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Romance काला इश्क़!
#88
दो मिनट तक जब मैं कुछ नहीं बोला तो ऋतू ने ही मेरा ध्यान भंग किया; "जानू???" उसके बुलाते ही मेरे मुँह से ये शेर निकला;

"उस हसीन चेहरे की क्या बात है
हर दिल अज़ीज़, कुछ ऐसी उसमें बात है
है कुछ ऐसी कशिश उस चेहरे में
के एक झलक के लिए सारी दुनिया बर्बाद है|"

ये सुनते ही ऋतू को उसकी खूबसूरती का एहसास हुआ और शर्म से उसके गाल फिर लाल हो गए| पर आज मेरा मेरे ही दिल पर काबू नहीं था आज तो उसने बगावत कर दी थी;
"जब चलती है गुलशन में बहार आती है
बातों में जादू और मुस्कराहट बेमिसाल है
उसके अंग अंग की खुश्बू मेरे दिल को लुभाती है
यारो यही लड़की मेरे सपनो की रानी है|" 

एक शेर तो जैसे आज उसके हुस्न के लिए काफी नहीं था|
"नज़र जब तुमसे मिलती है मैं खुद को भूल जाता हूँ
बस इक धड़कन धड़कती है मैं खुद को भूल जाता हूँ
मगर जब भी मैं तुमसे मिलता हूँ मैं खुद को भूल जाता हूँ|"

आज तो वो शायर बाहर आ रहा था जो आशिक़ी की हर हद को फाँद सकता था|

"तेरे हुस्न का दीवाना तो हर कोई होगा लेकिन मेरे जैसी दीवानगी हर किसी में नहीं होगी।"

मेरी एक के बाद एक शायरी सुन ऋतू का शर्म के मारे बुरा हाल था, उसके गाल और कान पूरे लाल हो गए थे| वो बस नजरें झुकाये सब सुन रही थी और अपने आप को मेरी बाहों में बहक जाने से रोक रही थी| वो कुछ सोचती हुई मेरे नजदीक आई और मेरी आँखों में देखते हुए बोली; "हमे कहाँ मालूम था की ख़ूबसूरती क्या होती है? आज आपने हमारी तारीफ कर हमें हसीन बना दिया|" उसके इस शेर पर मेरा मन किया की उसके हसीन लबों को चूम लूँ पर फिर खुद पर काबू पाया| "पहली बार के लिए शेर अच्छा था!" मैंने ऋतू के शेर की तारीफ करते हुए कहा| मैंने ऋतू का दाहिना हाथ पकड़ा और टेबल पर से चूड़ियाँ उठा कर उसे पहनाने लगा, साइज थोड़ा बड़ा था पर चूँकि imitation जेवेलरी थी तो वो फिर भी अच्छी लग रही थी| "ये तो मैं लेना भूल ही गई थी!" ऋतू ने कहा पर मैंने तो इस दिन की प्लानिंग पहले से ही कर रखी थी| बस एक चीज बची थी वो था सिन्दूर! मैंने आते समय वो भी ले लिया था, डिब्बी से एक चुटकी सिन्दूर निकाल के मैंने ऋतू की मांग में भरा तो ऋतू ने अपनी आँखें बंद कर लीन और आसूँ के एक बूँद निकल कर नीचे जा गिरी| "Hey??? क्या हुआ मेरी जान?" ऋतू ने खुद को रोने से रोका और फिर बोली; "आज से मैं आपकी permanent wife बन चुकी हूँ!" उसने थोड़ा माहौल हल्का करने के लिए कहा| पर मैं उसका मतलब समझ गया था, उसका मतलब था की आज से हम दोनों का प्यार पुख्ता रूप ले चूका है और अब हम पति-पत्नी बन चुके हैं| "No...there's something missing!" मेरे मुँह से ये सुन ऋतू सोच में पड़ गई, पर जब मैंने जेब से उसके लिए लिया हुआ मंगलसूत्र निकाला तो वो सब समझ गई| "ये तो नया है! वो पुराना कहाँ गया?" ऋतू ने पुछा| "जान वो तो नकली था! ये असली वाला है|" ये सुन कर ऋतू चौंक गई और अपने होठों पर हाथ रखते हुए बोली; "ये सोने का है? पर पैसे?" मैं जवाब देने से पहले ही ऋतू के पीछे आया और उसे अपने हाथों से मंगलसूत्र पहनाते हुए कहा; "मेरी जान से तो महँगा नहीं हो सकता ना?" ऋतू ये सुन कर चुप हो गई और आगे कुछ नहीं बोली, वो जानती थी की आगे अगर कुछ बोली तो मैं नाराज हो जाऊँगा| वो फिर से मुस्कुराने लगी; "Technically now we're husband and wife!!!" ये सुन कर ऋतू बहुत-बहुत खुश हुई और हम दोनों का कतई मन नहीं था की ये समां कभी खत्म हो पर पूजा के लिए तो जाना ही था!         

