28-11-2019, 03:07 PM
अगले दिन वो बाथरूम में गई और उस जगह को खाली किया जहाँ से उस खिड़की से साफ़ दिखाई देता था, क्योंकि आज वो उसी जगह पर नहाने वाली थी, और साइड की खाली जगह पर अपने मेकअप किट से एक छोटा सा शीशा ऐसे कोण से रखा कि वो खुद खिड़की का नज़ारा देख सकती थी और बाथरूम की सभी तेज़ लाइट्स उसने ऑन कर दी।
देहरादून में उस समय बारिश का मौसम था घने काले बादल की वजह से दिन में भी काफी अन्धेरा हो जाता था, ऊपर से शाखाओं और पत्तों का झुरमुट की वजह से वो नौकर वहाँ आसानी से उसे छिप कर पूरे इत्मिनान से देख सकता था।
अब वो अपने नहाने की पूरी तैयारी करके पूरी बत्तियाँ बन्द करके बैठ गई, बाथरूम में अँधेरा होते ही उसे खिड़की के बाहर दिखाई देने लगा था, उसकी धड़कने तेज़ हो रही थी, एक बार को तो उसे लगा कि क्या वो सही कर रही है? उसे थोड़ी शर्म भी आ रही थी, पर दोस्तो, इतिहास गवाह के दो विपरीत चीज़ों में जबरदस्त आकर्षण होता है।
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पाठको, आपने एक बहुत ही प्रसिद्ध और अपने ज़माने की निहायत ही खूबसूरत और जांबाज़ ,., शासिका 'रज़िया सुलतान' का नाम जरूर सुना होगा जिसे अपने अस्तबल में काम करने वाले काले हब्शी गुलाम से प्यार हो गया था, और जिसे पाने के लिए उसने अपनी हैसियत और सल्तनत की भी परवाह नहीं की, इस पर एक बेहतरीन फिल्म भी बन चुकी है जिसमें ये किरदार क्रमश: हेमा मालिनी और धर्मेन्द्र ने निभाये थे।
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चलिए हम तो अभी शालिनी की ही बात करें, वो मन पक्का करके बाथरूम से बाहर निकलने ही वाली थी कि उसे उस खिड़की में कोई आहट सुनाई दी और उसके कदम वहीं रुक गये।
उस पर एक बार फिर से कामवासना का नशा चढ़ने लगा, सारी शराफत, डर और शर्म ना जाने कहाँ चले गए, उसने उस शीशे से उस की स्थिति का जायजा लिया, वो सिर्फ एक बनियान और धोती में बिलकुल बाथरूम की खिड़की के सामने ही था, यानि अब वो जैसे ही बाथरूम की रोशनी चालू करती, उस नौकर को बाथरूम का पूरा नज़ारा साफ़ साफ़ नजर आने वाला था और साथ में ही वो खुद भी !
फिर उसने हिम्मत करके सभी बतीयाँ जला दी, और एकदम बेफिकरी के साथ अपना तौलिया खूँटी पर टांग दिया। उसने इस समय एक नाइटी पहन रखी थी। उसने गीज़र चलू किया और कोई गाना गुनगुनाने लगी। फिर उसने एक सरसरी सी निगाह उस शीशे पर डाली कि लाईट ओन होते ही वो कहीं डर के मारे भाग तो नहीं गया।
पर वो राजेश वहीं मौजूद था, हालांकि बाथरूम की तेज़ लाईट की वजह से अब सिर्फ उसकी एक झलक ही दिखाई दे रही थी, पर पता चल रहा था कि वो अब पत्तों की ओट से उसे ही देख रहा था।
शालिनी एकाएक ही बहुत ज्यादा उत्तेजना महसूस करने लगी, उसने अपनी नाइटी उतार कर एक तरफ रख दिया, अब वो मात्र पेंटी और ब्रा में ही थी। फिर उसने अपने बालों को लपेट कर सिर पर जूड़े की तरह बांध लिया और शावर कैप पहन ली फिर अपनी ब्रा का हुक खोलते हुए उसे अलग किया, वो किसी के देखे जाते हुए अपने आपको निर्वस्त्र करने के अहसास मात्र से बहुत रोमांचित हो रही थी, उसने इसके तुरंत बाद ही अपनी पेंटी भी उतार डाली और अपने आप को पूरी नंगी कर लिया।
