड़ों तक जा रहे थे और पैर उसके कड़क लंड को छू रहे थे।
शालिनी इस सारे खेल का पूरा मज़ा ले रही थी, उसे फिर शरारत सूझी, उसने उस कालू के चूतड़ों पर दो चार चांटे लगा दिए और पैरों के पंजे से उसका लंड जकड़ लिया।
राजू बिलबिला उठा और उसे छोड़ने को कहने लगा पर वो नहीं मानी तो उसने भी कस कस के शालिनी के नंगे चूतड़ों पर चांटे लगा दिए पर इसमें तो शालिनी को और मज़ा आया।
फिर राजू ने उसकी गांड में अपनी उंगली घुसाने की कोशिश की तब उसने उसे छोड़ा।
राजू शालिनी को लेकर फिर से बेडरूम में आया और पलंग पर पटक दिया।
शालिनी पसर कर लेट गई, और वो एकटक उसे देखता रहा।
वो बोली- अब और क्या देख रहा है साले? उस दिन बाथरूम में मुझे नंगी देख कर तेरा मन नहीं भरा क्या?
वो बोला- ऊपर खिड़की से सब कुछ तो दिख गया पर तेरी चूत बिलकुल नहीं दिखी थी।
उसके जवाब पर उसे हंसी आ गई, वो खिलखिलाते हुए बोली- ले तो अब देख ले मेरे कालू !
उसने अपने दोनों पैर ऊपर हवा में उठा कर पूरे चौड़े करके फैला दिए और उसकी छोटी सी प्यारी, चिकनी चूत की पंखुड़ियाँ खुल गई।
वो ये सब देख के हक्का बक्का रह गया और उसके फैले हुए पैरों के बीच बैठ गया और उसकी चूत को निहारने लगा और उसके पैरों और जांघों को सहलाने लगा।
शालिनी की बाईं जांघ पर चूत के बिलकुल पास एक गहरा क़ाला तिल भी था जो उसकी खूबसूरती को बढ़ा रहा था।
शालिनी ने अब उसे एक लात जमाते हुए कहा- कब तक घूरता रहेगा साले ! आज तो तू मुझे पूरा चख भी सकता है, खा भी सकता है, चल शुरू हो जा, ज्यादा वक्त भी नहीं है, देर रात तक सब लोग आ भी सकते हैं उस पार्टी से !
उसे भी यह बात समझ आ गई।
"ले साले, तू भी क्या याद रखेगा, चूम चाट जो करना है कर, मैं पड़ी हूँ तेरे सामने !"
और वो पागलों की तरह से उस सुन्दरी के बदन पर पिल पड़ा, उसे बेतहाशा चूमने लगा, चाटने लगा, उसका एक हाथ उसकी चूत पर था और वो उसे मसल रहा था, और दूसरे से उसका एक स्तन को कुचल रहा था, दूसरा स्तन उसके मुँह में था।
फिर वो बारी बारी से दोनों को चूसता रहा, और जो हाथ चूत पर था उसकी उंगलियाँ अब अंदर तक जा रही थी। शालिनी को बहुत मज़ा आ रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
फिर उसका मुँह उसके वक्ष से फिसलता हुआ उसके पेट और नाभि पर जा पहुँचा और उसकी चूत की ओर बढ़ने लगा।
शालिनी समझ गई कि अब राजू उसकी चूत खाने वाला है, वो एकदम से उठ गई- तुम्हें चूत खानी है मेरे कालू जी?
वो बोला- हाँ मैडम जी !
"तो ऐसे नहीं ! मैं खुद खिलाऊँगी तुम्हें !"
"ओके? अब तुम लेट जाओ !"