ख़ुशी-ख़ुशी ऋतू ने पूजा का सारा सामान एक बड़ी थाली में इकठ्ठा किया और हम घर से निकले| किसी संस्था ने एक मंदिर के बाहर बहुत बड़ा पंडाल लगाया था और वहीँ पर पूजा होनी थी| हम दोनों भी वहाँ पहुँच गए, वहीँ पर हमें रिंकी भाभी मिलीं जिससे ऋतू को एक कंपनी मिल गई| पूरे विधि-विधान से पूजा और कथा हुई और रात 8 बजे हम घर लौटे| अब एक दिक्कत थी, वो ये की चंद्र उदय होने के समय बिल्डिंग की सभी औरतें और आदमी वहाँ इकठ्ठा होने वाले थे और ऐसे में हम दोनों का वहाँ जाना शायद किसी न किसी को खलता| मैं अभी ये सोच ही रहा था की रिंकी भाभी ने दरवाजा खटखटाया; "अरे रितिका तू यहाँ क्या कर रही है, चल जल्दी से ऊपर|" अब ऋतू तो कब से ऊपर जाना चाहती थी पर मैंने ही उसे मना कर दिया था; "भाभी वो... अभी वहाँ सब होंगे तो.... हम दोनों को देख कर कहीं कुछ ऐसा वैसा बोल दिया तो मुझे गुस्सा आ जायेगा!" मैंने अपनी चिंता जताई|

"कोई कुछ नहीं कहेगा, मैं बोल दूँगी ये मेरी बहन है और तुम तो मेरे छोटे देवर जैसे हो| पापा भी ऊपर ही हैं कोई कुछ बोला तो जानते हो ना पापा कैसे बरस पड़ते हैं?" भाभी की बात सुन कर मन को चैन आया की सुभाष अंकल तो सब जानते ही हैं की हम दोनों की शादी होने वाली है| इसलिए हम तीनों ऊपर आ गए और यहाँ तो लोगों का ताँता लगा हुआ है| एक-एक कर सब हम दोनों से मिले, इधर ऋतू ने जा कर सुभाष अंकल जी के पेअर छुए और उनका आशीर्वाद लिया| काफी लोगों से तो मैं आज पहली बार मिल रहा था इसका कारन था की मेरे पास कभी किसी से घुलने-मिलने का समय ही नहीं होता था| ऋतू के कॉलेज से पहले भी मैं घर पर बहुत कम ही रहता था, अकेले रहने से तो बाहर घूमना अच्छा था इसलिए मैं अक्सर फ्री टाइम में खाने-पीने निकल जाता और रात को आ कर सो जाया करता था| आज जब सब से मिला तो सब यही कह रहे थे की एक ही बिल्डिंग में रह कर कभी मिले नहीं| इधर ऋतू भाभी के साथ बाकी सब से मिलने में व्यस्त थी, भाभी सब को यही कह रही थी की हम दोनों की शादी होने वाली है और ये ऋतू का पहला करवाचौथ है| सब हैरान थे की भला ये क्या बात हुई की शादी के पहले ही करवाचौथ तो भाभी ही बीच-बचाव करते हुए बोली; "जब दिल मिल गए हैं तो ये रस्में निभानी ही चाहिए|"

