25-11-2019, 10:07 AM
राहुल जो अभी तक चुपचाप बैठकर अपनी बियर के सीप लगा रहा था,एकदम से अपना नाम सुनकर चोंक गया...उसे तो पता भी नही था की किस बारे में बात चल रही है...वो बेचारा अवाक सा होकर कभी गुप्ताजी और कभी अपने बॉस शशांक को देखने लगा..जैसे उनसे पूछना चाहता हो की किसमें उसे जॉइन करवा रहे है...
अब आगे।।।
उसके चेहरे को देखकर शशांक बोला : "अरे राहुल, घबराओ मत...सिर्फ़ खेलने की बात चल रही है...वो क्या है ना, हमारी सोसायटी में हर साल दीवाली पर ताश खेलते है...दशहरे के बाद तकरीबन रोजाना ये खेल खेलकर हम अपना टाइम पास करते है...वैसे तो हमने जो सोसायटी का क्लब बनाया हुआ है उसमे अक्सर हम ताश खेलते है , पर दिवाली के दिनों में हम पैसो से खेलते है, और इन दिनों जुआ खेलना शुभ माना जाता है....इसलिए धीरे-2 हम सभी ने अपना एक ग्रुप बना लिया है, जिसमे हम सभी ताश खेलते है...''
राहुल ने सिर हिला कर अपनी सहमति जताई...और बोला : "ओह्ह्ह ..तो ये बात है...ताश तो हमारे यहाँ भी खेलते है...दिवाली के दिनों में ..और मुझे तो शादी से पहले इसका बहुत ज़्यादा शोंक था...पर पैसो से खेलना थोड़ा मुश्किल होगा ....''
राहुल को ऐसे अटकता देखकर उसका बॉस समझ गया की वो क्या कहना चाहता है.... वो बोला : "अरे राहुल...तू पैसो की चिंता मत कर...इस साल दीवाली का बोनस मिलेगा...और मैने तेरा नाम एस ए स्पेशल केस रिकमेंड कर दिया है...इसलिए अगले 10 दिनों में तुम्हारे खाते में बोनस की रकम ट्रान्स्फर कर दी जाएगी...''
वैसे तो बोनस उन्ही को मिलता है जो कंपनी में एक साल पूरा कर चुके है...पर उसके बॉस की वजह से राहुल को वो बोनस सिर्फ़ 6 महीने की सर्विस के बाद ही मिल रहा था...ये राहुल के लिए बहुत खुशी की बात थी...और करीब 50 हज़ार रुपय एकदम से बिना माँगे मिल जाए तो थोड़ा बहुत इस तरह से जुए में लगा देने से उसे कोई परेशानी नही होने वाली थी...बल्कि राहुल को तो यकीन था की वो जीतेगा ही...क्योंकि उसके बॉस और सोसायटी में रहने वाले दूसरे लोग ये नहीं जानते थे की वो अपने दोस्तो में ताश खेलने का चैम्पियन था...वो तो समय के साथ-2 उसकी ताश खेलने की आदत छूट गयी वरना इस खेल में उसने काफी पैसे भी कमाए थे.
उसने खुशी-2 हाँ कर दी..
शशांक ने बताया की उनके ताश खेलने वाले क्लब में सिर्फ़ 4 दंपति है जो ये खेल हर साल खेलते है, पहले 5 थे, जो अब सोसायटी छोड़कर जा चुका है ..ये सुनकर राहुल को थोड़ा आश्चर्य ज़रूर हुआ की जिस सोसायटी में करीब 200 फॅमिलीस रहती है,उनमें से सिर्फ़ 4 लोग ही इस ताश खेलने वाले ग्रुप के मेंबर है...वो ये बात अपने बॉस से क्लेरिफाई करना चाहता था पर उसकी हिम्मत नही हुई पूछने की ...वैसे भी इस खेल में जितने ज़्यादा मेंबर होंगे उतना ही कम मज़ा मिलेगा..इसलिए उसने कुछ पूछा ही नही.
राहुल ने अपना पेग ख़त्म किया और उन्हे अगले दिन मिलने को कहकर वहां से चला गया.
उसके जाते ही वहां बैठे गुप्ताजी और शशांक के साथ -2 उनके दोस्त मनोहर कपूर और सरदारजी (गुरपाल सिंह) के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी...