वो आज्ञाकारी तुरंत लेट गया, शालिनी उठी और उसके लंड की तरफ मुँह करके उसके ठीक मुँह के ऊपर अपनी चूत रख दी और इत्मिनान से बैठ गई, उस कालू ने भी अपना पूरा मुँह खोल कर उसकी चूत को अच्छे से अपने मुँह में ले लिया और शालिनी अब उसके बदन पर लेट गई और उसके भयंकर काले लंड को सहलाने लगी उसकी लंड की गोलियों से खेलने लगी और उसे कहा कि उसके चेहरे पर जो चूतड़ हैं वो उन्हें सहलाता-दबाता रहे अपने हाथों से !
वो शुरू हो गया !
शालिनी की गोरी गोरी गाण्ड की गोलाईयाँ बहुत मस्त थी, और इधर शालिनी ने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया तो वो पागल हो गया।
और इधर शालिनी की चूत भी जवाब दे गई और अब कोई कारण नहीं था जो उन्हें चुदाई से रोक सकता था।
उसने शालिनी को उठा कर नीचे लिटाया और उसके पैर चौड़े करके उसकी निहायत गीली हो चुकी चूत पर अपना लंड रखा और अंदर तक घुसाता ही चला गया, शालिनी के मुँह से एक गाली के साथ भयानक चीख निकली- "साले हरामजादे, कुत्ते कमीने ! जोर से चोद, और जोर से आह आह ओह्ह आआआआह्ह्ह्ह मर गई ! मैं मर गई !"
और वो जोर जोर से अपने चूतड़ उछालने लगी और वो राक्षस की तरह उसे रौंदता रहा। फिर भी उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वो पूरी आज़ादी से बेशर्मी से चुदाई का मज़ा ले रही थी। सब कुछ शालिनी की मर्ज़ी से हो रहा था। आज उसने "जो चाहा था वो सब पा लिया था !"
यहाँ भी यही हुआ !
#
मालकिन और नौकर का भेदभाव जाता रहा, उस नौकर राजू ने शालिनी के हाथ से पाइप छीन कर दूर फेंका और उसके कपड़े उतारने को लपका।
यहाँ भी शालिनी की एक और फ़ंतासी भी थी जो वो हमेशा से चाहती थी कि कोई उसके साथ कपड़े फाड़ कर सेक्स करे, इसलिए वो अपने टोपर और केप्री को पकड़ कर उसे उतारने नहीं दे रही थी, पर अब वो उसका गुलाम नौकर नहीं था।
और जो लडकियाँ इस कहानी को पढ़ रही होंगी वो जानती होंगी कि बहुत ज्यादा महंगे और कीमती कपड़े उतने ही नाज़ुक भी होते हैं। राजू उसके कपड़ों पर झपट पड़ा और उन्हें उतारने की कोशिश करने लगा, खींचने लगा, शालिनी के बदन के कपड़ों का जो हिस्सा उसके हाथ में आया, वो ही फट कर उसके जिस्म से अलग हो गया और शालिनी के जिस्म के खूबसूरत अंग नुमाया होने लगे, और थोड़ी ही देर में उसका टॉप चीथड़े चीथड़े होकर नीचे गिरा पड़ा था, उसके बदन के ऊपरी हिस्से पर सिर्फ ब्रा ही रह गई।
शालिनी को बहुत मज़ा आ रहा था, वो राजू को और तरसाने के लिए बाथरूम से बाहर की ओर भागी, लेकिन...