खेर आखिर कर चाँद निकल ही आया और सब आदमी अपनी-अपनी बीवियों के पास जा कर खड़े हो गए| आज पहलीबार था की हम दोनों यूँ सबके सामने प्रेमी नहीं बल्कि पति-पत्नी बन के विधि-विधान से पूजा कर रहे हैं| शर्म से ऋतू पूरी लाल हो चुकी थी और इधर थोड़ी-थोड़ी शर्म मुझे भी आने लगी थी| ऋतू ने जल रहे दीपक को छन्नी में रख के पहले चाँद को देखा और फिर मुझे देखने लगी| उस छन्नी से मुझे देखते ही उसकी आँखें बड़ी होगी ऐसा लगा जैसे वो मुझे अपनी ही आँखों में बसा लेना चाहती हो| उस एक पल के लिए हम दोनों बस एक दूसरे को देखे जा रहे थे, बाकी वहाँ कौन क्या कर रहा है उससे हमें कोई सरोकार नहीं था| आखिर भाभी ने हँसते हुए ही हम दोनों की तन्द्रा भंग की; "ओ मैडम! देखती रहोगी की आगे पूजा भी करोगी?" तब जा कर हम दोनों का ध्यान भंग हुआ, मैं तो मुस्कुरा रहा था और ऋतू शर्म से लाल हो गई! भाभी के बताये हुए तरीके से उसने पूजा की और अंत में मेरे पाँव छुए| अब ये पहली बार था की ऋतू मेरे पाँव छू रही थी और मुझे समझ नहीं आया की मैं उसे क्या आशीर्वाद दूँ? मैंने बस अपना हाथ उसके सर पर रख दिया और दिल ही दिल में कामना करने लगा की मैं उसे एक अच्छा और सुखद जीवन दूँ| बाकी सब लोग अपनी पत्नियों को पानी पिला रहे थे तो मैंने भी पानी का गिलास उठा कर ऋतू को पानी पिलाया और उसके बाद उसने भी मुझे पानी पिलाया| अब ये देख कर भाभी फिर से दोनों की टांग खींचने आ गई; "अच्छा जी!!! मानु ने भी व्रत रखा था? वाह भाई वाह!" जिस किसी ने भी ये सुना वो हँसने लगा, सुभाष अंकल बोले; "बेटा यूँ ही हँसते-खेलते रहो और जल्दी से शादी कर लो|" 

