25-11-2019, 07:41 PM
(This post was last modified: 25-11-2019, 10:19 PM by babasandy. Edited 5 times in total. Edited 5 times in total.)
इस बार तो दिनेश ने हद ही कर दी...उस ज़ालिम ने बिना दर्द की परवाह किये , एक बार में पूरा मूसल पेल दिया जड़ तक , मेरी दीदी की गांड में....
उस सन्नाटे में मेरी दीदी की चीख निकल गई.. उनके मुंह में से रवि का मोटा सुपाड़ा बाहर निकल के हिलने लगा... पर दिनेश को कोई परवाह नहीं थी... मेरी दीदी कुतिया की तरह , झुकी हुयी , उनके दोनों हाथों में रवि का मोटा औजार था और दिनेश मेरी दीदी की चूंचियों को दबाते हुए ऐसे जोर जोर से निचोड़ रहे थे की क्या कोई जूस स्टाल वाला नारंगी निचोड़ेगा।
गपागप गपागप , सटासट सटासट....
वो पेल रहा था और मेरी दीदी लील रही थी , खुले आसमान के नीचे , ठीक अपने भाई की आंखों के सामने...
उह… उह्ह्ह… हां हां… मत करो ना… कब तक… ओह… मेरी गांड उह्ह्ह.... दया करो मुझ पर.... मेरी रूपाली दीदी की सिसकियों और चीखों को , सुनकर मैं तो झड़ गया... पर दिनेश....वो तो बस हचक हचक कर चोदने में जुटा था।
धक्के पर धक्के और साथ में , गालियों की झड़ी..
गदहे की जनी, जनम की चुदक्क्ड़ , तेरी सारी चुदवास मिट जायेगी , ऐसी चुदेगी...गाँव में न गिनती भूल जायेगी ,कितने लंड घुसे ,कितने निकले ,दिन रात सड़का टपकता रहेगा , किसी को मना किया न तेरी माँ बहन सब चोद दूंगा ... बोलने के साथ-साथ दिनेश मेरी रूपाली दीदी की गांड में गोल गोल घुमाने लगा अपना मोटा बांस...
" फाड़ दे साल्ली की बहुत बोल रही थी , दिखा दे उसे अपने लण्ड की ताकत आज। चोद ,चोद कस कस के। " इस बेवफा रंडी को.... रवि भी दिनेश को उकसा रहा था... उसने फिर से अपना बांस मेरी रूपाली दीदी के मुंह में बाल पकड़कर घुसा दिया...
उयी ई ओह्ह्ह , प्लीज दिनेश थोड़ी देर के लिए गांड से निकाल लो न ओह्ह ,जान गयी उहहह , दिनेश ने एक और जोरदार धक्का मारा और मेरी रूपाली दीदी की चीख फिर गूँज गयी।
" बोल , अब दुबारा तो छिनरपना नहीं करेगी जैसे नखडा चोद रही थी बहन की लोड़ी... रवि बोला...
नहीं बस इसको बोलो एक बार निकाल ले ,... " मेरी दीदी दर्द से गिड़गिड़ा रही थी। मेरी दीदी रवि का चूसना भूल गई थी...
" निकाल तो लेगा ही लेकिन हचक के तेरी गांड मारने के बाद ,तू क्या सोच रही है तेरी गांड में लण्ड छोड़ के चला जाएगा। " रवि बोला और मेरी दीदी को फिर से अपना मोटा लण्ड चूसने पर मजबूर कर दिया...
उईइइइइइइइइइइ माँ.... मेरी दीदी सिसकी तो बस..
“तेरी माँ की , न जाने कितने भंडुवों से चुदवा के उसने तेरा जैसे गरम माल अपने भोसड़े से निकाला , उसका भोसड़ा मारूं ,मादरचोद " दिनेश उनको गालियां देने लगा... गपा गप गपा गप गपा गप... तकरीबन 5 मिनट तक मेरी दीदी के मुंह में और गांड में घपा घप चलता रहा.....
उसके बाद दोनों ने अपनी पोजीशन चेंज कर ली.. दिनेश अब नीचे लेट गया था..... आजा मेरे रंडी मेरे ऊपर.... दिनेश ने मेरी दीदी की कमर थाम अपनी गोद में बिठा लिया... अब आसन बदल गया था , मेरी रुपाली दीदी दिनेश की गोद में थी.. दिनेश का लण्ड एक दम जड़ तक मेरी दीदी की करारी गुलाबी चूत में घुसा ,कभी वो मेरी दीदी के गाल चूमता तो कभी उभारों को चूसता। कुछ देर में मेरी दीदी खुद ही उसके मोटे खम्भे पर चढ़ उतर रही थी ,सरक रही थी ,चुद रही थी...