दरअसल ये चारों एक ही थाली के चट्टे -बट्*टे थे...और इन सभी ने मिलकर राहुल को अपने जाल में फँसाने का ये तरीका निकाला था..
और इन सभी का निशाना था उसकी खूबसूरत बीबी....सबा.
अब आगे।।।
उसके चेहरे को देखकर शशांक बोला : "अरे राहुल, घबराओ मत...सिर्फ़ खेलने की बात चल रही है...वो क्या है ना, हमारी सोसायटी में हर साल दीवाली पर ताश खेलते है...दशहरे के बाद तकरीबन रोजाना ये खेल खेलकर हम अपना टाइम पास करते है...वैसे तो हमने जो सोसायटी का क्लब बनाया हुआ है उसमे अक्सर हम ताश खेलते है , पर दिवाली के दिनों में हम पैसो से खेलते है, और इन दिनों जुआ खेलना शुभ माना जाता है....इसलिए धीरे-2 हम सभी ने अपना एक ग्रुप बना लिया है, जिसमे हम सभी ताश खेलते है...''
राहुल ने सिर हिला कर अपनी सहमति जताई...और बोला : "ओह्ह्ह ..तो ये बात है...ताश तो हमारे यहाँ भी खेलते है...दिवाली के दिनों में ..और मुझे तो शादी से पहले इसका बहुत ज़्यादा शोंक था...पर पैसो से खेलना थोड़ा मुश्किल होगा ....''
राहुल को ऐसे अटकता देखकर उसका बॉस समझ गया की वो क्या कहना चाहता है.... वो बोला : "अरे राहुल...तू पैसो की चिंता मत कर...इस साल दीवाली का बोनस मिलेगा...और मैने तेरा नाम एस ए स्पेशल केस रिकमेंड कर दिया है...इसलिए अगले 10 दिनों में तुम्हारे खाते में बोनस की रकम ट्रान्स्फर कर दी जाएगी...''
वैसे तो बोनस उन्ही को मिलता है जो कंपनी में एक साल पूरा कर चुके है...पर उसके बॉस की वजह से राहुल को वो बोनस सिर्फ़ 6 महीने की सर्विस के बाद ही मिल रहा था...ये राहुल के लिए बहुत खुशी की बात थी...और करीब 50 हज़ार रुपय एकदम से बिना माँगे मिल जाए तो थोड़ा बहुत इस तरह से जुए में लगा देने से उसे कोई परेशानी नही होने वाली थी...बल्कि राहुल को तो यकीन था की वो जीतेगा ही...क्योंकि उसके बॉस और सोसायटी में रहने वाले दूसरे लोग ये नहीं जानते थे की वो अपने दोस्तो में ताश खेलने का चैम्पियन था...वो तो समय के साथ-2 उसकी ताश खेलने की आदत छूट गयी वरना इस खेल में उसने काफी पैसे भी कमाए थे.
उसने खुशी-2 हाँ कर दी..
शशांक ने बताया की उनके ताश खेलने वाले क्लब में सिर्फ़ 4 दंपति है जो ये खेल हर साल खेलते है, पहले 5 थे, जो अब सोसायटी छोड़कर जा चुका है ..ये सुनकर राहुल को थोड़ा आश्चर्य ज़रूर हुआ की जिस सोसायटी में करीब 200 फॅमिलीस रहती है,उनमें से सिर्फ़ 4 लोग ही इस ताश खेलने वाले ग्रुप के मेंबर है...वो ये बात अपने बॉस से क्लेरिफाई करना चाहता था पर उसकी हिम्मत नही हुई पूछने की ...वैसे भी इस खेल में जितने ज़्यादा मेंबर होंगे उतना ही कम मज़ा मिलेगा..इसलिए उसने कुछ पूछा ही नही.
राहुल ने अपना पेग ख़त्म किया और उन्हे अगले दिन मिलने को कहकर वहां से चला गया.
उसके जाते ही वहां बैठे गुप्ताजी और शशांक के साथ -2 उनके दोस्त मनोहर कपूर और सरदारजी (गुरपाल सिंह) के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी...
दरअसल ये चारों एक ही थाली के चट्टे -बट्*टे थे...और इन सभी ने मिलकर राहुल को अपने जाल में फँसाने का ये तरीका निकाला था..
और इन सभी का निशाना था उसकी खूबसूरत बीबी....सबा.