फिर उसने एक मादक सी अंगड़ाई ली, उसे खिड़की में कुछ हलचल सी महसूस हुई, वो समझ गई कि उसकी हालत खराब हो चुकी होगी
उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई, उसे और ज्यादा तरसाने के लिए उसने अपने नंगे जिस्म पर एक लोशन लगाना शुरू किया। अभी तक उसकी पीठ खिड़की की तरफ थी, वो उसके भारी नितम्ब देख चुका था, अब वो अचानक घूम गई अब उसके उन्नत वक्ष और योनि उसके सामने थी।
उसे फिर एक सिसकारी की सी आवाज उस तरफ से आई पर वो उसे नज़रंदाज़ करती हुए, अपने उरोजों, बगल, और पेट पर लोशन मलती जा रही थी, अब उसकी शर्म झिझक सब जा चुकी थी और उसे बहुत मज़ा आ रहा था, अब वो अपनी नाभि के आसपास और जांघों को मसलती हुई पूरी टाँगों पर लोशन लगा रही थी।
फिर उसने अपनी चूत को अच्छे से मसला, और पूरे बदन पर लोशन लगने के बाद उसका समूचा नंगा बदन तेज़ रौशनी में बहुत ही चमक रहा था और वो एक नग्न अप्सरा लग रही थी।
फिर उसने शावर का गर्म पानी चेक किया और शावर चला कर अब वो बहुत ही उत्तेजक अदाएँ बना बना कर नहाने लगी, अपने स्तन, कूल्हे और चूत सब रगड़ते हुए !
उधर खिड़की पर उस नौकर का शायद बंटाधार हो गया था क्योंकि वहाँ से डाल टूटने की और पत्तों की तेज़ आवाज आई।
शालिनी ने एकदम से चिल्ला कर पूछा- कौन है?
"कौन है वहाँ?"
और लपक के अपनी नाइटी उठा कर अपना नंगा बदन छिपाने का नाटक किया और बाथरूम से बाहर भागी। उसके जबरदस्त सेक्सी कारनामे का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका था।
देहरादून में उस समय बारिश का मौसम था घने काले बादल की वजह से दिन में भी काफी अन्धेरा हो जाता था, ऊपर से शाखाओं और पत्तों का झुरमुट की वजह से वो नौकर वहाँ आसानी से उसे छिप कर पूरे इत्मिनान से देख सकता था।
अब वो अपने नहाने की पूरी तैयारी करके पूरी बत्तियाँ बन्द करके बैठ गई, बाथरूम में अँधेरा होते ही उसे खिड़की के बाहर दिखाई देने लगा था, उसकी धड़कने तेज़ हो रही थी, एक बार को तो उसे लगा कि क्या वो सही कर रही है? उसे थोड़ी शर्म भी आ रही थी, पर दोस्तो, इतिहास गवाह के दो विपरीत चीज़ों में जबरदस्त आकर्षण होता है।
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पाठको, आपने एक बहुत ही प्रसिद्ध और अपने ज़माने की निहायत ही खूबसूरत और जांबाज़ ,., शासिका 'रज़िया सुलतान' का नाम जरूर सुना होगा जिसे अपने अस्तबल में काम करने वाले काले हब्शी गुलाम से प्यार हो गया था, और जिसे पाने के लिए उसने अपनी हैसियत और सल्तनत की भी परवाह नहीं की, इस पर एक बेहतरीन फिल्म भी बन चुकी है जिसमें ये किरदार क्रमश: हेमा मालिनी और धर्मेन्द्र ने निभाये थे।
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चलिए हम तो अभी शालिनी की ही बात करें, वो मन पक्का करके बाथरूम से बाहर निकलने ही वाली थी कि उसे उस खिड़की में कोई आहट सुनाई दी और उसके कदम वहीं रुक गये।
उस पर एक बार फिर से कामवासना का नशा चढ़ने लगा, सारी शराफत, डर और शर्म ना जाने कहाँ चले गए, उसने उस शीशे से उस की स्थिति का जायजा लिया, वो सिर्फ एक बनियान और धोती में बिलकुल बाथरूम की खिड़की के सामने ही था, यानि अब वो जैसे ही बाथरूम की रोशनी चालू करती, उस नौकर को बाथरूम का पूरा नज़ारा साफ़ साफ़ नजर आने वाला था और साथ में ही वो खुद भी !