"बस अंकल जी 2 साल और फिर तो शादी ...!!!" मैंने भी हँसते हुए कहा| ऋतू का शर्माना जारी था.... सारे लोग एक-एक कर नीचे आ गए|
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काला इश्क़! - by Rockstar_Rocky - 09-10-2019, 11:13 AM
RE: काला इश्क़! - by asha10783 - 12-10-2019, 05:29 AM
RE: काला इश्क़! - by Black Horse - 13-10-2019, 11:32 AM
RE: काला इश्क़! - by Arv313 - 13-10-2019, 01:16 PM
RE: काला इश्क़! - by Sam Fisher - 14-10-2019, 10:05 PM
RE: काला इश्क़! - by uttu7887 - 24-10-2019, 08:23 AM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 25-10-2019, 04:38 PM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 04-11-2019, 10:46 AM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 05-11-2019, 03:07 PM
RE: काला इश्क़! - by uttu7887 - 12-11-2019, 07:47 PM
RE: काला इश्क़! - by Arv313 - 12-11-2019, 09:49 PM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 14-11-2019, 03:30 PM
RE: काला इश्क़! - by uttu7887 - 19-11-2019, 09:19 PM
RE: काला इश्क़! - by Dev rathore - 23-11-2019, 07:05 AM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 25-11-2019, 04:04 PM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 27-11-2019, 02:29 PM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 27-11-2019, 03:38 PM
RE: काला इश्क़! - by chodu baba - 27-11-2019, 06:57 PM
RE: काला इश्क़! - by Rockstar_Rocky - 27-11-2019, 07:41 PM
RE: काला इश्क़! - by Prativiveka - 27-11-2019, 10:40 PM
RE: काला इश्क़! - by chodu baba - 28-11-2019, 01:02 AM
RE: काला इश्क़! - by chodu baba - 28-11-2019, 04:23 PM
RE: काला इश्क़! - by chodu baba - 28-11-2019, 07:51 PM
RE: काला इश्क़! - by chodu baba - 30-11-2019, 10:46 PM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 09-12-2019, 11:19 AM
RE: काला इश्क़! - by Arv313 - 10-12-2019, 11:11 PM
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RE: काला इश्क़! - by Prativiveka - 15-12-2019, 09:55 PM
RE: काला इश्क़! - by Arv313 - 16-12-2019, 07:55 PM
RE: काला इश्क़! - by Arv313 - 16-12-2019, 08:00 PM
RE: काला इश्क़! - by Prativiveka - 16-12-2019, 08:59 PM
RE: काला इश्क़! - by Prativiveka - 16-12-2019, 10:48 PM
RE: काला इश्क़! - by harrydresden - 17-12-2019, 12:12 AM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 17-12-2019, 04:26 PM
RE: काला इश्क़! - by vedprakash - 18-12-2019, 05:58 AM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 18-12-2019, 10:55 AM
RE: काला इश्क़! - by Jizzdeepika - 18-12-2019, 08:27 PM
RE: काला इश्क़! - by harrydresden - 18-12-2019, 11:29 PM
RE: काला इश्क़! - by Jizzdeepika - 19-12-2019, 09:50 PM
RE: काला इश्क़! - by Arv313 - 19-12-2019, 11:05 PM
RE: काला इश्क़! - by Prativiveka - 20-12-2019, 06:28 AM
RE: काला इश्क़! - by Arv313 - 21-12-2019, 07:01 AM
RE: काला इश्क़! - by Jizzdeepika - 21-12-2019, 07:34 AM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 21-12-2019, 02:34 PM
RE: काला इश्क़! - by Prativiveka - 21-12-2019, 10:16 PM
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RE: काला इश्क़! - by Jizzdeepika - 22-12-2019, 08:58 PM
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RE: काला इश्क़! - by harrydresden - 23-12-2019, 10:37 PM
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RE: काला इश्क़! - by johnni - 25-12-2019, 01:31 PM
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RE: काला इश्क़! - by nts - 26-12-2019, 10:41 PM
RE: काला इश्क़! - by vedprakash - 28-12-2019, 05:50 AM
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RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 30-12-2019, 11:19 AM
RE: काला इश्क़! - by harrydresden - 30-12-2019, 10:16 PM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 31-12-2019, 01:45 PM
RE: काला इश्क़! - by Prativiveka - 31-12-2019, 10:35 PM
RE: काला इश्क़! - by Jizzdeepika - 01-01-2020, 09:31 AM
RE: काला इश्क़! - by Prativiveka - 02-01-2020, 07:34 AM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 02-01-2020, 11:21 AM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 03-01-2020, 12:09 PM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 04-01-2020, 05:01 PM
RE: काला इश्क़! - by uttu7887 - 04-01-2020, 09:45 PM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 06-01-2020, 02:47 PM
RE: काला इश्क़! - by smartashi84 - 08-01-2020, 12:45 PM
RE: काला इश्क़! - by harrydresden - 08-01-2020, 05:01 PM
RE: काला इश्क़! - by Jizzdeepika - 09-01-2020, 08:49 AM
RE: काला इश्क़! - by Prativiveka - 08-01-2020, 10:07 PM
RE: काला इश्क़! - by Jizzdeepika - 10-01-2020, 03:06 PM
RE: काला इश्क़! - by Ashuk - 10-01-2020, 11:36 PM
RE: काला इश्क़! - by kill_l - 12-11-2020, 03:20 PM



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