उस वहशी हो चुके नौकर ने जोर से उसके चूतड़ों पर हाथ मारा और उसकी केप्री में अंदर तक हाथ घुसा के उसे खींच लिया, पर वो फिर भी रुकी नही, नतीज़ा यह हुआ कि 'च्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र च्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र करते हुए उसकी केप्री भी पूरी तरह से फट गई, पर शालिनी भागने में कामयाब हो गई लेकिन भागते भागते उसकी केप्री के चीथड़े उसके नितम्बों-जांघों से अलग होकर राजू के हाथ में रह गये।
अब शालिनी की सलोनी काया पर मात्र पेंटी और ब्रा ही थी।
वो भी उसके पीछे पीछे भागा, वो कमरे से निकल के उसी अवस्था में बाहर की तरफ़ भाग गई, उसे पता था बंगले में उन दोनों के सिवा कोई नहीं था, उसे बहुत मज़ा आ रहा था, पर वो ज्यादा तेज़ी से उसके पीछे आ रहा था, वहाँ ऐसा दृश्य हो गया था जैसे कि कोई जंगली रीछ किसी सफ़ेद मेमने को पकड़ने को दौड़ रहा हो, क्यूँकि शालिनी अति की गोरी और खूबसूरत थी और राजू हद से ज्यादा काला तो था ही उसके पूरे बदन पर बाल भी थे।
अब शालिनी लॉन में आ गई और वह फव्वारे की इर्दगिर्द घूम घूम कर उसे छकाने लगी और अब हंसने भी लगी थी, क्यूंकि उस भागते हुए नंग धडंद नौकर का कडक, और तना हुआ लंड भी उसके भागने से झूल रहा था जो उसे बहुत ही मजेदार लग रहा था और शालिनी के हंसने और उसे छकाने से वो नौकर भी आश्वस्त हो गया कि वो अपनी मालकिन के साथ कोई जबर नहीं कर रहा है !
और फिर वासना की मारी शालिनी खुद उसकी पकड़ में चल कर ही आ गई। उस नौकर की हिम्मत अब बहुत बढ़ गई थी, उसने भी उसे पकड़ कर सबसे पहला काम यह किया कि उसकी पेंटी को फाड़ कर अलग किया, ब्रा के भी दो टुकड़े कर डाले।
और घर की मालकिन शालिनी घर से बाहर खुले आसमान के नीचे पूर्ण निर्वस्त्र हो गई थी, और यह अहसास उसे बहुत बहुत अच्छा लग रहा था, उसने ब्रा और पेंटी के चीथड़े पास ही पड़े डस्टबिन में डाल दिए और अपनी बाहें राजू की ओर फैला दीं, राजू ने भी अब उसे एक नाज़ुक फूल की तरह से अपनी गोद में उठा लिया और विक्रम और बेताल की तरह से उसे अपने एक कंधे पर पटक लिया, शालिनी की लम्बाई भी काफी अच्छी है, तो उसके दोनों हाथ उसके चूतड़ों तक जा रहे थे और पैर उसके कड़क लंड को छू रहे थे।
शालिनी इस सारे खेल का पूरा मज़ा ले रही थी, उसे फिर शरारत सूझी, उसने उस कालू के चूतड़ों पर दो चार चांटे लगा दिए और पैरों के पंजे से उसका लंड जकड़ लिया।
राजू बिलबिला उठा और उसे छोड़ने को कहने लगा पर वो नहीं मानी तो उसने भी कस कस के शालिनी के नंगे चूतड़ों पर चांटे लगा दिए पर इसमें तो शालिनी को और मज़ा आया।
फिर राजू ने उसकी गांड में अपनी उंगली घुसाने की कोशिश की तब उसने उसे छोड़ा।
राजू शालिनी को लेकर फिर से बेडरूम में आया और पलंग पर पटक दिया।
शालिनी पसर कर लेट गई, और वो एकटक उसे देखता रहा।
वो बोली- अब और क्या देख रहा है साले? उस दिन बाथरूम में मुझे नंगी देख कर तेरा मन नहीं भरा क्या?
वो बोला- ऊपर खिड़की से सब कुछ तो दिख गया पर तेरी चूत बिलकुल नहीं दिखी थी।
उसके जवाब पर उसे हंसी आ गई, वो खिलखिलाते हुए बोली- ले तो अब देख ले मेरे कालू !