रवि सामने खड़ा था... और मेरी दीदी उसके खड़े खूंटे को उसके पगलाए बौराए लण्ड को कभी अपनी चूचियों के बीच ले के रगड़ती तो कभी मुंह में ले चुभलाती तो कभी चूसती।
और वो भी मेरी दीदी की चूचियों की ऐसी की तैसी कर रहा था।
उस सन्नाटे में मेरी दीदी की चीख निकल गई.. उनके मुंह में से रवि का मोटा सुपाड़ा बाहर निकल के हिलने लगा... पर दिनेश को कोई परवाह नहीं थी... मेरी दीदी कुतिया की तरह , झुकी हुयी , उनके दोनों हाथों में रवि का मोटा औजार था और दिनेश मेरी दीदी की चूंचियों को दबाते हुए ऐसे जोर जोर से निचोड़ रहे थे की क्या कोई जूस स्टाल वाला नारंगी निचोड़ेगा।
गपागप गपागप , सटासट सटासट....
वो पेल रहा था और मेरी दीदी लील रही थी , खुले आसमान के नीचे , ठीक अपने भाई की आंखों के सामने...
उह… उह्ह्ह… हां हां… मत करो ना… कब तक… ओह… मेरी गांड उह्ह्ह.... दया करो मुझ पर.... मेरी रूपाली दीदी की सिसकियों और चीखों को , सुनकर मैं तो झड़ गया... पर दिनेश....वो तो बस हचक हचक कर चोदने में जुटा था।
धक्के पर धक्के और साथ में , गालियों की झड़ी..
गदहे की जनी, जनम की चुदक्क्ड़ , तेरी सारी चुदवास मिट जायेगी , ऐसी चुदेगी...गाँव में न गिनती भूल जायेगी ,कितने लंड घुसे ,कितने निकले ,दिन रात सड़का टपकता रहेगा , किसी को मना किया न तेरी माँ बहन सब चोद दूंगा ... बोलने के साथ-साथ दिनेश मेरी रूपाली दीदी की गांड में गोल गोल घुमाने लगा अपना मोटा बांस...
" फाड़ दे साल्ली की बहुत बोल रही थी , दिखा दे उसे अपने लण्ड की ताकत आज। चोद ,चोद कस कस के। " इस बेवफा रंडी को.... रवि भी दिनेश को उकसा रहा था... उसने फिर से अपना बांस मेरी रूपाली दीदी के मुंह में बाल पकड़कर घुसा दिया...
उयी ई ओह्ह्ह , प्लीज दिनेश थोड़ी देर के लिए गांड से निकाल लो न ओह्ह ,जान गयी उहहह , दिनेश ने एक और जोरदार धक्का मारा और मेरी रूपाली दीदी की चीख फिर गूँज गयी।
" बोल , अब दुबारा तो छिनरपना नहीं करेगी जैसे नखडा चोद रही थी बहन की लोड़ी... रवि बोला...
नहीं बस इसको बोलो एक बार निकाल ले ,... " मेरी दीदी दर्द से गिड़गिड़ा रही थी। मेरी दीदी रवि का चूसना भूल गई थी...
" निकाल तो लेगा ही लेकिन हचक के तेरी गांड मारने के बाद ,तू क्या सोच रही है तेरी गांड में लण्ड छोड़ के चला जाएगा। " रवि बोला और मेरी दीदी को फिर से अपना मोटा लण्ड चूसने पर मजबूर कर दिया...
उईइइइइइइइइइइ माँ.... मेरी दीदी सिसकी तो बस..
“तेरी माँ की , न जाने कितने भंडुवों से चुदवा के उसने तेरा जैसे गरम माल अपने भोसड़े से निकाला , उसका भोसड़ा मारूं ,मादरचोद " दिनेश उनको गालियां देने लगा... गपा गप गपा गप गपा गप... तकरीबन 5 मिनट तक मेरी दीदी के मुंह में और गांड में घपा घप चलता रहा.....
उसके बाद दोनों ने अपनी पोजीशन चेंज कर ली.. दिनेश अब नीचे लेट गया था..... आजा मेरे रंडी मेरे ऊपर.... दिनेश ने मेरी दीदी की कमर थाम अपनी गोद में बिठा लिया... अब आसन बदल गया था , मेरी रुपाली दीदी दिनेश की गोद में थी.. दिनेश का लण्ड एक दम जड़ तक मेरी दीदी की करारी गुलाबी चूत में घुसा ,कभी वो मेरी दीदी के गाल चूमता तो कभी उभारों को चूसता। कुछ देर में मेरी दीदी खुद ही उसके मोटे खम्भे पर चढ़ उतर रही थी ,सरक रही थी ,चुद रही थी...
रवि सामने खड़ा था... और मेरी दीदी उसके खड़े खूंटे को उसके पगलाए बौराए लण्ड को कभी अपनी चूचियों के बीच ले के रगड़ती तो कभी मुंह में ले चुभलाती तो कभी चूसती।
और वो भी मेरी दीदी की चूचियों की ऐसी की तैसी कर रहा था।