फिर उसने हिम्मत करके सभी बतीयाँ जला दी, और एकदम बेफिकरी के साथ अपना तौलिया खूँटी पर टांग दिया। उसने इस समय एक नाइटी पहन रखी थी। उसने गीज़र चलू किया और कोई गाना गुनगुनाने लगी। फिर उसने एक सरसरी सी निगाह उस शीशे पर डाली कि लाईट ओन होते ही वो कहीं डर के मारे भाग तो नहीं गया।
पर वो राजेश वहीं मौजूद था, हालांकि बाथरूम की तेज़ लाईट की वजह से अब सिर्फ उसकी एक झलक ही दिखाई दे रही थी, पर पता चल रहा था कि वो अब पत्तों की ओट से उसे ही देख रहा था।
शालिनी एकाएक ही बहुत ज्यादा उत्तेजना महसूस करने लगी, उसने अपनी नाइटी उतार कर एक तरफ रख दिया, अब वो मात्र पेंटी और ब्रा में ही थी। फिर उसने अपने बालों को लपेट कर सिर पर जूड़े की तरह बांध लिया और शावर कैप पहन ली फिर अपनी ब्रा का हुक खोलते हुए उसे अलग किया, वो किसी के देखे जाते हुए अपने आपको निर्वस्त्र करने के अहसास मात्र से बहुत रोमांचित हो रही थी, उसने इसके तुरंत बाद ही अपनी पेंटी भी उतार डाली और अपने आप को पूरी नंगी कर लिया।
फिर उसने एक मादक सी अंगड़ाई ली, उसे खिड़की में कुछ हलचल सी महसूस हुई, वो समझ गई कि उसकी हालत खराब हो चुकी होगी
उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई, उसे और ज्यादा तरसाने के लिए उसने अपने नंगे जिस्म पर एक लोशन लगाना शुरू किया। अभी तक उसकी पीठ खिड़की की तरफ थी, वो उसके भारी नितम्ब देख चुका था, अब वो अचानक घूम गई अब उसके उन्नत वक्ष और योनि उसके सामने थी।
उसे फिर एक सिसकारी की सी आवाज उस तरफ से आई पर वो उसे नज़रंदाज़ करती हुए, अपने उरोजों, बगल, और पेट पर लोशन मलती जा रही थी, अब उसकी शर्म झिझक सब जा चुकी थी और उसे बहुत मज़ा आ रहा था, अब वो अपनी नाभि के आसपास और जांघों को मसलती हुई पूरी टाँगों पर लोशन लगा रही थी।
फिर उसने अपनी चूत को अच्छे से मसला, और पूरे बदन पर लोशन लगने के बाद उसका समूचा नंगा बदन तेज़ रौशनी में बहुत ही चमक रहा था और वो एक नग्न अप्सरा लग रही थी।
फिर उसने शावर का गर्म पानी चेक किया और शावर चला कर अब वो बहुत ही उत्तेजक अदाएँ बना बना कर नहाने लगी, अपने स्तन, कूल्हे और चूत सब रगड़ते हुए !
उधर खिड़की पर उस नौकर का शायद बंटाधार हो गया था क्योंकि वहाँ से डाल टूटने की और पत्तों की तेज़ आवाज आई।
शालिनी ने एकदम से चिल्ला कर पूछा- कौन है?
"कौन है वहाँ?"
और लपक के अपनी नाइटी उठा कर अपना नंगा बदन छिपाने का नाटक किया और बाथरूम से बाहर भागी। उसके जबरदस्त सेक्सी कारनामे का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका था।