उसने अपने दोनों पैर ऊपर हवा में उठा कर पूरे चौड़े करके फैला दिए और उसकी छोटी सी प्यारी, चिकनी चूत की पंखुड़ियाँ खुल गई।
वो ये सब देख के हक्का बक्का रह गया और उसके फैले हुए पैरों के बीच बैठ गया और उसकी चूत को निहारने लगा और उसके पैरों और जांघों को सहलाने लगा।
शालिनी की बाईं जांघ पर चूत के बिलकुल पास एक गहरा क़ाला तिल भी था जो उसकी खूबसूरती को बढ़ा रहा था।
शालिनी ने अब उसे एक लात जमाते हुए कहा- कब तक घूरता रहेगा साले ! आज तो तू मुझे पूरा चख भी सकता है, खा भी सकता है, चल शुरू हो जा, ज्यादा वक्त भी नहीं है, देर रात तक सब लोग आ भी सकते हैं उस पार्टी से !
उसे भी यह बात समझ आ गई।
"ले साले, तू भी क्या याद रखेगा, चूम चाट जो करना है कर, मैं पड़ी हूँ तेरे सामने !"
और वो पागलों की तरह से उस सुन्दरी के बदन पर पिल पड़ा, उसे बेतहाशा चूमने लगा, चाटने लगा, उसका एक हाथ उसकी चूत पर था और वो उसे मसल रहा था, और दूसरे से उसका एक स्तन को कुचल रहा था, दूसरा स्तन उसके मुँह में था।
फिर वो बारी बारी से दोनों को चूसता रहा, और जो हाथ चूत पर था उसकी उंगलियाँ अब अंदर तक जा रही थी। शालिनी को बहुत मज़ा आ रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
फिर उसका मुँह उसके वक्ष से फिसलता हुआ उसके पेट और नाभि पर जा पहुँचा और उसकी चूत की ओर बढ़ने लगा।
शालिनी समझ गई कि अब राजू उसकी चूत खाने वाला है, वो एकदम से उठ गई- तुम्हें चूत खानी है मेरे कालू जी?
वो बोला- हाँ मैडम जी !
"तो ऐसे नहीं ! मैं खुद खिलाऊँगी तुम्हें !"
"ओके? अब तुम लेट जाओ !"
वो आज्ञाकारी तुरंत लेट गया, शालिनी उठी और उसके लंड की तरफ मुँह करके उसके ठीक मुँह के ऊपर अपनी चूत रख दी और इत्मिनान से बैठ गई, उस कालू ने भी अपना पूरा मुँह खोल कर उसकी चूत को अच्छे से अपने मुँह में ले लिया और शालिनी अब उसके बदन पर लेट गई और उसके भयंकर काले लंड को सहलाने लगी उसकी लंड की गोलियों से खेलने लगी और उसे कहा कि उसके चेहरे पर जो चूतड़ हैं वो उन्हें सहलाता-दबाता रहे अपने हाथों से !
वो शुरू हो गया !
शालिनी की गोरी गोरी गाण्ड की गोलाईयाँ बहुत मस्त थी, और इधर शालिनी ने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया तो वो पागल हो गया।
और इधर शालिनी की चूत भी जवाब दे गई और अब कोई कारण नहीं था जो उन्हें चुदाई से रोक सकता था।
उसने शालिनी को उठा कर नीचे लिटाया और उसके पैर चौड़े करके उसकी निहायत गीली हो चुकी चूत पर अपना लंड रखा और अंदर तक घुसाता ही चला गया, शालिनी के मुँह से एक गाली के साथ भयानक चीख निकली- "साले हरामजादे, कुत्ते कमीने ! जोर से चोद, और जोर से आह आह ओह्ह आआआआह्ह्ह्ह मर गई ! मैं मर गई !"
और वो जोर जोर से अपने चूतड़ उछालने लगी और वो राक्षस की तरह उसे रौंदता रहा। फिर भी उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वो पूरी आज़ादी से बेशर्मी से चुदाई का मज़ा ले रही थी। सब कुछ शालिनी की मर्ज़ी से हो रहा था। आज उसने "जो चाहा था वो सब पा लिया था !"
______________________________